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चीन में सांस्कृतिक व्यवस्था में सुधार से सशक्त सांस्कृतिक देश का निर्माण
2011-10-19 17:03:44

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय कमेटी का पूर्णाधिवेशन चार दिनों के बाद 18 अक्तूबर को समाप्त हुआ, जिस में चीन की सांस्कृतिक व्यवस्था में सुधार तथा सांस्कृतिक विकास के बारे में विज्ञप्ति जारी हुई। विज्ञप्ति के अनुसार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चीन को सांस्कृतिक क्षेत्र में एक शक्तिशाली देश के रूप में बनाने के प्रतिबद्ध है। सम्मेलन के इस विषय पर पार्टी स्कूल के प्रोफेसर शिन मिंग ने एक साक्षात्कार में कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन में भावी सांस्कृतिक विकास के लिए संपूर्ण इंतजाम किया है और सांस्कृतिक व्यवस्था सुधार के जरिए जनहित वाले सांस्कृतिक कार्य का जोरदार विकास करेगी और देश को सांस्कृतिक क्षेत्र में एक शक्तिशाली देश के रूप में निर्मित करेगी।

चीन में सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के बाद चीनी नेतृत्व समूह ने अनेक बार सांस्कृतिक विकास पर बैठकें बुलाईं, जिनमें से मौजूदा सम्मेलन का विशेष महत्व होता है, उल्लेखनीय विषय यह है कि चीन ने इस बार देश को एक शक्तिशाली सांस्कृतिक देश के रूप में बनाने का लक्ष्य पेश किया है। इस पर प्रोफेसर शिन मिंग ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में असाधारण कामयाबियां हासिल होने के बाद अब चीन विश्व के सांस्कृतिक क्षेत्र में अपना योगदान बढ़ाने को तैयार हो गया है। उन्होंने कहाः

किसी भी देश के लिए आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विकास साथ साथ होना चाहिए और एक दूसरे का समर्थन देना चाहिए। राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र में एक बड़ा देश होने के नाते चीन को सांस्कृतिक क्षेत्र में शक्तिशाली बनना भी निहायत जरूरी है। यानी चीन न केवल आर्थिक व राजनीतिक क्षेत्र में योगदान देगा, साथ ही सांस्कृतिक क्षेत्र में भी योगदान देगा। चीन विश्व को अपनी मूल्य धारणा प्रदान करते हुए विश्व में सामंजस्य कायम करने में अपना योगदान देगा।

पिछले 30 सालों में चीन के आर्थिक निर्माण में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और सकल राष्ट्रीय उत्पादन मूल्य की दृष्टि से चीन विश्व की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और चीन की सकल राष्ट्रीय शक्ति तेजी से बढ़ी है, ऐसी स्थिति में चीन के लिए यह तकाजा है कि सांस्कृतिक समृद्धि व तरक्की प्राप्त हो। युग के इस तकाजे के अनुसार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मौजूदा सम्मेलन में उपरोक्त लक्ष्य पेश किया गया है।

गौरतलब है कि मौजूदा सम्मेलन की विज्ञप्ति में समाजवादी मूल्य धारणा के महत्व पर बल दिया गया है। प्रोफेसर शिन ने कहा कि इसलिए समाजवादी मूल्य धारणा के निर्देशक महत्व पर जोर दिया गया है, क्योंकि उस ने देश व समाज के विकास के लिए मानसिक प्रेरक शक्ति मुहैया की है और वह देश के विकास को आगे ले जाने में मार्गदर्शन का काम आएगा। प्रोफेसर शिन ने कहाः

किसी भी समाज में मात्र रहन सहन की समस्या हल करना काफी नहीं है, लोगों को सांस्कृतिक जीवन की आवश्यकता है। संस्कृति देश व समाज को मानसिक शक्ति देगी और राष्ट्रीय विकास के लिए निर्देशन देगी तथा लोगों को समान आदर्श दिखाएगी।

मौजूदा सम्मेलन में समाजवादी मूल्य धारणा को अहम ऐतिहासिक कार्य के रूप में पेश किया गया है, इस का विशेष महत्व होगा।

मौजूदा सम्मेलन में देश में सांस्कृतिक व्यवस्था में सुधार लाने पर भी महत्व दिया गया है। चीन भविष्य में सांस्कृतिक व्यवस्था में सुधार की गति तेज करेगा और बाजार में सांस्कृतिक संसाधनों का संतुलित इस्तेमाल करेगा। इस के महत्व की चर्चा में प्रोफेसर शिन मिंग ने कहाः

व्यवस्था की गारंटी बहुत अहम है। चीन में सांस्कृतिक विकास की गारंटी के लिए सांस्कृतिक व्यवस्था का सुधार करना जरूरी है। इधर के सालों में चीन में राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक व्यवस्थाओं के विकास में सिलसिलेवार प्रगति प्राप्त हुई है, इस के साथ साथ सांस्कृतिक व्यवस्था में भी सुधार लाना चाहिए, ताकि देश की सभी व्यवस्थाएं सामंजस्यपूर्ण व संतुलित हो।

इन के अलावा, मौजूदा सम्मेलन की विज्ञप्ति में यह भी बताया गया है कि चीन भविष्य में सांस्कृतिक सुविधाओं के निर्माण में तेजी लाएगा, सार्वजनिक सांस्कृतिक सेवा नेटवर्क को बेहतर बनागा, जन समुदाय को निःशुल्क बुनियादी सांस्कृतिक सेवा देगा। प्रोफेसर शिन मिंग के शब्दों में इस कोशिश से जनता की सेवा करने के लिए चीनी नेतृत्व केन्द्र का संकल्प व्यक्त हुआ है।

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