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बाल बच्चों में स्वस्थ चरित्र विकास की शिक्षा
2011-10-06 17:20:32

इधर के सालों में चीन में अधिकाधिक बाल किशोरों में मनोविज्ञानिक समस्या पायी जाती है, इस पर समाज में अधिक से अधिक ध्यान दिया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि मनोविज्ञानिक परामर्श के माध्यम और अभिभावकों व बच्चों के बीच घनिष्ठ संपर्क से इस समस्या के समाधान में मदद मिलेगी और बच्चों में स्वस्थ चरित्र विकास संभव होगा।

इस साल, 10 वर्षीय बालिका थ्येन थ्येन पेइचिंग के एक प्रमुख प्राइमरी स्कूल में पढ़ती है, लेकिन अब यह मासूम बच्ची अकसर परेशानी से ग्रस्त हुआ करती है। उस ने संवाददाता को बतायाः

मां बाप ने मुझे क्लास के बाद अनेक ट्यूशन कक्षाओं में पढ़ने के लिए दाखिला कर दिया है, जिन में ओलंपिक गणित प्रशिक्षण और अंग्रेजी आदि शामिल हैं। मेरा बस्ता बहुत भारी है और जिससे मेरे दिमाग पर भी भारी दबाव पड़ा है।

चीन में अधिकांश स्कूली छात्रों के सामने यह समस्या खड़ी है, पढ़ाई में उन पर भारी बोझ पड़ने के अलावा लोकाचार और आत्मविश्वास में उन की कुछ परेशानियां भी पायी जाती हैं। चीनी जनसंख्या प्रचार व शिक्षा केन्द्र के प्रधान चांग हानश्यांग ने स्कूलों में छात्रों के चरित्र विकास के बारे में सर्वे किया है, सर्वे के परिणाम से जाहिर है कि विभिन्न आयु में बच्चों और किशोरों में कुछ न कुछ समस्याएं पायी गयी हैं। इस पर श्री चांग ने कहाः

आर्थिक व सामाजिक परिवर्तन के काल में, खासकर युवावस्था में आए बच्चों पर अधिक दबाव पड़ता है। पढ़ाई के भारी बोझ के अलावा मां बाप और अन्य लोगों के साथ उन के संपर्क में अनेक समस्याएं देखी जा सकती हैं, इन समस्याओं के अधिक बढ़ने से बच्चों की मनोदशा में अवश्य ही समस्या आएगी और व्यक्तिगत चरित्र में त्रुटियां उभरेगी।

सर्वेक्षण से जाहिर है कि सर्वेक्षण में शामिल हाई स्कूली छात्रों में से 75 प्रतिशत बच्चों को अनुभव हुआ है कि उन के और अपने मां बाप व अन्य बड़ों के बीच विचारों का आदान प्रदान कठिन है। जुनियर मिडिल स्कूल के छात्रों में से बहुत से बच्चे मां बाप से झगड़ते हैं और 80 फीसदी के उच्च शिक्षालय के छात्रों को भी अकसर एकांतता महसूस होती है। छात्रों का मानना है कि लोकाचार में निम्न समर्थता उन के कम आत्म विश्वास का कारण है।

पलने बढ़ने के काल में बच्चों की परेशानी दूर करने तथा उन में सुचरित्र का विकास कराने, तथा लोकाचार में अच्छी समर्थता बढ़ाने केलिए चीनी जनसंख्या व परिवार नियोजन आयोग और शिक्षा मंत्रालय ने 2010 में बाल स्वास्थ्य व चरित्र विकास योजना चलायी, इस के तहत 150 विशेषज्ञों ने अब पांच प्रांतों व शहरों के बुनियादी सामुदायिक इलाकों व स्कूलों में मनोविज्ञानिक परामर्श देने, छात्रों के घर में साक्षात्कार करने तथा बच्चों व अभिभावकों के साथ संपर्क कायम करना शुरू किया, जिस का उद्देश्य बच्चों में आयी मनो परेशानियों को दूर कर सुचरित्र का विकास करवाना है।

इस कार्यवाही में शामिल पेइचिंग नार्मल विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ लिन तानह्वा ने जानकारी देते हुए कहा कि सुचरित्र का विकास बच्चों की पूरी जिन्दगी के लिए अहम है। शिक्षा शास्त्र की दृष्टि से स्वस्थ चरित्र में अनेक विषय शामिल हैं। उन का कहना हैः

पहले, आशावादी खुला व सक्रिय स्वभाव का विकास बहुत अहम है, स्वभाव में अच्छी सहनशीलता सुचरित्र का एक अहम भाग है। दूसरे, ईमानदारी के साथ अपनी खुबियां व कमियां समझनी चाहिए और तीसरे, अपनी कार्यक्षमता व अपनी भावना पर नियंत्रण की शक्ति एवं समस्या-समाधान व जन संपर्क की शक्ति बढ़ानी चाहिए।

इन 150 विशेषज्ञों में शिक्षाविद्, मनोवैज्ञानिक एवं समाज, स्वास्थ्य चिकित्सा, परिवार शास्त्र, संस्कृति व सौंदर्य कला के विभिन्न क्षेत्रों के विद्वान शामिल है, वे पेइचिंग, हारपीन, ताल्यान और सूचो आदि शहरों के 200 से अधिक बस्तियों व स्कूलों में जाकर मनो परामर्श व अन्य चरित्र सुधार के काम करते हैं और बच्चों व उन के अभिभावकों को चरित्र विकास की शिक्षा देते हैं। चीन में प्राचीन काल से चाय परोसने की विशेष कला चलती आयी है, इससे लोगों को चरित्र सुधार का बोध उत्पन्न होता है। मौजूदा अभियान के मुद्दों में चाय परोसने की कला सिखाने की कोशिश भी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बच्चों को जिन्दगी का महत्व मालूम हो सकेगा और अपने अनुभवों तथा अध्यापकों व दोस्तों के साथ सहयोग से उन्हें चरित्र निर्माण में मदद मिलेगी।

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