पहली चीन-भारत रणनीतिक व आर्थिक वार्ता 26 सितंबर को पेइचिंग में समाप्त हुई। चीन व भारत ने वर्तमान वैश्विक आर्थिक स्थिति व चीन-भारत दोनों देशों की मैक्रो अर्थव्यवस्था, दोनों देशों के लंबी अवधि की आर्थिक व सामाजिक विकास परियोजना, दोनों पक्षों के व्यावहारिक सहयोग को आगे बढ़ाने आदि मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
एक दिवसीय वार्ता में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने बंद दरवाजे की बैठक भी आयोजित की। चीनी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख, चीनी राष्ट्रीय विकास व सुधार आयोग के निदेशक चांग फिंग ने कहा कि दोनों पक्ष चीन-भारत रणनीतिक व आर्थिक वार्ता के मंच के जरिए आदान-प्रदान मजबूत करेंगे, आपसी विश्वास को बढ़ाएंगे, पूरक फायदे व पारस्परिक लाभ व समान जीत के आधार पर दोनों देशों के हितों का विस्तार करेंगे। इसके साथ ही दोनों देशों के विभिन्न क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा देंगे और चुनौतियों से निपटने के लिए एक साथ कदम उठाएंगे। यह दोनों देशों के अर्थव्यवस्थाओं के दीर्घकालीन विकास को बढावा देने, दोनों देशों के लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण है।
चांग फिंग ने कहा कि चीन-भारत के सहयोग को मजबूत करना न सिर्फ दोनों पक्षों के लिए लाभदायक है, बल्कि विकासशील देशों की शक्ति व विश्वास को मजबूत करने के लिए भी अहम है। चीन व भारत की अर्थव्यवस्थाओं का स्वस्थ विकास एशिया सहित पूरी दुनिया की आर्थिक पुनरूत्थान व विकास में सकारात्मक भूमिका निभाएगा।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख,योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि इस वार्ता से दोनों देशों के बीच लगातार आर्थिक विकास की मजबूती जाहिर होती है। वैश्विक स्थिति बदल रही है और भारत-चीन संबंधों को मजबूत करना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार का तेज विकास हुआ, जिससे दोनों देशों के संबंध एक नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे। उनका मानना है कि दोनों देशों को चुनौतियों का सामना करना है, जिसमें बाजारों को आगे खोलना, निवेश के वातावरण में सुधार करना भी शामिल है।
दोनों पक्षों ने अगले वर्ष भारत में दूसरी चीन-भारत रणनीतिक व आर्थिक वार्ता आयोजित करने का भी फैसला किया।
(नीलम)