चीन सरकार द्वारा हाल ही में प्रकाशित चीन के शांतिपूर्ण विकास के बारे में श्वेत पत्र को लेकर 15 सितम्बर को पेइचिंग में एक बैठक हुई। बैठक में चीन के विभिन्न तबकों के लोगों ने माना है कि एक विकासशील देश होने के नाते चीन ने जो शांति के साथ विकास करने का रास्ता अख्तियार किया है, वह चीन की अपनी वास्तविक स्थिति तथा विश्व में विकास की धारा से अनुकूल होने का विवेक व रणनीतिक विकल्प है, नकि अस्थाई चुनाव। चीन का शांतिपूर्ण विकास विश्व के लिए मौका भी है, चुनौति भी। चीनियों की आशा है कि अन्तरराष्ट्रीय समाज इसे समझेगा और इस का समर्थन करेगा।
चीन के शांतिपूर्ण विकास के बारे में श्वेत पत्र 6 सितम्बर को जारी किया गया है, यह 2005 में चीन सरकार की ओर से चीन के शांतिपूर्ण विकास का रास्ता नामक श्वेत पत्र जारी किये जाने के बाद उस का एक दूसरा सरकारी दस्तावेज है, जिस में अपने विकास के सिद्धांतों व लक्ष्यों का व्याख्यान किया गया है। चीन सरकार के इस नए दस्तावेज में चीन के शांतिपूर्ण विकास के तर्क, आम लक्ष्य और वैदेशिक उसूल व नीतियों पर प्रकाश डाला गया और इस बात पर बल दिया गया है कि चीन हमेशा शांति के साथ विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने के प्रतिबद्ध है और अपने विकास के साथ विश्व शांति की रक्षा करने तथा विभिन्न देशों की समान समृद्धि बढ़ाने को तैयार है।
15 सितम्बर की बैठक में चीनी स्टेट काउन्सलर तङ तेक्वो ने बलपूर्वक कहा कि चीन के शांतिपूर्ण विकास की अपनी गहरी सांस्कृतिक प्रेरणा है। वह चीन लोक गणराज्य की स्थापना के बाद पिछले 60 सालों, खासकर सुधार व खुलेद्वार के दौरान कदम ब कदम संपन्न हुआ है। शांति के साथ विकास के लिए चीन का विकल्प परिपक्व है और अपरिवर्तनीय है। श्री तङ ने कहाः शांतिपूर्ण विकास के लिए चीन का विकल्प धोखेबाजी नहीं है, असल में वह वर्तमान विश्व स्थिति के बारे में विवेक विश्लेषण और वैज्ञानिक निष्कर्ष पर आधारित तर्कयुक्त चुनाव है, जो विश्व धारा के अनुकूल है। चीन का यह दावा खोखली नहीं है, उस का ठोस राजनीतिक, नीतिगत और रणनीतिक आधार है, चीन जो कहेगा, उसे पूरा कर देगा। लेकिन दूसरी ओर, चीन का शांतिपूर्ण विकास अकेला चीन का अपना मामला नहीं है, उसे अन्तरराष्ट्रीय समझ, समर्थन व सहयोग की जरूरत है।
चीन सरकार के श्वेत पत्र पर विश्व में व्यापक प्रतिक्रियाएं हुई हैं, जिन में कुछ शंकाएं भी शामिल हैं। ऐसी आशंका को लेकर चीनी विदेश मंत्री यांग च्येछि ने कहा कि अपने देश के हितों की रक्षा करना किसी भी देश की युक्तिसंगत मांग और कानूनी अधिकार है। श्वेत पत्र में मतभेदों को हल करने में समानता व शांति के तरीके अपनाने के लिए चीन की अवधारणा जतायी गयी है। इस पर विदेश मंत्री यांग ने कहाः श्वेत पत्र में स्पष्ट शब्दों में चीन के केन्द्रीय हित बताए गए हैं, जिस से अपने मुख्य हितों की रक्षा करने के लिए चीन का संकल्प व्यक्त हुआ है, साथ ही चीन का यह दृष्टिकोण भी जाहिर किया गया है कि विभिन्न देशों द्वारा अपने देश के हितों की रक्षा करने के न्यायपूर्ण अधिकार का भरपूर समादर किया जाना चाहिए, छोटे व कमजोर देशों के साथ ऐसा व्यवहार खास जरूरी है। एक सीमित पृथ्वी पर आबाद होने के कारण देशों के बीच मतभेद और अन्तरविरोध पैदा होना स्वाभाविक ही है, उन्हें शांतिपूर्ण सलाह मशविरे के जरिए उचित ढंग से निपटाराना चाहिए।
2005 में जब चीन के शांतिपूर्ण विकास का रास्ता नामक श्वेत पत्र जारी हुआ था, उसी समय चीन का सकल आर्थिक मूल्य विश्व के छठे स्थान पर था, किन्तु 2010 में चीन का आर्थिक उत्पादन विश्व के दूसरे स्थान पर पहुंचा है और दुनिया के साथ चीन का संपर्क दिनोंदिन घनिष्ठ होता गया है और चीन के तेज विकास पर व्यापक ध्यान दिए जाने के साथ साथ कोई न कोई संदेह पैदा हुआ है। इसपर पेइचिंग विश्वविद्यालय के अन्तरराष्ट्रीय संबंध कालेज के कुलपति वांग चीश ने कहा कि श्वेत पत्र में विश्व में उभरे ऐसे संदेहों का स्पष्ट जवाब दिया गया है, जिससे चीन की ईमानदारी जाहिर हुई है। भिन्न भिन्न मत सुन लेने, मतभेदों का सम्मान करने तथा उन्हें समझने के रूख में श्वेत पत्र ने चीन के शांतिपूर्ण विकास के प्रति कुछ लोगों के संदेहों का आत्मविश्वास व दृढता के साथ उचित व सही जवाब दिया है और यह घोषणा की है कि शांति के साथ विकास का रास्ता तय करना चीन के लिए आधुनिकीकरण और समृद्ध व शक्तिशाली होने का लक्ष्य प्राप्त करने एवं विश्व सभ्यता व प्रगति के लिए और बड़ा योगदान देने हेतु एक रणनीतिक चुनाव है।