तिब्बत के लोका प्रिफैक्चर स्थित नाईतुंग कांउटी के चिनलू गांव में प्रवेश करते ही साफ़ सुथरी व चौड़ी-चौड़ी सड़कें नजर आती हैं। सड़क के दोनों ओर तिब्बती शैली की इमारतें और सौर ऊर्जा वाली स्ट्रीट लाइटें दिखती हैं। लोगों ने अपने घर के आंगन में रंग-बिरंगे फूल उगाए हैं, यह सब देखकर लगता ही नहीं कि हम विश्व की छत कहलाने वाले तिब्बत के एक गांव में आ गए हों।
23 वर्षीय वेलिन इस गांव के मुखिया हैं। तिब्बत के कृषि व पशुपालन कॉलेज से स्नातक होने के बाद वह अप्रैल 2010 में यहां आए और तब से स्थानीय अधिकारियों के प्रशासनिक प्रबंधन में मदद कर रहे हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा:
"चिनलू गांव में 183 परिवार हैं, और आबादी 796 है। हमारे पास करीब 105 हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि, 12,942 हैक्टेयर घास के मैदान और 7523 पशु हैं। वर्ष 2010 में हमारे गांव की कुल आय 57 लाख 92 हज़ार 8 सौ युआन थी, और प्रति व्यक्ति औसत आय 4077 थी।"
वेलिन ने चिनलू गांववासियों के पहले के जीवन के बारे में कहा:
"चिनलू गांव चिनगो, लूगो और च्यागो तीन गांवों से मिलकर बना है, जो पहले दूर पहाड़ी क्षेत्र में बसे हुए थे। यहां आने से पहले गांवों में पानी, बिजली व मार्ग की सुविधा नहीं थी और गांववासियों का जीवन भी बहुत मुश्किल भरा था , चिकित्सा की गारंटी भी नहीं थी। पहले प्रति व्यक्ति की सालाना औसतन आय एक हज़ार युआन से कम थी। लेकिन आज उनकी आर्थिक आय पांच गुना बढ़ चुकी है।"
43 वर्षीय निमा थुतङ एक सीधे सादे तिब्बती पुरूष हैं। नए गांव में जाने से पूर्व निमा थुतङ का परिवार मुख्य तौर पर कृषि उत्पादों की बिक्री पर निर्भर था। उस समय घर का मकान बहुत छोटा था, कम आय के चलते पारिवारिक जीवन भी बहुत कठिन था। लेकिन नए गांव में आ बसने के बाद निमा थुतङ दूध गाय और सुअर पालने के साथ-साथ जौ उगाने लगे। इस तरह घर की सालाना आय बढ़ गई और जीवन स्थिति में काफी सुधार हो गया। निमा थुतङ ने कहा:
"अब हमारी आमदनी कृषि और पशुपालन से आती है, और हम बिक्री के लिए गाय और सुअर पालते हैं और जौ की फसल उगाते हैं, आजकल गाय की कीमत लगभग छह हज़ार युआन है, उसे बेचने पर बड़ा मुनाफा होता है। पहले मेरी वार्षिक आय सिर्फ एक हजार युआन थी, अब वह 5 हजार से अधिक हो चुकी है।"
आजकल पानी, बिजली, यातायात व सूचना आदि क्षेत्रों में हुआ भारी परिवर्तन चिनलू गांववासी निमा थुतङ के लिए सबसे बड़ा अनुभव है। इसकी चर्चा में उन्होंने कहा:
"पहले, यहां पानी, बिजली, यातायात और दूर संचार की सुविधा अच्छी नहीं थी, पानी लेने के लिए लोगों को दूर जाना पड़ता था। लेकिन अब सब आसान हो गया है। अब मैं हर साल चार गायें पालता हूं, और बाजार की मांग के मुताबिक उत्पादन और पशुपालन का काम करता हूं और मैं आधुनिक उत्पादन संचालन के तरीके भी सीख चुका हूं। पशुपालन के नए तरीके मैंने रेडियो और टीवी कार्यक्रमों से सीखे हैं, अब हम जो गाय व सुअर पालते हैं, उनका पालन-पोषण बिल्कुल अलग ढंग से होता है।"
निमा थुतङ ने कहा कि वह हर वर्ष दूध देने वाली पांच गाय, 20 या 25 भेड़ पालता है और आगे वह और ज्यादा पशु पालना चाहता है।
इस गांव में हमारे पत्रकार थुतङ च्वोमा के घर भी गए। उस समय 64 वर्षीय थुतङ च्वोमा घर में घी-चाय बना रही थी। दादी थुतङ च्वोमा ने उन्हें बताया कि तीन साल पहले उनके पुराने गांव में बिजली की कोई व्यवस्था नहीं थी, रात को मोमबत्ती जलाती थी और घर में पीने का पानी भी नहीं होता था। पहाड़ी क्षेत्र में यातायात के साधन भी नहीं थे, कई मील पैदल चलने के बाद वह गाड़ी में सवार हो पाती थी। लेकिन आज का जीवन बताते हुए दादी थुतङ च्वोमा ने कहा कि अब हमारा घर बहुत सुन्दर है, पानी, बिजली के अलावा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा:
"यह मकान मैंने खुद बनाया है। सरकार के भत्ते के अलावा मैंने इस में एक लाख युआन खर्च किया। मैं अब गांव के जीवन से पूरी तरह संतुष्ट हूं।"
टिनलू गांव के सभी ग्रामीणों का अनुभव निमा थुतङ और तुथङच चोमा जैसा ही है। पहले के पहाड़ी क्षेत्र से यहां आने के बाद गांववासियों के जीवन में जमीन आसमान का अंतर आया है। नए गांव के निर्माण के दौरान लोगों ने सड़क, जल निकासी प्रणाली, वृक्षा रोपण आदि क्षेत्रों में बड़ा ध्यान दिया । नए गांव और नई-नई इमारतों के निर्माण के वक्त वे अपने सुनहरे भविष्य की कल्पना करते ही कार्य में भाग लेते थे। अब वे स्व निर्मित मकानों में रहते हैं और उनके दिल में इसकी खुशी भी है।
यहां बता दें कि चिनलू गांव लोका प्रिफैक्चर की नाईतुंग कांउटी में स्थित है, मध्य चीन के हू पेई प्रांत की राजधानी वू हान इस क्षेत्र को मदद देती है। वूहान के तीन लाख युआन के समर्थन में चिनलू में ग्रामीण चिकित्सा केंद्र स्थापित हुआ, जिसमें सभी तरह की सामान्य दवाइयां तैयार की जाती हैं। साथ ही गांव में मनोरंजन रूम तैयार हुआ। इसके साथ ही वू हान ने शहर स्वायत्त प्रदेश के सूचना प्रकाशन विभाग के साथ मिलकर चिनलू गांव में किसानों के लिए पुस्तकालय की स्थापना भी की। जिससे ग्रामीण लोगों को पुस्तक पढ़ने की सुविधा मिलती है।
आज तिब्बत का दौरा करने पर आप अधिकांश जगहों में चिनलू जैसी स्थिति देख सकते हैं। नए तिब्बती किसान तेज़ी से विकास की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।