यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, कुछ दिन पहले हमारे सीआरआई के देशी विदेशी पत्रकारों ने तिब्बत की यात्रा की थी। उन्होंने तिब्बत के विकास, तिब्बती किसानों व चरवाहों के जीवन तिब्बती संस्कृति, तिब्बती धर्म और तिब्बत के पर्यावरण संरक्षण आदि क्षेत्रों में खूब देखा और गहरा अनुभव प्राप्त किया। सीआरआई देशी विदेशी पत्रकारों की तिब्बत-यात्रा वृत्तांत के संदर्भ में आज आप सुनिए"बीते छह दशकों में तिब्बत में आए परिवर्तन"शीर्षक रिपोर्ट।
अगस्त महीने की एक सुबह, तिब्बत के शिकाजे शहर के उपनगर में स्थित एक पार्क में स्टेप डांस सप्ताह चल रहा है, यह सांस्कृतिक कार्यक्रम नौवें चुमुलांगमा सांस्कृतिक उत्सव के अन्तर्गत आयोजित हुआ है। पार्क में सुबह-सुबह ही भरी भीड़ लगी है जो 11 बजे पर शुरू होने वाले कार्यक्रम का बाट जोह रही है। कार्यक्रम कोंगच्यो उद्यान में हो रहा है। शिकाजे प्रिफैक्चर के प्रेस कार्यालय के प्रधान श्री थ्यान शिशिन ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के बारे में परिचय देते हुए कहा:
"हमारे इस कार्यक्रम स्थल का नाम तुंगफङ उद्यान है, इस का एक दूसरा नाम कोंगच्यो उद्यान भी है। आज से 60 साल पहले, यह स्थान पंचनलामा का ग्रीष्मकालीन महल था, जहां गर्मियों के दिन पंचन लामा जीवन बिताते थे और काम करते थे।"
यदि आप तिब्बत के बारे में कम जानते हैं और तिब्बत के इतिहास से अज्ञात हैं, तो आप यहां का भारी परिवर्तन साफ साफ नहीं जान सकते हैं। ऐतिहासिक तथ्य यह है कि तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के पहले, यह पार्क तिब्बत के कुलीन वर्ग का एक विशेष महल था, जिसमें जन साधारण को अन्दर प्रवेश करने की कतई इजाजत नहीं होती थी। आज से 60 साल पहले, यहां एक बार भयंकर बाढ़ आयी थी, जिस के साथ इस ग्रीष्मकालीन उद्यान के बहुत सारे सामान पानी से बहा ले गये और उद्यान में बहुत से मकान भी तबाह हो गए। चीनी केन्द्रीय सरकार ने इस घटना पर बड़ा ध्यान दिया, तत्कालीन चीनी प्रधान मंत्री चाउ एनलाई ने खुद विशेष अनुदान का आदेश देकर पंचन लामा के इस महल के जीर्णोद्धार के लिए पांच लाख चांदी के सिक्के दिए, इस विशेष राशि से त्येछिंग पोचांग की जगह पंचन लामा के लिए नया महल बनाया गया और बाढ़ से तबाह हुए इस ग्रीष्मकालीन उद्यान को रूपांतरित करके जन पार्क बनाया गया, जो आज तुंगफङ या कोंगच्यो पार्क से जाना जाता है। इस पर श्री थ्यान ने कहा:
"वर्तमान में इस पार्क में पेड़ बहुत ऊंचे उगे हैं और पूरे पार्क में हरियाली बिछायी गयी है। आज यह पार्क आम लोगों के लिए एक लोकप्रिय मनोरंज और विश्राम का स्थल बन गया है। साथ ही यह एक सांस्कृतिक स्थल भी है, जिस में अकसर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। तिब्बत में आयोजित चुमुलांगमा सांस्कृतिक उत्सव के तहत हर साल इस पार्क में सांस्कृतिक सप्ताह आयोजित होता है, आसपास के नागरिक सांस्कृतिक कार्यक्रम में बड़ी रूचि लेते हैं और सांस्कृतिक सप्ताह में वे सुबह-सुबह ही पार्क में कार्यक्रम देखने आते हैं।"
एक प्राकृतिक प्रकोप से तिब्बती कुलीन वर्ग का सदियों पुराना उद्यान तबाह हुआ था, लेकिन इस के कारण ही स्थानीय जनता को मनोरंजन के लिए एक अच्छी जगह प्रदान की गयी। नवनिर्मित कोंगच्यो पार्क में अब बहुत से छोटी छोटी मदिरा बार खोली गयी है, जो स्थानीय तिब्बती बंधुओं द्वारा चलायी जाती है, बियर बारों में तरह तरह की किस्मों में सींक पर मांस भुनने की सेवा मिलती है। कहा जाता है कि चुमुलांगमा सांस्कृतिक उत्सव के दौरान हर दोपहरबाद पार्क में विभिन्न बारों में खास रौनक माहौल बनता है और लोगों की भरी भीड़ लगती है, जिसमें अभी अभी रंगमंच से उतरे कलाकार हैं, और दूर से प्रोग्राम देखने आने वाले दर्शक भी हैं। वे यहां एक या दो गिलास शराब पीने का लुफ्ट लेते हैं। देश के भीतरी इलाके से आए पर्यटक की नजर में कोंगच्यो पार्क का रात्रि दृश्य विशेष आकर्षक और मनोहर है, क्योंकि वे मिलनसार तिब्बती बंधुओं के साथ मिलकर शराब का आनंद ले सकते हैं और नाच गान में शामिल हो सकते हैं।
पीढियों से तिब्बत में रहने वाले तिब्बती लोगों के लिए वर्तमान जीवन में आए भारी परिवर्तन और अभूतपूर्व सुधार अत्यन्त खुशगवार होते हैं। लोका प्रिफेक्चर में चिनलु गांव के निवासी निमाथुतङ इस साल उम्र में 43 का है, सीधा सादा, तंदुरूस्त और मिलनसार हैं। पहले निमाथुतङ का परिवार जीविका के लिए कृषि उत्पादन पर निर्भर रहता था, अब वे दूधार गाय और सुअर पालते हैं और तिब्बती जौ की उगाई करते हैं, इस से उन की आय में भारी वृद्धि हुई और जीवन बहुत सुखद बना। उन्होंने संवाददाता को बताया:
"अब हमारी आमदनी कृषि और पशुपालन से आती है, हमारे घर में बिक्री के लिए गाय और सुअर पाले जाते हैं और जौ की फसल उगायी जाती है, इससमय गाय का दाम 6000 य्वान है, बड़ा मुनाफा मिलता है। पहले मेरी वार्षिक आय सिर्फ एक हजार य्वान थी, अब वह 5 हजार से अधिक बढ़ी है।"
निमाथुतङ के विचार में इन सालों में तिब्बत में सब से बड़ा बदलाव पानी, बिजली और दूर संचार क्षेत्र में हुआ है। उन्होंने कहा:
"पहले, यहां की पानी, बिजली, यातायात और दूर संचार की सुविधा अच्छी नहीं थी, पानी लेने के लिए स्थानीय लोगों को दूर जाना पड़ता था। लेकिन अब बड़ी सुविधा प्राप्त हुई है। अब मैं हर साल चार गायें पालता हूं, और बाजार की मांग के मुताबिक उत्पादन और पशुपालन का काम करता हूं और मैं आधुनिक उत्पादन संचालन का तरीका सीख चुका हूं। पशुपालन के नए तरीके मैं ने रेडियो और टीवी कार्यक्रमों से सीखे हैं, अब जो गाय व सुअर पाले जाते हैं, उन के पलने बढ़ने की स्थिति बिलकुल अलग की होती है।"
40 वर्षीय छितांओचु का घर दक्षिण पूर्व तिब्बत के लिनची प्रिफेक्चर में है। अतीत में यह इलाका तिब्बती कैदियों को बन्द करने वाली जगह था, लेकिन अब वह एकदम बदला है, वह पारिस्थितिकीगत पर्यटन के लिए विश्वविख्यात क्षेत्र बन गया है। यहां की विशेष जड़ी बूटी और खेती के सहारे छितांओचु का परिवार धनी बन गया है। उन्होंने बताया कि उन के गांव में सभी 42 परिवारों में प्रति व्यक्ति आय औसतः 4000 य्वान तक पहुंची।
श्री छितांओचु कहते हैं कि बचपन में घर के दोनों भाइयों के पास सिर्फ एक जोड़े के जूता थे और उन की पिता के जमाने में जीवन और दुभर था। उन्होंने कहा:
"हमारे जीवन में जमीन आसमान का फर्क आया है। यदि मेरा पिता जीवित होता, तो वह जरूर समझता कि वे स्वर्ग में जीते हों। जीवन सुखद होने के बाद लोगों की पसंद भी बदली है, पहले जो खाना अच्छा लगता था, अब उसे गले के नीचे उतारना मुश्किल लगता है। अच्छे जीवन के लिए अच्छी मांग होती है।"
जुलाई में प्रकाशित तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद 60 सालों के बारे में श्वेत पत्र में कहा गया है कि तिब्बत में कुल उत्पादन मूल्य में 60 सालों में 111.8 गुनी वृद्धि हुई है। शहरी निवासियों के लिए औसत आवास क्षेत्रफल पहले के तीन वर्गमीटर से बढ़ कर अब 34 वर्गमीटर हो गया और कार, मोबाइल फोन और पीसी कंप्यूटर भी आम हो गये है।
47 वर्षीय वुचिनछिरन बानचुंग गांव का निवासी है, यह गांव अमीर ग्राम के नाम से मशहूर है। गांव वासियों की औसत प्रति व्यक्ति आय 10 हजार य्वान से अधिक है। उन के 8 सदस्यी परिवार 2007 में नए मकान में रहने लगे। दो मंजिला तिब्बती शैली के मकान सुन्दर सुसज्जित है और फर्नीचर भी अच्छे-अच्छे लाये गए है। उन का कहना है:
"नए मकान और फर्नीचर के लिए उन्हों ने दो लाख य्वान खर्च किया, सरकार ने भत्ता के रूप में 12 जहार य्वान का अनुदान किया। मैं ने मकान का डिजाइन किया और वह बहुत ही हवादार है।"
पिछले 60 सालों में केन्द्रीय सरकार ने तिब्बत से एक कोड़ी का पैसा भी नहीं ले लिया, उल्टे तिब्बत के विकास के लिए ज्यादा से ज्यादा वित्तीय सहायता देती रही, अब तक वित्तीय सहायता में तीन खरब य्वान दिए गए हैं और प्रत्यक्ष निवेश में एक खरब 60 अरब य्वान डाले गए हैं। केन्द्रीय सरकार के पूंजी निवेश, समर्थन की विशेष नीतियों के आधार पर तिब्बत में पूंजी निवेश का आकर्षण काफी बढ़ा, ऊर्जा, खाद्य प्रोसेसिंग, जातीय शिल्प उद्योग और तिब्बती औषधि व चिकित्सा जैसे विशेष उद्योगों का बड़ा विकास हुआ और उन के उत्पाद देश विदेश के बाजार में भी लोकप्रिय हो गए और बहुत सी तिब्बती कंपनियों ने देशी विदेशी शेयर बाजारों में भी अपना स्थान बनाया है। श्री बानपाछिरन तिब्बत की चिजङ दवा कंपनी के बोर्ड सदस्य है, यह कंपनी 1995 में स्थापित हुई, अब देश का सब से बड़ा तिब्बती दवा उत्पादन कारोबार बन गयी। बांपाछिरन का कहना है कि तिब्बत में निवेश की सुविधा लगातार बढ़ती गयी है और सरकारी सेवा भी अच्छी बन गयी।
"सरकार की सेवा और समर्थन बेहतर है, सरकार तिब्बती औषधि व चिकित्सा और वैज्ञानिक सृजन सभी को पूंजीगत समर्थन देती है। चीन तिब्बती औषधि को विशेष महत्व देता है और उस के लिए पूंजी निवेश की सुविधा भी बढ़ा देती है। मैंने देखा है कि बहुत से क्षेत्रों के सरकारी विभाग पूंजी निवेश को मदद देने में बहुत सक्रिय रहे हैं। लेकिन तिब्बत में यातायात, सूचनाओं के आदान प्रदान तथा मानव संसाधनों की स्थिति भीतरी इलाकों से अच्छी नहीं है, हमें इसे सुधारने की भरसक कोशिश करनी चाहिए।"
आर्थिक विकास और सामाजिक उदारता से युवाओं के लिए जीवन के प्रकार चुनने के अनेक विकल्प पैदा हुए हैं, अब आम तिब्बती लोग अपने बेटे बेटी को अच्छी शिक्षा दिलाने पर ध्यान देते हैं। पिछले 60 सालों में सरकार तिब्बत के शिक्षा कार्य के विकास पर बड़ा महत्व देती आयी है, तिब्बत की बुनियादी शिक्षा बढाने में कुल 40 अरब य्वान की राशि लगायी। 13 वर्षीय छात्र जाशिच्वोमा ने इस साल देश के भीतरी इलाके में स्थापित तिब्बती क्लास में दाखिला पाया, उस की अंग्रेजी और हान भाषा दोनों अच्छी है, साथ ही वह अपनी तिब्बती भाषा में परंपरागत संस्कृति के अध्ययन पर भी बड़ा ध्यान देती है। उस का कहना है:
"मैं तिब्बती भाषा पर बड़ा ध्यान देती हूं और तिब्बती भाषा कक्षा में तिब्बत के इतिहास और तिब्बती ओपेरा और रीति-रिवाज, मान्यता और प्रथा के बारे में शिक्षा पाने की कोशिश करती हूं।"
आज से 60 साल पहले, तिब्बत में शिक्षा की सुविधा मात्र कुलीन वर्ग के लोगों को मिल सकती थी, यह उन का विशेषाधिकार था, साधारण तिब्बतियों की संतान को शिक्षा पाने का अधिकार नहीं था। इसलिए वहां स्कूली उम्र वाले बच्चों की स्कूल दाखिला दर सिर्फ 2 फीसदी थी। आज तिब्बत में 99.2 प्रतिशत के बच्चों को स्कूल जाने का मौका मिलता है और 23.4 प्रतिशत के युवाओं को उच्च शिक्षा मिली है। स्नातक होने के बाद उनमें से अधिकांश लोग तिब्बत में केरियर करने के लिए लौटते हैं। तांजङनिमा उनमें से एक हैं। वर्ष 2004 में पेइचिंग के एक विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद वे तिब्बत में लौटे और अब वे कस्बे के उप मेयर बने । उन्होंने कहा:
"अब चीन ने पश्चिम भाग के जोरदार विकास की नीति लागू की है, उस ने हमें करियर करने का अच्छा मौका दिया है। मैं तिब्बत में पला बढ़ा हूं और स्कूली शिक्षा पायी है। इसलिए तिब्बत के विकास में अपनी शक्ति अर्पित करने के लिए मैं लौटा हूं।"
अब तिब्बत विकास के नए मुकाम पर पहुंचा है और तिब्बत में विकास के नए नए आयाम खुले हैं । चीनी उप राष्ट्राध्यक्ष शि चिनफिंग ने अपने हालिया तिब्बत दौरे पर कहा कि भविष्य में तिब्बत के विकास की गति और तेज की जाएगी और तिब्बती लोगों के जीवन के सुधार को अंजाम दिया जाएगा तथा तिब्बती लोगों के सब से अधिक ध्यानार्षक सवालों को हल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा:
"विकास की गति तेज करना तिब्बत की समस्याओं के समाधान के लिए कुंजीभूत कड़ी है और तिब्बत के विभिन्न ठोस कार्यों में केन्द्र की विशेष उदारता नीतियों को लागू करना चाहिए और सारे प्रदेश के बुनियादी संस्थापनों के निर्माण को तेज किया जाएगा, कृषि व पशुपालन का स्तर उन्नत किया जाएगा, अपने विशेष श्रेष्ठ उद्योगों के विकास पर जोर लगाया जाएगा, पारिस्थितिकी संरक्षण को बेहतर किया जाएगा और अपनी क्षमता उन्नत की जाएगी एवं सामाजिक गारंटी व जन जीवन में सुधार लाने की भरसक कोशिश की जाएगी और तिब्बत की विभिन्न जातियों की जनता के लिए सब से ध्यानाकर्षक व सब से व्यवहारिक मामलों का बेहतर समाधान किया जाएगा।"