Web  hindi.cri.cn
तिब्बतियों के वस्त्र व आभूषण के बारे में
2011-08-02 09:45:45

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थित है। बर्फीले पठार पर रहने वाले लोग साल भर में अनेक त्योहारों की खुशियां मनाते हैं। साल के शुरू से अंत तक करीब तीस उत्सव मनाए जाते हैं, जिन में तिब्बती पंचांग का नया वर्ष, श्वेतुन त्योहार, वांगक्वो त्योहार, च्यांगची क्षेत्र के दामा त्योहार और छ्यांगथांग क्षेत्र के घुड़दौड़ महोत्सव आदि शामिल हैं। त्योहार के दिनों में तिब्बती लोग जौ का शराब पीते हैं, नाचते गाते हैं, इस के साथ ही रंगारंग आभूषण से अपने को सजाते हैं, जिस से त्योहार का खुशगवार माहौल और बढ़ जाता है।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का छांगतु प्रिफैक्चर भौगोलिक स्थिति के मुताबित खांगछ्यु क्षेत्र का एक भाग है, इस तरह यहां के तिब्बती लोग खांगबा के नाम से कहे जाते हैं। खांगबा का पुरूष बहुत बलवान और सुगठित है और महिला बहुत सुन्दर व सुडौल हैं, उन का स्वभाव बहुत सीधा सादा और उदार है। इस तरह जेवर आभूषण के लिए खांगबा लोगों की पसंद भी उन के स्वभाव के अनुरूप सोना चांदी, सुलेमानी और हरे फ़िरोज़ा पत्थर आदि पर होती है। खांगबा पुरूष अपने सिर से पांव तक को विविध आभूषण से सजाते हैं। सिर पर ऊनी टोपी या चमड़े की टोपी, गले पर मूंगे व फिरोजा के पत्थर, कंधे पर बुद्ध मूर्ति व बौद्ध धर्म के पवित्र सजावट, कमर पर बंधे तिब्बती तलवार खांगबा लोगों की मर्दानगी अधिक दिखा देते हैं। खांगबा पुरूषों के बाल आम तौर पर लाल व काले रेशमी धागों से शिरोभूषण के रूप में बांधे जाते हैं, उन के कानों पर रत्नों की बालियां लटकती हैं, इन के अलावा अग्नि पाषाण नाम का एक आभूषण भी खांगबा पुरूष के लिए अनिवार्य है, जो जेवर के अलावा आग पैदा करने का काम भी आता है। खांगबा पुरूष के पांवों में पहनने वाले तिब्बती बूट विशिष्ठ आकर्षक है, जिस के तलवे बैल के चमड़े से बनाये जाते हैं और ऊपरी भाग रंगीन ऊनी धागों से धारीदार बुन कर बनाये गए है। वहां के लोगों के जीवन धनी बनने के चलते अब तिब्बती बूट पहले से कहीं अधिक रंगीली और खूबसूरत बनाये जाते हैं जिस से त्योहार की खुशियां में बड़ा इजाफा हुआ है। छांगतु प्रिफैक्चर से आए तिब्बती भाई लोसोंजासी ने अपने जेवर आभूषण का परिचय देते हुए कहाः

"त्योहारों में आम तौर पर मैं अपने सभी आभूषण पहनता हूँ। मसलन् तिब्बती पंचांग के नए वर्ष के प्रथम दिन में मैं तिब्बती पोशाक के साथ मूंगा व हरित फ़िरोज़ा पत्थर वाले नेकलेस पहनता हूँ। देखिए ये सब पहनने पर मेरे कपड़े कितने चमकीले और खूबसूरत नजर आते हैं और इससे त्योहार का आनंद भी बढ़ जाता है। आजकल मैं ने पुत्र के लिए नए नए जवाहरात खरीदे। आशा है कि बड़े होने पर वह तिब्बती पोशाक के साथ ये आभूषण भी पहनेगा, और अपनी मर्दानगी दिखाएगा।"

खांगबा महिला का आभूषण बेहद आकर्षक और चमकीला है, जो अलग-अलग तौर पर सिर, गले और कमर पर सजा जाता है। खांगबा महिलाओं के आभूषण का रंग ज्यादातर लाल, पीला और हरा है। शिरोखर में दो मूंगाओं के बीच एक हरा फ़िरोज़ा पत्थर रखा जाता है और सिर से कमर तक फूलनुमा अंबर व लाल मूंगे के जेवर पहने जाते हैं, जो खांगबा महिलाओं की प्रमुख विशेषता है। इस के अलावा महिलाओं के सीने पर मूंगे, अंबर और हरे फिरोजा से पिरोए मालाएं पहनी हुई है। खांगबा महिलाओं को तिब्बती जूते पहनना और कमर पर छोटे आकार वाला तिब्बती खंजर लटकाना पसंद है। रूपवान तिब्बती लड़की स्लांग चोमा ने कहा:

"मेरे ये सभी जेवर आभूषण माता पिता द्वारा मेरे लिए तैयार हुए दहेज है। मुझे लाला मूंगा, हरा फ़िरोज़ा पत्थर बहुत पसंद है। उन के रंग ताजे चमकीले और आकर्षक हैं और आम समय में उन्हें नहीं पहनती हूं। लेकिन शादी के वक्त मैं जरूर तिब्बती पोशाक के साथ ये आभूषण पहनूंगी और मेरी सुन्दरता दिखाऊंगी।"

वास्तव में आर्थिक विकास और जीवन स्तर की उन्नति के चलते खांगबा पुरूषों और खांगबा महिलाओं के जेवर आभूषण की किस्में और क्वालिटी भी ज्यादा और बढ़िया हो गए हैं। पहले पुरूषों के आभूषण सरल और सादे थे और किस्में बहुत कम भी थी। महिलाओं के आभूषण के रूप में सकल पारिवारिक संपत्ति शुमार थी। लेकिन आज पुरूषों के आभूषण के रूप-प्रकार ज्यादा होते जा रहे हैं और उन के कमर में पहनने वाले"छ्यामा"नामक आभूषण का आकार भी बड़े से बड़ा होने लगा है, जिसे देखने के बाद फिर उसे भूल जाना भी मुश्किल है। खांगबा लोगों के रंगबिरंगे आभूषणों से पितामह पीढ़ी द्वारा जमा की गयी संपत्ति ही नहीं, उन की परम्परा भी प्रतिबिंबित होती है।

त्सेरन त्सोमू तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिनची प्रिफैक्चर की मनबा लड़की है। वह कालर व आस्तीन रहित काले ऊनी धागों से सिलाए गए"कुशो"नामक वस्त्र पहनना पसंद करती है। कुशो हस्तशिल्प से बुनाया जाने वाला एक प्रकार का ऊंनी वस्त्र है। उस के कमर में आगे पीछे दोनों भागों में सुनहरे रेशमी कपड़े के जरी लगाये गए है, वस्त्र के आंचलों पर भी सुनहरी जरी सिलाई गयी है। कुशो के साथ सिर पर गोलाकार ऊनी टोपी और टोपी के किनारों पर त्रिकोण पंखानुमा सुनहरे धागे जड़ित है और मूंगा जड़ित हार भी है। सुश्री त्सेरन त्सोमू ने जानकारी देते हुए कहा:

"हमारे मनबा लोगों के वस्त्रों व आभूषणों की स्पष्ट स्थानीय विशेषता होती है, जिसका इतिहास कोई सात सौ वर्ष पुराना है। शुरू से आज तक हमारे वस्त्रों के रूप में कोई परिवर्तन नहीं आया, न ही इसका स्थान दूसरी किस्म वाले वस्त्रों से भी ले लिया गया है। त्योहार के दिनों मुझे'कुशो'पहनना पसंद है, परंपरागत प्राचीन शैली वाले इस प्रकार का कपड़ा बहुत सुन्दर लगत है।"

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लिनची प्रिफैक्चर और आसपास के क्षेत्र को गोंबू क्षेत्र कहा जाता है, जहां पुरूष और महिला के वस्त्रों में स्वायत्त प्रदेश के अन्य स्थलों की तुलना में ज्यादा स्थानीय विशेषता दिखती है। गोंबू पुरूष का वस्त्र "राजकुमार का वस्त्र"कहा जाता है, जो भालू के चमड़े के दो टुकड़ों को जोड़ कर बनाया जाता है और गर्दन के स्थल पर एक गोलाकार कालर बनाया जाता है। इस प्रकार का वस्त्र पहनना बहुत आसान है। कपड़े के ऊन बाहर खुलते है और कमर पर एक चाकू बंधता है, जिससे गोंबू पुरूष की वीरता दिखाई देती है। तिब्बती लड़की त्सेरन त्सोमू ने जानकारी देते हुए कहा:

"पहले हमारे गोंबू पुरूष शिकार करने के वक्त अपने आप को छिपाने के लिए इस तरह का 'कुशो' वस्त्र पहनते थे और सब वस्त्र जानवरों के चमड़ों से बनाये गए थे। लेकिन आज हमारा जीवन स्तर उन्नत हो गया है और पर्यावरण संरक्षण की चेतना भी काफी बढ़ गयी है। इसलिए जानवरों के चमड़ों से 'कुशो' बनाने की बात बहुत कम हो गयी। अब कुशो भी ऊनी कपड़े से बनाए जाते हैं, इस से भी हमारे गोंबू पुरूष की वीरता भी कम नहीं दिखती है।"

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा और शिकाज़े क्षेत्र को"वेइजांग"कहा जाता है। इसी क्षेत्र के वस्त्र और आभूषण आम तौर पर बराबर होते हैं, मुख्य किस्म के वस्त्र ऊनी कपड़ों और रंगीन धागों से बनाए गए है और तिब्बती पोशाक के कमर पर एक रेशमी पेटी बंधती है। कमर के पिछले भाग पर सजावट के रूप में एक छोटा चाकु भी लटकाया जाता है। वेइजांग क्षेत्र के पुरूष नाना प्रकार की मुलायम और गर्म टोपी पहनना पसंद करते हैं और पांवों में सोंगबा नामक ऊनी जूते पहनते हैं।

ल्हासा की महिलाएं अपने को अच्छी तरह सजाने में निपुर्ण हैं। वे ऊनी व रेशमी कपड़ों से बनाए गए तिब्बती पोशाक पहनती हैं, पोशाक चमकीला और मनमोहक डिजाइन वाला है। त्योहार के दिनों में ल्हासा की महिलाओं के सिर पर मूंगे से बनी हुई"पाचू"नामक मालाएं या स्वर्ण फूल वाला"त्सेरन चिंगा"नामक आभूषण और सीने पर गावू नामक आभूषण पहनती हैं, देखने में सरल और सुन्दर लगता है। ल्हासा की लड़की यांगचिन ने कहा:

"पहले हमें सिर पर पाचू नामक आभूषण पहनते समय दूसरे लोग की सहायता की जरूरत थी, जिसे पहनने में ज्यादा समय लगता था। लेकिन सजने संवरने का काम काफी सरल हो गया है। अगर किसी भव्य समारोह में भाग लूंगी, तो सिर्फ़ 'त्सेरन चिंगा' नामक जेवर रखती हूँ। आज मुझे तिब्बती पोशाक के साथ ऊँची एड़ी के जूते पहनना पसंद है। लगता है कि इससे मैं थोड़ी ऊंची हो गयी हूँ और शरीर देखने में सुडौल लगता है।"

आज सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक विकास के चलते ल्हासा वासियों के वस्त्र व आभूषण में भी भारी परिवर्तन आया है और जेवर आभूषण पहले से ज्यादा सरल ही नहीं, और फ़ैशनेबल भी लगता है, फैशनेबल वस्त्रों में आधुनिकता का बोध होता है और पहनने उतारने में आसानी भी होती है। धनी होने के बाद हर परिवार में आधुनिक लोकप्रिय वस्त्र व आभूषण खरीदे जाते हैं, सोने के जेवर भी बहुत लोकप्रिय रहे हैं। इस के साथ ही ग्रामीण व पशुपालन क्षेत्रों में किसान व चरवाहे खेती का काम करने व पशु चराने के लिए सुविधाजनक वस्त्र, टोपी और बूट पहनते हैं। ल्हासा में रहने वाले तिब्बती युवा चूजा ने कहा:

"भव्य त्योहार के वक्त मैं तिब्बती पोशाक पहनता हूँ। लेकिन आम समय में मुझे फ़ैशनेबल कपड़ा पहनना पसंद है।"

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक केंद्र के रूप में ल्हासा की सांस्कृतिक परम्परा और वस्त्र व आभूषण का इतिहास बहुत पुराना है। इसके साथ ही खांगबा लोग, गोंगबू लोग, वेइचांग लोग, लोका लोग, आली लोग, उत्तरी तिब्बती लोग आदि ल्हासा में रहते हैं, इस तरह उन की विभिन्न शैली वाले वस्त्र व आभूषण यहां एकत्र हुए हैं। ऐतिहासिक विकास, भौगोलिक पर्यावरण, जलवायु स्थिति, सांस्कृतिक परम्परा, धार्मिक विश्वास और रीति रिवाज़ विविध होने के कारण भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में वस्त्रों व आभूषणों की अलग-अलग शैली व विशेषता होती हैं। लेकिन मूंगा, हरा फ़िरोज़ा पत्थर तथा रत्न-मोतियां सभी तिब्बती लोगों के वस्त्र व आभूषण के परंपरागत सजावट हैं। ल्हासा की सड़कों पर चलते ही खांगा लोग, ल्हासा वासी, कोंगबू लोग देखा जा सकते हैं। उन के वस्त्र व आभूणष परम्परागत व आधुनिक विशेषता से मिले जुले हैं। सुन्दर व रंगबिरंगे वस्त्रों व आभूषणों के काम से बर्फीले पठार पर रहने वाली तिब्बती जनता की बुद्धिमता जाहिर होती है और फैशन की खोज करने वाले युवा लोगों की जीवन शक्ति भी दिखाई दे रही है।

सामाजिक प्रगति के चलते तिब्बती लोगों की विचारधारा में परिवर्तन आया है। आम समय में वे परम्परागत वस्त्र व आभूषण कम पहनते हैं, लेकिन त्योहार के वक्त या भव्य समारोह में वे जरूर अपने परम्परागत वस्त्र व जेवर आभूषण पहनकर अपनी सुन्दरता व जातीय गौरवता प्रदर्शित करते हैं। पुरानी ऐतिहासिक परम्परा आज तक सुरक्षित है और आगे भी बरकरार रहेगी।

आप की राय लिखें
Radio
Play
सूचनापट्ट
मत सर्वेक्षण
© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040