22 सैन्य कथा--छांग फिंग का युद्ध

2018-02-20 21:31:01 CRI

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22 सैन्य कथा--छांग फिंग का युद्ध

छाओ क्वेइ की युद्ध कला   曹刿论战

“छाओ क्वी की युद्ध कला”एक सैन्य कहानी है, इसे चीनी भाषा में“छाओ क्वेई लुन चान”(cáo ɡuì lùn zhàn) कहा जाता है। इसमें“छाओ क्वेई”एक व्यक्ति का नाम है, जबकि“लुन”का अर्थ है विचार विमर्श करना, या विचार करना और“चान”का अर्थ है युद्ध और लड़ाई।

यह चीन के इतिहास में आम जनता की मदद से दुश्मन की सेना पर विजय पाने की कहानी थी। युद्धरत काल का छाओ क्वेई इस प्रकार का एक व्यक्ति था।

युद्धरत राज्य काल यानी ईसा पूर्व 475 से ईसा पूर्व 221 तक के समय में चीन में कई राज्य शासन करते थे। वे एक दूसरे के साथ युद्ध करते हुए प्रभु का स्थान छीनते थे। छी राज्य उनमें से एक था। अपनी बड़ी सैन्य शक्ति के भरोसे छी राजा छी हुआनकोंग (qí huán gōng) ने ईसा पूर्व 684 में कमजोर राज्य लू पर हमला बोलना शुरू किया। लू राज्य का राजा लु च्वांगकोंग (lǔ zhuāng gōng) छी सेना से आखिरी दम तक लड़ने के लिए संकल्पबद्ध था।

छी राज्य के आक्रमण के सामने लू राज्य के आम लोगों में भी बड़ा रोष भड़का और राज्य का एक आम निवासी छाओ क्वी राजा लु च्वांगकोंग से युद्ध में हाथ बंटाना चाहता था। पड़ोसी ने उसे समझाया कि युद्ध राजा, सेनापति का मामला है, अधिकारियों को उस पर सोच विचार करना चाहिए, आम नागिरक होने के नाते आपको उसमें भाग लेने की क्या जरूरत है।

छाओ क्वेइ ने कहा कि अधिकारी दूरदर्शी नहीं हैं। उनकी शायद कोई युद्ध नीति अच्छी है, राज्य जब खतरे में हो, तो हम आम लोगों को भी कर्तव्य निभाना चाहिए।

छाओ क्वेइ ने राजमहल में जाकर राजा लु च्वांगकोंग से मुलाकात की और छी राज्य के आक्रमण विरोधी युद्ध में भाग लेने की मांग की। उसने राजा लु च्वांगकोंग से पूछा:“हमारा लु राज्य छी राज्य से बहुत कमजोर है। महा राजा, आप किस के बल पर छी राज्य की सेना का मुकाबला करेंगे?”

लु च्वांगकोंग ने कहा:“मैं अच्छा खाना और अच्छे कपड़े अकेले नहीं पहनता हूं, लोगों में बांटा करता हूं, इसलिए वे मेरा समर्थन करते हैं।”

तो छाओ क्वेइ ने फिर से कहा:“यह छोटी चीज़ है, कम लोगों को मिलती है, आम लोग इसके लिए आपके समर्थन में नहीं आएंगे।”

राजा लु च्वांगकोंग ने कहा:“मैं पूजा प्रार्थना में आस्था रखता हूं।”

छाओ क्वेइ मुस्कराया:“युद्ध में देवता आपकी मदद के लिए नहीं आएंगे।”

लु च्वांगकोंग ने फिर सोच कर कहा:“मैं आम प्रजा के मुकदमों में न्याय का फैसला करता हूं।”

छाओक्वेइ ने हां में सिर हिलाते हुए कहा:“यह न्याय प्रिय कार्य है, इसके भरोसे छी राज्य की सेना से मोर्चा ले सकते हैं।”

युद्ध के समय लु राज्य का राजा लु च्वांगकोंग छाओ क्वेइ की मांग पर उसे भी साथ रण रथ पर ले गया।

22 सैन्य कथा--छांग फिंग का युद्ध

छाओ क्वेइ की युद्ध कला   曹刿论战

प्राचीन काल में दोनों सेनाओं के बीच जब लड़ाई चल रही थी, तो दोनों सेनाएं आमने-सामने मोर्चा बनाती थीं। एक पक्ष की सेना हमले के लिए रणभेरी बजाती थी और विपक्ष की सेना भी जवाब में इसे बजाती थी। छी और लु दोनों सेनाओं ने लु के छांग शाओ(cháng sháo) नाम की जगह पर अपना-अपना मोर्चा बनाया। अपनी बड़ी सैन्य शक्ति के भरोसे छी राज्य की सेना ने पहले हमले के लिए रणभेरी बजायी। लु च्वांगकोंग ने भी हमले के जवाब में रणभेरी बजाने के लिए आदेश देना चाहा। उसे रोक कर छाओ क्वेइ ने कहा कि अभी रणभेरी न बजायी जाय, समय उचित नहीं है।

छी राज्य की सेना ने दूसरी बार रणभेरी बजायी। छाओ क्वेइ ने फिर लु च्वांगकोंग को रणभेरी बजाने से रोका। छी राज्य की सेना की चुनौती के सामने लु राज्य की सेना के सैनिकों में जबरदस्त रोष भड़क उठा, लेकिन बिना आदेश उन्हें मौके का इंतजार करना पड़ा।

दो बार रणभेरी बजाने के बाद छी सेना समझा कि लु की सेना कायर है, तो तीसरी बार रणभेरी बजाने के बाद छी सेना ने हमला बोल दिया।

तभी छाओ क्वेइ ने लु च्वांगकोंग से कहा:“अब रणभेरी बजाने का समय आ गया है।”

लु राज्य की सेना में जोर की रणभेरी बजी। बुलंद हौसले से परिपूर्ण लु सेना बाज की भांति छी राज्य की सेना पर टूट पड़ी। छी सेना इस जोरदार हमले के लिए तैयार नहीं थी, जल्दी ही वह हारकर पीछे हट गयी।

छी राज्य की सेना को पीछे भागते देख लु राज्य के राजा लु च्वांगकोंग ने पीछा करने का आदेश देना चाहा, तो छाओ क्वेइ ने उसे रोका और रणरथ से नीचे उतरकर छी सेना की गाड़ियों की लकीरों, फिर गाड़ी पर खड़े छी सेना की पंक्तियों की स्थिति का जायजा लेने के बाद कहा:“अच्छा, अब उसका पीछा किया जाय।”

राजा के आदेश पर लु राज्य की सेना ने बड़े जोश के साथ छी सेना का पीछा कर उसे लु राज्य की सीमा से बाहर खदेड़ दिया।

इस महान विजय के कारण लु राज्य के राजा लु च्वांगकोंग ने छाओ क्वेइ की प्रतिभा मानी। उसने उसकी युद्ध कला के बारे में पूछा, तो छाओ क्वेइ ने कहा:“युद्ध की जीत हार बहुत हद तक सेना के मनोबल पर निर्भर होती है। छी राज्य की सेना ने जब पहली रणभेरी बजायी, उस वक्त उसके हौसले बुलंद थे। दूसरी रणभेरी बजी, उसका हौसला थोड़ा कम हो गया, जबकि तीसरी बार बजी, तो उसका हौसला कम हो गया,लेकिन हमारी सेना के हौसले बुलंद थे, इसलिए जीत हासिल हुई।”

छी सेना का पीछा करने की चर्चा में छाओ क्वेइ ने कहा:“छी सेना हार तो गई, पर वह एक बड़ा राज्य है, सैन्य शक्ति बड़ी है, उसके हार जाने का स्वांग रचने की चाल से सचेत होना चाहिए। लेकिन मैंने उसकी गाड़ियों की लकीरें देखीं और उसकी सैन्य पंक्ति का जायजा लिया, इस पर मैंने देखा कि लकीरें अस्त-व्यस्त थी, तो लगा कि वह सही मायने में पराजित हो गयी है। इसलिए पीछा करने के लिए कहा गया।”

छाओ क्वेइ की बातों से लु राज्य के राजा लु च्वांगकोंग को युद्ध की कला समझ में आयी और उसने इसे अपनाया। 

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