19 बुद्धिमानी से जुड़ी कथा--शीमन पाओ के ये कांउटी का शासन

फ़ेइ शुइ का युद्ध 淝水之战
“फ़ेइ शुइ का युद्ध”एक सैन्य कहानी है, इसे चीनी भाषा में“फ़ेइ शुइ ची चान”(féi shuǐ zhī zhàn) कहा जाता है। इसमें“फ़ेइ शुइ”नदी का नाम है। यहां“फ़ेइ”पूर्वी चीन के आन हुइ (ān huī) प्रांत की राजधानी ह फ़ेइ (hé féi) का संक्षिप्त नाम है और“शुइ”का अर्थ है पानी, चीनी भाषा में इस का कभी-कभी नदी के अर्थ में प्रयोग किया जाता है। फ़ेइ शुइ नदी का उद्गम स्थल ह फ़ेइ शहर के अधीन फ़ेइ शी कांउटी और आन हुइ प्रांत के हुआइ नान (Huái nán) शहर के शोउ श्यान (Shòu Xiàn) कांउटी के बीचोंबीच च्यांगचुन लिंग (jiāng jūn lǐng) पर्वत क्षेत्र में होता है। फ़ेइ शुइ नदी ह फ़ेइ शहर की रक्षा नदी का स्रोत भी है।
“फ़ेइ शुइ ची चान”कहानी में तीसरा शब्द“ची”का अर्थ“का”है और“चान”का अर्थ युद्ध और लड़ाई।
चौथी शताब्दी के काल में चीन की भूमि पर दो राजवंशों का शासन चल रहा था। दक्षिण चीन पर हान जाति के पूर्वी चिन यानी तोंग चिन (dōng jìn)का शासन था, जिसकी राजधानी च्यान खांग (jiàn kāng) शहर थी। जबकि उत्तरी चीन पर अल्पसंख्यक जाति की पूर्व छिन यानी छ्यान छिन (qián qín) राजवंश शासन करता था, जिसकी राजधानी छांग आन (cháng ān) शहर थी।
छ्यान छिन राजवंश का सम्राट फ़ु च्यान (fú jiān) बहुत प्रतिभाशाली था। उसने हान जाति के अधिकारियों के भरोसे राज्य के प्रशासन प्रबंध में सुधार किया और विद्रोही कुलीन शक्तियों का दमन किया। फिर केन्द्र की सत्ता एकीकृत और मजबूत कर दी। फ़ु च्यान के शासन में जल संसाधनों और कृषि के जोरदार विकास की नीति लागू हुई और सैन्य शक्ति बहुत व्यापक हुई। शक्तिशाली होने के बाद फ़ु च्यान ने दक्षिण चीन के पूर्वी चिन यानी तोंग चिन राजवंश का विनाश कर देश का एकीकरण करने की योजना बनायी।
ईसा 383 में फ़ु च्यान ने राजवंश की विभिन्न जातियों के लोगों को लामबंद कर आठ लाख 80 हजार व्यक्तियों की एक विशाल सेना गठित की और दक्षिण चीन स्थित तोंग चिन राजवंश पर चढ़ाई करने आगे बढ़ा। बताया जाता है कि तोंग चिन की सैन्य शक्ति सिर्फ़ एक लाख थी। इसलिए फ़ु च्यान बड़े घमंड में बोला:“मेरी सेना के चाबुकों को नदी में फेंक दिया जाए, तो नदी का प्रवाह टूट जाएगा। तोंग चिन का विनाश करना बाए हाथ का खेल जैसा है।”
छ्यान छिन राज्य की सेना के आक्रमण का मुकाबला करने के लिए तोंग चिन राज्य ने सेनापति श्ये-शी (xiè shí) और श्ये श्युआन (xiè xuán) को अस्सी हजार सैनिकों के साथ भेजा।
फ़ेइ शुइ का युद्ध 淝水之战
इस समय छ्यान छिन राज्य की सेना की अग्रिम टुकड़ी तोंग चिन राजवंश की राजधानी च्यान खांग के नजदीक लुओ च्यान (luò jiàn) जगह तक बढ़ गई थी। स्थिति तोंग चिन के लिए बहुत नाजुक थी। श्ये-शी और श्ये श्युआन ने चतुराई से काम लेते हुए पांच हजार तगड़े सैनिकों से लुओ च्यान पर बढ़ी छ्यान छिन राज्य की सेना की अग्रिम टुकड़ी पर अचानक हमला बोला और दुश्मन पर विजय हासिल की, जिससे तोंग चिंग राजवंश की सेना का मनोबल बहुत ऊंचा हो गया और आगे बढ़ कर फ़ेइ शुइ नदी के पूर्वी तट पर डेरा डाल लिया।
अग्रिम टुकड़ी की हार की खबर पाकर छ्यान छिन राजवंश का सम्राट फ़ु च्यान युद्ध की स्थिति का जायजा लेने के लिए जल्द ही अग्रिम मोर्चे पर गया। नगर के दुर्ग पर खड़े होकर उसने फ़ेइ शुइ नदी के उस पार तैनात तोंग चिन राजवंश के सैन्य शिविरों पर निगाह दौड़ाई, तो पता चला कि तोंग चिन सेना का शिविर पंक्तिबद्ध था, जिनमें रण ध्वज कतारों में फहरा रहे थे और रुक-रुक कर रणभेरी की आवाज़ सुनाई दे रही थी। फ़ु च्यान का दिल धड़कने लगा, उसने अपनी निगाह उत्तर में दूर खड़े बाकोंग पहाड़ पर दौड़ायी, तो पाया कि वहां भी तोंग चिन की विशाल सेना तैनात है। ऐसी स्थिति में उसका मन बहुत घबरा गया। उसने मुड़ कर अपने सेनापति से पूछा:“तोंग चिन सेना के पास इतनी मजबूत सैन्य शक्ति है, तो तुम लोगों ने उसे कमज़ोर क्यों बताया ?”
फ़ेइ शुइ नदी के उस पार तैनात तोंग चिन के सेनापति श्ये-शी और श्ये श्युआन ने दोनों सेनाओं की स्थितियों का विश्लेषण कर यह पाया था कि छ्यान छिन की सेना बहुत बड़ी है, लेकिन उसके सैनिक विभिन्न जातियों से जबरदस्ती सेना में भर्ती किए गए हैं, जिनमें एकता नहीं है। इतना ही नहीं, छ्यान छिन की सेना दूर से आयी है, और थकी हारी भी है। यदि तोंग चिंग की सेना ने तेज़ गति से दुश्मन पर हमला बोलने की युद्ध नीति अपनाई, तो छ्यान छिन की सेना पर विजय पायी जा सकती है।
तोंग चिन के सेनापति श्ये-शी और श्ये श्युआन ने फ़ु च्यान को युद्ध का घोषणा पत्र भेज कर छ्यान छिन सेना से फ़ेइ शुइ नदी के पश्चिमी तट से पीछे हटने की मांग की, ताकि रणक्षेत्र खाली कर तोंग चिंग सेना को नदी पार पहुंच कर अंतिम युद्ध लड़ने दिया जाए। छ्यान छिन राजवंश के सम्राट फ़ु च्यान ने सोचा कि तोंग चिंग सेना के नदी पार करते वक्त उस पर धावा बोला जाय, तो वह बुरी तरह हार जाएगी। तो उसने अपनी सेना को नदी के तट से पीछे हट जाने का हुक्म दिया।
लेकिन फ़ु च्यान को इसका अहसास नहीं था कि उसकी विशाल सेना में विभिन्न जातियों से जबरन भर्ती किए गए सैनिक युद्ध नहीं चाहते थे। पिछले भाग में तैनात सैनिकों ने जब पीछे हट जाने का हुक्म पाया, तो उन्हें लगा कि सेना को मुंह की खानी पड़ी है, तो वे घबरा कर युद्ध का मैदान छोड़ कर भागने लगे। इससे फ़ु च्यान की सेना में भगदड़ मच गई।
मौका पाकर तोंग चिन की सेना तुरंत नदी को पार कर पूर्व छिन सेना पर टूट पड़ी। इस तरह छ्यान छिन सेना हार गयी है।“हार गयी है”की आवाज भी सुनाई देने लगी, जिससे छ्यान छिन सेना के लोगों में भय और बढ़ गया। थोड़ी देर में ही छ्यान छिन सेना के सैनिक भगदड़ मचने से मारे गए, सम्राट फ़ु च्यान भी जख्मी हो गया। उसकी सेना दुम दबाकर वापस भागने लगी। भागते समय वे इतना भयभीत हो गए कि तेज हवा और राजहंस की आवाज सुनाई देने पर भी उन्हें तोंग चिन की सेना के पास आने का आभास हो रहा था।
फ़ेइ शुइ का युद्ध 淝水之战
फ़ेइ शुइ नदी के पास दोनों सेनाओं में जो युद्ध चला था, उसमें छ्यान छिन राजवंश की सेना का मनोबल इतना टूट गया कि वह फिर कभी मजबूत नहीं हो पायी और दो साल बाद छ्यान छिन राजवंश का पतन हो गया।
फ़ेइ शुइ के युद्ध में तोंग चिन राजवंश की सेना ने अपने अस्सी हजार सैनिकों की शक्ति से छ्यान छिन राजवंश के आठ लाख से ज्यादा सैनिकों की विशाल सेना पर विजय प्राप्त की। जो चीन के युद्ध के इतिहास में कमज़ोर शक्ति से ताकतवर पर जीत हासिल करने की एक बड़ी मिसाल बन गयी।
फ़ेइ शुइ के युद्ध का नजीता यह हुआ कि तोंग चिन राजवंश का शासन स्थिर हो गया। इससे उत्तरी चीन के अल्पसंख्यक जातियों का दक्षिण में आक्रमण रोका गया। दक्षिण चीन में सामाजिक और आर्थिक स्थिति बहाल होकर विकास का मूल्यवान मौका मिला था। दीर्घकालिक दृष्टि से देखा जाए, तो फ़ेइ शुइ के युद्ध की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका यह थी कि उत्तर और दक्षिण दो भागों में विभाजित हुए तत्कालीन चीन में दक्षिण चीन का शासन करने वाली हान जाति की संस्कृति आगे बढ़ी और उसका विकास हुआ। इससे चीन के इतिहास में सुइ (suí) और थांग (táng) दोनों एकीकृत महा राजवंशों पर भी प्रभाव पड़ा।