18 बुद्धिमानी से जुड़ी कथा--घास की नाव से बाण उधार लेना

2018-01-23 21:30:01 CRI

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18 बुद्धिमानी से जुड़ी कथा--घास की नाव से बाण उधार लेना

दो आड़ुओं से तीन योद्धाओं का वध  二桃杀三士

“दो आड़ुओं से तीन योद्धाओं का वध”फिर भी बुद्धिमानी से जुड़ी एक है, इसे चीनी भाषा में“अर थाओ शा सान श”(èr táo shā sān shì) कहा जाता है। इसमें“अर”संख्या सूचक शब्द दो है, जबकि“थाओ”का अर्थ है आड़ू,“सान”संख्यासूचक शब्द तीन है और“श”का अर्थ सैनिक या यौद्धा है।

ईसा पूर्व 7वीं शताब्दी में चीन की भूमि पर कई राज्य शासन करते थे। छी राज्य में उस समय तीन मशहूर योद्धा थे,जो बहादुर व युद्ध कुशल होने के कारण छी राजा द्वारा सम्मानित और पसंदीदा थे। इन तीन वीर योद्धाओं के नाम थ्येन खाईछ्यांग(tián kāi qiáng) , कु येच(gǔ yě zǐ) और कोंग सुनच्ये(gōng sūn jié) थे । समय गुज़रने के साथ-साथ ये तीनों अपने योगदान से अहंकार कर बड़े घमंडी हो गए और मन-मानी भी करने लगे।

छी राज्य के एक षड़यंत्रकार छन वुयू(chén wú yǔ) ने इन तीनों को अपने पक्ष में लाकर राजा को गद्दी से उतार देने की योजना भी बनायी।

छी राज्य के प्रधानमंत्री यान यिंग (yàn yīng) को देश के भीतर छुपी ऐसी साजिश और दुष्ट शक्तियों के विस्तार पर अत्यन्त चिंता हुई। राज्य की सुरक्षा के लिए उसने तीनों यौद्धाओं को खत्म करने की ठान ली। लेकिन वह खुद कमजोर बुद्धिजीवी था, ऐसे कैसे राजा के विश्वासपात्र तीन बहादुर योद्धाओं का सफ़ाया करे? वह मौके की ताक में बैठा रहा।

एक दिन छी राज्य के पड़ोसी राज्य लू राज्य का राजा यात्रा पर आया। उसके स्वागत में छी राजा ने राजमहल में दावत दी। दावत में छी राज्य के माने जाने व्यक्ति यान यिंग, तीनों योद्धा और विभिन्न पदाधिकारी भी उपस्थित थे। दावत में उक्त योद्धाओं ने बड़े अहंकार और घमंड का परिचय दिया। उनकी हालत देख कर यान यिंग को एक चाल सूझी।

दावत चल रही थी, बीच में यान यिंग ने राजा से राजकीय उद्यान से आड़ू तोड़ कर मेहमानों को खिलाए जाने की अनुमति मांगी। राजा की अनुमति पर यान यिंग राजा के बगीचे से छह आड़ू तोड़ कर लाए। छह आड़ुओं में से दो दोनों राजा को दिये, अन्य दो दोनों राज्यों के प्रधानमंत्रियों ने खा लिये। अब दो बाकी रह गए। यान यिंग ने राजा को सुझाव दिया कि छी राज्य के सभी पदाधिकारी अपना-अपना योगदान बताएं, जिस किसी का योगदान बड़ा हो, उसे शेष आड़ू खाने के लिए भेंट किया जाए।

राजा ने यान यिंग का सुझाव अच्छा माना और समझा कि इससे दावत का माहौल और उत्साहित होगा, तो उसने अपने अधिकारियों से अपना-अपना योगदान बताने की मांग की। इसी मौके पर तीन बहादुर योद्धाओं में से एक कोंग सुनच्ये सबसे पहले आगे बढ़ कर बोला:“एक दिन, मैं राजा के साथ आखेट करने गया, वहां राजा को बचाने के लिए मैंने एक बाघ को मार डाला। बताओ, मेरा योगदान बड़ा है कि नहीं? ”

18 बुद्धिमानी से जुड़ी कथा--घास की नाव से बाण उधार लेना

दो आड़ुओं से तीन योद्धाओं का वध  二桃杀三士

यान यिंग ने कहा कि यह योगदान बड़ा है। इसके लिए इनाम देना चाहिए। इस तरह राजा ने कोंग सुनच्ये को एक आड़ू दिया, उसे खाने पर कोंग सुनच्ये बड़ा अभिमानित हो उठा।

तीनों योद्धाओं में से दूसरा कु येच (gǔ yě zǐ) ने तुरंत खड़ा हो कर कहा:“बाघ को मारना कोई खास बहादुरी नहीं है। एक साल में मैंने पीली नदी की भीषण लहरों में एक भीमकाय कच्छ को मार कर राजा की जान बचायी थी, मेरा यह काम कोंग सुनच्ये से कम नहीं है।”

राजा ने उसका तर्क भी माना और उसे शेष अंतिम आड़ू इनाम के लिए दे दिया।

ऐसे में तीसरे योद्धा थ्येन खाईछ्यांग वहां मौन बैठे नहीं रह सका। उसने बड़े असंतोष से भड़क कर कहा कि उस ने किस तरह सेना लेकर दुश्मन राज्य पर चढ़ाई की। उसने पांच सौ दुश्मनों को पकड़ा और राज्य की शक्ति बढ़ाने के लिए असाधारण योगदान किया। उससे राजा से पूछा कि क्या मेरा यह योगदान बड़ा नहीं था?

 राजा ने इस वक्त लाचार होकर महज उसे ढांढस देते हुए कहा:“तुम्हारा योगदान सचमुच बहुत-बहुत बड़ा है, लेकिन तुमने देर से बताया है, अब आड़ू खत्म हो चुका है। बेहतर होगा कि अगले मौके पर तुम को इनाम दिया जाए।”

थ्येन खाईछ्यां को बर्दाश्त नहीं हुआ। वह समझता था कि राज्य के लिए युद्ध की महान विजय जीतने पर भी उसकी उपेक्षा की जा रही है और भरी दावत में उसका अपमान किया जा रहा है, तो गुस्से में आकर उसने वही पर तलवार निकाल कर आत्महत्या की। उसकी मौत देख कर पहले योद्धा कोंग सुनच्ये ने भी तलवार निकाल कर कहा:“छोटे योगदान के लिए मुझे इनाम दिया गया, किन्तु जनरल थ्येन को बड़े योगदान पर भी इनाम नहीं मिला, सचमुच अन्याय है।”कहते ही उसने भी तलवार से खुद को मार लिया।

इसी वक्त अंतिम यौद्धा कु येची ने आगे आकर कहा:“हम तीनों ने यह कसम खायी थी कि साथ जीएंगे-साथ मरेंगे। आज उन दोनों ने आत्महत्या की है, मैं अकेला कैसा जिन्दा रह सकता हूं।”अंत में उसने भी तलवार से आत्महत्या की।

बातों ही बातों में तीनों योद्धाओं ने आत्महत्या कर ली, उन्हें रोकने का मौका भी हाथ नहीं लग पाया। दावत में उपस्थित सभी लोग आश्चर्यजनक ढंग से देखते रहे । बुद्धिमान यान यिंग ने सूझबूझ से दो आड़ुओं से तीन बहादुर लोगों को जान से मरवा दिया और चालाकी से राज्य के लिए निहित खतरा खत्म कर दिया।

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