14 कहावत से जुड़ी कथा--नान खअ का सपना

2017-12-26 21:32:01 CRI

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14 कहावत से जुड़ी कथा--नान खअ का सपना

मो ची की तस्वीर

“मो ची की नगर प्रतिरक्षा”बुद्धिमानी से जुड़ी एक और कहानी है, इसे चीनी भाषा में“मो शोउ छंग क्वेइ”(mò shǒu chéng guī) कहा जाता है। इसमें“मो”प्राचीन युद्धरत काल में मशहूर दार्शनिक मो ती का नाम है, उनके सम्मान में लोग उन्हें मो ची पुकारते हैं। दूसरे शब्द “शोउ”का अर्थ है नगर की रक्षा करना, तीसरा शब्द“छंग”का अर्थ है बननाऔर चौथा शब्द“क्वेइ”का अर्थ है नियम।

चीन के युद्धरत राज्य काल यानी ईसा पूर्व 475 से ईसा पूर्व 221 तक के समय में मो ची एक बहुत प्रसिद्ध दार्शनिक था। उसका नाम मो ती था, लोग उनके सम्मान में उन्हें मो ची कहते हैं। प्राचीन काल में किसी असाधारण विद्वान के सम्मान में आम तौर पर“ची”का प्रयोग किया जाता था। जैसा कि कंफ्यूशियम को खोंग ची, ताओ धर्म के संस्थापक लाओ ची इत्यादि।

मो ची का जन्म ईंसा पूर्व वर्ष 476 में सोंग राज्य में हुआ। और इसी पूर्व साल 390 उसका देहांत हुआ।

उस जमाने में चीन पर कई छोटे बड़े राज्यों का शासन हुआ करता था, जिनमें से छू एक बड़ा राज्य था और सोंग छोटा ।

कोंगशू पान(gōng shū bān) नाम का एक शिल्पकार उस समय बहुत मशहूर था।

उसने छू राज्य के लिए शहरी दीवार पर चढ़ाई करने में उपयोगी शस्त्र का आविष्कार किया। नाम रखा गया था बादल सीढ़ी। लकड़ी से बनी इस प्रकार की सीढ़ी बहुत ऊंची और विशाल थी, दुश्मन के शहर की दीवार और दरवाजे पर चढाई करने वाला एक शक्तिशाली अस्त्र साबित हुआ था। बादल सीढ़ी के सफल निर्माण के बाद छू राज्य अपने से छोटे वाले सोंग राज्य पर हमला बोलने को तैयार हो गया।

खबर पाने के बाद मो ची दस दिन और दस रात का सफर तय कर छू राज्य की राजधानी पहुंचा और वह इस युद्ध को रोकने के लिए कोंगशू पान से मिलना चाहता था।

जब कोंगशू पान से मिला, तो मो ची ने उससे कहा:“उत्तरी भाग में एक व्यक्ति ने मेरा अपमान किया है, मैं आपकी मदद से उसे मार डालना चाहता हूं।”

मो ची की यह बात सुन कर कोंगशू पान बड़ा नाखुश हुआ और कुछ नहीं बोला। मो ची ने फिर कहा:“उस आदमी की हत्या करने के बदले में मैं आपको ढेर सारा धन दे सकता हूं।”

कोंगशू पान ने जवाब देते हुए कहा:“मैं नैक व्यक्ति हूं, पैसे के लिए दूसरों को जान से नहीं मारना जानता हूं।”

तब मो ची ने कहा:“छू राज्य एक बड़ा राज्य है, उसकी जनसंख्या ज्यादा तो नहीं है, पर भूमि विशाल है। लेकिन अब वह एक छोटे कमजोर सोंग राज्य पर आक्रमण करने को तैयार हो गया है, यह अन्यायपूर्ण युद्ध होगा। आप तो कहते हैं कि आप मानव की हत्या नहीं करना चाहते, पर जब युद्ध छिड़ा, तो बड़ी संख्या में बेगुनाह लोग आपके नए तरह के अस्त्र से मारे जाएंगे, तो इसमें और खुद आपके हाथों से कत्लेआम किये जाने से क्या फ़र्क है? ”

कोंगशू पान के मुंह से कोई शब्द निकल नहीं पाया, उसने वाद-विवाद को टालते हुए कहा:“सोंग राज्य पर आक्रमण करने का फैसला छू राजा ने लिया था।”

इस तरह मो ची और कोंगशू पान दोनों छु राजा के पास गए। छू राजा से मिलने के बाद मो ची ने सर्वप्रथम राजा से यह कहा:“महाराज, मैं आप से एक प्रश्न पूछना चाहता हूं, कृपया अनुमति दें।”

छु राजा ने उससे प्रश्न पूछा, तो मो ची ने कहा:“अब कोई अपनी सुन्दर गाड़ी छोड़कर पड़ोसी की खस्ता हाल गाड़ी तथा अपने सुन्दर वस्त्र छोड़ कर पड़ोसी के फटे पुराने वस्त्रों की चोरी करना चाहता है, क्या ऐसा आदमी ठीक है? ”

मो ची के जाल में फंस कर छू राजा तुरंत बोला:“वह जरूर चोरी करने का आदि हो चुका है।”

इस मौके का लाभ उठा कर मो ची ने कहा:“छु राज्य की विशाल भूमि है और सोंग राज्य बहुत छोटा है। दोनों की तुलना सुन्दर गाड़ी और खराब गाड़ी से होती है। छु राज्य में प्रचुर संसाधन हैं, सोंग राज्य बहुत गरीब है, वे भी सुन्दर कपड़े और फटा पुराने कपड़ों के तुल्य हैं। इसलिए मैं कहता हूं कि जब छू राज्य सोंग राज्य पर हमला कर रहा हो, तो वह उस चोर जैसा बन जाएगा।”

इसका जवाब देने के लिए छू राजा के पास भी कोई शब्द नहीं रहा। लेकिन उसने बड़े अहंकार के साथ कहा:“आपने ठीक कहा है, किन्तु कोंगशू पान ने मेरे लिए शक्तिशाली बादल सीढ़ी बनायी है, मैं अवश्य सोंग राज्य पर धावा बोलूंगा।”

इसे सुनकर मो ची ने बड़े शांत भाव में कहा:“असल में वह बादल सीढ़ी भी कोई अभेद्य अस्त्र नहीं है। मैं कोंगशू पान से मिसाल के तौर पर वार प्रतिवार कर दिखा सकता हूं।”

मो ची का सुझाव मानकर छु राजा ने दोनों के लिए युद्ध साधनों के नमूने तैयार किए, जिनमें शहरी दीवार, प्रतिरक्षा के अस्त्र, बादल सीढ़ी और हमले के साधन शामिल थे। दोनों के बीच मिसाल के तौर पर युद्ध चला।

कोंगशू पान ने हर तरह के अस्त्रों और तरीकों से सोंग राज्य की शहरी दीवार पर चढ़ाई करने की कोशिश की, और मो ची की प्रतिरक्षा के सामने विफल हो गई। अंत में जब कोंगशू पान के सभी अस्त्र-शस्त्र खत्म हो गए, तभी शहर की रक्षा के लिए मो ची के पास कुछ साधन और  थे।

कोंगशू पान ने अपनी हार नहीं मानी। उसने मो ची से कहा:“मेरे पास आपका सामना करने का तरीका है, पर मैं नहीं बताऊंगा।”

मो ची ने कहा:“मैं भी जानता हूं कि किस तरीके से आपका मुकाबला किया जा सकता है, मैं भी नहीं बताना चाहता हूं।”

छु राजा ने मो ची से उनकी बातचीत का मतलब पूछा, तो मो ची ने जवाब देते हुए कहा:“कोंगशू पान का मकसद मुझे मार कर खत्म कर देना है, वह सोचते हैं कि मुझे मारने के बाद सोंग राज्य में छू राज्य का आक्रमण रोकने के लिए कोई व्यक्ति नहीं रहेगा। किन्तु वे नहीं जानते है कि मैंने अपने इन सभी तरीकों को अपने शिष्यों को सिखाया है, मेरी हत्या की गई, तो भी सोंग राज्य के शहरी दरवाजे को तोड़ा नहीं जा सकता।”

बात यहां चलने पर छू राज्य के पास कोई चारा नहीं रहा। उसने विवश होकर कहा:“मैंने सोंग राज्य पर हमला न करने का निश्चय किया है।”

इस तरह मो ची ने अपनी बुद्धिमानी और हिम्मत के बल पर सोंग राज्य को युद्ध संकट से बचाया।

 “मो ची की नगर प्रतिरक्षा”यानी चीनी भाषा में“मो शोउ छंग क्वेइ”(mò shǒu chéng guī) नाम की इस कहानी से एक कहावत बन गयी है, लेकिन इसके अर्थ में कुछ बदलाव आया है। पुरानी घिसी-पिटी लीक पर चलने और रूढ़िवाद से चिपके रहने के दौरान इस शब्द“मो शोउ छंग क्वेइ”का प्रयोग किया जाता है। अर्थ अधिक सक्रिय नहीं है, लेकिन मो ची वाकई एक बहुत बुद्धिमान व्यक्ति था। 

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