10 कहावत से जुड़ी कथा--छु राज्य के लोकगीत से हार मानने की कहानी

लुओयांग में काग़ज़ का दाम महंगा है 洛阳纸贵
कहावत से जुड़ी कहानी“लुओयांग नगर में काग़ज़ का दाम महंगा है”को चीनी भाषा में“लुओ यांग च क्वेई”(luò yáng zhǐ guì) कहा जाता है। इसमें“लुओयांग”शहर का नाम है, जो आज मध्य चीन के हनान प्रांत स्थित है, जबकि“च”का मतलब है“काग़ज़”और“क्वेई”का अर्थ है“महंगा”। कुल मिलाकर कहा जाए, तो“लुओ यांग च क्वेई”का मतलब“लुओयांग में काग़ज़ महंगा होना”है।
मुद्रण तकनीक की दृष्टि से अविकसित प्राचीन समाज में कविता और लेख पाठकों द्वारा कॉपी कर एक दूसरे को पढ़ने को दिये जाते थे। प्राचीन चीन के प्रसिद्ध साहित्यकार त्स्वो-स् (zuǒ sī) ने एक बेहद श्रेष्ठ आलेख लिखा था, जो तत्कालीन कुलीन पाठकों में अत्यन्त लोकप्रिय था और उसे कॉपी कर एक दूसरे को सौंपा जाता था, जिसके कारण बाज़ार में काग़ज़ का दाम भी तेज़ी से बढ़ गया।
त्स्वो-स् (zuǒ sī)
त्स्वो-स् (zuǒ sī) का जन्म वर्ष 250 में हुआ था। वह चीन के चिन(Jin 4) राजकाल का साहित्यकार था। चिन ईंसवी बाद 266 से 420 तक का राजवंश था। शक्ल सूरत में त्स्वो-स् (zuǒ sī) थोड़ा कुरूप सा लगता था। बचपन में वह होशियार भी नहीं लगता था। उसने चीनी लिपि कला और वाद्य कला सीखने की कोशिश की थी, लेकिन कामयाब नहीं हुआ था। अपने पिता के प्रोत्साहन से वह लगन से पढ़ने लगा और अंत में लेखन कला में पारंगत हो गया। उसके लेख बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक थे।
बीस साल की उम्र में त्स्वो-स् (zuǒ sī) की छोटी बहन राजमहल में चुनी गई। इसके कारण उसका परिवार भी तत्कालीन चिन राजवंश की राजधानी लुओ यांग आ गया। राजधानी में त्स्वो-स् (zuǒ sī) की मुलाकात उच्च वर्गों के कवियों और लेखकों से हुआ करती थीं और उनसे सीखकर उसका लेखन स्तर बहुत ही उन्नत हो गया। अंत में उसने“त्रिराजधानी महाकाव्य”शीर्षक लेख लिखा, जिसका चीन के प्राचीन साहित्य इतिहास में अहम स्थान है।
त्स्वो-स् (zuǒ sī) लेख लिखते हुए
“त्रिराजधानी महाकाव्य”शीर्षक लेख त्स्वो-स् (zuǒ sī) ने तीस साल की उम्र में लिखा। लेख की भूमिका तत्कालीन मशहूर साहित्यकार हुआंगफु मी (huánɡ pǔ mǐ) ने लिखी थी और लेख के लिए व्याख्या साहित्यकार चांग चाई (zhāng zǎi) ने लिखी ।
शुरू-शुरू में यह लेख कला साहित्य क्षेत्र में कॉपी किया जाता था। धीरे-धीरे लुओयांग के कुलीन वर्ग के लोग इसकी कॉपी कर पढ़ने लगे और लेख लोकप्रिय हो गया। बड़ी संख्या में लोगों में कॉपिंग की जाने के कारण लुओयांग शहर में काग़ज़ की सप्लाई भी तंग हो गई। इससे बाज़ार में काग़ज़ का दाम लगातार बढ़ता चला गया। इसी के आधार पर लुओयांग में काग़ज़ महंगा होने की कहानी चीन के प्राचीन काल में मशहूर हो गई।
“त्रिराजधानी महाकाव्य”वास्तव में तत्कालीन प्रचलित लेखन शैली में लिखा गया था। उसमें कथा मुहावरों के प्रयोग तथा अक्षरों के अलंकार पर अधिक बल दिया जाता था और पढ़ने में इस शैली का लेख बहुत सुन्दर, रोचक और मनमोहक था। त्स्वो-स् (zuǒ sī) के“त्रिराजधानी महाकाव्य”लेख में चिन राजवंश से पहले के त्रि-राज्यों यानी वेई राज्य, शु राज्य और वु राज्य की राजधानियों का वर्णन किया गया था। यहां त्रि-राज्य काल ईंसवी बाद 220 से 280 तक का समय था।“त्रिराजधानी महाकाव्य”लेख में वेई राज्य की राजधानी लुओयांग, शु राज्य की राजधानी छंगतु और वु राज्य की राजधानी च्यान खांग (jiàn kāng) तीन भागों में बंटा हुआ था। हरेक भाग में काल्पिक व्यक्तियों के मुंह से तत्कालीन राजनीतिक स्थितियों, सामाजिक व्यवस्था, प्राकृतिक संसाधनों और उत्पादन उपजों का उल्लेख किया गया।
“त्रिराजधानी महाकाव्य”लेख की कला शैली अनुपम है और लेख की विषय वस्तु भी प्रचुर और सार्थक थी। त्स्वो-स् (zuǒ sī) ने इस लेख के लिए ऐतिहासिक तथ्यों और कथा मुहावरों के अध्ययन में बहुत ज्यादा समय लगाया था। उसने खुद लेख में चर्चित स्थानों का दौरा कर जांच पड़ताल की, ताकि लेख की विषय वस्तुएं सही साबित हों। लेखन की सामग्री तैयार होने के बाद उसने अपने घर के कमरों, आंगन और शौचालय तक काग़ज़ और कलम रखे, ताकि जब कभी दिमाग में अच्छा वाक्य सोच निकला, तो तुरंत ही काग़ज़ पर लिख दिया जाए। इस तरह की लगन और मेहनत से करीब दस साल का समय खर्च कर“त्रि महानगर”शीर्षक यह महान लेख प्रकाश में आया।
“त्रिराजधानी महाकाव्य”लेख में व्यापक रूप से चीन के त्रि-राज्य काल के सामाजिक जीवन का उल्लेख मिलता है, जिसमें तत्कालीन समाज के समान दिलचस्पी वाले विषयों का विस्तार से जिक्र किया गया, इसलिए उसका चीन के इतिहास में उच्च मूल्यांकन किया गया है।
“त्रिराजधानी महाकाव्य”के अलावा त्स्वो-स् (zuǒ sī) ने बहुत से अन्य श्रेष्ठ लेख और कविताएं भी लिखी थीं। उसके महाकाव्य इतिहास की याद में देश और जनता के प्रति अपने गहन ख्याल और ध्यान व्यक्त हुआ था, जो उत्तरवर्ती कवियों के लिए एक आदर्श मिसाल बना।