04 दर्शनीय स्थल--च्येन त्स मठ की कहानी

जमे हुए भात का टुकड़ा खाना 划粥割齑
“जमे हुए भात का टुकड़ा खाना”कहावत से जुड़ी एक कहानी है, जिसे चीनी भाषा में“हुआ चो गअ जी”(huá zhōu gē jī ) कहा जाता है। इस में“हुआ”का अर्थ है बांटना, जबकि“चो”का मतलब है चावल की भाप।“गअ”का अर्थ है“काटना”, जबकि“जी”का अर्थ है नमकीन सब्जी। इस कहानी के नाम को संक्षिप्त में“जमे हुए भात का टुकड़ा खाना”कहा जाता हैं। कुल मिलाकर कहा जाए, तो“हुआ चो गअ जी”का मतलब है चावल के पतले भाप को एक-एक भाग बांटा जाना और नमकीन सब्जी को टुकड़-टुकड़े काटा जाना। यहां हम इस कहानी के संक्षिप्त में“जमे हुए भात का टुकड़ा खाना”कहते हैं।
यह प्राचीन चीन के प्रसिद्ध साहित्यकार फ़ान चोंगयान (Fan zhongyan) के बारे में कहानी है।
करीब एक हज़ार वर्ष पहले, चीन के सोंग राजवंश, यानीं ईंसवी 960 से 1127 तक के काल में फ़ान चोंगयान (Fan zhongyan) नाम का रजनीतिज्ञ और साहित्यकार बहुत प्रसिद्ध था, उसने चीन के इतिहास में असाधारण योगदान दिया। वह साहित्य और सैन्य कला में जबरदस्त योग्यता रखता था। इस महान व्यक्ति के बचपन में उसकी मेहनत और लगन से पढ़ाई करने की कहानी पूरे चीन में लोकप्रिय है। तो लीजिए सुनिए यह कहानी।
फ़ान चोंगयान (Fan zhongyan) दसवीं शताब्दी के सोंग राजवंश का एक व्यक्ति था। 3 साल की उम्र में उसके पिता की बीमारी के कारण मृत्यु हो गयी। परिवार का जीवन अत्यन्त मुश्किल हो गया। पंद्रह सोलह साल की उम्र में उसने पढ़ने के लिए तत्कालीन मशहूर इंग थ्यान फ़ु (Ying Tian Fu) विद्यालय में दाखिला लिया। विद्यालय में वह अत्यन्त मेहनत से पढ़ाई की, उसका जीवन बहुत मुश्किल था, अनाज खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे न होने के कारण वह रोज पतला भात खाता था। रोज सुबह वह चावल का पतला भाप पकाता था, जब भाप ठंडी होकर जम जाती, तो वह उसके तीन टुकड़े करता था। रोज दो वक्त के भोजन के लिए एक-एक टुकड़ा खाता था। तरकारी के लिए वह नमकीन सब्जी को महीन कण बना कर खाता था ।
एक दिन, जब फ़ान चोंगयान (Fan zhongyan) भोजन कर रहा था। उसका एक दोस्त उससे मिलने आया। फ़ान चोंगयान का इतना खराब खाना देखकर दोस्त को उस पर बड़ी हमदर्दी हुई। उसने पैसे निकाल कर फ़ान चोंगयान को देना चाहा, लेकिन फ़ान चोंगयान ने बड़ी विनम्रता से, पैसा लेने से इनकार किया। लाचार होकर दोस्त ने दूसरे दिन खाने का तमाम सामान लाकर उसे दिया, इस बार फ़ान चोंगयान को स्वीकार करना पड़ा।
कुछ दिन बाद, दोस्त फिर उससे मिलने आया, वहां यह देखकर दोस्त को बड़ी हैरानी हुई कि पिछली बार उसने फ़ान चोंगयान को स्वादिष्ट खाना दिया था, वह सब खराब हो गया था। उसमें से एक टुकड़ा भी फ़ान चोंगयान ने नहीं खाया।
दोस्त ने नाराज होते हुए कहा:“ तुम तो बड़े अहंकारी हो, मेरा लाया हुआ कुछ भी नहीं खाया, दोस्त होने के नाते मुझे बड़ा दुख हो रहा है।”
फ़ान चोंगयान (Fan zhongyan) ने मुस्कराते हुए कहा:“आपको गतलफहमी हुई है। असल में यह बात नहीं है कि मैं ऐसा खाना नहीं खाना चाहता, सच्चाई यह है कि मुझे खाने का साहस नहीं है। मुझे डर है कि कहीं मुर्गी मछली खाने के बाद फिर भाप और नमकीन सब्जी को कैसे खा पाऊंगा। आपकी कृपा के लिए धन्यवाद।”
फ़ान चोंगयान की इन बातों पर दोस्त बहुत प्रभावित हुआ और उसका अधिक सम्मान करने लगा।
सुप्रसिद्ध चीनी साहित्यकार फ़ान चोंगयान
एक बार, किसी ने फ़ान चोंगयान से उसकी इच्छा पूछी, तो उसने कहा:“मैं या तो एक श्रेष्ठ चिकित्सक बनूंगा, या योग्य वजीर बनूंगा। श्रेष्ठ चिकित्सक लोगों को बीमारी से मुक्त कर देता है और योग्य वजीर देश का अच्छी तरह संचालन कर सकता है।”
फ़ान चोंगयान (Fan zhongyan) की यह महत्वाकांक्षी आगे जाकर सही निकली। बाद में वह सोंग राजवंश का प्रधानमंत्री बना और एक श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ साबित हुआ।
अपने कार्यकाल में फ़ान चोंगयान ने देश को शक्तिशाली बनाने की कोशिश में शिक्षा के विकास तथा सरकारी संस्थाओं के सुधार पर बल दिया और देश भर में विद्यालय खोलने, शिक्षकों को प्रशिक्षित करने तथा सुयोग्य लोगों को तैयार करने की भरसक कोशिश की। उसके द्वारा चुने गए सुयोग्य व्यक्ति राजनीतिज्ञ और साहित्कार ओयांग श्यु (Oyang Xiu) , साहित्यकार चो तुनयी (Zhou Dun yi) तथा दार्शनिक चांग चाइ (Zhang Zhai) चीन के इतिहास में बहुत मशहूर हैं।
फ़ान चोंगयान श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ होने के साथ एक प्रसिद्ध साहित्यकार भी था। उसने कई अच्छी रचनाएं लिखी थीं। उनकी रचनाओं में यथार्थ समाज की समस्याओं के समाधान पर महत्व दिया गया। उसकी यह सूक्ति आज भी चीन उल्लिखित है:चिंता हो, तो सर्वप्रथम सारी दुनिया की चिंता करो। खुशी हो, तो पूरी दुनिया के बाद खुश हो।