03 दर्शनीय स्थल--लुशान पर्वत की कहानी

छांगआन नगर में चावल की मांग 索米长安
“छांगआन नगर में चावल की मांग”एक कहावत से जुड़ी कहानी है, जिसे चीनी भाषा में“सुओ मी छांग आन”(suǒ mǐcháng ān) कहा जाता है। इसमें“सुओ”का अर्थ है मांगना,“मी”का अर्थ है चावल, जबकि छांगआन तो आज के उत्तर पश्चिमी चीन के शान्नशी प्रांत की राजधानी शीआन का पुराना नाम है, जो चीन के चोउ, छिन, हान, श्वेइ और थांग समेत कुछ राजवंशों में राजधानी था।“छांगआन नगर में चावल की मांग”कहानी मशहूर साहित्यकार तोंगफ़ांग श्व के बारे में है।
तोंगफ़ांग श्व (dōng fāng shuò) का नाम चीन में सदियों से मशहूर है और उसकी कहानियां भी चीनी लोगों में बहुत लोकप्रिय रही हैं।
तोंगफ़ांग श्व ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में हान राजवंश का एक साहित्यकार था। उसके लेख पाठकों के मन में रोमांच भर देते थे। शुरु में वह हान राजवंश की राजधानी छांगआन नगर में एक छोटा अधिकारी था।
हान राजवंश के राज महल में बहुत से बौने लोग सम्राट की सेवा में घोड़ों की देखरेख करते थे। हालांकि इन बौनों का ओहदा ऊंचा नहीं था, परन्तु सम्राट के लिए घोड़ों की देखरेख के कारण वे अकसर सम्राट से मिल सकते थे। सम्राट का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने लिए तोंगफ़ांग श्व को एक चाल सूझी।
एक दिन, तोंगफ़ांग श्व ने घोड़े की देखरेख करने वाले एक बौने से कहा:“सम्राट कहते हैं कि तुम लोग बौने हो, खेतीबाड़ी के काम में तुम लोग दूसरों से कमजोर हो, युद्ध के वक्त सिपाही होने के काबिले नहीं हो, स्थानीय अधिकारी बने, तो भी दूसरे लोग तुम्हारा हुक्म नहीं मानेंगे। तुम लोग बेकार में राज्य की धन दौलत बर्बाद करते हो, इसलिए सम्राट राज्य के सभी बौनों को मार कर खत्म करना चाहते हैं।”
तोंगफ़ांग श्व की बातें सुनकर बौना बहुत भयभीत होकर रोने लगा।
उसे ढांढस बंधाते हुए तोंगफ़ांग श्व ने कहा:“चिंता मत करो, मैं तुम लोगों के लिए एक उपाय सोचता हूं।”
बौने ने बड़ी कृतज्ञता के साथ उपाय पूछा, तो तोंगफ़ांग श्व बोला:“तुम लोग सम्राट से मिलने जाओ, उनके सामने घुटने टेक कर उनसे क्षमा मांगो।”
तोंगफ़ांग श्व की सलाह मानकर सभी बौनों ने सम्राट के सामने घुटने टेककर क्षमा मांगी। सम्राट को बड़ा ताज्जुब हुआ और कारण पूछा, तो बौनों ने कहा:“तोंगफ़ांग श्व ने हमें बताया है कि महामहिम आप हम सभी बौनों लोगों को जान से मारना चाहते हैं।”
सम्राट ने तोंगफ़ांग श्व को महल में बुलाया और उससे बौने लोगों को डराने का कारण पूछा। तोंगफ़ांग श्व ने जवाब में कहा:“झूठ बोलने के कारण मुझे मौत की सजा देने की संभावना है, सो अब मेरे लिए खुल कर कारण बताना बेहतर होगा। महामहिम आप देखें, वे बौने लोग कद में एक मीटर से भी कम हैं, हर महीने तनख्वाह के रूप में एक बैग चावल और दो सौ पैसे पाते हैं। मैं कद में करीब दो मीटर लम्बा हूं, तो भी महीने में एक बैग चावल और दो सौ के पैसे ही मिलते हैं। सो परिणाम यह निकलता है कि वे ज़रूरत से ज्यादा आहार खाने से मर जाते हैं, परन्तु मैं ज़रूरत से कम आहार मिलने के कारण भूख से मर जाऊंगा। यह घोर अन्याय है। हां, यदि सम्राट महामहिम मेरा तर्क मान लें, तो इसे बदला जा सकता है।”
तुंगफांग श्व की बातों पर सम्राट प्रभावित हो गया। और इससे छोटे चालाक से तोंगफ़ांग श्व का उद्देश्य भी पूरा हो गया। सम्राट ने उसे अपने नज़दीकी अधिकारी के पद पर नियुक्त किया। तोंगफ़ांग श्व की यह कहानी भी छांगआन नगर में चावल की मांग के नाम से देश में मशहूर हो गई।
मशहूर चीनी साहित्यकार तोंगफ़ांग श्व
तोंगफ़ांग श्व की बहुत से विनोदजनक कहानियां प्रचलित हैं। एक कहानी के अनुसार एक साल गर्मियों के दिन तोंगफ़ांग श्व और अन्य मंत्रियों के साथ कामकाज में लगे थे। तभी सम्राट के सेवक जंगली जानवरों का बड़ा स्वादिष्ट गोश्त लाए, और कहा कि यह सम्राट की ओर से मंत्रियों को देने वाला उपहार है। तत्कालीन नियम के अनुसार केवल सम्राट का आज्ञा पत्र पढ़कर सुनाए जाने के बाद ही अधिकारी गोश्त ले सकते थे। लेकिन तोंगफ़ांग श्व आज्ञा पत्र सुनाए जाने से पहले ही अकेले चाकू से गोश्त का एक टुकड़ा काट कर घर ले गया। उसकी इस हरकत पर लोगों को बड़ी हैरत हुई। इसे लेकर किसी ने सम्राट के सामने तोंगफ़ांग श्व पर सम्राट का अपमान करने का आरोप लगाया, तो सम्राट ने उसे बुलाया और उसे स्पष्टीकरण देने को कहा। तोंगफ़ांग श्व ने बड़े धैर्य के साथ कहा:“सम्राट, सच यह है कि जंगली जानवर का गोश्त सम्राट द्वारा हमें प्रदान किया गया है। आज्ञा पत्र पढ़ना महज समय की देर है। इससे पहले मैं अपना हिस्सा जो काट कर घर ले गया था, इससे मेरे साहसी होने का पता चलता है, फिर मैंने स्वयं गोश्त का एक टुकड़ा काटा, पर वह बहुत छोटा था, जिससे मेरा साफ़ सुथरा व्यक्तित्व जाहिर हुआ। मैं गोश्त घर ले गया, और मैंने उसे माता पिता को खिलाया, जिससे वृद्धों की सेवा करने का मेरा निस्वार्थ चरित्र व्यक्त हुआ है। मैंने क्या अपराध किया।”
तोंगफ़ांग श्व की बातें सुन कर सम्राट ने मुस्कराते हुए मामले को टाल दिया।