02 दर्शनीय स्थल--यांगत्सी नदी की त्रि-घाटी

2017-10-03 20:45:01 CRI

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02 दर्शनीय स्थल--यांगत्सी नदी की त्रि-घाटी

 सामंतों से युद्ध का मज़ाक  烽火戏诸侯 

 “सामंतों से युद्ध का मज़ाक”एक कहावत से जुड़ी कहानी है, जिसे चीनी भाषा में“फ़ंग हुओ शी चु होउ”(fēng huǒ xì zhū hóu) कहा जाता है। इसमें“फ़ंग हुओ”का अर्थ है युद्ध लड़ना, जबकि“शी”का अर्थ है मज़ाक करना और“चू होउ”तो प्राचीन काल में सामंत या छोटे राज्य के राजा थे।

चीन के सामंती राजवंशों में राजा राज्य का सर्वोच्च शासक होता था। उसके पास असीमित अधिकार होते थे। यदि इस सत्ता के अधिकार का दुरुपयोग किया गया, तो राजवंश का अंत हो सकता था।“सामंतों से युद्ध का मज़ाक”ऐसी एक ऐतिहासिक कहानी थी।

चोउ योउवांग(Zhou Youwang) ईसा पूर्व आठवीं शताब्दी के चोउ राजवंश का अंतिम राजा था। वह एक अनैतिक और अविवेकशील शासक था और भोगविलास में डूबे राज्य के प्रशासन में मन नहीं लगाता था।

चोउ योउवांग रोज़ राजमहल में रानियों और सुन्दरियों के साथ सुखभोग में अनुरासी था। चोउ योउवांग की एक सुन्दर उप-रानी थी, जिसका नाम पाओ स (Bao si) से चीन के इतिहास में मशहूर था। राजा उसे अत्यन्त प्यार करता था और उसकी हर मांग को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ता था। लेकिन पाओ स हमेशा नाखुश रहती थी और कभी उसके मुखड़े पर मुस्कान नहीं दिखती थी। राजा चोउ योउवांग ने उसे हंसाने के लिए हर उपाय सोच निकाला, पर वह हमेशा उसी मुद्रा में रहती थी और मुस्कुराती नहीं। अपनी मनपसंद उप-रानी के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए राजा चोउ योउवांग ने दिमाग बुरी तरह खपाया।

एक दिन चोउ योउवांग पाओ स को बाहर घुमाने निकला। वे लीशान (Li Shan) पहाड़ पर निर्मित युद्ध सूचना देने में प्रयुक्त होने वाले दुर्ग पर जा पहुंचे।

चोउ योउवांग ने पाओ स को इस दुर्ग के काम से अवगत कराते हुए कहा:“इस प्रकार का दुर्ग दुश्मन की सेना के आक्रमण करने आ पहुंचने की सूचना देने के काम में लाया जाता था।”

पुराने ज़माने में राज्य की सीमा से लेकर राजधानी तक हर निश्चित फासले पर एक ऊंचा दुर्ग बनाया गया था, जिस पर सिपाही तैनात थे। जब दुश्मन आक्रमण करने आता, तो दुर्ग पर युद्ध की सूचना देने के लिए ऊंची आग जलायी जाती थी और आग की धुआं से युद्ध की सूचना एक दुर्ग से दूसरे दुर्ग तक पहुंचायी जाती थी और अंत में सूचना राजधानी तक पहुंच जाती थी। यदि राजधानी आक्रमण का निशाना बनी, तो इसकी सूचना राजवंश के अधीनस्थ विभिन्न सामंत जागीरदारों को पहुंचाने के लिए राजधानी के पास खड़े लीशान पहाड़ पर निर्मित दुर्ग पर भी आग जलायी जाती थी, ताकि वे सेना लेकर सहायता दे सके।

पाओ स को राजा चोउ योउवांग की बातों पर विश्वास नहीं हुआ। उसे समझ में नहीं आया कि एक मिट्टी पत्थर के दुर्ग पर आग जला कर कैसे हजार किलोमीटर दूर रहने वाली सेना वापस बुलायी जा सकती थी। पाओ स की जिज्ञासा शांत करने और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट लाने के लिए राजा चोउ योउवांग ने तुरंत सिपाहियों को दुर्ग पर आग जलाने का आज्ञा दी, आग की सूचना एक दुर्ग के दूसरे दुर्ग से बेरोकटोक विभिन्न सामंत जागिरदारों तक पहुंच गई। सामंत जागीरदारों ने खबर पाकर यह समझा कि राजधानी पर आक्रमण हो चुका है, तो वे तुरंत अपनी-अपनी सेना लेकर दूर से राजधानी आ पहुंचे।

जब विभिन्न सामंत जागीरदार जल्दबाजी में लीशान पहाड़ के पास पहुंचे, तो पाया कि चोउ योउवांग अपनी उप-रानी के साथ दुर्ग पर मदिरा पीने में मस्त है। उन्हें तब पता चला कि उन्हें राजा ने मूर्ख बनाया, पर उन्हें अपना क्रोध प्रकट करने का साहस नहीं था, आक्रोश को मन में दबाकर वे सेना लेकर वापस चले गए।

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 सामंतों से युद्ध का मज़ाक  烽火戏诸侯 

ऐसा देखने पर उप-रानी पाओ स को बड़ा मजा आया और उसके चेहरे पर मुस्कान दौड़ी, अपनी मनपसंद उप-रानी को आखिरकार हंसते हुए देख  राजा चोउ योउवांग बेहद खुश हुआ। जब सभी सामंत जागीरदारों और उनकी सेनाएं चली गई, तो उसने फिर सिपाहियों को आग जलाने का आज्ञा दी, सामंत जागीरदारों की सेनाएं फिर दौड़-दौड़ आ पहुंची। उन्हें फिर से धोखे में आते देखकर चोउ योउवांग और पाओ स को और बड़ा मज़ा आया और दुर्ग पर बैठे ऊंची आवाज़ में परिहास करने लगे। इसी प्रकार चोउ योउवांग ने कई बार सामंत जागीरदारों के साथ ऐसा मज़ाक किया। बाद में जब कभी दुर्ग पर आग जलती, तो कोई भी सामंत को इस पर विश्वास नहीं होता।  

कुछ समय के बाद राजा चोउ योउवांग ने पाओ स को महारानी बनाना चाहा। उसने पाओ स के पुत्र को युवराज के रूप में नियुक्त किया और अपनी पहले की महारानी और युवराज को पदच्युत कर दिया। महारानी का पिता तत्कालीन चीन के शन राज्य का राजा था। अपनी पुत्री को रानी के पद से हटाये जाने की ख़बर पाकर उसे बड़ा गुस्सा आया और उसने दूसरे राज्यों के साथ गठबंधन करके चोउ राजवंश पर हमला बोल दिया।

युद्ध छिड़ने पर चोउ योउवांग ने तुरंत दुर्ग पर आग जलाकर युद्ध की सूचना सामंत जागीरदारों को पहुंचाने का आज्ञा दी, लेकिन किसी को भी राजा चोउ योउवांग पर विश्वास नहीं हुआ। दुर्गों पर बार-बार आग जलायी गई, किन्तु कोई भी सेना सहायता के लिए नहीं आयी। बहुत कम समय में ही चोउ राजवंश की राजधानी पर आक्रमणकारी सेना ने कब्जा कर लिया। राजा चोउ योउवांग युद्ध में मारा गया। उप-रानी पाओ स पकड़ी गई और चोउ राजवंश का खात्मा हो गया।

 

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