01 दर्शनीय स्थल--​वुथाई पर्वत की कहानी

2017-09-26 20:30:01 CRI

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01 दर्शनीय स्थल--​वुथाई पर्वत की कहानी

सौ कदम दूर पेड़ के पत्ते पर अचूक निशाना   百步穿杨

 “सौ कदम दूर पेड़ के पत्ते पर अचूक निशाना”कहावत से जुड़ी कहानी है, जिसे चीनी भाषा में“पाई पू छ्वान यांग”(bǎi bù chuān yáng) कहा जाता है। इसमें“पाई पू”का अर्थ है सौ कदम, जबकि“छ्वान यांग”का अर्थ है पेड़ के पत्ते पर निशाना साधना।

प्राचीन चीन में ईसा पूर्व 475 से ईसा पूर्व 221 तक के समय में बहुत से छोटे-बड़े राज्य आपस में युद्ध करते रहे। इन राज्यों में बहुत से मशहूर व्यक्ति पैदा हुए, जिनकी योग्यता की कहानी आज भी प्रचलित है। सौ कदम दूर के पेड़ के पत्ते पर अचूक निशाना साधने की कहानी उनमें से एक है ।

कहते थे कि छिन राज्य का सेनापति पाई छी (Bai Qi) एक अपराजेय जनरल था, जो कभी युद्ध में नहीं हारा। एक साल, छिन राज्य के राजा ने पाई छी को सेनापति नियुक्त कर वेइ राज्य पर आक्रमण करने भेजा। लोग इस बात से चिंतित थे कि अगर वेइ राज्य पर छिन राज्य की सेना ने कब्जा कर लिया, तो इसका दूसरे राज्यों पर प्रभाव पड़ेगा।

सु ली (Su Li) नाम का व्यक्ति एक राजा का सलाहकार था। वह पाई छी को वेइ राज्य के विरूद्ध युद्ध न करने के लिए मनाने भेजा गया। सु ली की किसी माध्यम से पाई छी से मुलाकात हुई। उसने उसे एक कहानी सुनायी, जो इस प्रकार है:

एक मशहूर तीरंदाज था, नाम था यांग योउची (Yang Youji)। उसने बचपन में ही तीरंदाजी सीख ली, वह ऐसा अचूक निशानेबाज बन गया था कि सौ कदम दूर के पेड़ के पत्ते पर अचूक निशाना साधने में पारंगत था। उसके जमाने में फान हु (Pan Hu) नाम का एक तीरंदाज भी था, वह भी निशाना साधने में कुशल था। एक दिन, दोनों मैदान में तीरंदाजी का कौशल दिखाने की होड़ कर रहे थे, तमाशा देखने आए लोगों की भरी भीड़ लगी थी।

प्रतियोगिता के लिए निशाना पचास कदम दूर रखा गया। निशाने के तख्ते के बीचों बीच लाल रंग का एक बिन्दु बनाया गया। फान हु ने कड़ा मजबूत धनुष तान कर एक सांस में तीन तीर छोड़े, तीनों निशाने पर खिंचे लाल बिन्दु पर लगे। भीड़ उसके प्रदर्शन पर वाहवाही करने लगी।

जब यांग योउ ची की बारी आई, तो उसने मैदान में उतर कर चारों ओर नज़र दौड़ाई और कहा:“पचास कदम दूर का वह लाल निशाना तीरंदाजी के लिए बहुत बड़ा है, हम सौ कदम दूर के उस पेड़ के पत्ते को निशाना बना कर प्रतियोगिता करते हैं, तभी हार जीत तय हो पाएगी।”

यह कहते हुए यांग योउजी ने सौ कदम दूर के एक पेड़ की ओर इशारा करते हुए उसके एक पत्ते को चुन कर लाल रंग से निशाना बनाने को कहा। फिर उसने अपनी कमान तान कर बाण छोड़ा, तीर पत्ते के बीच आर-पार लग गया।

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सौ कदम दूर पेड़ के पत्ते पर अचूक निशाना   百步穿杨

इस प्रकार की अद्भुत योग्यता देखकर भीड़ अवाक् रह गई। फान हु जानता था स्वयं वह इतने कौशल वाला नहीं है, किन्तु उसे यह विश्वास भी नहीं था यांग योउ ची का हर तीर पेड़ के पत्ते पर अचूक लगेगा। तो उसने उस पेड़ के तीन पत्ते चुने और लाल रंग के तीन नंबर भी लगाए। उसने कहा यांग योउ ची नंबर के अनुसार तीनों पत्तों पर निशाना साधे।

यांग योउ ची पहले पेड़ के पास आया और उसके उन तीन पत्तों को पहचाना, फिर दूर सौ कदम तक चला और वहां उसने धनुष को तान कर लगातार तीन तीर छोड़े। तीनों तीर अलग-अलग तौर पर उन तीन पत्तों पर लगे। भीड़ में अचानक जोर की वाहवाही की आवाज़ गूंज उठी और फान हु ने भी पूरी तरह यांग योउ ची की कला का हुनर मान लिया।

इसी वक्त एक आदमी यांग योउ ची के पास आया। उसने आलोचनात्मक लहजे में कहा:“मैं महज ऐसे अचूक निशाना साधने में सक्षम लोगों को शिक्षा देता हूं।”

इस पर यांग को गुस्सा आ गया। उसने गुस्से में आकर पूछा:“तुम मुझे तीरंदाजी की क्या शिक्षा दे सकते हो”?

उस आदमी ने शांत लहजे में कहा:“मैं आपको तीरंदाजी की शिक्षा नहीं दे सकता हूं। मैं आप को सलाह देना चाहता हूं कि आप कैसे अपनी अचूक निशानेबाजी की साख को बनाए रख सकते हैं। आपने क्या यह समझने की कोशिश नहीं की है कि अगर आप की शक्ति तीर छोड़ने में कमजोर हुई तो कमी भी रहेगी, तो इससे आपकी अचूक निशानेबाजी की साख पर प्रभाव पड़ेगा। तीरंदाजी में निपुण व्यक्ति अपनी साख बनाए रखना जानता है।”

यह कहानी सुनाकर सु ली ने छिन राज्य के सेनापति पाई छी से कहा:“आप अपराजेय सेनापति कहलाते हैं, लेकिन वेइ राज्य भी आसानी से पराजय मानने वाला राज्य नहीं है। अगर युद्ध में आप शीघ्र ही विजय न पा सके, तो इसका आपकी प्रतिष्ठा पर असर पड़ेगा।”

पाई छी उसका तर्क मान गया कि खुद को अपराजेय बनाए रखने के लिए आसानी से युद्ध लड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अतः उसने बीमार होने के बहाने से वेइ राज्य पर हमला बोलने की योजना रद्द कर दी।

 

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