06 छांग-अ की चांद की ओर उड़ान

2017-09-12 20:50:07 CRI

 

06  छांग-अ की चांद की ओर उड़ान

 छांग-अ की चांद की ओर उड़ान  嫦娥奔月

 “छांग-अ की चाँद की ओर उड़ान”नाम की पौराणिक कहानी को चीनी भाषा में“छांग-अ पन युए”(cháng é bèn yuè) कहा जाता है। इस में“छांग-अ”एक सुन्दर देवी का नाम है, जबकि“पन युए”का अर्थ है चाँद की ओर उड़ना।

चीनी पंचांग के अनुसार साल के हर आठवें माह की 15 तारीख को मध्य शरद उत्सव होता है। वह चीन के वसंत त्योहार समेत तीन प्रमुख पुरातन परंपरागत त्योहारों से एक है। मध्य शरद उत्सव की रात चीनी लोग सपरिवार मूनकेक और मीठे फल खाते हुए रोशनीदार चांद के सौंदर्य का आनंद उठाते हैं। इस उत्सव के बारे में एक प्राचीन पौराणिक कथा भी प्रचलित है, वह है छांग-अ के चांद की ओर उड़ान भरने की कहानी। पिछले कार्यक्रम के में “होउ यी का सूरज को मार गिराना”नामक पौराणिक कहानी में छांग-अ के चाँद की ओर उड़ने के बारे में कुछ सुनाया गया था, तो आज आप इसे विस्तृत रूप से सुनिए और महसूस कीजिए कि दोनों कहानी में क्या अंतर है।

छांग-अ चांद की देवी थी, उसका पति होउ यी एक वीर योद्धा था। उसके तीर का निशाना कभी भी नहीं चूकता था।

 प्राचीन काल में धरती पर बड़ी संख्या में आदमखोर जानवर पैदा हुए, जो नरसंहार करते थे। स्वर्ग सम्राट ने यह खबर पाने के बाद होउ यी को जग लोक में जाकर धरती पर के इन दुष्ट जानवरों का विनाश करने भेजा। स्वर्ग सम्राट की आज्ञा मानते हुए होउ यी अपनी लावण पत्नी छांग-अ के साथ जग लोक में आए। वह बहादुर और शक्तिशाली था और उसने कुछ ही समय में धरती से नरसंहारी जानवरों को नष्ट कर दिया।

लेकिन  इसी वक्त आकाश में दस सूर्य उत्पन्न हुए, वे स्वर्ग सम्राट के पुत्र थे, जो अपनी मनमाने मज़े के लिए जान बूझकर आकाश में आ निकले थे। उनकी तेज रोशनी से जमीन सूख पड़ी, फसल जल कर नष्ट हो गई और बड़ी संख्या में मनुष्यों ने तपती हुई गर्मी से दम तोड़ा और जमीन पर लाशों के ढेर ही ढेर नज़र आने लगे।

दस सूरजों की हरकत को होउ यी बर्दाश्त नहीं कर सका। उसने समझा बुझाकर सूरजों को सलाह दी कि वे सामूहिक रूप में आकाश में न आए और बारी-बारी से रोज़ केवल एक बाहर आये। लेकिन घमंड में चूर दस सूरजों ने होउ यी की सलाह नहीं मानी, उल्टे उन्होंने और अधिक उत्पात मचाना शुरू कर दिया। वे जान बूझकर धरती के निकट जा पहुंचे, जिसकी असहनीय तेज़ किरणों से जमीन पर भयंकर आग लग गयी।

इस सबको देखकर होउ यी सूरजों की हठ और दुष्टता से बेहद क्रुद्ध हुए। उन्होंने सूरजों को मार गिराने की ठानी। उसने कंधे पर से धनु उतारा और म्यांन से बाण बाहर निकाला और सूर्यों को मार गिराने के लिए छोड़ा। एक ही सांस में होउ यी ने नौ सूरजों को मार गिराया। आसमान में मात्र एक सूर्य रह गया। उसने होउ यी से माफ़ मांगी, और होउ यी ने उसे जिन्दा छोड़ा। अब धरती शांत हो गई और मनुष्य पुनः शांति से जीवन बिताने लगे। वे होउ यी के बहुत आभारी थे।

इस महान कारनामे से होउ यी ने मनुष्य के लिए कल्याण तो किया था, लेकिन वह स्वर्ग सम्राट के क्रोध के पात्र बना। सम्राट अपने पुत्रों को मार डालने   के कारण होउ यी पर बहुत आक्रोशित हुआ। उसने होउ यी और उसकी पत्नी छांग-अ को देव लोक से निकाल कर दोनों को फिर स्वर्ग लोक वापस आने की इजाजत नहीं दी। स्वर्ग लौटने न जा पाने पर होउ यी और छांग-अ ने जग में बसने का संकल्प किया, ताकि धरती पर प्रजा की सेवा में ज्यादा हितकारी काम करें।

वे वहां आखेटक का जीवन बिताने लगे। लेकिन वक्त गुज़रते-गुज़रते होउ यी की पत्नी छांग-अ जग के दूभर जीवन से असंतुष्ट हो गई। उसने यह कह कर होउ यी की आलोचना की कि उसने स्वर्ग सम्राट के पुत्रों को मार गिराने के सूझ-बूझ से काम नहीं लिया।

यह विचार भी लगातार होउ यी को सताता रहा कि उसके ही कारण उसकी पत्नी छांग-अ को भी स्वर्ग में वापस नहीं जा सकी। उसने सुना कि खुनलुन पर्वत पर रहने वाले देवता शी वांगमु (Xi Wangmu) के पास दिव्य दवा है, जिसे खाने के बाद मनुष्य स्वर्ग पर आरोहित हो सकता है। तो होउ यी लम्बा सफ़र तय कर लाखों मुसीबतों को झेलकर खुनलुन पर्वत तक जा पहुंचा और शी वांगमु से दिव्य दवा मांगी।

लेकिन यह दवा केवल एक व्यक्ति के लिए पर्याप्त थी। होउ यी का जी नहीं चाहता था कि अपनी प्यारी पत्नी छांग-अ को धरती पर छोड़कर वह अकेला स्वर्ग जाए, लेकिन यह भी नहीं मानता था कि पत्नी उसे छोड़कर अकेली स्वर्ग जाए। इस दुविधा से परेशान वह घर लौटा और दवा को छिपा कर गुप्त जगह पर रखा।

06  छांग-अ की चांद की ओर उड़ान

  छांग-अ की चांद की ओर उड़ान  嫦娥奔月

दिव्य दवा का रहस्य अंत में छांग-अ को पता चला, यो वह अपने पति से बहुत प्यार करती थी, लेकिन स्वर्ग लोक के आनंदित जीवन से असीम आकृष्ट भी थी।

मध्य शरद में आठवें माह की 15वीं तारीख को पूर्णिमा की रात, जब होउ यी घर पर नहीं था, तो छांग-अ ने दिव्य दवा खा ली। तुरंत उसका शरीर उत्तरोत्तर हल्का होता गया और धीरे-धीरे वह आकाश की ओर उड़ने लगी।

 उड़ती-उड़ती अंत में छांग-अ चांद पर जा पहुंची और वहां के शीत महल में रहने लगी। जब पता चला कि पत्नी स्वर्ग लोक चली गई, तो होउ यी को बड़ा दुख हुआ, वह दिव्य बाण से पत्नी को मार गिराने को कतई तैयार नहीं था, इस तरह दोनों सदा के लिए जुदा हो गए।

अब होउ यी अकेलापन का जीवन बिताने लगा। वह शिकारी के जीवन पर आश्रित रहा। उसने प्रजा की सेवा का काम जारी रखा। उसने अनेक युवाओं को शिष्य बनाकर उन्हें तीर मारने का कौशल सीखाया। उन शिष्यों में से फ़ेंग मङ (Feng Meng) नाम का एक व्यक्ति था। बहुत होशियार था। उसने अल्पकाल में ही तीरंदाजी के बेहतरीन कौशल पर अधिकार किया।

लेकिन इस शिष्य के मन में एक दुष्ट विचार आया था कि जब तक होउ यी रहेगा, तब तक वह खुद दुनिया में तीरंदाजी के नम्बर एक पर नहीं आ सकेगा। एक दिन, जब शराब पीकर होउ यी गहरी नींद में सोया, तो फ़ेंग मङ ने उसकी तीर मार कर हत्या की।

वहीं, छांग-अ चांद पर तो आरोहित हुई थी, लेकिन वहां निर्जन महल में केवल एक खरगोश और एक बुजुर्ग थे, जो महज औषधि बनाना तथा वृक्ष काटना जानते थे। उसे बड़ी उदासी और अकेलापन महसूस हुआ।

जब तब छांग-अ को अपने पति के साथ गुज़रे सुन्दर दिन और जग लोक के की याद आने लगी, खासकर हर साल मध्य शरद के आठवें माह की 15वीं तारीख को जब चांदनी रात निकलती, तो उसे पहले अच्छे जीवन की याद सताती।

“छांग-अ की चाँद की ओर उड़ान”नाम की पौराणिक कहानी चीन में बहुत लोकप्रिय है। हर साल मध्य शरद के आठवें माह की 15वीं तारीख को चीनी लोग मध्य-शरद उत्सव की खुशियां मनाते हैं। यह“छांग-अ पन युए”नामक कहानी से मिलती जुलती है। छांग-अ अपने पति से अलग होकर चाँद पर अकेले हो गयी। इससे सबक लेते हुए चीनी लोग मध्य-शरद दिवस पर ज़रूर सपरिवार एक साथ उत्सव मनाते हैं। वे हमेशा याद करते हैं कि परिवार के लोगों के साथ-साथ रहना बहुत सुख की बात है।


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