03 ख्वा फ़ू का सूर्य का पीछा करना

न्यु-वा द्वारा मानव का सृजन 女娲造人
"न्यु-वा द्वारा मानव का सृजन"नाम की कहानी को चीनी भाषा में"न्यु-वा चाओ रन"(nǚ wā zào rén) कहा जाता है। इस में"न्यु-वा"प्रचीन पौराणिक कथा में एक देवी का नाम है, जबकि"चाओ रन"का अर्थ है मानव का सृजन करना।
प्राचीन यूनानी पौराणिक कथा के अनुसार फलोमिस्यो ने मानव का सृजन किया था। प्राचीन मिश्र की पौराणिक कथा में मानव का जन्म देवता की सांस से हुआ था और यहूदी पौराणिक कथा में जेनोवा ने मानव का सृजन किया। तो प्राचीन चीनी पौराणिक कथा में मानव का सृजन किस तरह से हुआ था? हां, चीनी पौराणिक कथा के अनुसार मानव का जन्म न्यु-वा नाम की देवी ने किया था। देवी न्यु-वा का शरीर मानव का होता था और पूंछ ड्रैगन की जैसी।
कहा जाता है कि महावीर फान कु द्वारा आसमान और जमीन को अलग कर दिए जाने के बाद देवी न्यु-वा इसमें घूमती रही। ऐसे में जमीन पर पहाड़ों और नदियों का विकास हुआ। मैदानों और वादियों में पेड़ पौधे उगे, पशु-पक्षियों और कीट मछलियों का जन्म हुआ, पर पृथ्वी पर मानव का नामोनिशान नहीं था। इसलिए हर जगह निर्जनता व्याप्त हो रही थी।
एक दिन, न्यु-वा निर्जन जमीन पर चल रही थी, लेकिन उसका मन बड़ा उदास और अकेलेपन से भरा हुआ था। उसे लगा कि उसे आसमान और जमीन को कुछ और सजीव बनाना चाहिए।
न्यु-वा विशाल जमीन पर विचरण कर रही थी, उसे पेड़ पौधों, फूलों से बहुत प्यार था, लेकिन उसे सबसे अधिक प्यार जीवन से परिपूर्ण जीवजंतुओं से मिलता था। इन सजीव वस्तुओं को निहारते हुए न्यु-वा को ऐसा विचार आया कि फान्गु का यह सृजन संपूर्ण नहीं है, क्योंकि पशुपक्षियों तथा कीट मछलियों की बुद्धि काफी मंद लगती है, उसे ऐसे जीवन से ज्यादा श्रेष्ठ जीव बनाने चाहिए।
न्यु-वा पीली नदी के किनारे घूमती जा रही थी। नदी के स्वच्छ पानी में उसकी सुन्दर परछाई पड़ी दिखती थी, न्यु-वा अपनी सुन्दर परछाई पर बड़ी खुश हो उठी। उसने नदी तल की मिट्टी से अपनी आकृति जैसी मानव की मूर्ति बनाने की कोशिश की।
न्यु-वा होशियार और कार्यकुशल थी, कुछ ही मिनट में उसने अनेक मिट्टी के मानव बनाये। ये मानव सूरत शक्ल में उसी की तरह लगते थे, फिर उसने मानव के शरीर के साथ अपने जैसी पूंछ के बजाए दो दो पैर और हाथ जोड़ दिये। अंत में न्यु-वा ने इन छोटी मानव मूर्तियों में प्राण फूंक दिया, देखते ही देखते छोटी छोटी माव मूर्तियों में जीवन का संचार हुआ, वे सचमुच जीवित हो उठे, जो पैरों पर खड़े हो कर चलने पर आ गए, उनके हाथ बहुत चतुर और कार्यकुशल हो गए और मुंह से बोलना गाना संभव हो पाया।
न्यु-वा ने उन्हें मानव का नाम दिया। न्यु-वा ने कुछ मानव के शरीर में यांग छी (Yang qi) यानी मर्द प्राण फूंका, जिससे वे पुरुष के रूप में विकसित हो गए। कुछ अन्य मानव में यिन छी( Yin qi) यानी स्त्री प्राण फूंक डाला, जिससे वे नारी के रूप में दुनिया में पैदा हुई। ये स्त्री-पुरुष न्यु-वा के चारों ओर घूमते उछलते थे, हर्षोल्लास करते थे, जिससे संसार में जीवन की लहर दौड़ने लगी।
न्यु-वा चाहती थी कि उसके निर्मित ये मानव विशाल भूमि पर फैल जाए, लेकिन वह काफी थकी हुई थी और उसके हाथ की गति भी धीमी थी। उसे एक तरीका सूझा, तो उसने घास की एक रस्सी को नदी के तल में डालकर तेजी से घुमाया। इससे रस्सी के निचले भाग में मिट्टी की एक मोटी परत चिपकी, न्यु-वा ने फिर जोर से रस्सी को जमीन की ओर घुमाया, उस पर लगी मिट्टी बूंद-बूंद के रूप में जगह-जगह गिर पड़ी। जहां मिट्टी की बूंदें गिरी, वहां वे मानव के रूप में परिवर्तित हो गए और इसी तरह न्यु-वा के निर्मित मानव दुनिया की जगह-जगह पर फैल गए।
जमीन पर मानव पैदा हुए। न्यु-वा का काम भी समाप्त हुआ। किन्तु उसके दिमाग में नया विचार आया कि ये मानव किस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी वंश जारी रखेंगे, मानव का जन्म हुआ, तो अवश्य उसकी मृत्यु भी होती है, यदि बार-बार नये मानव बनाये जाएं, तो काम बहुत भारी और परेशानी देने वाला होगा। यह सोचकर न्यु-वा ने पुरुष और स्त्री को जोड़ा-जोड़ा बनाकर उन्हें स्वयं संतान का जन्म करने की शक्ति सौंप दी। इसके उपरांत मानव स्वयं अपना वंश जारी करने के योग्य हुए और उनकी संख्या में भी निरंतर वृद्धि होती चली गई।