032 असमान व्यवहार का कारण

2017-06-13 19:41:23 CRI

032 असमान व्यवहार का कारण

असमान व्यवहार का कारण 前倨后恭

"असमान व्यवहार का कारण"शीर्षक नीति कथा को चीनी भाषा में"छ्यान च्यु होउ कोंग"(qián jù hòu gōng) कहा जाता है। इसमें"छ्यान"का अर्थ है पहला,"च्यु"का अर्थ है घमंडी, जबकि"होउ"का अर्थ है बाद में और"कोंग"का अर्थ है सम्मानपूर्ण। कुल मिलाकर कहा जाए, तो"छ्यान च्यु होउ कोंग"का अर्थ निकलता है पहले घमंडी और बाद में सम्मानपूर्ण, यानी घमंड से नम्रता में बदलना।

चीन के युद्धरत राज्य काल में (यानी ईसा पूर्व 475 से ईसा पूर्व 221 तक का समय,) सू छिन नाम का एक राजनीतिज्ञ था। उसने अपनी प्रसिद्ध कूटनीति के सहारे तत्कालीन कमज़ोर यान राज्य और चाओ राज्य को एकजुट कर शक्तिशाली छिन राज्य वंश का मुकाबला करने में असाधारण सफलता प्राप्त की और बड़ा सम्मान हासिल किया।

लेकिन बड़ा नाम कमाने से पहले सू छिन कई साल तक अपनी राजनीतिक कोशिश में विफल रहा था। कोई काम नहीं मिल पाने के कारण उसने गरीबी में अपना वक्त गुजारा, और सिर्फ फटे-पुराने कपड़े ही पहनता था। उसके ऐसी हालत में घर लौटने पर उसके मां-बाप, बड़ा भाई और भाभी तथा उसकी अपनी पत्नी सभी तिरस्कृत भाव से देखते थे। खास कर उसकी भाभी उसके साथ बड़ा बुरा व्यवहार करती थी और अकसर उसे निक्कमा कहती थी। उसका दावा था कि वह कभी कुछ नहीं कर सकता।

घर वालों के बुरे व्यवहार से सू छिन बहुत दुखी हो गया। वह कड़ी मेहनत के साथ पढ़ने लगा और राजनीतिक मामलों का लगन से अध्ययन करने लगा। पढ़ाई पूरी करने के बाद सू छिन फिर विभिन्न राज्यों में जा-जा कर राजाओं को प्रशासन का तरीका समझाने लगा। अन्त में उसने यान राज्य और चाओ राज्य को अपनी कूटनीति स्वीकार करवाने में सफलता पायी। इसके बाद उसने यान और चाओ राज्यों के विशेष दूत के रूप में दूसरे चार राज्यों को भी यान और चाओ के साथ मिलवाया। ये छह राज्य तत्कालीन शक्तिशाली छिन राज्य का मुकाबला करने के लिए एकजुट हो गए।

राजनीतिक कार्य में बड़ी सफलता प्राप्त होने पर सू छिन यान राज्य के राजा द्वारा प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया गया। फिर चाओ राज्य को राजा ने भी उसे राज्य की उच्च उपाधि प्रदान कर प्रधानमंत्री का काम देखने नियुक्त किया। उसे सौ रणरथ, हजार रेशमी कपड़े और दो लाख ओंस सोना भेंट किए।

एक बार, सू छिन किसी काम के लिए अपने घर वाले नगर लो यांग से गुज़र रहा था। घर वालों ने विशेष कर नगर से पन्द्रह मील दूर नगर के बाहर जाकर उसका स्वागत किया। उसके सम्मान में उसके मां बाप ने भव्य भोज आयोजित किया। उसकी पत्नी सिर झुकाकर उसकी बातें सुन रही थी और उसे आंखें उठाने की हिम्मत भी नहीं रही। उसका बड़ा भाई सिर झुकाए उसकी सेवा कर रहा था। जबकि पहले उसका हमेशा तिरस्कार करने वाली भाभी ने तो ज़मीन पर झुक कर उसके चरण छुए और मांफी मांगी।

अपने प्रति घर वालों के बर्ताव में इस प्रकार के बदलाव से सू छिन बहुत प्रभावित हुआ। उसने अपनी भाभी से पूछा:"भाभी जी, आप पहले क्यों बड़े दंभ के साथ मेरा अपमान करती थी, आज क्यों मेरे सामने इस तरह झुकती हैं?"

सू छिन की भाभी डर गई, उसे शर्म भी आई, उसने बार-बार हाथ जोड़कर कहा:"क्योंकि आप आज ऊंचे पद के अधिकारी बन गए है और आपके पास बेशुमार धन दौलत है।"

भाभी की बात सुनकर सू छिन ने लम्बी आह भर कर कहा:"मैं सू छिन तो वही सू छिन हूं, पर जब मैं गरीब था, मां बाप मुझसे अच्छा बर्ताव नहीं करते थे। जब मैं धनी हो गया हूं, तो सभी लोग मुझ से डरते हैं और मुझे सिर माथे पर बिठा रहे हैं। अगर ऐसा नहीं होता, तो कितना अच्छा होता।"

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