024 लोहे के डंडे को सुई का रूप

2017-04-18 19:32:36 CRI

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024 लोहे के डंडे को सुई का रूप

सौ कदम पर व्यंग   五十步笑百步

"सौ कदम पर व्यंग"नाम की नीति कथा को चीनी भाषा में"वू शी बू श्याओ पाइ बू"(wǔ shí bù xiào bǎi bù) कहा जाता है। इसमें"वू शी"और"पाई"चीनी भाषा में संख्या-सूचक-शब्द है। वू शी तो पचास है और पाई का अर्थ सौ है। तीसरे और छठे शब्द"बू"का अर्थ है कदम, जबकि चौथा शब्द"श्याओ"का अर्थ है उपहास करना है।

चीन के युद्धरत काल (ईसा पूर्व 475 से ईसा पूर्व 221 तक) में ल्यांग राजवंश का राजा हुई वांग अपने राज्य का विस्तार करना और धन दौलत जुटाना चाहता था। उसने दूसरे राज्यों के विरूद्ध अनेक युद्ध छेड़े और अपनी प्रजा को युद्ध के लिए भेजा।

एक दिन, उसने तत्कालीन महान दार्शनिक मङ ची से पूछा:"मैंने राज्य के लिए अतुल्य सेवा की है। जब राज्य के ह नाई जगह पर सूखा पड़ा, तो मैंने वहां की प्रजा को दूसरी अच्छी जगह ह तुंग में भेजा और ह तुंग के अनाज को ह नाई को मुहैया कराया। जब ह तुंग में बाढ़ आयी, तो मैंने फिर वहां ह नाई का अनाज भिजवाया और सहायता दी। हमारे पड़ोस के किसी भी राज्य के राजा ने मेरा जैसा काम नहीं किया, फिर भी उन राज्यों में ऐसी स्थिति पैदा नहीं हुई कि प्रजा बड़ी संख्या में घर छोड़ कर दूसरी जगह भागे। और मेरे राज्य में लोगों की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई, इसका क्या कारण हो सकता है?"

मङ ची ने जवाब दिया:"महाराज, आप युद्ध छेड़ना पसंद करते हैं, तो मिसाल के लिए मैं युद्ध का उदाहरण दूंगा। युद्ध के मैदान में रण-भेरी बजने पर दोनों पक्षों के सिपाहियों के बीच आमने सामने की लड़ाई चली, हारने वाले पक्ष के सिपाही जान बचाने के लिए तलवार और ढाल छोड़ कर पीछे भाग गए। एक सिपाही पीछे सौ कदम भागा, और एक सिपाही पचास कदम भागा। अगर इस समय पचास कदम पीछे भाग गए सिपाही ने सौ कदम पीछे भागे सिपाही पर व्यंग करते हुए उसे डरपोक कहा, महाराज, आपके विचार में क्या यह सही है?"

राजा हुई वांग ने कहा:"बेशक यह ठीक नहीं है। सौ कदम पीछे हो अथवा पचास कदम, दोनों का मतलब भाग जाना ही है, इसमें ज्यादा फर्क नहीं है।"

मङ ची ने कहा:"महाराज , आपने ठीक समझा है, इसी वजह से आपकी प्रजा की संख्या पड़ोसी राज्यों से ज्यादा नहीं हो सकती है।"

पचास और सौ कदम मात्र संख्या का फर्क है, लेकिन दोनों में तात्विक अन्तर नहीं है। आखिर पचास वाले को सौ वाले की निंदा करने का क्या हक है। यह समान तर्क है कि प्रजा की नज़र में राजा ह्वी वांग और पड़ोस के राजाओं में कोई तात्विक फर्क नहीं है।

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