023 आग बुझाने में देर

सूरज का आकार 太阳的形状
"सूरज का आकार"नाम की नीति कथा को चीनी भाषा में"थाई यांग द शिंग च्यांग"(tài yang de xíng zhuàng) कहा जाता है। इसमें"थाई यांग"सूरज या सूर्य है,"द"का अर्थ है का, और"शिंग च्वांग"का अर्थ है आकार।
बहुत पहले की बात है। एक व्यक्ति जन्म से ही नेत्रहीन था। उसे रोज़ अपने शरीर पर सूरज की गर्मी पड़ी महसूस होती थी, लेकिन वह सूरज का आकार नहीं जानता था। उसने अच्छे नेत्र वाले लोगों से सूरज का आकार पूछा, तो एक व्यक्ति ने एक कांसे का नगाड़ा बजाकर समझाया:"सूरज गोल आकार का है, वह इस नगाड़े की तरह है।"
नगाड़े की आवाज़ सुनकर नेत्रहीन ने समझने का अंदाज करते हुए कहा:"हां हां, मैं समझ गया हूं, समझ गया हूं।"
कुछ दिन बाद, नेत्रहीन को सड़क पर घंटा बजने की आवाज़ सुनाई दी। उसने खुशी से कहा:"सूरज निकला आया है। सूरज निकल आया है।"
सड़क पर खड़े व्यक्ति ने उसे बताया:"तुम्हें पता नहीं है। वह सूरज नहीं है। सूरज तो रोशनी देता है, ठीक उसी तरह, जैसे मोमबत्ती जलकर प्रकाश देती है।"
यह कहकर उक्त व्यक्ति ने नेत्रहीन के हाथ में एक मोमबत्ती थाम दी। नेत्रहीन ने बड़ी बारीकी से मोमबत्ती का आकार छू-छू कर मला और हामी भरते हुए कहा:"अच्छा, अब मुझे पता चल गया है कि सूरज आखिर में किस आकार का है।"
फिर कुछ दिन गुजरे, नेत्रहीन के हाथ में एक बार बांसुरी छू गयी। वह फिर से खुशी के मारे कहने लगा:"यह जरूर सूरज है। हां, यह ज़रूर सूरज है।"
यह कहानी सुनने के बाद आपको वह कहानी याद आ गयी होगी, जिसमें बताया गया है कि किस तरह कई नेत्रहीन लोगों ने हाथी के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों को छू लेने के बाद हाथी का आकार भिन्न-भिन्न रूपों में बताया था।