001 चित्र के अनुसार बढ़िया घोड़े की खोज

2016-11-07 15:09:51 CRI

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001 चित्र के अनुसार बढ़िया घोड़े की खोज

"चित्र के अनुसार बढ़िया घोड़े की खोज"को चीनी भाषा में"आन थू सुओ ची"(àn tú suǒ jì) कहा जाता है। इसमें"आन"का अर्थ है"के अनुसार", "थू"का अर्थ है"चित्र","सुओ"का अर्थ है"खोजना"और"ची"का अर्थ है"घोड़ा"। कुल मिलाकर कहा जाए, जो"आन थू सुओ ची"का अर्थ"चित्र के अनुसार घोड़े की खोज"बनता है।

कहते हैं कि प्राचीन समय में पो ले (bó lè) नाम का एक अश्व जानने के विशेषज्ञ थे, उन्होंने घोड़ों की गुणवता पहचानने के बारे में ढेर सारे अनुभव जुटाए थे और इस के आधार पर एक घोड़ा पहचानने की किताब लिखी।

पो ले की पुत्र भी अपने पिता जी का हुनर सीखना चाहता था। वह सुबह से रात तक पिता जी की किताब पढ़ते रटते रहा, किताब के एक एक शब्द भी दिमाग में याद कर दिया गया। एक दिन पुत्र ने पिता से बड़ी खुशी से कहा,"पापा, आप का हुनर मुझे भी आया है।"

पुत्र की बातें सुन कर पो ले ज़रा मुस्कराया और कहा,"बड़ी खुशी की बात है, तुम जा कर एक तेज दौड़ने वाला घोड़ा ढूंढ लाओ, मुझे दिखाओ कि तुम्हारा हुनर कैसा है।"

पुत्र ने बड़ी इतमीनान से हां भरा और घोड़ा पहचाने वाली किताब साथ लेकर घर से निकला। रास्ते में भी वह किताब में लिखे वाक्य की याद करने का उद्योग करता रहा:दिन में हजार मील दौड़ने वाले घोड़े की यह विशेषता है, उसका माथा आगे निकला हुआ, दोनों आंखों की पुतलियां बड़ी बड़ी होती है और चार खुरें उभरी हुई मदिरा रोटी की भांति लगती है।

वह राह चलता चलता तलाश भी करता रहा, जब कभी किसी जानवर से मिला, तो वह किताब में अंकित चित्र से उस जानवर से मिलाने की कोशिश की, लेकिन इस जानवर का शक्ल किताब के चित्र की इस शर्त से मिलता हो, तो इस शर्त से नहीं तथा उस जानवर का शक्ल उस शर्त से मिल जाता है, तो इस शर्त से नहीं।

चलते चलते पुत्र अन्त में एक तालाब के पास पहुंचा, उसने वहां एक मेढ़क देखने को मिला। मेढ़क की दोनों आंखें उभरी हुई हैं और कुरर्र कुर्रर करते नहीं थकता है। पुत्र ने मेढ़क के शक्ल सूरत को किताब के चित्र से मिलाते हुए बड़ा गौर से पहचानने का यत्न किया, बड़ी देर के बाद उसने सावधानी से मेढ़क को कागज़ में लपेट किया और बड़ी प्रसन्नता के साथ वह घर आया।

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उसने पिता से कहा,"दिन में हजार मील दौड़ सकने वाला घोड़ा बेहद कम है, आपने इस के लिए शर्तें लगायी हैं, वे बहुत मुश्किल से पूरी की जा सकती है। मैंने लाख प्रयत्न करने के बाद ही तालाब के किनारे एक ढूंढ निकाला है, उसके माथा और आंखें आप की किताब में दिए गए चित्र से मिलता जुलता है। लेकिन उसके खुरें मदिरा रोटी की भांति नहीं लगते हैं।"

पो ले ने कागज़ का टुकड़ा खोल कर देखा, तो बड़ी दुखी से हंस पड़ा"बेटा, तुम जो घोड़ा ढूंढ लाया हो, वह दौड़ना नहीं जानता है, उसे महज कूदना फूदना आता है। तुम उसपर सवार नहीं कर सकते हो।"

"चित्र के अनुसार बढ़िया घोड़े की खोज"यानी"आन थू सुओ ची"(àn tú suǒ jì) नाम की कथा हमें यह सीख देती है कि किसी चीज़ का अध्ययन करने या काम करने में केवल किताब की याद करने अथवा दूसरे के अनुभवों को रटने से काम नहीं बनता है और उपर से आप हंसी के पात्र भी बन सकते हैं।

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