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    प्राचीन काल में महान अनुवादक कुमारजीव
    2014-09-10 14:45:28 cri


    बौद्ध विद्वान कुमारजीव ने चीन के लोगों को बौद्ध धर्म की एक महत्वपूर्ण विचार शाखा से व्यवस्थित रुप से परिचित कराया तथा चीनी भाषा में अनेक बौद्ध ग्रंथों का सुन्दर और सही अनुवाद करके उन के प्रभाव को अत्यधिक बढ़ा दिया।

    कुमारजीव का पिता जी, एक भारतीय था और माता जी कूचा राज्य की राजकुमारी थी। तत्कालीन का कूचा, वर्तमान चीन के शिन च्यांडज वेइगुर स्वायत प्रदेश का खुचे(Kuche)शहर था। उन का जन्म 344 ईसवी में कूचा में हुआ था। कुमारजीव , छोटी ही उम्र में शिक्षा प्राप्त करने उत्तर पश्चिमी भारत चला गया था। बाद में वह चीन लौट आया। उसे, आधा भारतीय और आधा चीनी माना जा सकता है।

    जब कुमारजीव केवल सात वर्ष का था, तो उन्होंने और उन की मां ने बोद्ध धर्म में दीक्षा ले ली थी, नौ वर्ष की उम्र में वह अपनी मां के साथ भआरत चला गया। वह एक मेधावी लड़का था। उन्होंने बचपन में ही अनेक बौद्ध ग्रंथों का अध्ययन कर डाला और अनेक विद्वानों को शास्त्रार्थ में पछाड़ दिया। बारह वर्ष की आयु में वह अपनी माता के साथ कूचा की तरफ चल पड़ा। रास्ते में शूले राज्य में रुक कर उन्होंने बौद्ध दर्शन के अलावा, अन्य अनेक विष्यों का अध्ययन किया, शूले चीन के शिनच्यांग वेइवुर स्वायत प्रदेश के दक्षिण में महत्वूप्रण शहर काश्गर ही है। उन्हें प्राचीन भारत के लगभग सभी धार्मिक ग्रंथों तथा नक्षत्र विज्ञान गण्ति शास्त्र, संस्कृत व्याकरण आदि विष्यों की अच्छी जानकारी थी।

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