Web  hindi.cri.cn
    तीछींग क्षेत्र के निशी कस्बे में काले मिट्टी के बर्तन
    2017-08-15 15:07:56 cri

      

    दक्षिणी चीन के यूननान प्रांत के तीछींग तिब्बती जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर के निशी टाउनशिप में हस्तनिर्मित काले मिट्टी के बर्तनों का उत्पादन किया जा रहा है । ऐसे काले मिट्टी के बर्तन बनाने से यहां के हस्तशिल्पकारों ने न सिर्फ अमीर पाने का दरवाजा खोल दिया है बल्कि विलुप्त होने के कगार पर पहुंची तिब्बती कलाकृति का बचाव किया है ।

    निशी क्षेत्र छींगहाई-तिब्बत पठार के दक्षिण-पूर्व भाग के तीन हजार मीटर ऊंचे क्षेत्र में स्थित है जहां काले मिट्टी बर्तन बनाने का कोई दो हजार सालों का लम्बा इतिहास प्राप्त है । संवाददाता ने निशी के गांव में रहने वाले राष्ट्रीय अमूर्त सांस्कृतिक विरासत-- काले मिट्टी के बर्तन के उत्तराधिकारी क्वो ह्वा चुन से बातचीत की । क्वो ह्वा चुन, जिस का तिब्बती जातीय नाम है तांगचेन पिछू, ने बचपन से ही अपने पिता जी के साथ काले मिट्टी के बर्तन बनाने की कौशल सीखना शुरू किया था । क्वो ह्वा चुन ने कहा कि उस का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इस गांव में रहता है ।

    ऐसा काले मिट्टी बर्तन केवल निशी में बनाया जाता है । निशी गांव का यह बर्तन सिर्फ रसोई में उपयोगी खाना पकाने वाला बर्तन नहीं, पर्यटकों में व्यापक तौर पर स्वागत प्राप्त हस्तशिल्प और उपहार भी माना जा रहा है । और ऐसा बर्तन बनाने की कौशल भी केवल निशी गांववासियों को प्राप्त है । क्वो ह्वा चुन ने कहा,"हमारे काले मिट्टी बर्तन बनाने के लिए विशेष सामग्रियां चुनना पड़ता है । मिसाल है कि इसमें लाल रंग की चिकनी मिट्टी और क्वार्ट्ज पत्थर चाहिये । इस मिट्टी में लोहा और टिन ये दो तत्व भी मौजूद हैं । दूसरे क्षेत्रों के लोग, जैसे फूयैन प्रांत और चींग-ड-चेन नगर के शिल्पकारों ने भी हमारे यहां के मिट्टी को कसौटी पर कस दिया और यह पता लगा कि हमारे गांव के मिट्टी दसरे यहां से अलग है ।"

    संवाददाता को बताया गया है कि काले मिट्टी के बर्तनों का उत्पादन करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है सामग्रियों का चयन करना । सही सामग्री पाने के बाद इसे प्रोसेसिंग, फोर्मिंग, सिनटियरिंग और अंततः पोलिशिंग करना पड़ेगा । लेकिन ये सब काम मशीन से नहीं, हाथ से किया जाना पड़ता है । इसलिए एक परिपूर्ण काले मिट्टी बर्तन बनाने के लिए कम से कम एक हफ्ते का समय लगना पड़ता है । ऐसा काम करने में शिल्पकारों की धैर्यता और दृढ़ता बहुत चाहिये । क्वो ह्वा चुन ने बचपन से ही अपने पिता जी के सख्त अनुरोध से यह कौशल सीखना शुरू किया था । उन्हों ने कहा,"शुरू में मुझे मालूम नहीं था कि काले मिट्टी बर्तन क्या है । और मेरे दिल में यह सीखने की रूचि भी नहीं थी । लेकिन पिता की आग्रह से मुझे सीखनी पड़ी । जब शनिवार, रविवार को स्कूल में नहीं जाता था, तब पिता जी ने मुझे काले मिट्टी बर्तन बनाने की कौशल सिखाना शुरू किया ।"

    क्वो ह्वा चुन ने काले मिट्टी के बर्तन बनाने की स्कील नहीं सीखना चाहा, लेकिन पिता जी के आग्रह और जीवन के दबाव के सामने उन का दूसरा विकल्प नहीं था । इसी तरह क्वो ह्वा चुन कई सालों के लिए सीखने के बाद काले मिट्टी बर्तन बनाने के संदर्भ में कुशल बन गये । सन 1990 के दशक में क्वो ह्वा चुन ने काले मिट्टी बर्तन बनाने की अपनी स्कील का पूरे देश में प्रसार करने पर सोचा । इसी विचार में वे अपनी रचनाओं को लेकर शांघाई शहर में मौका खोजने गये । शांघाई में अपने अनुभव की याद करते हुए क्वो ह्वा चुन ने कहा,"उस समय मुझे बहुत उबाऊ महसूस था, इसलिए मैं हाथ में काम को एक तरफ छोड़कर बाहर गया । पर मैं ने शांघाई जैसे बड़े शहर में अपने काले मिट्टी बर्तन बेचना चाहा,

    इसलिए मैं अपनी रचनाओं को लेकर रवाना हुआ ।"

    क्वो ह्वा चुन की शांघाई यात्रा में कुछ दिक्कत भी मिली । पहले दिन में वह सड़कों में अपने बर्तन बेचाने गये, लेकिन कोई खरीदार नहीं आये । दूसरे दिन कुछ विदेशी पर्यटकों ने 80 युवान की कीमत से क्वो ह्वा चुन के सभी बर्तन खरीद लिये । उन्हों ने भी उन्हें उत्साहित किया । इससे क्वो ह्वा चुन को यह महसूस हुआ कि बढ़िया वाले बर्तनों का जरूर ही बाजार होता है । इस के बाद वे दूसरे सहपाठियों के साथ-साथ काले मिट्टी बर्तनों का निर्माण करने में लगे हुए थे ।

    क्वो ह्वा चुन ने कहा,"मेरी आशा है कि दस साल बाद हमारे यहां हरेक परिवार काले मिट्टी बर्तन के निर्माण में भाग ले सकेगा । क्योंकि काले मिट्टी बर्तन केवल रसोई घर में उपयोगी चीज़ नहीं है, काले मिट्टी बर्तन की जड़ है संस्कृति । आशा है कि दस सालों के बाद युवा लोग अपने आधुनिक विचारों के मुताबिक कलाकृति के रूप में काले मिट्टी बर्तन का निर्माण कर सकेंगे ।"

    इधर के वर्षों में शांग्री-ला में पर्यटन के विकास के साथ-साथ निशी के काले मिट्टी बर्तन को भी यूननान प्रांत के बाहर तक लाया गया है । लेकिन इस क्षेत्र में काले मिट्टी बर्तन का उत्पादन मुख्य तौर पर परिवार से आधारित है । और गांववागियों की आय भी आपेक्षाकृत निम्न है । गांववागियों की मदद करने के लिए क्वो ह्वा चुन ने एक कंपनी की स्थापना की जो विशेष तौर पर काले मिट्टी बर्तन की कौशल का अनुसंधान करने में लगती है । वर्ष 2008 में निशी गांव के काले मिट्टी बर्तन को राष्ट्रीय गैर-भौतिक विरासत की नामसूची में शामिल कराया गया और काले मिट्टी बर्तन बनाने के शिल्पकारों को नियमित तौर पर युन्नान प्रांत की गैर-भौतिक विरासत संरक्षण केंद्र की तरफ से भत्ता मिलती है ।

    क्वो ह्वा चुन ने कहा कि काले मिट्टी बर्तन कोई आम कलाकृति नहीं है । इसमें तिब्बती जाति के सांस्कृतिक प्रतीकों की खोदाई की जाती है । क्वो ह्वा चुन के बेटे लारूं ने कहा कि वे अपनी बुद्धि और कालेज में प्राप्त जानकारियों के जरिये निशी गांव के काले मिट्टी बर्तन को भविष्य का रंग लगाएंगे । लारूं ने कहा,"अब हमारे निशी के काले मिट्टी बर्तन का खूब नाम प्राप्त है । हमें सबसे पहले अपनी उत्पाद वस्तुओं को श्रेष्ठ बनाना चाहिए और इसी के आधार पर प्रसारण करेंगे । साथ ही हमें पारंपरिक वस्तुओं को आधुनिक जीवन के साथ जोड़ देना पड़ेगा नहीं तो इस का बाजार नहीं होगा । हम ने अपने काले मिट्टी बर्तन को ऑनलाइन बेचने की योजना भी बनायी है । इसी लक्ष्य को साकार करने के लिए हमें अच्छे उत्पाद बनाना ही पड़ेगा ।"

     

    तीछींग क्षेत्र की संक्षिप्त जानकारियां

    तिब्बती भाषा में तीछींग का मतलब है "शुभ जगह" । सन 1933 में ब्रिटेन के लेखक जैम्स हील्टन ने अपने उपन्यास लॉस्ट हॉरिज़न में चीन के तिब्बत के पर्वतों में स्थित एक शांत और सुन्दर घाटी शांग्री-ला का वर्णन किया था । यही जगह है आज का तीछींग स्वायत्त प्रिफेक्चर । और पर्यटन के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए तीछींग के तहत जूंगडियन काउटी का नाम शांग्री-ला के रूप में किया गया है ।

    चीन के हान राजवंश ने तीछींग क्षेत्र को अपने शासन के नीचे रखा था । छींग राजवंश ने तीछींग क्षेत्र को यूननान प्रांत के तहत रखा गया । सन 1950 के मई में तीछींग काउटी की जन सरकार की स्थापना की गयी । वर्ष 2010 तक तीछींग स्वायत्त प्रिफेक्चर का क्षेत्रफल 23870 वर्ग किलोमीटर विशाल है और इस की जनसंख्या चार लाख तक पहुंची है ।

    तीछींग दक्षिण पश्चिमी चीन के यूननान प्रांत और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के जुड़ने वाले क्षेत्र में स्थित है जिसकी औसत ऊँचाई 3300 मीटर है । चीन की प्रमुख लम्बी नदियां यांगत्सी नदी, चिनशा नदी और लैनचांग नदी आदि सब इस क्षेत्र से गुजर कर बहती हैं । तीछींग क्षेत्र के विशाल घने जंगल होते हैं और यहां मूल्यवान दुर्लभ जानवरों और पेड़-पौधों का पता लगाया गया है । तीछींग क्षेत्र में कॉपर, टंगस्टन, मोलिब्डेनम, लीड व जस्ता आदि खनिज पदार्थों का समृद्ध भंडार होता है । अब तीछींग क्षेत्र का आधुनिक उद्योग व यातायात आदि का बड़ी तेज़ी से विकास किया जा रहा है । आधुनिक कृषि का भी उल्लेखनीय विकास हो पाया है ।

    सरकार ने तीछींग क्षेत्र में शिक्षा के विकास को महत्व देती है । अब इस क्षेत्र में छात्रों की भर्ती दर 99 प्रतिशत तक जा पहुंची है । पूरे क्षेत्र में कुल 85 प्राइमरी स्कूल, 10 मिडिल स्कूल और भिन्न भिन्न किस्म के छह व्यवसायिक स्कूल भी स्थापित हैं । इस के साथ ही तीछींग क्षेत्र में कुल 268 चिकित्सालय स्थापित किये गये हैं । और अधिकांश नागरिकों को चिकित्सा और पेंशन बीमा की सेवाएं प्राप्त हो चुकी हैं ।

    तीछींग क्षेत्र में जातीय परंपरागत संस्कृति का समृद्ध भंडारण होता है । सरकार ने जातीय संस्कृति के संरक्षण को महत्व दिया है और इस के माध्यम से विशेष पर्यटन का विकास करने में जोर लगाया है । तीछींग एक पवित्र स्थल है जहां बौद्ध धर्म, ईसाई व कैथोलिक ईसाई, इस्लाम, तंगबा धर्म, ताओ धर्म और आदिम धर्म सब सामंजस्य तौर पर साथ-साथ रहते हैं । कभी कभी एक ही भवन के अन्दर में विभिन्न धर्म का पूजा किया जाता है । और यहां के अल्पसंख्यक जातीय लोग अपनी अपनी भाषाओं से बाइबिल का अनुवाद भी करते हैं ।

    तीछींग क्षेत्र में अनेक विशेष उत्पाद भी हैं जो देश भर में सुप्रसिद्ध हैं । यहां से उत्पादित बर्फ चाय, त्रिकोलामा मात्सुटेक(Tricholoma Matsutake)और तिब्बती सुगंध सुअर का बाजारों में बहुत स्वागत है । और शांग्री-ला राष्ट्रीय पार्क, सैनच्यांग प्राकृतिक क्षेत्र, मेली स्नो माउंटेन, टाइगर छलांग कण्ठ, सूंगज़ैमलीन मंदिर और मून बे घाटी सब देश विदेशी पर्यटकों के काल्पनिक स्थल ही माने जाते हैं ।

    ( हूमिन )

    © China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
    16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040