117 साल पुराना वनस्पति विज्ञान जगत का ओलंपिक पहली बार विकासशील देश आया। हाल में 19वां अंतर्राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान सम्मेलन दक्षिण चीन के शन जंग में उद्घाटित हुआ। विश्व के 109 देशों व क्षेत्रों से आए करीब 7000 वनस्पति विद्वानों ने हिस्सा लिया।
चीन दुनिया के 10 प्रतिशत वनस्पतियों का घर है, जहां 34 हजार किस्मों के उच्च पौधे होते हैं, जो विश्व के तीसरे स्थान पर रहा। चीन ने 2740 प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों और 195 पौधे उद्यानों की स्थापना की है। ब्रिटिश मशहूर वनस्पति-वैज्ञानिक स्टीफ़न ब्रेकमॉर अंतर्राष्ट्रीय पौधों की विविधता की रक्षा करने को आगे बढ़ाने के मुख्य पात्रों में से एक है। उनके अनुसार, चीन में 30 हजार से ज्यादा पौधों की किस्में हैं। इनकी रक्षा करना एक भारी चुनौती है। मैंने देखा कि चीन के विभिन्न बोटैनिकल गार्डनों के बीच सहयोग बहुत घनिष्ट हैं। वे मिलकर चीन के विभिन्न क्षेत्रों के पौधों की रक्षा करते हैं। चीन में एक पूरी सिस्टम की स्थापना की चुकी है। जबकि अन्य देशों में स्थितियां ऐसी नहीं हैं। कुछ देशों में विभिन्न बोटैनिकल गार्डनों का अपना भिन्न भिन्न प्रबंध होते हैं।
चीन एक विशाल देश है और चीन में विश्व की विविधातापूर्ण वनस्पतियां मौजूद हैं। चीन विश्व के कृषि के प्रमुख स्रोत केंद्रों में से एक भी है। अंतर्राष्ट्रीय आदान प्रदान व सहयोग के जरिए चीन ने पौधों के वैज्ञानिक विकास में मजबूत पदचिह्न रखा है। 19वें अंतर्राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान सम्मेलन के उप महासचिव चू वेईह्वा के परिचय के अनुसार, खास बात यह है कि चीन के शन जंग के ह्वाता जीनोम कंपनी ने हजारों किस्मों के पौधों का रिकॉर्ड कार्य पूरा किया। सौ विश्व प्रसिद्ध वनस्पति वैज्ञानिकों ने 8 साल की मेहनत से कुल 1174 किस्मों के पौधों के जीनोमों का विश्लेषण किया। अब ह्वाता जीनोम कंपनी का डाटा पूरी दुनिया के विश्व जीनोम डाटा के 70 प्रतिशत तक पहुंचा है।
हाल में मानव जाति संसाधन व वातावरण की भारी चुनौती का सामना कर रही है। हरे से भविषय की रचना करे वर्तमान सम्मेलन का थीम है। सम्मेलन में लोगों से वनस्पतियों और भविष्य पर ध्यान देने का आह्वान किया गया।
गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान सम्मेलन इस क्षेत्र में सबसे ऊंचे स्तर व बड़े पैमाने वाला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है, जो हर छह साल एक बार आयोजित होता है। पहला सम्मेलन 1900 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में आयोजित हुआ था। अब तक विश्व के 12 देशों के 16 शहरों में इस सम्मेलन का आयोजन हो चुका है।