याक छींगहाई-तिब्बत पठार पर रहने वाले तिब्बती चरवाहों के लिए सबसे महत्वपूर्ण सहपाठी माना जाता है । तिब्बती लोगों के खाद्य पदार्थ, वेशभूषा और रहन-सहन आदि सब याक से संबंधित हैं । याक दूध भी तिब्बती लोगों के लिए प्रमुख खाद्य पदार्थ है । छींगहाई प्रांत के गोलोक स्टेट के गेल्सांग दूध कंपनी की बोर्ड अध्याक्ष तुंगगाज़े छीनबू ने छींगहाई-तिब्बत पठार पर याक दूध उद्योग के विकास से चरवाहे लोगों के साथ अमीर बनने का रास्ता खोज किया है ।
पचास वर्षीया तुंगगाज़े छीनबू तिब्बती जातीय उद्यमी हैं । सन 1985 में ही उन्हों ने अपने जन्मभूमि के एक सरकारी दूध कारखाने में काम करना शुरू किया । लेकिन कुछ साल बाद यह सरकार कारखाना बन्द हुआ । तुंगगाज़े छीनबू बेरोजगार हुई । वर्ष 2004 में छीनबू ने अपना दूध कारखाना स्थापित किया । सरकारी कारखाने में बीस साल करने से उन्हें दूध के उत्पादों से संबंधित कौशल प्राप्त हुई । इसलिए उन्हों ने याक के दूध से दही बनाना शुरू किया । अपनी कहानी बताते हुए तुंगगाज़े छीनबू ने कहा,"मेरा विचार यह था कि हमारे गोलोक क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधन कितना समृद्ध है, और मेरा पर्याप्त अनुभव और तकनीक भी है । इसलिए मुझे आवश्य ही कुछ करना चाहिये । मैं ने तीन हजार युवान से अपना बिजनेस शुरू किया था । मैं घर में एक दिन दस बारह किलो दही बनाया और बाहर बेचा । सर्दियों के दिनों भी गाड़ी से अपने उत्पाद बेचने देती थी ।"
छीनबू एक साहसी महिला है जो अपने दृढ़ संकल्प से काम करती रही है । सरकारी कारखाना बन्द होने के बाद उन्हों ने अपने खर्च से एक दही कार्यशाला रख दिया । शुरू में वह स्टोर का किराया नहीं उठा सका, तब उन्हें सड़कों के तट पर दही बेचना पड़ा । बाद में उन्होंने अपना मौका प्राप्त लिया । उन्हों ने कहा,"वर्ष 2009 में सरकार के मानव संसाधन विभाग ने हमें लघु ऋण दिया । यानी प्रति व्यक्ति पचास हजार युवान का लघु ऋण ले सकता था । सरकार ने मुझे विशेष ऑफर दिया और मुझे दो लाख युवान का ऋण दिया गया । इसी पूंजी से मैं ने अपना दही कारखाना स्थापित किया । अब मेरे कारखाने में दही के सिवा बीसेक दूध उत्पाद भी बनाते हैं ।"
धीरे धीरे तुंगगाज़े छीनबू का छोटा कारोबार गेल्सांग दूध कंपनी बनी और छीनबू खुद भी कंपनी की बॉस बन गयी । अपना उत्पादन और बिक्री को बेहत्तर रास्ते पर पहुंचाने के लिए छीनबू ने गुणवत्ता परीक्षण उपकरण खरीदकर अपना प्रयोगशाला और नियंत्रण कक्ष स्थापित किया । प्रारंभिक दिनों की याद करते हुए उन्हों ने कहा,"शुरू में हमारे कारखाने में केवल सात कर्मचारी थे और हमारे उपकरण भी बहुत लीमिटेट । प्रसंस्करण वर्कशॉप का उत्पादन भी आवश्यकताओं को पूरा नहीं हो सकता था । दूसरे साल हम ने बहुत से नये उपकरण खरीद लिये । दही और कम तापमान तरल दूध भंडारण की परियोजना में मैं ने तीस लाख युवान का निवेश लगाया और फैक्टरी के मकानों के निर्माण में मैं ने 80 लाख युवान का निवेश किया है।"
मुनाफा किसी भी कारोबार के लिए प्रमुख लक्ष्य है । लेकिन तुंगगाज़े छीनबू के विचार में उत्पादों की मूल गुणवत्ता को बनाए रखने की अनिवार्य आवश्यकता है । लेकिन उच्च गुण वाले उत्पाद बढ़िया कच्चे माल से आधारित हैं । अच्छे गुणवत्ता वाले दही का उत्पादन करने के लिए अच्छे दूध की आपूर्ति अनिवार्य है । वर्ष 2014 में सरकार ने दूध कोऑपरेटिव स्थापित किया जिससे चरवाहों के संसाधनों को कारोबारों के साथ जोड़ा गया है । इसतरह छीनबू के कारखाने में कच्चे दूध की आपूर्ति की समस्या हल हो गयी है । उन्हों ने कहा,"पहले मैं ने किसानों की तरफ से एक दिन दस बारह किलो दूध खरीदते थे जो बहुत असुविधा लगती थी । इस के बाद सरकार की मदद में दूध का कोऑपरेटिव रखा गया है । यानी हमारा कारखाना कोऑपरेटिव की तरफ से दूध खरीदता है । कोऑपरेटिव किसानों के दूध की गुणवत्ता और स्वच्छता की गारंटी करने में जिम्मेदार हैं । कोऑपरेटिव किसानों व चरवाहों का प्रशिक्षण भी करते हैं और इस तरह दूध की गुणवत्ता भी उन्नत की गयी है ।"
अब छीनबू की गेल्सांग दूध कंपनी ने पाँच दूध कोऑपरेटिव कारोबारों के साथ दूध की आपूर्ति करने का समझौता संपन्न किया है और साथ ही स्थानीय किसानों व चरवाहों का प्रशिक्षण भी शुरू किया है । आधुनिक उत्पादन तथा राष्ट्रीय मानकों के लिए अनुकूल परीक्षण प्रक्रिया कायम करने से गेल्सांग दूध कंपनी का विस्तार किया गया है । तुंगगाज़े छीनबू भी एक छोटे मिल के मालिक से बदलकर आधुनिक व्यवसायी बन गयी हैं । और उन्हों ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी उठाना शुरू किया है । जुलाई महीने में छीनबू के शिशु दूध पाउडर कारखाने में उत्पादन शुरू होने लगा है जिसमें तीन करोड़ युवान की पूंजी लगायी गयी है । छीनबू की योजना है कि कारखाने के संचालन से आसपास किसानों व चरवाहों को अमीर बनाया जाएगा ।
उन्हों ने कहा,"मेरे कारखाने में दही का उत्पादन पका हुआ है जो बाजार में बहुत लोकप्रिय है । मेरा ख्याल है कि मैं दूध पाउडर कारखाना खोलकर चरवाहों की आय बढ़ाने में कुछ काम कर सकूंगी । वर्ष 2015 में मैं ने शिशुओं के लिए जैविक याक दूध पाउडर कारखाना स्थापित किया जो चार हजार चरवाहे परिवारों के साथ सहयोग कर रहा है और इससे 130 नये नौकरियां तैयार किये हैं ।"
आजकल छीनबू के प्रति दिन का अधिकांश समय शिशुओं के लिए याक दूध पाउडर कारखाने के निर्माण में लगा हुआ है । इस कारखाने का पैमाने पुराने दूध कारखाने से और बड़ा है । छीनबू ने अपने नये कारखाने में स्वचालित उत्पादन लाइन रखने की योजना बनायी है । उन की अपने उत्पादों की शांघाई और हांगचौ आदि बड़े शहरों में बिक्री करने की योजना भी है । इस के आधार पर छीनबू परोपकारी में अधिक निवेश लगाएंगी । उन्हों ने कहा,"मैं ने वर्ष 2015 से अनाथ और विकलांग बच्चों की मदद करना शुरू किया । अभी तक मैं ने अस्सी ऐसे बच्चों की सहायता में बीस लाख युवान डाल दिया है । मेरा विचार है कि हमें समाज और बच्चों की जिम्मेदारी उठानी पड़ती हैं ।"
वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और पूरे देश में स्वास्थ्य भोजन व हरित भोजन का उपयोग करने का रुझान नजर आ रहा है जिससे तिब्बती पठार पर दूध उत्पादों के विकास के लिए बेहत्तर मौका तैयार किया गया है । और दूध उत्पादों के विकास से गरीबी उन्मूलन को भी बढ़ावा मिल पाया है । मिसाल के तौर पर तिब्बत के च्यांगज़ी टाउनशिप में प्रति परिवार में तीन गाय सुरक्षित हैं जो गांववासियों को प्रति वर्ष तीन हजार युवान की आय प्रदान कर सकते हैं । सरकार ने भी गाय पालन उद्योग के विकास में भारी खर्च डाला है ।
तिब्बत की दूध कंपनियों ने स्वीडन जैसे विकसित देशों से तकनीक खरीदकर उन्नतिशील दही उत्पादन लाइन रख दिया है और बड़ी मात्रा के ताजा दूध, बैग दूध और दही आदि का उत्पादन शुरू किया है । तिब्बत के याक दूध को अपनी प्राकृतिक विशेषता से देश के दूसरे दूध की तुलना में बेहतर प्रतिष्ठा प्राप्त हो गया है । विश्वास है कि प्राकृतिक वातावरण की गुणवत्ता और आधुनिक उत्पादन तकनीक के आधार पर तिब्बती पठार के याक दूध का उज्जवल भविष्य साबित हो जाएगा ।
( हूमिन )