छींगहाई तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के गोलोक क्षेत्र में स्थापित ताजी-लीजूंग तिब्बती चिकित्सा स्कूल में हजार से अधिक तिब्बती छात्र पढ़ रहे हैं । यह गोलोक क्षेत्र में प्रथम निजी व्यावसायिक स्कूल और देश में प्रथम कल्याण व्यवस्था वाला तिब्बती चिकित्सा स्कूल भी है । इस स्कूल में विशेष तौर पर तिब्बती गरीब और विकलांग बच्चों की भर्ती की जाती है । सरकार की मदद में हजारों तिब्बती छात्रों ने इस स्कूल में अध्ययन करने का मौका प्राप्त किया है । स्कूल में पढ़ रही छात्र सूंग मौछो ने कहा,"हमने आज बहुत सी जड़ी बूटियों की खुदाई की है, इन में हिमपात लोटस भी शामिल है जो गठिया, गुर्दे के बिमारी के इलाज में कारगर है ।"
ताजी-लीजूंग तिब्बती चिकित्सा स्कूल गोलोक क्षेत्र के आनिमाकिंग हिम पर्वत के पाँव पर स्थित है जिस की ऊँचाई 3700 मीटर होती है । तिब्बती छात्र सूंग मौछो के परिवार में मां-बाप के सिवा पाँच भाई बहिनें भी हैं । लेकिन घर में केवल पिता जी और एक बड़े भाई काम करते हैं । घर का जीवन मुश्किल है । वर्ष 2014 में सूंग मौछो छींगहाई प्रांत के ह्वांगनान स्टेट से गोलोक आकर तिब्बती चिकित्सा सीखने आयी थी । एक और साल सीखने के बाद वह स्कूल से स्नातक हो जाएगी ।
अभी इस स्कूल में पाँच सौ तिब्बती छात्र हैं जो सब सूंग मौछो की ही तरह तिब्बती क्षेत्र के मुश्किल ग्रामीण या चरवाहे परिवारों के बच्चे हैं । स्कूल में वे हान भाषा, तिब्बती भाषा, गणित, अंग्रेजी भाषा और अन्य बुनियादी पाठ्यक्रम सीखने के साथ-साथ तिब्बती चिकित्सा, नर्सिंग और दाई का काम आदि कोर्स सीखते रहे हैं । गौरतलब है कि उन का शिक्षण और रहन-सहन आदि सब निशुल्क हैं ।
छींगहाई प्रांत के हाईनान स्टेट से गये तिब्बती छात्र गूंग-गा ने वर्ष 2016 से ताजी-लीजूंग तिब्बती चिकित्सा स्कूल में अपना अध्ययन शुरू किया । उन के परिवार में केवल पिता जी और एक बहिन हैं । गूंगा को बचपन से ही तिब्बती चिकित्सा के प्रति बहुत दिलचस्पी है । उन्हों ने इसीलिये ताजी-लीजूंग तिब्बती चिकित्सा स्कूल में अध्ययन करने के लिए चुना है कि यह एक नि: शुल्क विद्यालय है । उन्हों ने कहा,"रोगियों के पल्स और क्लीनिकल लक्षण की निगरानी करना सबसे महत्वपूर्ण है । मैं अगले साल से अच्छी तरह यह कौशल सीखूंगा । हमारे अध्यापकों ने हमें बहुत मदद दी है । वे हमारे जीवन और अध्ययन पर ध्यान देते रहे हैं । हमारे स्कूल में छात्रों के बीच मिलनसार संबंध रहते हैं । मैं यहाँ रहकर बहुत खुश हूँ ।"
वर्ष 2002 में चीन के सुप्रसिद्ध तिब्बती चिकित्सक की मदद में ताजी-लीजूंग तिब्बती चिकित्सा स्कूल की स्थापना की गयी थी जिसका उद्देश्य है किसानों व चरवाहों के लिए चिकित्सा उपचार करना और गरीबी उन्मूलन साकार करना । यहां के छात्र केंद्र और छींगहाई प्रांतीय सरकार की शिक्षा सब्सिडी मिल पाते हैं यानी प्राइमरी स्कूल के छात्रों को प्रति वर्ष 4700 युवान मिलता है जिनमें ट्यूशन फीस और रहने वाले खर्च आदि शामिल हैं । तिब्बती चिकित्सक ग्याछो ने वर्ष 2011 से इस स्कूल में तिब्बती चिकित्सा ग्रंथ सिखाना शुरू किया था । वे अक्सर अपने छात्रों के साथ पहाड़ो में जड़ी-बूटियों का ग्रहण करने जाते हैं । उन्होंने कहा,"तिब्बती चिकित्सा एक बहुत ही पारंपरिक चिकित्सा है, आजकल बहुत से लोगों का ध्यान तिब्बती चिकित्सा और दवाइयों पर खीचा गया है । सरकार ने तिब्बती चिकित्सा के विकास का जोरदार समर्थन किया है । हमारे स्कूल में सभी छात्रों को सुव्यवस्थित तौर पर तिब्बती चिकित्सा, औषधि विज्ञान का अध्ययन करना पड़ता है । भविष्य में उन्हें राष्ट्रीय चिकित्सकों की मान्यता प्रमाण पत्र और फार्मासिस्ट प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाली परीक्षा में पास होना पड़ेगा । इसी के आधार पर वे तिब्बती चिकित्सक के तौर पर काम कर सकेंगे ।"
स्थापना के बाद बीते 15 वर्षों में कुल 1400 से अधिक छात्रों ने ताजी-लीजूंग तिब्बती चिकित्सा स्कूल में पढ़ी है जिन में अधिकांश छात्र छींगहाई, गैनसू और सछ्वान प्रांतों के गरीब परिवारों से गये हैं । गौरतलब है कि इस स्कूल में स्नातक होने वाले छात्रों को शतप्रतिशत तौर पर नौकरी मिल गयी है । उन में एक तिहाई छात्रों ने स्कूल और स्थानीय सरकार की मदद से अपना क्लिनिक खोल दिया है । 30 वर्षीय सोनानछो वर्ष 2008 में ताजी-लीजूंग तिब्बती चिकित्सा स्कूल से स्नातक हुई । अब वह स्कूल के क्लिनिक में फार्मासिस्ट का काम कर रही है । वह स्कूल को अपने प्रशिक्षण के लिए बहुत आभारी है। उन्हों ने कहा,"अब मैं क्लिनिक में फार्मासिस्ट का काम कर रही हूं । मेरे काम में खर्च लेना, दवाइयां देना और रोगियों को परामर्श आदि शामिल हैं । मेरा यहां का वेतन 2600 युआन है और मैं इससे अपने परिवार की मदद करती हूं । मेरे मां-बाप ने भी कहा कि मेरा यह रास्ता सही है ।"
इस स्कूल के एक अफसर के अनुसार 15 वर्षों के निर्माण से स्कूल के पेशेवर, शिक्षकों और बुनियादी उपकरणों के निर्माण का उल्लेखनीय सुधार किया गया है । अब स्कूल पूरे तिब्बती क्षेत्रों में मशहूर साबित है । स्कूल में पढ़ रहे छात्रों को तीन सालों का प्रशिक्षण लेने के बाद फिजिशियन का प्रमाण पत्र प्राप्त हो सकेगा । स्नातक होने के बाद वे तिब्बती लोगों की सेवा करने वाली चिकित्सा संस्थाओं में काम कर रहे हैं ।
गोलोक क्षेत्र के शिक्षा अफसर ने संवाददाता को बताया कि ताजी-लीजूंग तिब्बती चिकित्सा स्कूल की स्थापना से चरवाहे क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा कमजोर होने की स्थिति बदल गयी और दूसरी बात है कि गरीब परिवारों के बच्चों को भी अपना स्वप्ना साकार करने का द्वार खोला गया है । उन्हों ने कहा,"शिक्षा का समर्थन बहुत ही जरूरी है । इस का मतलब है कि अगर हम किसी बच्चे को गरीब पहाड़ी क्षेत्र में से शहर के स्कूल में दाखिल करवाते हैं और उसे शिक्षा दिलाते हैं, तो वह शिक्षित और सांस्कृतिक आदमी बन सकेगा । और बाद में वह अपने परिवार को भी गरीबी से निकाल सकेगा । इसलिए मेरा विचार है कि गरीबी उन्मूलन में बौद्धिक सहायता देना सबसे महत्वपूर्ण काम है । शिक्षा का विकास करने के जरिये तिब्बती क्षेत्र को सामंजस्यपूर्ण विकास के ट्रैक पर पहुंचाया जाएगा । तब तिब्बती लोग भी देश के दूसरे क्षेत्रों के लोगों के साथ-साथ खुशहाल समाज के निर्माण में प्रगतियां हासिल कर सकेंगे ।"
विदेशी भाषा से बौद्धिक ग्रंथों का प्रसार
पेइचिंग लूंगछ्वान मंदिर चीन की इस राजधानी के उत्तर में स्थित है । यह बहुत पुराना इतिहास प्राप्त एक बौद्धिक मंदिर है और आजकल इस मंदिर में स्वयंसेवक का काम कर रहे साध्वी या उपासकों पर समाज का ध्यान आकर्षित है ।
स्वयंसेवक लैनथिएन ने संवाददाता को बताया कि मैं पहले कालेज में फ्रांसीसी भाषा सीखती थीं । वर्ष 2011 में मैं ने इंटरनेट के माध्यम से इस मंदिर के महा आचार्य गुरु श्वे छंग के साथ संपर्क रखा और फिर यहां एक स्वयंसेवक बनने लगी ।
महा आचार्य श्वे छंग लूंगछ्वान मंदिर के मठाधीश और चीनी बौद्ध संघ के अध्यक्ष भी हैं । उन्हों ने वेबसाइट के जरिये बौद्ध धर्म की जानकारियां देने में बहुत से काम किया है । अब लैनथिएन जैसे अनेक स्वयंसेवक मंदिर के अनुवाद केंद्र में विदेशी भाषाओं से बौद्धिक ग्रंथों का अनुवाद कर रहे हैं और इस के सिवा वे मंदिर के विदेशी भाषा वेबसाइट का निर्माण कर रहे हैं ।
लूंगछ्वान मंदिर के अनुवाद केंद्र की स्थापना वर्ष 2011 में की गयी थी । गुरु श्वे छंग के नेतृत्व में लूंगछ्वान मंदिर का अपना वेबसाइट, बहुभाषीय वीबो और वीचैट पाबरिक नम्बर आदि सब स्थापित हो चुके हैं । अभी तक दर्जनों देशों के कई सौ स्वयंसेवकों ने इस केंद्र में काम कर दिया है ।
मंदिर में दूसरा आचार्य गुरु वू क्वांग अनुवोद केंद्र का नेता है । उन्हों ने कहा कि अब लूंगछ्वान मंदिर चीनी, अंग्रेज़ी, फ्रांसीसी, रूसी, जर्मन, जापानी, इटली, कोरिया, स्पेनिश, थाई, वियतनाम, तिब्बती, मंगोलियाई, पुर्तगाल, नीदरलैंड और म्यांमार समेत कुल 16 भाषाओं की सेवाएं प्रदान कर रहा है ।
गुरु वू क्वांग ने कहा कि हम विदेशी भाषाओं से बौद्धिक संस्कृति का प्रसार कर रहे हैं । मीडिया की रिपोटिंग से 69 करोड़ लोगों को हमारी सूचना प्राप्त हो गयी है । अनेक देशों के दोस्त हमारे मंदिर में आते रहते हैं और हम भी बाहर जाकर धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं ।
मंदिर में दूसरे आचार्य गुरु श्यैनछींग ने कहा कि भाषा मानव के बीच संपर्क करने का माध्यम है और उसे संस्कृति का वाहक भी माना जाता है । विश्व में बहुत सी समस्याओं का कारण भाषा अवरोध ही है । बौद्धिक प्रसारण में भाषा का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है । हमारी योजना है कि चीनी बौद्धिक ग्रंथों का विदेशी भाषाओं में अनुवोद किया जाएगा जो एक महान कार्य साबित होगा । अब हम जो कोशिश कर रहे हैं, वह इस महान परियोजना की तैयारी है ।
बौद्ध धर्म का चीनी संस्कृति में विशेष महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है । लूंगछ्वान मंदिर की विदेशी भाषाओं के माध्यम से बौद्धिक ग्रंथों का प्रसार करने की योजना से विश्व भर के दायरे में चीन की परंपरागत संस्कृति का साझा किया जाएगा ।
( हूमिन )