इधर के सालों में साझा उपभोग विश्व में एक गर्म शब्द बन चुका है। साझा बाइक, साझा पॉवर बैंक आदि उत्पाद बाजार में उभरे और लोगों के लिए नया जीवन शुरू किया।
जर्मनी में साझी कार लोगों के दैनिक जीवन में प्रवेश कर चुकी है। लोग इंटरनेट पर रजिस्टर करने के बाद अपने आईडी कार्ड और ड्राइवर लाइसेंस को दिखाकर साझी गाड़ी का इस्तेमाल कर सकते हैं। साझी गाड़ी के पार्किंग स्थल पर विशेष लक्षण होता है। जर्मनी में लोग स्वेच्छा से इन पार्किंग स्थलों को खाली करते हैं। चाहे उन के पास पार्किंग स्थान नहीं है, वे भी इन विशेष लक्षण होने वाले पार्किंग स्थानों पर पार्किंग नहीं करेंगे। जर्मनी लोग गाड़ियों को बहुत पसंद करते हैं। साझी गाड़ियों को वे भी बहुत अच्छी देखभाल करते हैं। साझी गाड़ियां गाड़ियों के संरक्षण करने का खर्चा कम होता है, साथ ही आबादी बढ़ने से ट्रैफ़िक जाम की स्थिति में भी सुधार हुआ है। साथ ही वे पर्यावरण संरक्षण और नागरिक निर्माण के बोझ को कम करने में भूमिका भी अदा करते हैं।
इधर के सालों में अमेरिका का साझा कपड़ा प्लेटफार्म लड़कियों के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ है। उपभोक्ता मासिक फ़ीस देने के बाद इस साझा कपड़ा प्लेटफार्म के सदस्य बन सकते हैं, फिर प्लेटफार्म पर कपड़े उधार ले सकते हैं। इस प्लेटफार्म पर लोग बहुत कम पैसे में कई कपड़ों को पहनने का अधिकार पा सकते हैं। चाहे मशहूर ब्रांड वाले कपड़े हों या प्रसिद्ध दिजाइनरों की पोशाक, आम लोग सब चुन सकते हैं। लेकिन साझा कपड़ा प्लेटफार्म की कमियां भी हैं। लोग चिंतित हैं कि कपड़ों के स्वास्थ्य व सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती। इसलिए उपभोक्ता आम तौर पर अहम पार्टियों या त्योहारों के अवसर पर फ़ैशनबल या महंगे पोशाकों को उधार लेते हैं, जबकि बहुत कम लोग स्वास्थ्य के जोखिम से दैनिक पोशाक उधार लेते हैं।
स्पेन में एक किस्म का साझा फ़्रिज है, जिसके डिजाइन का मकसद कस्बों के लोगों को एकजुट करके एक दूसरे को मदद देना और अनाज की किफायत करना है। कोई भी व्यक्ति घर में अतिरिक्त खाद्य पदार्थों को फ़्रिज में रख सकते हैं। जो लोग ये खाद्य पदार्थ चाहते हैं तो फ़्रिज से ला सकते हैं। स्वास्थ सुरक्षा की गारंटी देने के लिए कच्ची मछली, मांस व अंडे को फ़्रीज में नहीं रखा जा सकता है। सभी खाद्य पदार्थों पर शेल्फ लाइफ की तिथि लिखी जाती है। हर 4 दिन में फ़्रिज खाली किया जाता है। रेस्तरां में जो बचे हुए व्यंजन व केक होते हैं, उन्हें भी इस फ़्रीज़ में रखा जाता हैं। कुछ स्थानीय वृद्ध महिलाएं कस्बे के गरीब लोगों को मदद देने के लिए टोस्ट को भी फ़्रीज में रखती हैं। अब साझे फ़्रीज की सार्वजनिक परियोजनाएं कई देशों में शुरू हो चुकी हैं। लोग खाद्य पदार्थ शेयर करने के तरीके से परोपकार कार्य करते हैं। इससे न सिर्फ संसाधन की किफ़ायत की जाती है, बल्कि विश्व की सद्भावना भी दिखती है।