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    आपका पत्र मिला 2017-06-21
    2017-06-21 17:08:49 cri

    अनिलः आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडेय का नमस्कार।

    ललिताः सभी श्रोताओं को ललिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः दोस्तो, आज के प्रोग्राम में हम सबसे पहले श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। इसके बाद सुनाए जाएंगे व्हट्सएप के जरिए हम तक जानकारी पहुंचाने वाले श्रोताओं के पत्र। लीजिए पहला पत्र शामिल करते हैं, जो कि आया है मॉनिटर सुरेश अग्रवाल का ओड़िशा से। लिखते हैं कि ताज़ा समाचारों के उपरान्त पेश साप्ताहिक "अतुल्य चीन" के तहत सीआरआई हिन्दी के अखिल पाराशर की हपये प्रान्त की यात्रा पर वेइतुंगजी द्वारा उनसे की गयी बातचीत महत्वपूर्ण लगी। बुलेट ट्रेन के ज़रिये चीन की राजधानी पेइचिंग से महज़ एक घण्टे की दूरी पर स्थित हपये प्रान्त की राजधानी शहर की निकट भविष्य में बदलने वाली तस्वीर के अलावा अखिलजी द्वारा वहां की एक फार्मास्यूटिकल कम्पनी; इलेक्ट्रिक कम्पनी और दुग्ध फ़ैक्ट्री के दौरे पर दी गयी सूक्ष्म जानकारी सूचनाप्रद लगी। महसूस हुआ कि चीन का चहुंमुखी विकास कितना तेज़ गति से हो रहा है। कार्यक्रम में आगे शिनच्यांग इस्लामिक कॉलेज की यात्रा पर गये तेरह देशों के प्रतिनिधियों द्वारा चीन में मुस्लिमों को प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता और इस्लामिक उग्रवाद से प्रभावित तुर्की और इंडोनेशिया जैसे देशों की स्थिति पर विचार व्यक्त किए। वास्तव में, उग्रवाद का धर्म से कोई वास्ता नहीं है और यह मानवता का सबसे बड़ा शत्रु है। कार्यक्रम सुन कर यह भी समझ में आया कि 'एक पट्टी एक मार्ग' पर आने वाले देशों की स्थिति कैसे शान्तिपूर्ण रहेगी।

    ललिताः कार्यक्रम "चीन-भारत आवाज़" के अन्तर्गत प्रोफ़ेसर बी.आर.दीपक से पंकज श्रीवास्तव द्वारा ली गयी संक्षिप्त भेंटवार्ता सुन कर भारत-चीन के बीच पर्यटन और सिनेमा की वर्त्तमान स्थिति और इन दोनों क्षेत्रों में आपसी सहयोग को कैसे बढ़ाया जाये, इस विषय पर महती चर्चा सुनने को मिली।

    कार्यक्रम "आर्थिक जगत" के तहत आर्थिक समाचारों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के अधिकार और उन्हें दी जाने वाली सुविधाओं के अलावा बैंक में खाता खोलने, योजनाओं से अधिक लाभ उठाने और ऋण भुगतान के बारे में महती जानकारी प्रदान की गयी। इसके अलावा भारतीय रेल विभाग द्वारा यात्रियों को दी जाने वाली विशेष सुविधाओं की घोषणा और ग्रामीण क्षेत्रों में नये रोज़गारों की योजना की चर्चा भी अहम् लगी।

    अनिलः सुरेश जी ने आगे लिखा है कि साप्ताहिक "नमस्कार चाइना" के तहत भारतीय सिनेकार शेखर कपूर द्वारा ब्रूस ली के जीवन पर बनायी जा रही फ़िल्म और जैकी चेन सहित कुंग फ़ू के दिग्गज सितारों पर महती जानकारी प्रदान की गयी। महानायकों का चीन स्तम्भ के अन्तर्गत चीन में 18वीं सदी के महान लेखक छा छ्वे छिन (नाम जैसा सुनाई पड़ा) और उनके सुप्रसिध्द उपन्यास 'लाल भवन सपना' पर अच्छी जानकारी दी गयी। जब कि -चीन की पांच शीर्ष सुर्ख़ियों में -चीन द्वारा ड्रोन लॉन्च किये जाने का समाचार; चीन में बारहवां चीन-दक्षिण एशिया मंच उद्घाटित; चीन में पहला चालकरहित मेट्रो लाइन का किया गया परीक्षण; चीन में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा वायु प्रदूषण कम करने विशेष वाहन चलाने की योजना और कोलकाता में चीनी कॉन्स्युलेट के सहयोग से 11 जून को दूसरे ड्रैगन बोट फेस्टिवल का आयोजन, आदि समाचार अहम् लगे।

    वहीं कार्यक्रम "चीनी कहानी" के अन्तर्गत लीला भट्ट द्वारा पेश 'असमान व्यवहार का कारण', 'शिन वो का सैन्य प्रशिक्षण' और 'पानी की बूँद पत्थर पर छेद बना सकती है' शीर्षक तीनों नीति-कथाएं हर बार की तरह आज भी शिक्षाप्रद लगीं। धन्यवाद।

    ललिताः वहीं साप्ताहिक "विश्व का आइना" के तहत चीन के चार मशहूर बेसिनों यथा: तरिम, जुंग्गर, काइदम और सछ्वान पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी। कार्यक्रम सुन कर यह भी ज्ञात हुआ कि अनगिनत पर्वतों, नदियों, मैदानों और बेसिनों वाले देश चीन का कुल क्षेत्रफल छियानवें लाख वर्गकिलोमीटर है। कार्यक्रम में आगे अज़रबैजान नामक जगह का ज़िक्र करते हुये बतलाया गया कि यह इलाका पहले रूस के अधीन था, वहां तीस हज़ार लोग रहते हैं और वर्ष 1870 में वहां तेल निकासी का काम शुरू हुआ। रिसैप्शन बाधित होने के कारण पूरी बात समझ में नहीं आयी, जिसका मुझे खेद है। कार्यक्रम में यह जानकारी भी दी गयी कि रोज़ाना बाल धोने से वह कमज़ोर पड़ जाते हैं और शैम्पू एवं कंडीशनर के अत्यधिक उपयोग से बालों को क्या नुक़सान हो सकता है। धन्यवाद् एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    अनिलः साप्ताहिक "आपका पत्र मिला" के तहत मैं एक श्रोता मित्र की टिप्पणी पर यह स्पष्टीकरण देना चाहता हूँ कि मेरा मक़सद यह कतई नहीं कि मेरे लम्बे-लम्बे पत्रों को कार्यक्रम में पढ़ा जाये। बस, मैं तो एक नियमित श्रोता और मॉनिटर के नाते प्रतिदिन ईमानदारी से रेड़ियो सुन कर उस पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया से सीआरआई को अवगत कर अपना कर्त्तव्य निभाता हूँ। मैं उन श्रोताओं में से नहीं हूँ, जिन्हें महज़ प्रतियोगिताओं के समय सीआरआई अच्छी लगती है। मेरी टिप्पणी अथवा प्रतिक्रिया सतही नहीं, बल्कि सीआरआई से प्रसारित कार्यक्रमों पर आधारित होती है। धन्यवाद्।

    सुरेश जी, आपने बिलकुल सही कहा। चाहे प्रतियोगिता हो या नहीं, आप हमेशा हमारे साथ जुड़े रहे हैं और नियमित टिप्पणी भेजते रहते हैं। आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए बहुत अहम है। हम आपका बहुत बहुत धन्यवाद अदा करना चाहेंगे। आशा है कि अन्य श्रोता भी हमें पत्र भेजेंगे और कार्यक्रम के बारे में अपनी राय हम तक पहुंचाएंगे। हम अवश्य ही आपके पत्रों को भी कार्यक्रम में शामिल करेंगे। धन्यवाद।

    ललिताः सुरेश जी लिखते हैं कि साप्ताहिक "बाल-महिला स्पेशल" के तहत पोलैण्ड के एक प्रान्त में गत 27 मई को आयोजित अंतर्राष्ट्रीय बाल-चित्र प्रदर्शनी और उसमें प्रदर्शित चीन के हुपये प्रान्त के चित्रकारों द्वारा बनाये गये चित्रों का ज़िक्र किया गया।

    "चीन का तिब्बत" के तहत छींगहाई प्रांत के गोलोक स्टेट माछीन काउन्टी स्थित प्रथम जातीय प्राइमरी स्कूल और वहां की लोकप्रिय अध्यापिका वान छून श्यांग पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी। ज्ञात हुआ कि काउन्टी में बर्फीले पहाड़ के पाँव पर स्थित और वर्ष 1959 में स्थापित माछीन प्रथम जातीय प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले कुल 940 छात्रों को पढ़ाने वाले अध्यापकों की संख्या 42 है और यह एक पूर्णकालिक स्कूल है। यहाँ पढ़ाने वाले अध्यापकों की गुणवत्ता काफी अच्छी है और छात्र अपने अध्यापकों का बहुत सम्मान करते हैं।

    अनिलः वहीं कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के तहत आज किसी विषय पर परिचर्चा के बजाय दक्षिण एशियायी देशों की ख़बरें सुनाई गयीं। जिनमें बांग्लादेश में भीषण बारिश और भूस्खलन से हुई मौतें; पाकिस्तान में फ़ेसबुक पर ईश-निंदा करने वाले शख़्स को सज़ा-ए-मौत; पाकिस्तान में हुई जनगणना और बन्नू में रहने वाले गुलज़ार खान का घर 57 बच्चों से गुलज़ार और उसकी और बच्चे पैदा करने की ख़्वाहिश; पाकिस्तान में गुलज़ार अकेले नहीं है, जान मोहम्मद के भी हैं 38 बच्चे; चीन के युन्नान प्रान्त की राजधानी खुनमिंग में 12 जून को आयोजित दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्वी एशियायी देशों के आर्थिक-सामाजिक विकास पर कृषि संगोष्ठी; नेपाल में शेरबहादुर देउबा एकबार फिर बने प्रधानमंत्री और आईसीसी क्रिकेट के अन्त्य में पाक-भारत की भिड़ंत 18 जून को, आदि समाचार महत्वपूर्ण लगे।

    साप्ताहिक "आपकी पसन्द" में श्रोताओं के पसन्दीदा फ़िल्म –दादा, बचपन, कर्ज़, पाकीज़ा, हिम्मतवाला और छोटी सी बात के छह गानों के साथ दी गई जानकारी भी अच्छी लगी। इसके अलावा एक सम्पूर्ण संतुलित और पोषक आहार क्या हो, इस पर आहार विशेषज्ञ डॉक्टर राम राजशेखरन के निष्कर्षों पर दी गयी जानकारी तो अच्छी थी, परन्तु भारत जैसे देश में निम्नवर्गीय तबके की बात तो छोड़िये, मध्यमवर्गीय लोगों के लिये भी यह व्यावहारिक नहीं है। इसका कारण है, जानते हुये भी किसी बात पर अमल न करना। वैसे किसानों के लिये CFTRI तकनीक, ओमेगा-3 पोषाहार, घीया के गुणों आदि पर दी गयी जानकारी अव्वल दर्ज़े की थी। एक अन्य जानकारी में एंड्रॉयड के आविष्कर्ता एंडी रुबिन द्वारा गूगल की नौकरी छोड़ एसेन्शियल नामक अपना स्मार्टफ़ोन बाज़ार में उतारे जाने का समाचार भी रुचिकर लगा।

    ललिताः 18 जून को अखिल पाराशर और सपनाजी द्वारा पेश 'फ़ादर्स डे' को समर्पित साप्ताहिक "सन्डे की मस्ती" का विशेषांक सुना। कार्यक्रम में पिता की महानता का गुणगान करते चीनी गीत के साथ-साथ अंग्रेज़ी और हिन्दी में भी कुछ इसी भाव वाले गीत सुनवाये गये। प्रस्तुति अच्छी थी, परन्तु हम भारतीयों के संदर्भ में साल के किसी एक दिन को 'फ़ादर्स डे' अथवा 'मदर्स डे' के रूप में मनाने का कोई महत्व नहीं रहता, क्यों कि हमारे यहाँ तो वर्ष के पूरे 365 दिन हर दिन की शुरुआत ही माता-पिता के चरण-स्पर्श अथवा उनके पुण्य-स्मरण से होती है। अज़ीबोग़रीब और चटपटी बातों के क्रम में चीन में ऑपरेशन के दौरान एक शख़्स के पेट से 30 इंच लम्बी और 13 किलो वज़नी गाँठ निकलने का समाचार हैरान करने वाला था। इसी तरह अमरीका के सैनफ्रांसिस्को में पचास डॉलर के ख़र्च पर चूहा कैफ़े में बैठ कर कॉफ़ी पीने का मज़ा और अमरीका में ही एक व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी को सरप्राइज देने हेतु गोदवाये गये बोलने वाले टैटू के बारे में दिया गया समाचार भी दिलचस्प लगा। कार्यक्रम में पेश प्रेरक कहानी वाला ऑडियो शिक्षाप्रद लगा। जब कि इस शुक्रवार रिलीज़ हुई हिन्दी फ़िल्म "बैंक चोर" की चर्चा के साथ उसका प्रोमो सुनवाया जाना और मज़ेदार ज़ोक्स में मेरे ज़ोक्स को स्थान दिया जाना मन को हर्षित कर गया। धन्यवाद् फिर एक अच्छी प्रस्तुति हेतु।

    धन्यवाद सुरेश जी, इतना ध्यान से हमें टिप्पणी भेजने के लिए।

    अनिलः दोस्तो, अब समय हो गया है व्हट्सएप के जरिए हमें कुछ रोचक जानकारियां भेजने वाले श्रोताओं के पत्रों को शामिल करने का। लीजिए पेश है छपरा बिहार से मार्क्स एंड माओ श्रोता क्लब के अजय कुमार सिंह की कविता।

    ज़िंदगी रहे ना रहे,

    दोस्ती रहेगी,

    पास रहे ना रहे,

    यादें रहेंगी,

    अपनी ज़िदगी में हमेशा हस्ते रहना,

    क्यूंकी आपकी हसी में 1 मुस्कान मेरी भी रहेगी...

    अजय जी, हमें कविता भेजने के लिए आपका बेहद शुक्रिया।

    लीजिए पेश है जमशेदपुर झारखंड से एस.बी.शर्मा का पत्र, जोकि स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों के बारे में है। जिसमें तिल के तेल के बारे में बताया गया है।

    यदि इस पृथ्वी पर उपलब्ध सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों की बात की जाए तो तिल के तेल का नाम अवश्य आएगा और यही सर्वोत्तम पदार्थ बाजार में उपलब्ध नहीं है, और ना ही आने वाली पीढ़ियों को इसके गुण पता हैं।

    🔹 क्योंकि नई पीढ़ी तो टी वी के इश्तिहार देख कर ही सारा सामान ख़रीदती है।

    और तिल के तेल का प्रचार कंपनियाँ इसलिए नहीं करती क्योंकि इसके गुण जान लेने के बाद आप उन द्वारा बेचा जाने वाला तरल चिकना पदार्थ जिसे वह तेल कहते हैं लेना बंद कर देंगे।

    तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है। प्रयोग करके देखें....

    🔹आप पर्वत का पत्थर लीजिए और उसमे कटोरी के जैसा खड्डा बना लीजिए, उसमे पानी, दूध, घी या तेजाब या कोई भी कैमिकल, ऐसिड डाल दीजिए, पत्थर में वैसा का वैसा ही रहेगा, कही नहीं जायेगा...

    🔹लेकिन... अगर आप ने उस कटोरी नुमा पत्थर में तिल का तेल डाल दीजिए, उस खड्डे में भर दिजिये.. 2 दिन बाद आप देखेंगे कि, तिल का तेल... पत्थर के अन्दर भी प्रवेश करके, पत्थर के नीचे आ जायेगा। यह होती है तेल की ताकत, इस तेल की मालिश करने से हड्डियों को पार करता हुआ, हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।

    🔹 तिल के तेल के अन्दर फास्फोरस होता है जो कि हड्डियों की मजबूती का अहम भूमिका अदा करता है।

    🔹और तिल का तेल ऐसी वस्तु है जो अगर कोई भी भारतीय चाहे तो थोड़ी सी मेहनत के बाद आसानी से प्राप्त कर सकता है। तब उसे किसी भी कंपनी का तेल खरीदने की आवश्यकता ही नही होगी।

    🔹तिल खरीद लीजिए और किसी भी तेल निकालने वाले से उनका तेल निकलवा लीजिए। लेकिन सावधान तिल का तेल सिर्फ कच्ची घाणी (लकडी की बनी हुई) का ही प्रयोग करना चाहिए।

    🔷तैल शब्द की व्युत्पत्ति तिल शब्द से ही हुई है। जो तिल से निकलता वह है तैल। अर्थात तेल का असली अर्थ ही है "तिल का तेल"।

    🔹तिल के तेल का सबसे बड़ा गुण यह है की यह शरीर के लिए औषधि का काम करता है.. चाहे आपको कोई भी रोग हो यह उससे लड़ने की क्षमता शरीर में विकसित करना आरंभ कर देता है। यह गुण इस पृथ्वी के अन्य किसी खाद्य पदार्थ में नहीं पाया जाता।

    🔹सौ ग्राम सफेद तिल 1000 मिलीग्राम कैल्शियम प्राप्त होता हैं। बादाम की अपेक्षा तिल में छः गुना से भी अधिक कैल्शियम होता है।

    काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो रक्तअल्पता के इलाज़ में कारगर साबित होती है।

    🔷तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है।

    तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एंटी-ऑक्सीडेंट है जो इसे ऊँचे तापमान पर भी बहुत जल्दी खराब नहीं होने देता। आयुर्वेद चरक संहित में इसे पकाने के लिए सबसे अच्छा तेल माना गया है।

    🔷तिल में विटामिन सी छोड़कर वे सभी आवश्यक पौष्टिक पदार्थ होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। तिल विटामिन बी और आवश्यक फैटी एसिड्स से भरपूर है।

    इसमें मीथोनाइन और ट्रायप्टोफन नामक दो बहुत महत्त्वपूर्ण एमिनो एसिड्स होते हैं जो चना, मूँगफली, राजमा, चौला और सोयाबीन जैसे अधिकांश शाकाहारी खाद्य पदार्थों में नहीं होते।

    🔹ट्रायोप्टोफन को शांति प्रदान करने वाला तत्व भी कहा जाता है जो गहरी नींद लाने में सक्षम है। यही त्वचा और बालों को भी स्वस्थ रखता है। मीथोनाइन लीवर को दुरुस्त रखता है और कॉलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखता है।

    🔷तिलबीज स्वास्थ्यवर्द्धक वसा का बड़ा स्त्रोत है जो चयापचय को बढ़ाता है।

    यह कब्ज भी नहीं होने देता।

    तिलबीजों में उपस्थित पौष्टिक तत्व, जैसे-कैल्शियम और आयरन त्वचा को कांतिमय बनाए रखते हैं।

    🔷तिल में न्यूनतम सैचुरेटेड फैट होते हैं इसलिए इससे बने खाद्य पदार्थ उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है।

    सीधा अर्थ यह है की यदि आप नियमित रूप से स्वयं द्वारा निकलवाए हुए शुद्ध तिल के तेल का सेवन करते हैं तो आप के बीमार होने की संभावना ही ना के बराबर रह जाएगी।

    एस.बी.शर्मा जी, हम तक यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंचाने के लिए आपका शुक्रिया। दोस्तों, अगर आपके पास भी कोई जानकारी हो, चुटकुला हो, या सूचना हो, तो हम तक व्हट्सएप के जरिए पहुंचा सकते हैं। धन्यवाद।

    अनिलः दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडेय और ललिता को दीजिए इजाजत, नमस्कार।

    ललिताः बाय-बाय।

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