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आप की पसंद 170617
2017-06-20 14:47:01 cri

पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

अंजली – श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईशी पत्र लिख भेजा है युनिवर्स यूथ क्लब बाजिदपुर चंग्वारा, दरभंगा, बिहार से शंकर प्रसाद शंभू, रंजू मुखिया, महावीर मुखिया, लाल किशोर मुखिया, अमित कुमार, अर्चना आलोक, अजित कुमार आलोक, दीपू कुमार मुखिया ने आप सभी ने सुनना चाहा है दादा (1979) फिल्म का गाना जिसे गाया है यसुदास ने गीतकार हैं ऊषा खन्ना और संगीत दिया है रविन्द्र जैन ने और गीत के बोल हैं -----

सांग नंबर 1. दिल के टुकड़े टुकड़े कर के ....

पंकज - क्या आपको खाने में सुपरफूड की जरूरत है ?

भारत में ये सवाल इतनी बार पहले कभी नहीं पूछा गया होगा. क्या हमारा खान-पान सही है?

जाहिर है इसका जवाब ना में ही है. जब आप किसी फूड साइंटिस्ट से इसके बारे में पूछेंगे तो उनका जवाब भी इनकार में होगा.

भारत में खाये जाने वाले सबसे अच्छे खाने में अमूमन 65 फीसदी तक स्टार्च, 15 से 20 फीसदी प्रोटीन और 8 से 12 फीसदी के करीब वसा होता है.

लेकिन ज्यादातर भारतीय 80 फीसदी स्टार्च, 7 से 8 फीसदी प्रोटीन खाते हैं और खाने में वसा की मात्रा बढ़कर 6 से 15 फीसदी हो जाती

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के सेंट्रल फूड एंड टेक्नॉलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएफटीआरआई), मैसूर के डायरेक्टर प्रोफेसर राम राजशेखरन ने बताया, "हम न केवल ज्यादा वसा खा रहे हैं बल्कि सस्ता भी खा रहे हैं. ये पॉम ऑयल हो सकता है या ज्यादा प्रोसेस्ड किया गया तेल. हमें इसे बदलने की जरूरत है. हमें खान-पान के पुराने तौर-तरीकों की तरफ लौटने की जरूरत है जिनमें सबसे अच्छे भारतीय खाने को बढ़ावा दिया जाता था."

अंजली – मित्रों अगर हम वैज्ञानिकों की मानें तो हमारे स्वस्थ जीवन का राज़ संतुलित आहार में छिपा है .... इसी के साथ मैं अगला पत्र उठा रही हूं जो हमारे नियमित श्रोता ने हमें लिखा है हरिपुरा झज्जर, हरियाणा से आप हैं प्रदीप वधवा, आशा वधवा, गीतेश वधवा, मोक्ष वधवा, निखिल वधवा और यश वधवा, आप सभी ने सुनना चाहा है फिल्म बचपन (1970) का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं आनंद बख्शी संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं ----

सांग नंबर 2. आया रे खिलौनेवाला आया रे .....

पंकज - सुपरफूड

भारत के जाने-माने फूड एक्सपर्ट प्रोफेसर राजशेखरन ऐसा कहने वाले अकेले नहीं हैं जो ये कह रहे हैं कि भारतीयों को तेल-घी खाना बंद कर देना चाहिए या फिर अच्छी वसा के खपत को कंट्रोल करना चाहिए.

वास्तव में उन्हें ये कहना पड़ा, "घी अच्छा खाना है. लेकिन अगर आपका कॉलस्ट्रोल लेवल हाई है तो आप को घी खाना बंद कर देना चाहिए. इसे इस नजर से भी देखिए कि अगर भगवान कृष्ण चुरा कर घी खा रहे थे तो इसे अच्छा होना चाहिए."

लेकिन प्रोफेसर राजशेखरन सबसे अच्छे भारतीय खाने की उस खूबी के बारे में बताते हैं जिसके बारे में आम लोगों की समझदारी ज्यादा नहीं है. ये ओमेगा-3 फैटी एसिड है.

शाकाहारियों को आहत होने की जरूरत नहीं है. वे मछली या मछली का तेल खाने की सलाह नहीं दे रहे हैं. कुछ मांसाहारी लोग भी मछली का तेल खाने के नाम पर नाक-भौंह सिकोड़ सकते हैं.

अंजली – मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं दौलतबाग, मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश से जाफ़र हुसैन, नईमा बेगम, कासिम अली, नदीम अली, जुनैद अब्बासी और इनके साथी आप सभी ने सुनना चाहा है कर्ज़ (1980) फिल्म का गाना जिसे गाया है मोहम्मद रफ़ी ने गीतकार हैं आनंद बख्शी संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं -----

सांग नंबर 3. दर्दे दिल ......

पंकज - प्रोफेसर राजशेखरन और सीएफटीआरआई में उनके सहयोगियों ने एक पौधे में ओमेगा-3 की सबसे ज्यादा मात्रा खोज निकाली है.

किसानों के पास तकनीक

इसमें प्रूचर मात्रा में प्रोटीन, खाने लायक फायबर, एंटी-ऑक्सिडेंट्स, विटामिंस और दूसरे खनिज पदार्थ.

चिया और कोनिया बीजों के लिए सीएफटीआरआई ने ये तकनीक किसानों को मुहैया कराई और उन्होंने बड़े पैमाने पर इसे उपजाना भी शुरू कर दिया है.

मैसूर के आस-पास के किसानों को ये तकनीक हासिल होने के बाद इसके नतीजे देखने को मिल रहे हैं. अब मध्य वर्ग के लिए चिया महंगा नहीं रह गया है.

प्रोफेसर राजशेखरन कहते हैं, "अगर आप अपने रोज के खाने में अधिकतम 15 ग्राम चिया के बीज लें तो ये बहुत अच्छा है. अगर आप हफ्ते में पांच बार भी चिया के बीज खाएं तो इससे भी काम चल जाएगा."

पिछले साल रिलीज हुए एक ग्लोबल स्टडी रिपोर्ट में बताया गया कि ओमेगा-3 के मामले में भारत खतरनाक स्तर पर पीछे है.

भारत में कुपोषण और मातृत्व स्वास्थ्य की जवाब चिया और क्विनोआ के बीजों में खोजा जा सकता है.

प्रोफेसर राजशेखरन का कहना है, "आपको केवल स्कूली बच्चों के दोपहर के खाने में इसे मिलाने या ऊपर से छिड़कने भर की जरूरत है या फिर इसे दूध या छाछ में मिलाइए ताकि कुपोषण और मातृत्व स्वास्थ्य की चुनौती से निपटा जा सके."

अंजली - श्रोता मित्रों हमारे कार्यक्रम में अगला पत्र आया है चंदा चौक अंधराठाढ़ी, ज़िला मधुबनी, बिहार से भाई शोभीकांत झा सज्जन, मुखियाजी हेमलता सज्जन और इनके परिजनों ने इनके साथ ही हमें पत्र लिख भेजा है मेन रोड मधेपुर, ज़िला मधुबनी से ही प्रमोद कुमार सुमन, रेनू सुमन और इनके मित्रों ने, आप सभी ने सुनना चाहा है पाकीजा (1972) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं कैफ़ी आज़मी संगीत दिया है गुलाम मोहम्मद ने और गीत के बोल हैं -----

सांग नंबर 4. चलते चलते यूं ही कोई मिल गया था .....

पंकज - क्विनोआ में प्रोटीन

चिया में प्रोटीन और वसा प्रचूर मात्रा में उपलब्ध है. ये वसा अच्छी क्वॉलिटी का है क्योंकि यह ट्रिग्लिसेराइड को खत्म करता है.

क्विनोआ में प्रोटीन के अलावा स्टार्च है और यह ग्लूटेन फ्री है. दोनों ही बीजों में पर्याप्त मात्रा में फायबर भी उपलब्ध है.

इन दोनों बीजों को खाने के और भी फायदे हैं. इससे दूसरे फायदों के अलावा दिल से लेकर ब्लड शुगर तक सभी दुरुस्त रहते हैं.

सीएफटीआरआई की इस तकनीक को अपनाने वाले किसान भी खुश नज़र आ रहे हैं.

किसानों का एक बड़ा समूह इसे अपना रहा है और वे खुद को रैथ्र मित्र फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी कहते हैं. यह कोई सहकारी समिति नहीं है.

इस कंपनी के चेयरमैन कुरुबुर शांताकुमार कहते हैं, "हमने पिछले साल इससे 80 किसानों को जोड़ा. वे बहुत खुश है. एक अगर एक एकड़ में वे 75,000 रुपया खर्च करते हैं और कम से कम 350 किलो उत्पादन करते हैं तो वे तकरीबन 60,000 रुपया मुनाफा कमा लेते हैं. हमारी कंपनी उनकी उपज खरीद लेती है और उनके लिए हम इसे बेचते हैं."

फसल तैयार होने में 90 से 120 दिन लगते हैं. क्विनोआ की औसत उपज 500 किलो से 700 किलो प्रति एकड़ है जबकि चिया 350 से 400 किलो प्रति एकड़ की दर से उपजता है.

चिया और कोनिया की खेती के और भी फायदे हैं. इसमें मोटे अनाज रागी की तुलना में कम पानी लगता है और जानवर भी इसे पसंद नहीं करते हैं. कीटनाशकों की भी इसे जरूरत नहीं है. ये ऐसे किसी भी इलाके में उपजाया जा सकता है जहां तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के करीब रहता हो.

अंजली - मित्रों इन दिनों हमें आपके ढेरों पत्र मिल रहे हैं जिसपर आप अपनी फरमाईश हमें लिख भेजते हैं, इससे हमें ये पता चलता है कि आप लोग अपने इस चहेते कार्यक्रम को कितना प्यार दे रहे हैं, आप हमें यूं ही पत्र लिखते रहिये जिससे हमारा और आपका ये रिश्ता हमेशा बना रहे, इसी के साथ मैं उठा रही हूं कार्यक्रम का अगला पत्र जिसे हमें लिख भेजा है पूज्य महात्मा गांधी रेडियो श्रोता संघ, पिपरही, ज़िला शिवहर, बिहार से मुकुंद तिवारी और इनके ढेर सारे मित्रों ने, आप सभी ने सुनना चाहा है हिम्मतवाला (1983) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और आशा भोंसले ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने और गीत के बोल हैं -----

सांग नंबर 5. ताकी ओ ताकी ....

पंकज - ऐंड्रॉयड बनाने वाले ने अब लॉन्च किया अपना फोन

गूगल के ऐंड्रॉयड सॉफ्टवेयर के 'कर्ताधर्ता' ऐंडी रूबिन ने अपाना खुद का स्मार्टफोन लॉन्च किया है। आपको बता दें कि रूबिन ने साल 2014 में गूगल की नौकरी छोड़ी थी व एक टेक्नॉलजी इनवेस्टमेंट कंपनी शुरू की थी। 'इसेंशल' उन कंपनियों में से एक है, जिसने इसे वित्तीय मदद दी है। 'इसेंशल फोन' एक स्मार्टफोन के तौर पर इसका पहला उत्पाद होगा।

यह डिवाइस ऐंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर बेज्ड है व यूएस में यह 699 डॉलर ( तकरीबन 45101.23 रुपये) में बिकना शुरू हो गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पहले से स्थापित ब्रैंड्स के सामने यह मजबूती से खड़ा रह पाएगा भी, इस पर संदेह है। स्मार्टफोन बाजार में मौजूदा सर्वाधिक शेयर सैमसंग (21%) का है, इसके बाद ऐपल 14% पर जमा हुआ है।

इस फोन की कीमत के लिहाज से लोग इसे लेकर संदेह कर रहे हैं कि कैसे यह बाजार में मौजूद सस्ते और अच्छे फोन्स से टक्कर ले पाएगा। फोन की खूबियों की बात करें तो इसमें 2 बिल्ट इन रियर कैमरे हैं, फ्रंट फेसिंग सेल्फी कैमरा है, जिससे सेल्फी मोड में किसी भी तरह की लाइट सिच्युएशन को हैंडल किया जा सकता है।

रूबिन ने वादा किया है कि फोन को टिटैनियम से लैस रखा गया है, जिससे इस फोन को बाहरी कवर की बिल्कुल जरूरत नहीं होगी। आपको बता दें कि गूगल भी अपने स्मार्टफोन्स को पिक्सल ब्रैंडनेम के साथ लॉन्च कर चुका है, जो बाजार में खासा लोकप्रिय हैं।

अंजली – कार्यक्रम में अलगा पत्र हमें लिख भेजा है गुलशन रेडियो श्रोता संघ, कस्बा हाफ़िज़गंज, ज़िला बरेली, उत्तर प्रदेश से शकील अहमद इदरीसी, पप्पू भाई इदरीसी, इशरत जहां इदरीसी, जुबैद अहमद, जुनैद अहमद, अशद अहमद, आशकारा, बेबी ईशा, गुड़िया ने आप सभी ने सुनना चाहा है छोटी सी बात (1976) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं योगेश और संगीत दिया है शलिल चौधरी ने और गीत के बोल हैं ----

सांग नंबर 6. न जाने क्यूं होता है ये जिंदगी के साथ .....

पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

अंजली - नमस्कार।

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