मांगकाम काउटी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित है । मांगकाम काउटी अपनी विशेष संस्कृति और सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों से दूसरे क्षेत्रों के लोगों को आकर्षित कर रहा है । पर इस क्षेत्र में एक और विशेष उत्पाद--- वाइन यानी अंगूरी मदिरा भी देश भर में प्रसिद्ध है ।
आम तौर पर लोग यह मानते हैं कि तिब्बत में अंगूर का रोपण नहीं है और इसलिए वहां वाइन का उत्पादन भी नहीं किया जाता है । लेकिन तिब्बती पठार के पूर्वी भाग में स्थित मांगकाम काउटी में वाइन का खूब उत्पादन किया जा रहा है । और यहां उत्पादित वाइन प्रदेश के बाहर तक बेचता है ।
सुनाया गया है कि 19वीं शताब्दी में फ्रांस से आये मिशनरी ने मांगकाम में उपदेश करते हुए यहां अंगूर का रोपण शुरू किया था और यहां के निवासियों को अंगूरी मदिरा बनाने की तकनीक सिखायी । आज मांगकाम काउटी के यैनचिंग क्षेत्र में बहुत से लोग अंगूर बोने और अंगूरी मदिरा बनाने की कौशल हासिल कर चुके हैं ।
मांगकाम काउटी में तामेयूंग नामक एक बर्फ़ीले पहाड़ खड़ता है जिस के नीचे 32 वर्षीय युवक लोसूंग त्सेरिंग अपना वाइन कारखाना चलाते हैं । इस कारखाने में तिब्बत में सबसे मशहूर"तामेयूंग"अंगूरी मदिरा है ।
लोसूंग त्सेरिंग मांगकाम काउटी में जन्म हुआ था । सन 1996 में उन्हों ने उत्तरी चीन के थिएनचिन शहर में अध्ययन करना शुरू किया । बड़े शहर में समृद्धि की स्थितियों ने उन्हें बड़ी छाप छोड़ी । तब उन्हों ने सोचा, " बाहर की समृद्धि देखकर मैं ने अपनी जन्मभूमि की याद की थी । तब मैं ने सोचा कि अगर मेरा होमटाउन भी इतना विकसित हो तो अच्छा होगा। "
इस के बाद लोसूंग ने तिब्बत के छांगतु शहर में तीन साल अध्ययन किया । बड़े शहरों के मुकाबले में तिब्बत के छोटे शहरों का बड़ा फर्क है । तब उन्हों ने सोचा, " बाहर की तुलना में यहां बहुत पिछड़ा हुआ है, मेरे दिल में जो कल्पना है, उसे वास्तविकता से दबाया गया ।"
उस समय लोसूंग के भाई बहिन सब स्कूल में पढ़ रहे हैं । घर में मां-पापा को भारी बोझ उठाना पड़ा था । परिवार का बोझ अपने कंधे पर रखकर लोसूंग को कालेज में अध्ययन को छोड़ना पड़ा । लेकिन केवल श्रम करने से परिवार के जीवन स्तर को उन्नत करना मुश्किल था । सो लोसूंग ने ऋण लेकर एक ट्रक खरीद किया और मांगकाम में परिवहन का काम शुरू किया । एक साल बाद वे मांगकाम से ल्हासा तक यात्री परिवहन करने लगे । परिवहन चलने में काफी मुनाफा प्राप्त करने के बाद लोसूंग ने सन 2007 में काउटी में एक जौ शराब कारखाना खरीद किया और तामेयूंग के ट्रेडमार्क से अपना वाइन का उत्पादन शुरू किया ।
अपने व्यावसायिक अनुभव की चर्चा करते हुए लोसूंग ने कहा,"हमारे क्षेत्र में शराब बनाने का तीन सौ वर्ष इतिहास है । पहले बहुत से लोग अपने घर में खुद अंगूरी मदिरा बनाते रहे थे । लेकिन उन्हें बाजार में यह शराब बेचने का विचार नहीं था । मैं ने कारखाना रखने के बाद राष्ट्रीय मानक के मुताबिक वाइन का उत्पादन शुरू किया और इसे बाजार में दाखिल करने का प्रयास किया । पर इस कार्यक्रम में बहुत सी कठिनाइयां थीं ।"
परिवहन और शराब बनाना बिल्कुल अलग बात है । वाइन का उत्पादन करने में कितनी कठिनाइयां मिली हैं वह एक लम्बी कहानी है । इसी दौरान लोसूंग को अपने परिवारजनों की तरफ से बड़ी मदद प्राप्त हुई । लोसूंग अपने मां-पापा और पत्नी के समर्थन के प्रति बहुत आभारी हैं । उन्हों ने कहा,"मैं अपने परिवारजनों को आभारी हूं । पिता जी ने मेरे कारखाने में अपने सभी बचत डाल दी है और मां व पत्नी ने भी पूरी शक्ति से मेरा समर्थन किया । घर में कामकाज और बच्चों की देखभाल करने आदि के मामले उन्हों ने सब ले लिये ।"
सन 2009 में लोसूंग ने उत्तर-पश्चमी चीन के कृषि और वानिकी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ वाइन में अध्ययन शुरू किया । वहां उन्हों ने अपने सहपाठी, शराब विशेषज्ञ डाक्टर काओ च्ये से संबंध कायम किया । काओ च्ये ने लोसूंग के साथ अपने संबंधों की चर्चा करते हुए कहा,"जब मैं कालेज में अध्ययन करता था, तब मैं ने तिब्बत में अंगूर बोने या वाइन बनाने की जानकारियां कभी नहीं पढ़ीं । लोसूंग तब हमारे कालेज में एक मात्र ही तिब्बती छात्र था , मैं ने उन के साथ संपर्क रखा और उन्हों ने मुझे अपने यहां बुलाया ।"
काओ च्ये ने लोसूंग के साथ सहयोग करने की बात बताते हुए कहा कि मांगकाम काउटी का यैनचिंग क्षेत्र अंगूर बोने और वाइन बनाने के लिए सही जगह है । यहां का मौसम, धूप, तापमान और पानी आदि अंगूर बोने के लिए मददगार है । पौधे उगने में कीट और रोग होने की स्थिति भी अच्छी होती है ।
काओ च्ये की मदद में लोसूंग ने अपने कारखाने में प्रयोगशाला, कार्यशाला और पैकेजिंग कार्यशाला कायम रखे और अपने उत्पादों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा व गुणवत्ता के निरीक्षण से उत्तीर्ण किया । सन 2009 के अक्तूबर को लोसूंग के कारखाने ने राष्ट्रीय मानक के मुताबिक प्रथम बैच के वाइन का उत्पादन किया जिससे तिब्बत के इतिहास में कीर्तिमान कायम रखा गया ।
लोसूंग ने कहा,"अभी तक हमारे कारखाने में कुल दो लाख से अधिक बोतल वाइन उत्पादित हो चुके हैं । उत्पादन मूल्य कई करोड़ युवान तक रहा है और बाजार में हमारे उत्पाद अत्यंत लोकप्रिय होते हैं । सरकार ने हमारे उत्पाद को सरकारी रिसेप्शन के लिए विशेष वाइन तय किया है ।"
आज लोसूंग के कारखाने ने आसपास के किसानों के साथ सहयोग शुरू किया यानी कि वे किसानों की तरफ से अंगूर खरीदकर वाइन बनाते हैं और किसानों को भी कारखाने की तरफ से लाभ मिलेगा । कारखाने ने किसानों के साथ दीर्घकाल के अंगूर रोपण व खरीद फरोख्त समझौते संपन्न किये । बहुत से किसान अंगूर बोने से अमीर बन गये हैं । किसान त्साशी ने कहा,"मैं ने सन 2009 में कंपनी के साथ समझौता संपन्न किया था । मैं एक मू के अंगूर खेती से बारह हजार युवान की आय प्राप्त कर सकता हूं । मेरे परिवार में छह सदस्य हैं, पर सिर्फ मैं काम करता हूं । लेकिन अंगूर बोने की आय से सारे खर्च को पूरा कर सकता है ।"
लोसूंग ने कहा कि मैं सारी दुनिया को बताना चाहता हूं कि तिब्बत के स्वच्छ वातावरण में सबसे मधुर वाइन का उत्पादन किया जा सकता है । और मैं अपने उत्पादों को विश्व प्रसिद्ध ब्रांड बनाना चाहता हूं ।
मांगकाम काउंटी के बारे में कुछ विस्तृत जानकारियां
मांगकाम काउटी तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित है । वह छांगतु शहर के अधीन होती है । मांगकाम काउटी 11 हजार वर्ग किलोमीटर विशाल है और इस की जनसंख्या 73 हजार से अधिक होती है । मांगकाम में सुन्दर प्राकृतिक दृश्य मौजूद है और यहां अनेक ऐतिहासिक व प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र भी स्थापित किये गये हैं ।
युवान राजवंश में मांगकाम क्षेत्र को केंद्र शासन के तहत रखा गया था और मींग राजवंश में केंद्रीय शासन कायम किया गया था । नये चीन की स्थापना के बाद सन 1965 में मांगकाम काउटी औपचारिक तौर पर स्थापित की गयी थी । अब काउटी में कुल 24 टाउनशिप रखे हुए हैं ।
मांगकाम काउटी पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित है जिस की औसत ऊँचाई 4317 मीटर होती है । मांगकाम में समशीतोष्ण जलवायु होने से गर्मियों में ज्यादा बरसात होती है और सर्दियों में अधिक ठंडा है । पर कभी कभी सूखा, बाढ़ और भूस्खलन का मुकाबला करना पड़ता है ।
मांगकाम काउटी में चीन की मशहूर नदी जैसे चिनशा नदी, लैनछांग नदी और उन की 70 से अधिक शाखाएं भी बहती हैं । दोनों नदियों के 250 वर्ग किलोमीटर विशाल क्षेत्र में बहुत सी झीलें भी जन्म होने लगी हैं । मांगकाम काउटी में सोना, चांदी, सीसा, रेत , तेल, सल्फर, जिप्सम और ग्रेफाइट आदि खनिज पदार्थों के अलावा बहुत से जंगली जानवर और जड़ी-बूटी भी रहते हैं ।
मांगकाम काउटी में 98 प्रतिशत लोग तिब्बती हैं और इन के साथ हान, नाशी, पाई और म्याओ जातीय लोग भी रहते हैं । कृषि और चारागाह काउटी के प्रमुख उद्योग हैं । सरकार के निरंतर प्रयास के जरिये अब काउटी में 80 स्कूल स्थापित हो गये हैं जिनमें दो मिडिल स्कूल भी हैं । छात्रों की संख्या 12 हजार छह सौ से अधिक रहती है और छात्रों की भर्ती दर 99 प्रतिशत तक जा पहुंची है । मांगकाम काउटी में चिकित्सा बीमा की कवरेज दर 98 प्रतिशत तक रही है और अधिकांश लोगों को पेंशन व बेरोजगारी बीमा की शामिली करवाया गया है ।
मांगकाम में तिब्बती लोग गायन और नृत्य पर अच्छे रहते हैं । यह कहना है कि वहां के लोग जो बात बोलते हैं वह गाना गाते हैं, और जो चल सकते हैं वह नृत्य नाच सकते हैं । मांगकाम में दो लोक नृत्य देशभर मशहूर हैं यानी श्वैनत्सी और गोच्वांग । वर्ष 2006 में उन्हें राष्ट्रीय गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत की नामसूची में शामिल कराया गया है ।
मांगकाम काउटी में समृद्ध पर्यटन संसाधन प्राप्त है । प्राचीन काल में मशहूर चाय-हार्स रोड भी यहां से गुजरता था । काउटी में बर्फ़ीले पहाड़, महा घाटी, स्वर्ण बंदर संरक्षण क्षेत्र और स्पा आराम केंद्र आदि पर पर्यटकों को आकर्षित किया जा रहा है । मांगकाम काउटी में प्राकृतिक खारा कुआं से नमक बनाने के हस्त नमक उद्योग भी सुरक्षित हैं । काउटी में 320 परिवार आज भी नमक उत्पादन में लगे हुए हैं । इस के अलावा काउटी में 70 से अधिक गर्म पानी के झरने भी फैलते हैं । बहुत से लोग यूननान प्रांत से यहां आकर प्राकृतिक गर्म पानी से स्नान करने आते हैं ।
( हूमिन )