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    गोलोक जातीय प्राइमरी स्कूल में अध्यापिका वान छून श्यांग
    2017-06-12 14:12:37 cri

    छींगहाई प्रांत के गोलोक स्टेट की माछीन काउटी का प्रथम जातीय प्राइमरी स्कूल इस काउटी के बर्फीले पहाड़ के पाँव पर स्थित है । स्कूल के दरवाज़े के सामने छात्रों की पाठ पढ़ने की आवाज़ सुन सकते हैं ।

    वर्ष 1959 में स्थापित माछीन प्रथम जातीय प्राइमरी स्कूल में कुल 940 छात्र पढ़ रहे हैं और उन के साथ 42 अध्यापक हैं । वह एक फुल टाइम दिन का स्कूल भी है । सुनाया जाता है कि माछीन प्रथम प्राइमरी स्कूल गोलोक स्टेट में सबसे सुन्दर ही है क्योंकि इसमें न सिर्फ सुन्दर मकान और मैदान प्राप्त हैं, बल्कि अध्यापकों की गुणवत्ता भी बहुत बढ़िया है । छात्रों ने अपनी अध्यापिका वान छून श्यांग की भुरि भुरि प्रशंसा करते हुए बताया,"हमारी अध्यापिका वान छून श्यांग हमारे लिए सूर्य की जैसी हैं । हमें उन की चीनी भाषा क्लास सीखना बहुत पसंद है । भविष्य में हम भी वान छून श्यांग के जैसे अध्यापक का काम करना चाहते हैं और उन के साथ-साथ काम करते रहेंगे ।" 

    दूसरे छात्र ने बताया कि हमारी अध्यापिका बहुत अच्छी आदमी है और वह हास्यपूर्ण और हंसमुख भी हैं । जभी हम ने गलती किया हो तो वह हमेशा खुले दिल हमारे साथ बातचीत करती हैं । और क्लास के बाहर वह हमारी अच्छी सहपाठी भी हैं ।

    वान छून श्यांग माछीन प्रथम जातीय प्राइमरी स्कूल में चीनी भाषा सिखाने वाली अध्यापिका है । और वह एक क्लास एडवाइसर भी हैं । वर्ष 2014 में उन्हें अपने श्रेष्ठ कार्यों से आदर्श अध्यापिका का पुरस्कार समर्पित किया गया । सरकार ने उन्हें नेता नियुक्त करना चाहा, पर उन्हों ने इनकार किया । और माछीन काउटी के जातीय मिडिल स्कूल ने उन्हें उप डाइरेक्टर बनाने का नियुक्ति पत्र दिया, उन्हों ने इसे स्वीकार नहीं किया । अपनी उम्मीद की चर्चा करते हुए वान छून श्यांग ने कहा,"मेरी उम्मीद ही है एक अध्यापिका बनना । क्लास रूम के पोडियम पर जब मैं खड़ा हूँ तब दिल में सुखमय लगता है । स्कूल में मैं कभी कभी रात तक काम करती रहती हूं और थक भी लगती है । मेरे बेटे की भी बार बार शिकायतें आती रही हैं । मेरे सेलफोन में कुल 1800 फोटो सुरक्षित हैं जिनमें 1600 स्कूल के ही हैं ।" 

    वान छून श्यांग का घर छींगहाई प्रांत के गोलोक क्षेत्र में ही है । उन के माता पिता भी इस क्षेत्र के स्कूलों में अध्यापक का काम करते हैं । परिवार के प्रभाव से उन्हों ने शीनींग शहर के अध्यापक कालेज में अध्ययन करना चुन लिया और स्नातक होने के बाद उन्हों ने अपनी जन्मभूमि के स्कूल में चीनी भाषा सिखाना शुरू किया । 17 सालों के लिए काम कर उन्हों ने अपने छात्रों को सबकुछ प्रदान किया और छात्रों के साथ घनिष्ठ भावना स्थापित की । उन्हों ने कहा कि टीचिंग से और अधिक महत्वपूर्ण बात है आदमी का प्रशिक्षण करना । अपने छात्रों की कहानी बताते हुए वान छून श्यांग ने कहा,"मैं अकसर अपने छात्रों को बता रही हूं कि परीक्षा में एक सौ का अंक प्राप्त करना महत्वपूर्ण नहीं है, जो बड़ी बात है एक अच्छा आदमी बनना । मैं अपने छात्रों के साथ छह सालों के लिए रह चुकी हूं अब वे स्नातक होने वाले हैं । इन से बिदा देने की बात सोचकर मुझे बहुत दुःख लगी है ।"

    वान छून श्यांग ने कहा कि वह सदा के लिए अध्यापिका बनना और यथासंभव अधिक छात्र सिखाना चाहती हैं । और अपने छात्रों के भविष्य के लिए लाभकारी शिक्षण अनुभव तैयार करना चाहती हैं । गोलोक क्षेत्र में वान छून श्यांग के जैसे अध्यापक बहुत हैं । उन्हों ने छात्रों के भविष्य के लिए अपने विकास अवसर भी छोड़ दिया है । छींगहाई प्रांत के शिक्षा विभाग के उप प्रधान यांग फ़ा यू ने कहा,"छींगहाई प्रांत एक ऐसा स्थल है जहां सर्दियों का समय बहुत लम्बा है और सर्दियों के दिनों में तापमान बहुत निम्न है । कुछ क्षेत्रों में कोयले की आपूर्ति भी नहीं है । लोग लकड़ी या यहां तक गोबर जलाते हुए गरम करते हैं । हमारे अध्यापकों को इसी कठिनाइयों का सामना करना ही है । उन का काम सचमुच प्रशंसनीय होता है ।"

    यह भी चर्चित है कि छींगहाई प्रांत में शिक्षा का विकास करने में सबसे मुश्किल है कुछ सुनसान तिब्बती क्षेत्रों में जातीय शिक्षा का विकास करना । क्योंकि अध्यापकों को ऐसे मुश्किल और दूरदराज के क्षेत्रों में भेजना भी कोई आसान काम नहीं है । इसी समस्या का समाधान करने के लिए छींगहाई प्रांत की सरकार ने अध्यापकों की जीवन स्थितियों का सुधार करने में बहुत से काम किये । छींगहाई प्रांत के शिक्षा विभाग के पदाधिकारी छंग च्वन ने कहा,"हम ने अध्यापकों की गणवत्ता को उन्नत करने के लिए कोशिश की है । वर्ष 2016 से हम ने प्रांत में द्विभाषी अध्यापकों का निःशुल्क प्रशिक्षण शुरू किया । उस समय हम ने 32 अध्यापकों का प्रशिक्षण किया । इस वर्ष यह संख्या 240 तक जा पहुंची है । इस के सिवा हम ने ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले अध्यापकों का वेतन बढ़ाया जाएगा । ग्रामीण अध्यापकों के लिए सम्मान प्रणाली रखी जाएगी । मिसाल के तौर पर गोलोक स्टेट में ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे अध्यापकों को कई हजार युवान का इनाम दिया जा रहा है ।"

    ग्रामीण शिक्षकों को पुरस्कार करने का उद्देश्य शिक्षा विकास करना ही है । इस सवाल की चर्चा करते हुए यांग फ़ा यू ने कहा,"हम क्यों ग्रामीण अध्यापकों को इतना ज्यादा पुरस्कार करते हैं क्योंकि हम गोलोक और यूशू जैसे मुश्किल क्षेत्रों में शिक्षकों की स्थिरता बनाये रखना है । हम अध्यापकों को सम्मान और गौरव की भावना बिठाने के लिए अथक प्रयास करेंगे ।"

     ( हूमिन )

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