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    शांग्री-ला में कॉस्मिक रे वेधशाले का निर्माण होगा
    2017-06-08 09:10:54 cri

     

    कॉस्मिक रे का अनुसंधान अंतर्राष्ट्रीय भौतिकी समुदाय में सदी रहस्य कहा जाता है । कॉस्मिक रे का अनुसंधान करने के लिए हाल ही में दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत के अंतिम शांग्री-ला नामक डाओ-छंग शहर के हाईत्सीशान पर्वत पर कॉस्मिक रे वेधशाला का निर्माण किया जा रहा है । इस क्षेत्र में रहने वाले तिब्बती लोगों ने इस परियोजना का पूर्ण रूप से समर्थन किया है ।

    चीनी कॉस्मिक रे वेधशाले के प्रमुख वैज्ञानिक त्साऔचेन के अनुसार चीनी कॉस्मिक रे वेधशाले के निर्माण में वातावरण संरक्षण को बहुत महत्व दिया जाता है । इस के चलते बड़े पैमाने वाला निर्माण करने की पूरी शर्तें तैयार हो चुकी हैं ।

    वैज्ञानिकों ने वर्ष 1912 में ही कॉस्मिक रे का पता लगाया था लेकिन हम अभी तक कॉस्मिक रे के स्रोत के प्रति अज्ञात रहे हैं । अंतर्राष्ट्रीय भौतिकी समुदाय में कॉस्मिक रे का अनुसंधान करने की बड़ी रुचि मौजूद है । त्साऔचेन ने कहा,"कॉस्मिक रे के सर्वेक्षण में हमें पता लगा है कि इसे उच्च ऊर्जा का वहन होता है । इसलिए हमें कॉस्मिक रे के अनुसंधान करने के जरिये नए भौतिक सिद्धांतों या तंत्र की खोज करनी चाहिये । मुझे विश्वास है कि इसी के जरिये हमारे वर्तमान ज्ञान प्रणाली पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा ।"

    चीनी वैज्ञानिकों ने सन 1959 के दशक में कॉस्मिक रे का अनुसंधान शुरू किया था और दक्षिणी चीन के यूननान प्रांत तथा तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में कॉस्मिक रे वेधशाले का निर्माण किया था । वर्ष 2015 में चीन सरकार ने उच्च ऊंचाई क्षेत्र में कॉस्मिक रे वेधशाले का निर्माण करने का फैसला कर लिया । भावी चार सालों में इस वेधशाले में हजारों डिटेक्टर और दूरबीन लगाये जाएंगे । चीनी विज्ञान अकादमी के उच्च ऊर्जा भौतिकी संस्थान के प्रधान लो श्याओ-आन ने कहा,"यह हमारे देश के दक्षिण पश्चिमी भाग में सुरक्षित सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपकरण और इस का निर्माण विश्व में भी सबसे उन्नतिशील माना जाता है ।"

    चीन के सछ्वान प्रांत का डाओ-छंग शहर बर्फ से ढके पहाड़ों, साफ साफ नदियों और रसीला वनस्पतियों से विश्व का अंतिम शांग्री-ला कहा जाता है । कॉस्मिक रे वेधशाले का निर्माण स्थल यहीं तय हुआ है । भविष्य में वेधशाले में पठार पारिस्थितिकी और जीव विज्ञान आदि का अध्ययन भी किया जाएगा । परियोजना कार्यालय के प्रधान लोरूंग दोर्गी ने कहा,"परियोजना लागू करने से इस क्षेत्र के प्राकृतिक वातावरण पर प्रभाव नहीं पड़ेगा । क्योंकि वेधशाले का निर्माण राष्ट्रीय वातावरण संरक्षण के मापदंड के तहत किया जाएगा । जंगली जानवरों, पानी स्रोत और घास मैदान के प्रति अगर प्रभाव पड़ेगा तो हम तुरंत ही बहाली करने की कोशिश करेंगे ।"

    लोरूंग दोर्गी ने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में रहने वाले तिब्बती लोग कॉस्मिक रे वेधशाले के निर्माण का समर्थन करते हैं ।"तिब्बती जाति की संस्कृति में यूनिवर्स, समय और अंतरिक्ष जैसे तत्व भी मौजूद हैं । कॉस्मिक रे का अनुसंधान करने से मानव को लाभ पहुंचाएगा । अगर इससे हमारे जीवन और धर्म का उल्लंखन नहीं होता, तो लोग इस का स्वागत करते हैं ।"

    चीनी कॉस्मिक रे वेधशाले के प्रमुख वैज्ञानिक त्साऔचेन ने कहा कि चीन विश्व में सबसे पहले खगोलीय प्रेक्षण और रिकॉर्ड करने वाले देशों में से एक है । कॉस्मिक रे वेधशाले के निर्माण से चीन के खगोल विज्ञान अनुसंधान को आगे बढ़ावा मिलेगा । भविष्य में चीन दूसरे देशों के साथ-साथ कॉस्मिक रे का अनुसंधान करेगा ।

    योजनानुसार चीन के उच्च ऊंचाई क्षेत्र में कॉस्मिक रे वेधशाले का निर्माण वर्ष 2021 में समाप्त किया जाएगा । परियोनजा में फ्रांस, इटली, रूस, स्वीजरलैंड और थाइलैंड के अनुसंधानकर्ताओं की भी शामिली हो जाएगी । बाद में यहां चीन के नेतृत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय कॉस्मिक रे अनुसंधान केंद्र की स्थापना भी हो जाएगी ।

    ( हूमिन )

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