चीन के पेइचिंग में मीनाकारी शिल्प की एक विशिष्ट विधि है जो जिंगथाई लान से विश्वविख्यात है। जिंगथाईलान अंग्रेजी में क्लोइसोने या एनैमल कहलाता है। वह मिंग राजवंश के जिंगथाई काल (1450-1457 ईस्वी)में विकसित हुआ था। तत्काल इस प्रकार के बर्तन पर तामचीनी की कलई का रंग नीयम की भांति नीला चमकता था, इसलिए इस क्लोइसोने की शिल्प कला जिंगथाई लान यानी जिंगथाई नीला भी कहलाती है।
उत्तम क्लोइसोने का बर्तन बनाने में आम तौर पर 30 से अधिक कारीगरी की प्रक्रियाएं होती हैं। सर्वप्रथम कारीगर कच्चे माल ताम्र को बोटल, लोटे और मंजुषा जैसे पात्र के रूप में ठोंककर बनाता है, इस के बाद बाल जितने पतले ताम्र तारों को कच्चे पात्र पर जड़ित कर सुन्दर चित्र तैयार किया जाता है और विभिन्न रंगों की ग्लोज्ड कलई लगायी जाती है और भट्टी में चार पांच बार आंच से तपाया जाता है। भट्टी में से निकलने के बाद उसे चमकाया जाता है और सोने का मुलम्मा चढाया जाता है। इस प्रकार एक खूबसूरत कांतिदार कलाकृति सामने आ गयी है।
अनूठे राष्ट्रीय विशेषता वाले पेइचिंग क्लोइसोने के बर्तन अस्तित्व में आने के बाद ही मिंग और छिंग दो राजवंशों के राजमहल में सजावट की पसंदीदा कला कृति बन गये। सन् 1904 में अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व मेले में पेइचिंग के क्लोइसोने के बर्तन को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। अब तब प्राप्त हुआ सब से पुराना जिंगथाईलान बर्तन मिंग राजवंश के श्योन त्ये काल में उत्पादित हुआ था।
क्लोइसोने की कृतियां बोटल, लोटे और मंजुषे के रूप में सजावट के अलावा अनेकों दैनिक प्रयोग के लिए भी बनायी जा सकती हैं जैसे फुलदान, दीपाधार, सिगरेट डिब्बा, मदिरा पात्र और चाय पात्र इत्यादि। वर्तमान में चीनी क्लोइसोने की चीजें विश्व के विभिन्न देशों में बेची जाती हैं।