द्वान वू त्योहार के अवसर पर ज़ुंग ज़ खाना चीनी जनता की और एक परंपरा है। ज़ुंग ज़ को"च्याओ श्वू"या"थोंग ज़ुंग"भी कहा जाता है, जिस का पुराना इतिहास और विविध किस्में हैं।
ऐतिहासिक साहित्य के अनुसार वसंत शरत काल में वाइल्ड राइस के पत्तों में बाजरे के चावल को भैंस सींग के आकार में लपेट कर जो डाम्पलिंग बनाया जाता था, जिसे"च्याओ श्वू"कहलाता था। बांस के पाइप में चावल डालकर ताप देकर पकाये जाने वाले व्यंजन को"थोंग ज़ुंग"कहलाता था। पूर्वी हान राजवंश के अंतिम काल में घास व पेड़े के राख से तर पानी में बाजरे का चावल भिगोया जाता था। राख के पानी में क्षार होने से चतुर्कोणी आकार वाले पत्तल में लिपटे चावल को पकाया जाता था, इससे बनाये गये पकवान को क्वांग तुंग में च्येनश्वेई ज़ुंग (क्षारीय पानी वाला जुंग ज़) कहते थे।
जिन राजवंश में ज़ुंग ज़ औपचारिक रूप से द्वान वू त्योहार का नियत आहार तय किया गया। उस समय ज़ुंग ज़ बनाने में चेपदार चावल के अलावा चीनी औषधि ईज़ीरन ( एक किस्म की फ़्रूट गुठली) का भी इस्तेमाल किया जाता था। इस प्रकार से बनाए गए ज़ुंग ज़ को"ईज़ी ज़ुंग"कहा जाता था। जिन राजवंश के चो छू ने अपनी पुस्तक "य्योयांग के स्थानीय रीति रिवाज" में यह लिखा था,"रिवाज के अनुसार वाइल्ड राइस के पत्तों में बाजरे का चावल लपेटा जाता है, …… पानी में पकाने के बाद पंचम माह की 5 तारीख से उत्तरायण के दिन ( 21 जून के आसपास) तक इसे खाते हैं। इसे ज़ुंग या श्वू का नाम दिया गया है।" दक्षिणी व उत्तरी राज्य काल के दौरान ज़ा ज़ुंग बनाना शुरू हुआ। चावल में पशु पक्षी के मांस, चेस्टनट, बेर और लाल सेम आदि शामिल किया जाता था, इस की किस्में भी नाना प्रकार की थीं। साथ ही ज़ुंग ज़ द्वान वू त्योहार के दिन एक दूसरे को उपहार के रूप में भी भेंट दिया जाता था।
थांग राजवंश के काल में ज़ुंग ज़ में इस्तेमाल किए जाने वाला चावल जेड की तरह सफ़ेद व चिकना है, जुंग ज़ के रूपाकार में शंकु और सिंघाड़ा वाला भी आया था। जापान के ऐतिहासिक साहित्य में"ता थांग ज़ुंग ज़"( महान थांग राजवंश का जुंग ज़) का उल्लेख उपलब्ध है। सुंग राजवंश में"मुरब्बा ज़ुंग"का आविष्कार हुआ था यानी ज़ुंग ज़ में मेवा व किशमिश आदि डाला जाता था। कवि सू तुंगफो के काव्य में"ज़ुंग ज़ में कभी लाल बेबेरी भी दिखाई पड़ता है"का पद भी है। उस जमाने में लोग ज़ुंग ज़ को मंडप, महल और रथ व घोड़े के रूप में सजाकर विज्ञापन देते थे, जिस से जाहिर है कि सुंग राजवंश में ज़ुंग ज़ खाने का फ़ैशन बन चुका था। य्वान व मिंग राजवंशों में ज़ुंग ज़ बनाने के लिए वाइल्ड राइस के पत्ते की जगह रो येई (बांस कोंपल) के पत्ते का इस्तेमाल किया जाने लगा। बाद में नरकुल के पत्तों से लपेटे जाने वाला ज़ुंग ज़ पैदा हुआ। सहायक सामग्रियों में बीन पेस्ट, सुअर का मांस, पाइन बीज, बेर, अखरोट आदि भी आए थे। ज़ुंग ज़ की किस्में और ज्यादा व विविध हो गयी थीं।
आज तक हर चंद्र साल के पांचवे माह की शुरूआत में चीनी लोगों के घर घर में चेपदार चावल भिगोया जाता है, ज़ुंग ज़ लिपटाने के पत्ते पानी में धोए जाते हैं और ज़ुंग ज़ बनाए जाते हैं। ज़ुंग ज़ की विविध किस्में पायी जाती हैं। भराई की सामग्री से देखा जाए, तो उत्तरी चीन में ज्यादा छोटे लाल बेर वाले ज़ुंग ज़ बनाये जाते हैं, और दक्षिण चीन में बीन पेस्ट, सुअर मांस, हैम व अंडे की जर्दी आदि अनेक किस्मों की जुंग ज़ बनती हैं। जिन में चे च्यांग प्रांत के जा शिंग में उत्पादित ज़ुग ज़ सब से मशहूर है। ज़ुंग ज़ खाने की प्रथा हज़ारों वर्षों में चीन में प्रचलित है। साथ ही वह कोरिया, जापान व दक्षिण पूर्वी एशिया के विभिन्न देशों में भी पहुंच गयी है।