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सीआरआई भारतीय संवाददाता की हपेई यात्रा- स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करती एक चीनी कंपनी
2017-05-12 18:14:03 cri

 लेखक - अखिल पाराशर

ऊर्जा आर्थिक विकास की मूलभूत आवश्‍यकताओं में से एक है। समाज के हर क्षेत्र, चाहे वो कृषि हो, या उद्योग, परिवहन, व्‍यापार, घर हो, हर जगह ऊर्जा की आवश्‍यकता है। चीन, भारत जैसे विशाल और विकासशील देशों में प्रगति हुई है, तो इन क्षेत्रों में ऊर्जा की जरूरत बढ़ी है। ऊर्जा की इस बढ़ती हुई खपत जीवाश्‍म ईंधनों जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस पर निर्भरता बढ़ी है, जिनसे बिजली की आपूर्ति होती है।

परिणामस्‍वरूप पर्यावरण के प्रदूषण और स्‍वास्‍थ्‍य की समस्‍याओं के कारण इन जीवाश्‍म ईंधनों के उपयोग से स्‍वच्‍छ ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के विकास तथा उपयोगिता की जरूरत बढ़ी है। जीवाश्‍म ईंधनों की बढ़ती कीमतें और भविष्‍य में इनकी कमी के गंभीर संकट से ऊर्जा विकास के एक स्‍थायी मार्ग के सृजन की आवश्‍यकता महसूस की गई है। इसके लिए दो सर्वोत्तम मार्ग हैं - पह‍ला ऊर्जा संरक्षण को प्रोत्‍साहन देना और दूसरा पर्यावरण अनुकूल अक्षय ऊर्जा स्रोतों का इस्‍तेमाल करना।

सीआरआई के चीनी और विदेशी पत्रकारों ने हपेई प्रांत के लांगफांग क्षेत्र में स्थित ईएनएन समूह का दौरा किया, जो सतत विकास का समर्थन करने के लिए स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने पर केंद्रित है। इसका तेजी से बढ़ता प्राकृतिक गैस व्यवसाय है जो चीन में 152 से अधिक शहरों में आपूर्ति करता है।

साल 1989 में प्राकृतिक गैस वितरक और फुटकर विक्रेता के रूप में स्थापित हुआ यह समूह कोयला आधारित कम कार्बन ऊर्जा प्रौद्योगिकी, अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी, पर्यावरण प्रौद्योगिकी और सर्वव्यापी ऊर्जा नेटवर्क प्रौद्योगिकी के शोध और विकास पर काम करता है और एनएन के एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा समाधान के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करता है।

इस कंपनी का दौरा करने के दौरान हमने सूक्ष्मशैवाल तकनीक का जायजा लिया और समझा कि इस तकनीक का इस्तेमाल सूक्ष्मशैवाल के प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण और औद्योगिक और कृषि उत्पादन से उत्सर्जित गैसों को निकालने के लिए किया जाता है।

यह तकनीक राष्ट्रीय उच्च-प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास कार्यक्रम में सूचीबद्ध है और विशेष धन से समर्थित है। ईएनएन भीतरी मंगोलिया में राष्ट्रीय सूक्ष्मशैवाल जैविक ऊर्जा स्रोत औद्योगीकरण प्रदर्शन परियोजना का निर्माण कर रहा है।

ऊर्जा उत्‍पादन का भविष्‍य चुनौतियों से भरा हुआ है। अक्षय ऊर्जा प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्‍त की जाती है इसलिए इन प्रौद्योगिकियों को अपनाकर हम प्रदूषण को कम कर सकेंगे और हमारे राष्‍ट्र के हजारों करोड़ रुपए की बचत कर सकेंगे जिन्‍हें तेल आयात में खर्च किया जाता है।

(अखिल पाराशर)


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