नये चीन की स्थापना के बाद से अभी तक के इधर वर्षों में बहुत से कार्यक्रताओं ने देश के भीतरी इलाकों से तिब्बत जाकर अपना युवा काल तिब्बती पठार को योगदान किया है । पेइचिंग के हान जातीय कार्यक्रता वू यू-छू ने तीस साल पहले एक विश्वविद्यालय में स्नाकत होने के बाद ही तिब्बत में काम करना चुना । पर वू दूसरे हान जातीय कार्यक्रताओं से अलग है कि उन्हों ने तिब्बत में सिर्फ काम किया ही नहीं , बल्कि एक याक संग्रहालय की स्थापना के लिए भी पूरी प्रयत्न की । वू यू-छू की तिब्बत में याक संग्रहालय स्थापित करने की कहानी ने बहुत से तिब्बती लोगों को गहरी छाप छोड़ी है ।
साठ वर्षीय वू यू-छू अब पेइचिंग शहर के तिब्बत की सहायता मुख्यालय के उप प्रमुख हैं । प्रति साल वे तिब्बत में लगभग ग्यारह महीनों के लिए रहते रहे हैं । वू यू-छू धाराप्रवाह से तिब्बती भाषा बोल सकते हैं और उन का रंग भी स्थानीय लोगों का जैसा होता है । तिब्बत की सड़कों में उन से मिले तो जरूर लगा है कि वो एक स्थानीय तिब्बती ही हैं । वू यू-छू तिब्बत में अनेक सालों के लिए काम कर चुके हैं और तिब्बती संस्कृति के बारे में उन की भी गहरी समझ प्राप्त हुई है । उन्हों ने यह बताया कि तिब्बती जनता के दैनिक जीवन और संस्कृति में याक का विशेष स्थान होता है ।
उन्हों ने कहा,"आम लोगों के विचार में तिब्बती सांस्कृति धार्मिक संस्कृति ही है । लेकिन वास्तव में यह सही नहीं है । धार्मिक संस्कृति का तिब्बती संस्कृति में महत्वपूर्ण भाग तो है, पर पूरा भाग नहीं । तिब्बत में धर्म-निरपेक्ष संस्कृति यानी सेक्युलर संस्कृति का भी महत्वपूर्ण भाग मौजूद है । उदाहरण के लिए याक संबंधी संस्कृति तिब्बती लोगों के जीवन में विशेष स्थान प्राप्त है । इसलिये मेरा ख्याल है कि याक संग्रहालय की स्थापना करने से ही तिब्बत की पशुपालन संस्कृति का संरक्षण किया जा सकता है । क्योंकि याक तिब्बती संस्कृति का चिह्न माना जाता है । तिब्बत में बौद्ध धर्म होने से पहले ही लोगों को याक प्राप्त हुआ था । याक के शरीर पर तिब्बत का लम्बा व पुराना इतिहास और संस्कृति लदे हुए हैं ।"
याक मुख्य तौर पर चीन के छींगहाई-तिब्बत पठार के तीन हजार मीटर ऊंचे क्षेत्र पर रहता है । याक पठार की जहाज बताया जाता है । तिब्बती जनता के खान-पान, रीति रिवाज सहित रोजमर्रे चीजें सब याक से संबंधित हैं । याक तिब्बती जनता के रोज़ाना जीवन के लिए अपरिहार्य है । वू यू-छू ने तिब्बत में दर्जनों सालों के लिए काम किया है और याक के प्रति उन्हें गहरी छाप भी लगी हुई है । वो अपने को भी एक बूढ़ा याक बुकारते हैं । इंटरनेट पर उन के ब्लॉग में नौ लाख प्रशंसक केंद्रीत हुए हैं ।
वर्ष 1976 से 1988 तक वू यू-छू नाग्छू क्षेत्र में काम करते रहे थे जहां की ऊँचाई 4500 मीटर होती है । नाग्छू क्षेत्र में भी बहुत से याक रहते हैं । पठार पर लम्बे समय से जीवन बीतने के बाद वू यू-छू को याक की काफी जानकारियां प्राप्त हुई हैं । उन्हें लगता है कि याक कोई ऐसा जानवर है जो ईमानदार, निष्ठा, करुणा, दृढ़ता और साहसिक है । और याक मानव के विचार को भी समझता है ।
वू ने अपनी एक कहानी की याद करते हुए कहा,"एक दिन जब मैं ट्रक से नाग्छू क्षेत्र में जा रहा था तब रास्ते पर हमारी गाड़ी चार मीटर गहरे बर्फ में फंसी हुई थी । हमारे दल की बीस गाड़ियां सब बर्फीले रास्ते पर ठप गयीं । स्थानीय सरकार ने हमारी मदद के लिए एक राहत दल भेजा । लेकिन राहत कार्यों की सभी कोशिशें विफल रहीं क्योंकि गाड़ियां बर्फीले रास्ते पर नहीं चल सकीं । बाद में लोगों ने याक के सहारे हमें राहत का सामान भेजने में सफल किया । हमारी जान याक की शक्ति से बची हुई है । याक ने सभी मुश्किल स्थिति में ही अपना मिशन समाप्त कर सकता है ।"
इस बात से वू यू-छू की याक के प्रति भावना और गहरी बनी । वर्ष 1992 में वू यू-छू पेइचिंग में काम करने वापस गये । लेकिन पठार पर रहने वाली तिब्बती जनता और उन के याक के प्रति प्यार की मजबूत भावना से वू यू-छू को तिब्बत वापस खींचा गया । सन 2010 में वू यू-छू के दिमाग में एक याक संग्रहालय रखने का सपना आया । वास्तव में उन्हों ने याक के प्रति अपनी गहरी भावना के कारण ऐसी योजना बनायी है । अपनी योजना को साकार करने के लिये वू ने त्यागपत्र भी दिया।
वू यू-छू ने अपने तत्कालीन फैसले की याद करते हुए कहा,"याक संग्रहालय की स्थापना करने के लिए मैं ने पेइचिंग शहर के नेताओं से त्यागपत्र दिया । तब पेइचिंग शहर के प्रमुख नेताओं ने मेरा समर्थन प्रकट किया । मेरा ख्याल है कि याक तिब्बत के इतिहास और संस्कृति का प्रतीक करता है । याक संग्रहालय की स्थापना से तिब्बत की जातीय संस्कृति के विरासत और विकास के लिए लाभदायक है । इसलिए मुझे पेइचिंग शहर की तरफ से पूंजी की सहायता चाहिये ।"
पेइचिंग शहर की सरकार ने वू यू-छू की योजना का खूब समर्थन दिया । पुरानी योजना के अनुसार पेइचिंग ल्हासा में एक संस्कृति और खेल केंद्र के निर्माण में पचास करोड़ युवान की पूंजी डालेगा ताकि तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति की 60वीं जयंती मनायी जाए । वू यू-छू की योजना सुनने के बाद पेइचिंग शहर ने याक संग्रहालय को सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण की योजना में शामिल करा दिया । फिर भी वू यू-छू पेइचिंग शहर के तिब्बत सहायता मुख्यालय का उप प्रमुख नियुक्त किये गये और वे याक संग्रहालय के निर्माण के लिए भी जिम्मेदार हुए ।
इस के बाद के चार वर्षों में पेइचिंग शहर ने तिब्बती याक संग्रहालय के निर्माण में कुल 11 करोड़ युवान की पूंजी लगायी । सन 2014 की मई में याक संग्रहालय आधिकारिक तौर पर खुला था और एक साल बाद इसे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पर्यटन स्थल के रूप में घोषित किया गया था । याक संग्रहालय ने तिब्बत और दूसरे क्षेत्रों के हजारों लोगों को आकर्षित किया है । संग्रहालय में प्रदर्शित वस्तुओं और चित्रों में याक के इतिहास, संबंधित जानकारी और मानव व याक के संबंध जैसे विषय शामिल हैं । तिब्बती लोगों ने इस याक संग्रहालय की स्थापना का खूब स्गावत और समर्थन किया है ।
वू यू-छू ने कहा,"तिब्बती लोगों ने याक संग्रहालय की स्थापना का खूब समर्थन किया है, मुझे इससे बहुत ही खुशी हुई है । जैसे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के उत्तर में रहने वाले एक चरवाहे ने कई महीनों के लिए काम कर एक तिब्बती तम्बू बनाकर गाड़ी से मुझे भेज दिया । दूसरे एक चरवाहे ने भी संग्रहालय के लिए याक नाव और मक्खन टब आदि सामान अर्पित किये और ये सब कुछ निःशुल्क दिये गये । अब ये सभी वस्तुएं हमारे संग्रहालय में प्रदर्शित हो रही हैं ।"
वू यू-छू ने कहा कि जब तिब्बत की सहायता की बात करते हैं , कुछ लोगों को केवल मकान व पुल निर्मित करने का विचार आ सकते हैं । तिब्बत में सिर्फ सामग्री की सहायता देना काफी नहीं है । याक का तिब्बती संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है, पर तिब्बत में याक संग्रहालय की स्थापना कभी नहीं हुई थी । याक संग्रहालय रखने से तिब्बती जातीय संस्कृति के संरक्षण के लिए मददगार होगा । आशा है कि याक संग्रहालय की स्थापना से विश्व को तिब्बत की जानकारी देने की एक खिड़की तैयार हो सकेगी ।
वू ने कहा,"याक संग्रहालय तिब्बती जनता का ही है । आशा है कि तिब्बती लोग अक्सर इस संग्रहालय का दौरा करने आएंगे और यहां आदान प्रदान कर सकेंगे । साथ ही भीतरी इलाकों के लोगों को भी इस संग्रहालय से तिब्बत की अधिक जानकारियां मिल पाएगा । और अंत में हमारा याक संग्रहालय विश्व के पर्यटकों को तिब्बत और तिब्बती जनता के बारे में भी परिचय दे रहा है । आशा है कि पर्यटक याक संग्रहालय के जरिए तिब्बत के बारे में अधिक जानेंगे ।"
याक के बारे में संक्षिप्त जानकारी
याक मुख्य तौर पर चीन के तीन हजार मीटर ऊंचे छींगहाई-तिब्बत पठार पर रहते विशेष जानवर है । याक पठार के अल्पाइन जलवायु के अनुकूलन जानवरों में से एक है । वह बर्फीले पठार पर रहने में आदत है । तिब्बती जनता का रोजाना जीवन याक पर निर्भर है । अब विश्व में लगभग 1 करोड़ साठ लाख याक रहे हुए हैं और उन में अधिकांश भाग यानी एक करोड़ पचास लाख याक चीन के तिब्बती पठार पर रह रहे हैं । उन में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश 30 प्रतिशत, छींगहाई प्रांत में 38 प्रतिशत और तिब्बती पठार के आसपास क्षेत्र में शेष भाग फैले हुए हैं । चीन के अलावा मंगोलिया, किर्गिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, भारत, नेपाल, कजाकिस्तान, भूटान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान आदि के पहाड़ी क्षेत्रों में भी थोड़ी मात्रा के याक रहते हैं ।