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    टी टाइम 170420
    2017-04-20 19:23:51 cri

    टी-टाइम

    अनिलः टी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं,आपका मनोरंजन करने। जी हांआपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा 25 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। तो जल्दी से हो जाइए तैयार।

    लीजिए प्रोग्राम की शुरुआत करते हैं।

    10 अप्रैल 1912, इंग्लैंड के पोत से गौरवमय जहाज 'टाइटेनिक' अपनी पहली सफर के लिए समुद्र में रवाना हुआ, तो फिर वापस नहीं लौटा। इस शानदार टाइटेनिक जहाज के बारे में कौन नहीं जानता।

    दरअसल इस जहाज की एक भारी भरकम चाबी 85 हजार पौंड (करीब 70 लाख रुपए) में नीलाम हुई। यह चाबी टाइटेनिक जहाज के लाइफ जैकेट लॉकर की थी। डेविजेस में हुई नीलामी में चाबी समेत टाइटेनिक से जुड़ी चीजें नीलाम हुई। इस नीलामी में करीब 200 से अधिक चीजें शामिल की गई। जिसमें टाइटेनिक जहाज की एक चाबी भी शामिल हुई।

    टाइटेनिक जहाज से जुड़ी चीजों को खरीदने के लिए दुनिया भर से कई बड़े दिग्‍गज शामिल हुए थे। इस दौरान इस चाबी की नीलामी 85 हजार पौंड में यानी कि पूरे 70 लाख रुपए में हुई। इस नीलामी में शामिल हुए लोगों का कहना था कि इस चाबी की कीमत करीब 50 हजार पौंड तक आंकी गई थी, लेकिन नीलामी में यह उससे ऊपर चली गई।

    गौरतलब है कि 14 अप्रैल,1912 को टाइटेनिक जहाज विशाल हिमखंड से टकराकर अटलांटिक महासागर में डूब गया था। यह हादसा काफी दर्दनाक था, इस हादसे में चालक दल के सदस्य और यात्री मिलाकर करीब 1500 लोग मारे गए थे जबकि 710 बच गए थे।

    नीलमः ये बात सुनने में भले ही आपको अजीब लग रही हो, लेकिन यह सच है। पंजाब के अमृतसर में एक आठ माह की बच्ची का वजन 20 किलो ग्राम है। अगर हम किसी भी आठ माह की बच्ची का औसतन वजन देखें तो 5 से 6 किलोग्राम होता है। इतनी छोटी उम्र में इतना ज्यादा वजन देखकर डॉक्टर भी दंग हैं। दरअसल, बच्ची का आकार काफी तेजी से बढ़ रहा है जबकि उम्र सामान्य रूप से ही बढ़ रही है।

    जब डॉक्टर ने बच्ची की जांच के लिए खून का नमूना लेने की कोशिश की तो मोटी चमड़ी में सिरिंज तक नहीं घुसी। ये बच्ची जन्म के समय बिलकुल सामान्य थी। इसका वजन 4 किलोग्राम था, लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरते गए बच्ची का वजन बढ़ने लगा।

    हैरानी की बात तो यह है की ये बच्ची सिर्फ मां का दूध पीकर 20 किलोग्राम की हो गई है। हालांकि उसकी लंबाई सामान्य बच्चों की तरह ही है। दरअसल, बच्ची के पिता सूरज की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह अपनी बेटी का इलाज करवाने में असमर्थ हैं। बच्ची के पिता के पास जितने पैसे थे वह चाहत के टेस्टों में खर्च हो गए है। ऐसे में कोई समाज सेवी संस्था उनकी सहायता करें तो बच्ची को सामान्य अवस्था में लाया जा सकता है। इधर डॉक्टर भी कुछ नहीं बता रहे है क्योंकि बच्ची की नस ढूंढने में डॉक्टर को मुश्किल आ रही है।

    अनिलः अब दूसरी जानकारी से रूबरू करवाते हैं। पंजाब का 21 साल का युवक मनप्रीत सिंह इन दिनों खूब सुर्खियों में है। मनप्रीत को लोग भगवान का रूप मानकर पूज रहे हैं। दूर-दूर से लोग मनप्रीत के दर्शन करने के लिए आ रहे हैं आैर उसका आशीर्वाद पाकर खुद को धन्य समझ रहे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि कहीं युवक ने संन्यास तो नहीं लिया है या फिर ये कोर्इ प्रवचन तो नहीं देता है तो जनाब ऐसा कुछ भी नहीं है। दरअसल, मनप्रीत को ये सब मिला है उसके कद के कारण।

    मनप्रीत सिंह की उम्र भले ही 21 साल है लेकिन उसका कद है महज 23 इंच। जी हां, मनप्रीत को लेकर लोगों का दावा है कि वो विश्व में सबसे छोटे कद का इंसान है। जन्म के छह महीने के बाद से अब तक न मनप्रीत का कद बदला और न ही वजन में कोर्इ अंतर आया।

    मनप्रीत के परिजन बताते हैं कि वह छह महीने तक बिल्कुल स्वस्थ था। हालांकि इसके बाद उसका कद बढ़ना बंद हो गया। उस वक्त मनप्रीत के पिता जगतार के पास में इतने पैसे भी नहीं थे कि वो अपने बच्चे का इलाज किसी बड़े अस्पताल में करवा सकें। कुछ डॉक्टर्स ने कहा कि मनप्रीत को थायराइड से जुड़ी बीमारी है। इसके चलते उसका कद नहीं बढ़ पा रहा है। महंगा होने के कारण परिजन इलाज नहीं करवा पाए।

    मनप्रीत न चल सकता है न ही बोल सकता है। हालांकि 3 साल की उम्र तक वह धीरे-धीरे चल लेता था, लेकिन इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ी और वो आज इस हालत में आ पहुंचा। मां मनजीत कौर कहती हैं कि रिश्तेदार और अन्य बहुत से लोग आते हैं और मनप्रीत का आशीर्वाद लेते हैं। मनप्रीत के दो भाई और हैं जो पूरी तरह से स्वस्थ हैं।

    नीलमः छत्तीसगढ़ पुलिस में काम करने वाली स्मिता टांडी और फेसबुक वह किसी सिलेब्रिटी से कम नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि स्मिता ने फेसुबक पर अकाउंट बनाने के महज 20 महीने के अंदर यह लोकप्रियता हासिल की है। साल 2011 में छत्तीसगढ़ पुलिस जॉइन करने वाली 24 साल की स्मिता के मुताबिक, उन्होंने कभी फॉलॉवर्स हासिल करने के लिए पैसे नहीं खर्च किए, उनके फॉलोवर्स पेड नहीं हैं।

    दरअसल, 2013 में जब स्मिता पुलिस ट्रेनिंग ले रही थीं, तब घर पर उनके पिता बीमार पड़ गए और इलाज के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। पैसों के अभाव में उनके पिता की मौत हो गई। पिता के गुजरने के बाद स्मिता को अहसास हुआ कि देश में ऐसे हजारों लोग होंगे जो पैसों के अभाव में जान गंवा देते हैं, तब स्मिता ने ऐसे लोगों की मदद करने का फैसला किया।

    दरअसल, स्मिता ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर 2014 में गरीबों की मदद के लिए एक ग्रुप बनाया। इस ग्रुप के जरिए उन्होंने लोगों की मदद के लिए पैसा जमा करना शुरू किया। स्मिता के मुताबिक, जब भी उन्हें पता चलता है कि भिलाई, रायपुर या आसपास के इलाके में किसी को इलाज में मदद की जरूरत है तो वह वक्त निकालकर खुद उनके पास जाती हैं, सारी जानकारी एकत्रित करती हैं और उन्हें वेरिफाइ भी करती हैं। इसके बाद वह फेसबुक पर मदद की अपील करते हुए पोस्ट डालती हैं।

    स्मिता ने अस्पताल का बिल भरने में गरीब लोगों की मदद कर चुकी हैं। देशभर से लोग उनके जरिए मदद पाने की गुहार लगाते हैं और वह जानकारी सही पाए जाने पर ही मदद की अपील करती हैं।

    अनिलः दोस्तो, अब समय हो गया है तकनीक का।

    फेसबुक ने अपने मैसेंजर में ग्रुप पेमेंट की शुरुआत की है। इसके तहत मैसेंजर के ग्रुप में एक साथ कई लोगों को पैसे भेजे जा सकते हैं। फेसबुक ने मैसेंजर पेमेंट सिस्टम की शुरुआत 2015 में की थी। हालांकि अभी तक इसके जरिए एक बार में सिर्फ एक ही यूजर को पैसे भेजे जा सकते थे। मैसेंजर ग्रुप में जुड़े नए ऑप्शन के बाद अब यूजर्स चैट के दौरान ही किसी से पैसे के लिए रिक्वेस्ट भेज सकते हैं। जितना पैसा चाहिए इतना अमाउंट लिखकर सेंड किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर किसी यूजर को ग्रुप के प्रत्येक सदस्य से 100 रुपए मांगने है तो वह इसके लिए रिक्वेस्ट भेजेगा। इसके बाद इस ग्रुप के सभी सदस्य जितना चाहें पैसे सेंड कर सकते है और टोटल अमाउंट सेंडर को मिल जाएगा। पैसे मांगते और भेजते वक्त यूजर्स नोट भी लिख सकते हैं ताकि याद रहे कि पैसे क्यों मांगे या भेजे गए। फेसबुक ने अपने आधिकारिक ब्लॉगपोस्ट में कहा है, "आज से एंड्रॉयड और डेस्टक्टॉप से फेसबुक मैसेंजर के ग्रुप के लोगों को पैसे भेज सकते हैं।" यह फ्री, फास्ट, सिंपल और सिक्योर है। चाहे रेस्ट्रों बिल को लोगों के साथ शेयर कर रहे हैं या किसी को दिए गए गिफ्ट के लिए लोगों से पैसे इकठ्ठे कर रहे हैं। इन सब के लिए आपको मैसेंजर पर जाकर ग्रुप कनवर्सेशन शुरू करना है। हालांकि अभी इसे भारत में शुरू नहीं किया गया है, मगर आने समय में इसे भारत में भी लॉन्च किया जा सकता है क्योंकि डिमोनेटाइजेशन के बाद देश में कैशलेस पेमेंट पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में पेटीएम ने भी यहां पेमेंट सर्विस लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अगले छह महीने में व्हाट्सऐप पेमेंट सिस्टम ला सकती है और इसके साथ ही यूपीआर्इ को भी इंटीग्रेट करने की बात चल रही है। मौजूदा वॉलेट कंपनियां पेटीएम और फ्रीचार्ज को आने वाले समय में कड़ी टक्कर मिल सकती है। चूंकि व्हाट्सऐप और फेसबुक मैसेंजर के यूजर्स देश में काफी हैं, इसलिए लोग पेमेंट के लिए भी इन्हीं प्लैटफॉर्म को यूज करना आसान समझेंगे।

    अब समय हो गया है हेल्थ टिप्स का।

    नीलमः क्या मोबाइल फोन टावर के रेडिएशन (विकिरण) उत्सर्जन से स्वास्थ्यको नुकसान होता है? टेलीकॉम आपरेटर लंबे समय से ऐसा होने की आशंका से इनकार करते रहे हैं, लेकिन दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय इन दोनों के संबंध के बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं। हालांकि टावर से कितनी दूरी तक के विकिरण और कितनी अवधि तक के लगातार विकिरण के संपर्क में रहने से कैंसर रोग हो सकता है, इस पर वैज्ञानिकों में कोई सहमति नहीं है। 2004 में इजराइली शोधकर्ताओं ने बताया कि जो लोग लंबे समय से स्थापित मोबाइल टावर के 350 मीटर के दायरे में रहते हैं, उन्हें कैंसर होने की आशंका चार गुना बढ़ जाती है।

    2004 में जर्मन शोधकर्ताओं के अनुसार मोबाइल टावरों के 400 मीटर के दायरे में एक दशक से रह रहे लोगों में अन्य लोगों के मुकाबले कैंसर होने का अनुपात अधिक पाया जाता है।

    अनिलः

    प्रोग्राम में जानकारी देने का सिलसिला यहीं संपन्न होता है, अब वक्त हो गया है, श्रोताओं की टिप्पणी का।

    नीलमः पहला पत्र हमें भेजा है...

    .......

    अनिलः इसी के साथ प्रोग्राम में श्रोताओं की टिप्पणी यही संपन्न होती है।

    अब वक्त हो गया है जोक्स यानी हंसगुल्लों का।

    पहला जोक.

    मेने पूछा क्या कीमत है तेरी मुहब्बत की

    वो मुस्कुराकर बोली Samsung Galaxy j7

    मैने कहा जा बहन अल्लाह तेरा घर आबाद करे

    हम खुद Nokia 1208 कि बैटरी मे कागज़ फंसा कर गुजारा कर रहें हैं

    दूसरा जोक....

    संता गुंडा बन गया

    संता ने एक मशहूर सेठ को फोन लगाया

    संता - ओ सेठ 10 लाख रुपया भिजवा दे नहीं तो

    सेठ - आप कौन बोल रहे हो भाया

    संता - मैं एरिया का भाई बोल रिया हूँ

    सेठ - अच्छा आपकी बहन का नाम एरिया है क्या ?

    तीसरा और अंतिम जोक

    3 लड़कियां नई-नई हॉस्टल अायीं

    पहली (रात को छत पे) - ये आसमान मे सूरज है या चांद

    दूसरी - मुझे तो लगता है चांद ही होगा

    पहली - इस तीसरी से पूछते हैं

    दूसरी (तीसरी से) - ये आसमान मे चांद है या सूरज

    तीसरी - पता नहीं मैं तो इस शहर मे नई आयी हूं।

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