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    तिब्बती चिकित्सा पद्धति का विरासत के रूप में ग्रहण करे
    2017-04-17 09:09:26 cri

    इस वर्ष में जब चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन का पांचवां पूर्णांधिवेशन पेइचिंग आयोजित हुआ, तब सम्मेलन में उपस्थित हुए छी-जंग तिब्बती चिकित्सा कंपनी की बोर्ड अध्यक्ष ले च्यू फांग ने संवाददाता के साथ तिब्बती चिकित्सा संस्कृति का विरासत के रूप में ग्रहण करने के बारे में बातचीत की ।

    ले च्यू फांग तिब्बत से निर्वाचित सलाहकार सम्मेलन के सदस्यों में से एक है । उन्हों ने कहा कि इस वर्ष परंपरागत चिकित्सा के विकास की गारंटी के लिए चीनी पारंपरिक चिकित्सा कानून प्रकाशित किया गया है । पर मेरा ध्यान इस बात पर केंद्रित है यानी कि तिब्बती चिकित्सा के ग्रंथों में निर्धारित पुराने नुस्खा और औषधि-प्रयोग आदि सांस्कृतिक विरासत का ग्रहण कैसा किया जाएगा ।

    ले च्यू फांग ने कहा कि आज के समाज में चिकित्सीय ग्रंथों में निर्धारित पुराने नुस्खाओं को व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त होती है । लेकिन ऐसे पुराने नुस्खाओं के आधार पर बनायी गयी दवाइयों की सरकार की तरफ से पुष्टि करवाना अत्यंत मुश्किल है । अभी जारी हुए चीनी पारंपरिक चिकित्सा कानून में यह निर्धारित है कि पुराने चिकित्सा ग्रंथों में निर्धारित पुराने नुस्खाओं के मुतिबिक बनायी गयी दवाइयों की पुष्टि गैर चिकित्सीय सत्यापन के जरिये ही की जा सकेगी । यह धारा तिब्बती परंपरागत चिकित्सा के विरासत के रूप में ग्रहण करने के लिए महत्वपूर्ण है । इसलिए मैं ने इस वर्ष के जन सलाहकार सम्मेलन के अधिवेशन में यह प्रस्तुत किया कि जातीय चिकित्सा पद्धति की विषय-सूची समाप्त की जाएगी । क्योंकि इसी विषय-सूची के मुताबिक विभिन्न कारखाने नयी दवाइयों का विकास कर सकेंगे । तिब्बती परंपरागत चिकित्सा पद्धति के बारे में ऐसी विषय-सूची बनाने का काम अभी तक शुरू नहीं है । इसलिए हम ने सरकार से तुरंत ही यह काम शुरू करने की अपील की है ।

    ले च्यू फांग ने दीर्घकाल तक आधुनिक तकनीक से तिब्बती परंपरागत चिकित्सा का संरक्षण और विकास करने का काम किया है और इसमें अनेक प्रगतियां हासिल की हैं । मिसाल के तौर पर परंपरागत दवाइयों का बचाव रखना आसान नहीं है । लेकिन ले च्यू फांग ने आधुनिक तकनीक से तिब्बती दवाइयों के पोर्टेबल उत्पाद बनाने में सफल किया । परंपरागत दवाइयों का आधुनीकिकरण साकार करने के सवाल पर ले च्यू फांग ने कहा कि आधुनिक तकनीक और परंपरागत ग्रंथ दोनों मानव का मूल्यवान विरासत है । दोनों को जोड़कर रोग के इलाज में मिश्रित प्रभाव साबित होगा । उन्हों ने कहा कि आधुनिक दवाइयों की तुलना में तिब्बती दवाइयों की अपनी विशेष श्रेष्ठता भी मौजूद है ।

    ले च्यू फांग ने कहा कि आधुनिक दवाइयों की तुलना में तिब्बती परंपरागत चिकित्सा की अपनी विशेषता है । मिसाल तौर पर रियुमेटोइड, हृदय रोग और पाचन रोग आदि रोगों के इलाज में तिब्बती परंपरागत चिकित्सा और दवाइयां बहुत प्रभावित साबित होता है । तिब्बती परंपरागत चिकित्सा और दवाइयों का विकास करने की बड़ी संभावना है और हमें यह काम अच्छी तरह करने की जिम्मेदारी है ।

    इधर के वर्षों में भीतरी इलाकों में बहुत से लोगों ने तिब्बती दवाइयों से रोगों का इलाज करना शुरू किया है । लेकिन उन्हें तिब्बती दवाइयों में उपयोगी खनिज सामग्रियों के प्रति संदेह भी मौजूद है । तिब्बती दवाइयों की सुरक्षा के प्रति लोगों की चिन्ता को दूर करने के लिए ले च्यू फांग ने जानकारी देते हुए कहा कि तिब्बती दवाइयों के निर्माण में उपयोगी 90 प्रतिशत सामग्रियां जड़ी-बूटी ही हैं । उन में खनिज सामग्रियों का प्रयोग बहुत कम होता है । दूसरी बात है कि दवाइयां बनाने वाले कारखाने को भी रोगियों को अपने दवाइयों का खूब परिचय और प्रसारण करना ही चाहिये । इसी संदर्भ में भीतरी इलाकों में अधिकाधिक रोगियों ने तिब्बती दवाइयां चुनना शुरू किया है ।

    छींगहाई-तिब्बत पठार चीन में जैव विविधता प्राप्त क्षेत्रों में से एक माना जाता है । यह इस क्षेत्र में प्राकृतिक पारिस्थितिकी भी बहुत नाजुक है । इसलिये ले च्यू फांग ने जन सलाहकार सम्मेलन के अधिवेशन में अनेक बार तिब्बती पठार पर विशेष संसाधन संरक्षण क्षेत्र की स्थापना करने की अपील की है ताकि प्राकृतिक संसाधनों का अनवरत प्रयोग किया जा सके । जन सलाहकार सम्मेलन ने भी ले च्यू फांग के सुझाव को महत्व दिया और इससे जुड़े प्रस्ताव का कार्यावयन करने के लिए एक विशेष दल भी स्थापित किया । योजना है कि तिब्बत के नींगची क्षेत्र में तिब्बती दवाइयों के संसाधन का संरक्षण अड्डा स्थापित किया जाएगा । और इस के बाद दूसरे क्षेत्रों में भी विस्तृत काम शुरू होगा ।

    ले च्यू फांग के कारोबार में अनेक तिब्बती चिकित्सक भी कार्यरत हैं । ले च्यू फांग ने परिचय देते हुए कहा कि हम ने नींगची शहर में एक तिब्बती चिकित्सा स्कूल स्थापित किया जिसमें दो बैच छात्र स्नातक हो गये हैं । छात्रों को रोज़ सुबह उठकर प्राचीन चिकित्सा ग्रंथ पढ़ना और बड़ी मात्रा वाले कक्षा का अध्ययन और क्लिनिकल प्रैक्टिस करना पड़ता है । स्नातक होने के बाद इन छात्रों को निदान व इलाज करने और जड़ी बूटी से दवाइयां बनाने की कौशल प्राप्त हो सकती है । देश विदेश के अध्ययनकर्ताओं ने हमारे शिक्षा मॉडल का उच्च मूल्यांकन किया । यहां एक मिसाल भी है कि छिंहाई प्रांत की थूंगरेन काउटी में एक तिब्बती छात्र कॉलेज परीक्षा से गुजरने में असमर्थ हुआ । तो इस के माता-पिता ने उसे हमारे स्कूल में पढ़ने भेजा । छह साल अध्ययन करने के बाद यह लड़का थूंगरेन काउटी में सुप्रसिद्ध पारंपरिक चिकित्सक बना और बहुत से रोगी बाहर से उस के क्लिनिक में इलाज लेते जाते हैं ।

    ले च्यू फांग ने कहा कि सामान्य विश्वविद्यालय में जो छात्र हैं, वे स्नातक होने के तुरंत ही बाद डाक्टर का काम नहीं कर सकते हैं । क्योंकि उन्हें व्यावहारिक अनुभव का अभाव पड़ता है । लेकिन हमारे स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को अध्ययन करने के साथ-साथ अभ्यास भी करना पड़ता है । यही है पारंपरिक तिब्बती चिकित्सा का प्रशिक्षण मॉडल है । और इसी तरह परंपरागत तिब्बती चिकित्सा का विरासत के रूप में ग्रहण किया जा सकेगा । क्योंकि विरासत सीखने वालों को सांस्कृतिक परंपरा के प्रति आत्मविश्वास और मिशन की भावना पैदा करने की आवश्यकता है । वास्तव में प्राचीन काल से अभी तक तिब्बती चिकित्सा पद्धति का लगातार विकास किया जा रहा है ।

    लेकिन ले च्यू फांग इस बात पर भी सहमत हैं यानी आधुनिक तकनीक के विकास से परंपरागत चिकित्सा पर प्रभाव पड़ता है और तिब्बती परंपरागत चिकत्सा के विकास में भी नवाचार कायम करना चाहिए । क्योंकि विश्व में किसी भी चिकित्सा पद्धति को दूसरी संस्कृति की प्रगतियों से सीखना पड़ता है, नहीं तो इस का सही विकास नहीं हो सकेगा । इसलिए तिब्बती चिकित्सा के अस्पताल में भी आधुनिक तकनीकों और उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है ।

    ले च्यू फांग ने कहा कि हमें अल्प संख्यक जातीय चिकित्सा पद्धतियों की विषय-सूची और सारांश करवाने में बहुत से काम करना पड़ेगा । उधर चीन में तिब्बती, मंगोलियाई और उईघुर आदि जातियों को अपनी संपूर्ण चिकित्सा पद्धति और ग्रंथ उपलब्ध है । उन के सैकड़ों क्लासिक नुस्खाओं का आज भी रोगियों का इलाज देने में उपयोग किया जा रहा है । इसलिए ले च्यू फांग ने यह सुझाव पेश किया कि केंद्र सरकार के नेतृत्व में स्वायत्त प्रदेश और जातीय चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा क्लासिक नुस्खाओं की विषय-सूची करवायी जाएगी और इस के आधार पर विशेष दवाइयां बनायी जाएंगी । साथ ही तिब्बती दवाइयों का आधुनिकीकरण करके इन्हें बाजार में प्रवेश करवाने की कोशिश भी करनी चाहिये । यह काम शुरू करने का केवल दस साल समय हो गया है । तिब्बती दवाइयों का आधुनिक तकनीकों से बनावट करने का बहुत लम्बा रास्ता नापना पड़ेगा ।

    ले च्यू फांग के सुझाव को जन सलाहकार सम्मेलन के अधिवेशन में दूसरे सदस्यों की तरफ से समर्थन भी प्राप्त हो गया है । उन्हों ने कहा कि तिब्बती चिकित्सा चीन की बहुत बढ़िया सांस्कृतिक संसाधन है जो हृदय, जिगर और पित्ताशय की थैली, पाचन और हड्डी आदि के बीमारियों का इलाज करने में प्रभावित साबित है । और तिब्बती चिकित्सा व दवाइयों के विकास से तिब्बत में गरीबी उन्मूलन के कार्यों को भी बढ़ावा मिल पाएगा । जन जीवन में सुधार लाने के साथ-साथ तिब्बती चिकित्सा व दवाइयों के उत्पादन को भी बहुत उन्नत किया जाएगा ।

     

    तिब्बत की सहायता के लिए गये भीतरी इलाकों के डॉक्टर

    हाल ही में पूर्वी चीन के थिएनचिन शहर के शीछींग अस्पताल से तिब्बत की सहायता के लिए वहां भेजे गये डॉक्टरों का दूसरा दल रवाना हो गया है । उन के रवाना होने से पहले अस्पताल के नेताओं ने इन डाक्टरों के साथ बातचीत की और उन्हें तिब्बत में मेहनत से काम करने की आशा जतायी ।

    तिब्बत की सहायता के लिए भेजे डाक्टरों में बाल चिकित्सा, तंत्रिका-विज्ञान, प्रसूति एवं स्त्री रोग तथा मूत्रविज्ञान के डाक्टर शामिल हैं । उन डाक्टरों में कुछ को व्यक्तिगत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता तो है, पर उन्हों ने सब स्वेच्छा से तिबब्त में काम करने का अनुरोध पेश किया ।

    डाक्टरों के लिए आयोजित विदाई बैठक में तिब्बत में काम समाप्त कर अभी वापस आये डाक्टरों ने तिब्बत में अपने अनुभवों का परिचय दिया । उन्हों ने नये डाक्टरों को अपनी व्यावसायिक तकनीकों के माध्यम से स्थानीय लोगों की सेवा करने की आशा व्यक्त की । अस्पताल के नेताओं ने भी डाक्टरों को उनके परिवार के कठिनाइयों को दूर करने की मदद देने का वादा कर दिया ।

    डाक्टरों ने कहा कि शीछींग अस्पताल थिएनचिन में शहर स्तरीय अस्पताल माना जाता है जिसे तिब्बत की सहायता करने की जिम्मेदारी उठानी चाहिये । वे अपनी तकनीकों से तिब्बत में उन्नत चिकित्सीय विचारों का प्रसार करने के साथ-साथ स्थानीय डाक्टरों का प्रशिक्षण भी कर देंगे ताकि तिब्बती जनता को लाभ दिलाए ।

    उधर थिएनचिन शहर के अलावा चीन के गैनसू प्रांत आदि राज्यों ने भी तिब्बत की सहायता के लिए चिकित्सीय विशेषज्ञों का दल भेजने का निर्णय लिया है । गैनसू प्रांत के दस बड़े अस्पतालों ने भी वर्ष 2017-2018 तिब्बत की चिकित्सीय सहायता की योजना में भाग लिया है ।

    (स्रोत: चाइना तिब्बत नेटवर्क)

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