24वां बेसिक चार देशों का जलवायु परिवर्तन मंत्री स्तरीय सम्मेलन 10 से 11 अप्रैल तक पेइचिंग में आयोजित हुआ। विभिन्न देशों के मंत्रियों ने पेरिस समझौते की वार्ता, 2020 से पहले की कार्यवाइयों को मजबूत करने, विभिन्न देशों की घरेलू कार्यवाइयां और यथार्थ सहयोग आदि सिलसिलेवार अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। सम्मेलन के बाद संयुक्त वक्तव्य भी जारी किया गया। मंत्रियों ने सभी हस्ताक्षरित देशों से पेरिस समझौते का समर्थन करने का आह्वान किया।
बेसिक चार देश चीन, भारत, ब्राजील व दक्षिण अफ्रीका चार विकासशील देशों द्वारा स्थापित बहुपक्षीय प्रणाली है। 2009 में स्थापना के बाद बेसिक चार देशों ने जलवायु परिवर्तन की बहुपक्षीय प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और विकासशील देशों की एकता व समान कल्याण की रक्षा करने में अहम भूमिका अदा की। इसके साथ ही पेरिस समझौते को समय पूर्व प्रभावी बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
24वां बेसिक चार देशों का जलवायु परिवर्तन मंत्री स्तरीय सम्मेलन हाल में पेइचिंग में आयोजित हुआ। सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में जोर दिया गया कि बेसिक चार देश संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन की ढांचागत संधि और तोक्यो प्रोटोकोल एवं पेरिस समझौते के विभिन्न कारकों के सर्वोच्च राजनीतिक वचनों को कारगर रूप से लागू करेंगे। सम्मेलन के बाद एक न्यूज ब्रीफिंग में चीनी जलवायु परिवर्तन मामले के विशेष प्रतिनिधि श्येई जनह्वा ने बताया,चीन जलवायु परिवर्तन का निपटारा करने के लिए कार्यवाई करता रहेगा और अपने कर्त्तव्य निभाएगा। चीन ने जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए अपना योगदान दिया। 13वीं पंचवर्षीय योजना में चीन ने 2020 तक अपने लक्ष्य को साकार करने का वचन दिया।
बेसिक चार देशों के जलवायु परिवर्तन मंत्री स्तरीय सम्मेलन पर विभिन्न देशों के मंत्रियों ने हालिया जलवायु परिवर्तन की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में मौसम बहुपक्षीय प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर संपर्क व समन्वय किया। दक्षिण अफ्रीका के उप पर्यावरण मंत्री बारबरा थॉमसन ने कहा, हम आशा करते हैं कि विकसित देश हर साल विकासशील देशों को 1 खरब अमेरिकी डॉलर की पूंजी देने के वचन का पालन कर सकते हैं। हालिया अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक वातावरण में पेरिस समझौता विभिन्न पक्षों के प्रयास में प्राप्त किया गया सबसे अच्छा परिणाम है। पेरिस समझौते ने हमारे लिए तमाम व संतुलित ढांचागत प्रणाली प्रदान की है। जलवायु परिवर्तन के कमजोर देशों के लिए पेरिस समझौते के कार्यान्वयन की प्रक्रिया में हमें अवश्य ही समान और भिन्नता होने वाले कर्तव्य और निष्पक्षता को प्रमुख सिद्धांत बनाना चाहिए।
गौरतलब है कि 12 दिसंबर 2015 को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन ढांचागत संधि के करीब 200 संस्थापक पक्षों ने पेरिस जलवायु परिवर्तन सम्मेलन पर पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस साल के अंत में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन ढांचागत संधि के 23वें संस्थापक पक्ष का सम्मेलन जर्मनी में आयोजित होगा। जलवायु परिवर्तन के रुख पर अमेरिका के रुख की चर्चा में चीनी जलवायु परिवर्तन मामले के विशेष प्रतिनिधि श्येई जनह्वा ने कहा कि बेसिक चार देशों के प्रतिनिधियों ने हालिया जलवायु परिवर्तन की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति पर गहन रूप से विचार विमर्श किया। संयुक्त वक्तव्य में मंत्रियों ने दोहराया कि जलवायु परिवर्तन के निपटारा की वैश्विक प्रक्रिया नहीं रोकी जा सकती है और स्थगित भी नहीं की जा सकती है।