28 मार्च को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में तिब्बती लोगों ने धूमधाम से अपनी मुक्ति की 58वीं जयंती की खुशियां मनायीं । तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति खासकर जनवादी रुपांतर होने के इधर दर्जनों सालों में तिब्बत में जन जीवन का उल्लेखनीय सुधार आया है ।
जूंगडा ल्हासा शहर में बचपन से ही रहने वाली तिब्बती महिला है । अपने नये मकान में परिवारजनों के साथ तिब्बती नये साल की खुशियां मनाते समय उन्हों ने संवाददाता को अपने जीवन के बारे में बताया, "मेरे नये मकान का क्षेत्रफल 130 वर्ग मीटर विशाल है और इस के सामने आँगन भी सुरक्षित है । पर मेरे पुराने घर के सामने ऐसा आँगन नहीं था । आँगन के साथ मिलकर पूरा घर 180 वर्ग मीटर विशाल होता है । परिवार के हरेक सदस्य को अपना कमरा भी प्राप्त है और घर में बुद्धा का पूजा करने के लिए विशेष कमरा भी सुरक्षित है ।"
जूंगडा ने कहा कि उन के नव निर्मित अपार्टमेंट में प्राकृतिक गैस और सौर वॉटर हीटर आदि आधुनिक संयंत्र सब उपलब्ध हैं । उन्हों ने कहा, "तिब्बत के परंपरागत मकान में स्नान लेने वाला बाथरूम सुरक्षित नहीं होता था । सुविधा लेने के लिए मैं ने अपने घर में बाथरूम भी रखा है । इसतरह हम किसी भी समय पर घर में ही स्नान ले सकते हैं । पहले हमें पब्लिक स्नानघर में जाना पड़ता था । आज घर में ही एक दिन में 24 घंटे गर्म पानी की सप्लाई होती है । "
ल्हासा शहर में रहने वाले लोगों के जीवन का सुधार करने के लिए सरकार ने पुराने मकानों का पुनःनिर्माण करने का काम किया । जूंगडा जैसे सैकड़ों निवासियों को ल्हासा के नव निर्मित आवासीय जिले में स्थानांतरित किया गया । जूंगडा की पड़ोसी पासांग ने कहा कि उन्हें भी अपने नये मकान के प्रति काफी संतोष है । उन्हों ने कहा, "पहले हमारे यहां की जल निकासी व्यवस्था बहुत खराब थी । जभी बरसात हुई तब यहाँ की नालियों में बुरी तरह से भरा हुआ था । सड़क में पानी बहने से लोगों को चलने की सुविधा नहीं थी । आज सबकुछ अच्छा होने लगा है । बरसात या हिमपात के दिन में ही आँगन के भीतर या बाहर हर जगह साफ-सुथरी है ।"
जूंगडा ने कहा कि ऐसा एक अच्छा अपार्टमेंट प्राप्त होने से उन्हें बहुत खुशी हुई है । घर में रहने की भिन्न भिन्न सुविधाएं मिलने के सिवा बुद्ध की पूजा करने के लिए एक विशेष कमरा भी सुरक्षित है । और इस कमरे की तिब्बती शैली से सजावट की जाती है । उन्हों ने कहा, "हम बौद्ध अनुयायी हैं । घर में बुद्ध की पूजा करने का विशेष कमरा सुरक्षित करने की आवश्यकता है । नहीं तो हम आराम से नहीं रह सकते हैं ।"
जूंगडा का एक बेटा दानज़ेन भी है जो ल्हासा के एक प्रसिद्ध स्कूल में पढ़ रहा है । स्कूल में बहुत से अध्यापक राजधानी पेइचिंग से आये हैं । दानज़ेन ने संवाददाता को बताया कि उन के स्कूल में अनेक अध्यापक तिब्बत में शिक्षा की सहायता करने के लिए ल्हासा आये हैं । दानज़ेन ने कहा, "मेरी कक्षा में तिब्बती भाषा को छोड़कर अंग्रेजी और गणित आदि सभी कोर्स पेइचिंग से आये अध्यापक सिखाते हैं ।"
जूंगडा ने कहा कि जबतक उन का बेटा चाहता है, वह किसी भी स्कूल या विश्वविद्यालय में अध्ययन करना चुन सकेगा । लेकिन अगर उस का दर्शन काफी अच्छा हो, तो वे अपने बेटे को भीतरी इलाके के कालेज में भेज देंगी । अभी तक बहुत से छात्रों ने देश के भीतरी इलाकों के विश्वविद्यलयों में अध्ययन करना शुरू किया है ।
त्सेरिंग ल्हासा शहर के उपनगर के एक गांव में रहने वाला किसान है । उन के तीन बच्चे भीतरी इलाके के कालेज या विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं । उन्हों ने संवाददाताओं को बताया, " मेरे बच्चों में एक उत्तर-पूर्वी चीन, एक मध्यम चीन के हूनान प्रांत और एक गैनसू प्रांत के लैनचाओ शहर में अध्ययन कर रहे हैं ।"
त्सेरिंग को अपने तीन बच्चों के टयूशन फीस का भुगतान करना पड़ता है जो उन के लिए भारी बोझ है । सौभाग्यवश उन्हें सरकार की गरीबी उन्मूलन परियोजना की तरफ से आर्थिक सहायता प्राप्त मिल गई है । सरकार ने त्सेरिंग की स्थितियों का मूल्यांकन कर उन का आर्थिक समर्थन दिया । बाद में त्सेरिंग को सरकार से एक नौकरी भी मिली जिससे वे एक महीने में कई हजार युवान की आय भी प्राप्त कर सकेंते हैं ।
त्सेरिंग ने कहा कि सरकार की गरीबी उन्मूलन परियोजना उन के जैसे लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । और वे सरकार की सहायता के प्रति बहुत आभारी भी हैं ।
( हूमिन )