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टी टाइम 170330
2017-03-30 18:44:43 cri

टी-टाइम

अनिलःटी-टाइम के नए अंक के साथ हम फिर आ गए हैं,आपका मनोरंजन करने। जी हांआपके साथ चटपटी बातें करेंगे और चाय की चुस्कियों के साथ लेंगे गानों का मजा 25 मिनट के इस प्रोग्राम में। इसके साथ ही प्रोग्राम में श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं भी होंगी शामिल। तो जल्दी से हो जाइए तैयार।

लीजिए दोस्तो, आज के प्रोग्राम में पेश किए जाएंगे, भारत से चीन पहुंचे उद्यमी

अर्पित अग्रवाल और मनीष शर्मा के साथ बातचीत। जो चीन-भारत इंटरनेट कांफ्रेंस में हिस्सा लेने बीजिंग पहुंचे थे।

सबसे पहले सुनते हैं अर्पित अग्रवाल के साथ चर्चा।

....बातचीत....

अभी आपने सुनी अर्पित अग्रवाल के साथ चर्चा।

अनिलः दोस्तो, लोग सुंदर दिखने के लिए क्या-क्या जतन नहीं करते हैं, खासतौर पर महिलाएं अपनी सुंदरता को लेकर बेहद ही सजग रहती हैं। हर पति की ख्वाइश होती है कि उसकी पत्नी बेहद खूबसूरत हो। लेकिन म्‍यांमार में रहने वाली चिन और मुन ट्राइब ऐसी है जहां पुरुष अपनी पत्नियों को कुरूप बनाकर रखते हैं। इसके लिए वे कोई कसर नहीं छोड़ते।यहां के पति जानबूझकर अपनी खूबसूरत पत्नी को बदसूरत बनाने की कोशिश में लगे रहते हैं।

इस बारे में आगे बात करेंगे। पहले सुनते हैं, भारत से चीन पहुंचे उद्यमी मनीष शर्मा के साथ बातचीत।

...बातचीत...

अभी आपने सुनी उद्यमी मनीष शर्मा के साथ बातचीत के मुख्य अंश।

अनिलः इंटरव्यू से पहले हम बात कर रहे थे, म्यांमार की, जहां रहने वाली एक जनजाति अपनी पत्नियों को बदसूरत बनाकर रखती है। इस जनजाति के पुरुष अपनी पत्नियों के चेहरे पर भद्दे टैटू बनवाकर रखते हैं। ये टैटू सूअर और गाय की चर्बी के बने होते हैं जिससे उनसे घृणा और बढ़ जाती है। साथ ही ये टैटू किसी रंग से नहीं बल्कि जंगली पौधों से बनाए जाते हैं।

ये टैटू केवल दिखने में ही भद्दा नहीं होता हैं, बल्कि इसे बनवाते समय भी ये काफी कष्‍ट देते हैं। दर्द के कारण महिलाओं की चीख निकल जाती है। स्वास्थ्य पर भी ये टैटू बुरा प्रभाव डालते हैं। इनसे संक्रमण का खतरा भी रहता है। टैटू बनवाने के बाद भी इनसे खून रिसता है, जो काफी तकलीफ देय होता है। ये चलन आजकल का नहीं है बल्कि वर्षों पुराना है।

इन जातियों में आखिर ये परंपरा क्यों चली आ रही हैं इसके पीछे असुरक्षा को कारण माना गया है। म्‍यांमार में बरसों पहले राजशाही थी और निर्दयी राजा अपने क्षेत्र की सुंदर महिलाओं पर गंदी नजर रखते थे, साथ ही उन्‍हें उठवा भी लिया जाता था।

शारीरिक शोषण के अलावा उन्‍हें सेक्‍स स्‍लेव के रूप में रखा जाता था। इस समस्‍या से निपटने के लिए जनजाति के लोगों ने अपनी महिलाओं का सौंदर्य ही बिगाडऩा शुरू कर दिया। उनका मानना था कि जब महिलाओं में आकर्षण ही नहीं होगा तो उन्‍हें कोई उठाकर ही नहीं ले जाएगा।

अनिलः अब समय हो गया है, तकनीक संबंधी जानकारी का। इंडिया में बीएसएनएल लैंडलाइन टेलीफोन उपभोक्ताओं को भी स्मार्ट बना रहा है। इसके तहत कॉल तो मोबाइल से होगी लेकिन बिल लैंडलाइन-ब्रॉडबैंड में जुड़ेगा। इसके तहत घर में रहने पर मोबाइल की कॉल लैंडलाइन पर तथा घर से बाहर रहने पर लैंडलाइन की कॉल मोबाइल पर स्वत: कनेक्ट हो जाएगी। लैंडलाइन पर इंटरनेट की तेज स्पीड, वीडियो कॉल, मल्टी वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग मिलेगी।

इंटरनेट कनेक्टिविटी होने के चलते लोकल कॉल वाट्सएप कॉल की तरह होगी। देश के ए श्रेणी के शहरों में पुराने एक्सचेंज को एनजीएन में तब्दील करने का काम पूरा होने वाला है। अब बी श्रेणी के शहरों में इस कार्य को गति दी गई है। इनमे जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, भीलवाड़ा, कोटा और अजमेर भी शामिल है। ऑल इंडिया सेनट्रेक्स, मल्टी वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग आदि सुविधाएं मिलेंगी। आठ तरह की सेवाएं संचालित होंगी, जिनमें वॉयस कॉल, ब्रॉडबैंड, फैक्स, वीडियो कॉल, टेक्स्ट मैसेज, वीडियो कॉल रिकॉर्डिग शामिल हैं।

अब वक्त हो गया है, अगली जानकारी का।

मोदी सरकार ने भारत में आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने के लिए कई तरह के नियम बनाए हैं। हाल ही में सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है। अब जो खबर आ रही है उसके अनुसार अब सरकार प्रीपेड या पोस्टपेड मोबाइल नंबर के लिए भी आधार कार्ड अनिवार्य करने की तैयारी में है।

अगर ऐसा होता है तो सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स के लिए इसे लागू करना जरूरी होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने टेलीकॉम ऑपरेटर्स को नोटिस जारी किया है।

अब बात करते हैं, हेल्थ टिप्स की।

मच्छरों को भगाने वाली कॉइल को सोते वक्त जलाने या फिर रोजमर्रा में काम आने वाली अगरबत्ती और धूपबत्ती का धुंआ लोगों में अस्थमा की बीमारी बढ़ा रहा है। ऐसे में लोगों को इन चीजों को नजरअंदाज करना चाहिए। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर धूपबत्ती के धुंए को हर बार अनदेखा किया जाए, तो यह हमें अस्थमा का रोगी बना सकता है। ऐसे में घरों में चीजों का प्रयोग कम होना चाहिए। अनजाने में यदि व्यक्ति लगातार एसी का प्रयोग करता रहे तो वह कुछ सालों बाद अस्थमा रोगी बन जाता है। ऐसे में इन चीजों में सावधानी बरतनी चाहिए।

प्रोग्राम में जानकारी यही तक...अब समय हो गया है श्रोताओं की टिप्पणी का। सबसे पहला पत्र आया है, दरभंगा बिहार से शंकर प्रसाद शंभू। वह लिखते हैं कि 27 मार्च को प्रसारित कार्यक्रम टी टाइम में अनिल जी से चीन के दो प्रमुख सम्मेलनों, एनपीसी और सीपीपीसीसी के बारे में जेएनयू में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रोफ़ेसर स्वर्ण सिंह के साथ बातचीत सुनी। वहीं एक आठ वर्षीय बच्ची का यूट्यूब के जरिए ही हर महीने लाखों कमा लेने का समाचार भी सुना।

हालांकि हेल्थ संबंधी जानकारी आज नहीं दी गयी ! वहीं श्रोताओं की टिप्पणी में मेरे पत्र को शामिल किया गया। इससे सभी साथी काफी खुश हुए ! प्रोग्राम में पेश तीनों हंसगुल्ले बहुत अच्छे थे। एक बेहतरीन प्रोग्राम पेश करने के लिए फिर से धन्यवाद ।

वहीं अगला लैटर हमें आया है, केसिंगा उड़ीसा से सुरेश अग्रवाल का। उन्होंने लिखा है, "टी टाइम" के अन्तर्गत जेएनयू में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रोफ़ेसर स्वर्ण सिंह के साथ चीन के दो प्रमुख सम्मेलनों, एनपीसी और सीपीपीसीसी के बारे में की गयी बातचीत के मुख्य अंश सुने। यद्यपि, उक्त सम्मेलनों पर चर्चा अब पुरानी पड़ चुकी है, फिर भी प्रोफ़ेसर सिंह के विचार महत्वपूर्ण लगे। एनपीसी और सीपीपीसीसी सम्मेलनों से चीन की बुनियादी नीतियों में आयी पारदर्शिता एवं भारत के लिहाज़ से उक्त दोनों सम्मेलनों के महत्व पर उनके विचार सटीक जान पड़े। जानकारियों के क्रम में आगे एक आठ वर्षीय बच्ची द्वारा यू-ट्यूब के जरिए हर महीने करीब 76 लाख रूपए कमा लेना आश्चर्यजनक लगा। निश्चित तौर पर यू-ट्यूब की यह स्टार इन दिनों किसी हॉलीवुड स्टार्स से कम नहीं हैं, फिर चाहे बात पॉपुलेरिटी की हो या इनकम की। वैसे आज के अंक में संख्या के लिहाज़ से जानकारियां कम थीं। एक-दो जानकारियां और समाहित की जातीं, तो प्रस्तुति और रोचक बन सकती थी। आज के अंक में पेश तीनों ज़ोक्स काफी उम्दा लगे। धन्यवाद् फिर एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

.अब समय हो गया है, जोक्स यानी हंसगुल्लों का।

पहला जोक.

टीचर - खाना खाने से पहले हाथ धोने चाहिये।

लड़की - लेकिन मैं नहीं धोती।

टीचर - क्यों ?

लड़की - मैं खाना खाने के बाद धोती हूँ।

टीचर - ऐसा क्यों ?

लड़की - ताकि मोबाइल पर दाग ना पड़े।

- टीचर बेहोश

दूसरा जोक.

मरीज- डॉक्टर साहब, क्या आपको यकीन है कि मुझे मलेरिया ही है ?

दरअसल मैंने एक मरीज के बारे में पढ़ा था कि

डॉक्टर उसका मलेरिया का इलाज करते रहे और

अंतत: जब वह मरा तो पता चला कि उसे टायफाइड था।

डॉक्टर- चिन्ता मत करो, हमारे अस्पताल में ऐसा कभी नहीं होता।

हम अगर किसी का मलेरिया का इलाज करते हैं तो वह मलेरिया से ही मरता है !!

तीसरा और अंतिम जोक.

एक शेर ने बुड्ढे को पकड़ लिया।

बुड्ढा: मैं बुड्ढा हो गया हूं, मेरा खून ठंडा हो गया है,

किसी जवान आदमी को पकड़ कर

उसका खून पीओ।😢

शेर: आज गर्मी बहुत है मेरा कोल्ड ड्रिंक

पीने का मन कर रहा।

दोस्तों, जोक्स यहीं संपन्न होते हैं।

अनिलः टी-टाइम में आज के लिए इतना ही, अगले हफ्ते फिर मिलेंगे चाय के वक्त, तब तक के लिए नमस्ते, बाय-बाय, शब्बा खैर, चाय च्यान।

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