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    आपका पत्र मिला 2017-03-22
    2017-03-23 11:14:08 cri

     

    अनिलः आपका पत्र मिला प्रोग्राम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल पांडेय का नमस्कार।

    ललिताः सभी श्रोताओं को ललिता का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिलः दोस्तो, आज के कार्यक्रम में भी हम हमेशा की तरह श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे। चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू होता है। पहला पत्र हमें भेजा है, ओडिसा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल ने। उन्होंने लिखा है.....सबसे पहले हिन्दी परिवार के सभी मित्रों को ढेर-सारा प्यार। कोई चार दशक से सीआरआई हिन्दी का सहयात्री रहा हूं और विगत काफी समय से सीआरआई हिन्दी के ताज़ा प्रसारण शॉर्टवेव पर सुन कर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया से आपको अवगत कराना भी मेरी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। परन्तु मैं इतने से सन्तुष्ट नहीं हूँ और सीआरआई के माध्यम से महान चीनी संस्कृति और चीन-भारत रिश्तों को तरज़ीह देने हेतु मैं कुछ ऐसा करने की तमन्ना रखता हूँ, जो कि इस सन्दर्भ में मील का पत्थर साबित हो। मैंने तय किया है कि वर्तमान प्रयासों के अतिरिक्त अब मैं अपने घर को ही चीनी संस्कृति और भारत-चीन मित्रवत् सम्बन्धों के केन्द्र के तौर पर तब्दील कर दूं। इसके लिए मुझे आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता है। मैं चाहता हूँ कि इस अहिन्दीभाषी प्रदेश में सीआरआई हिन्दी के प्रचार-प्रसार के साथ ही भारत-चीन सम्बन्धों को एक नया आयाम मिले। कृपया इस योजना को व्यावहारिक तौर पर अमल में लाने के लिए मार्गदर्शन करें। वहीं मार्च के पहले पखवाड़े में यहाँ रंगों के त्यौहार होली की धूम रही और इसी के साथ ग्रीष्म ऋतु ने भी दस्तक दे दी है। बहरहाल, मौसम और घटनाक्रम में चाहे जो बदलाव क्यों न हो, हमें तो इन्तज़ार रहता है बस, शाम साढ़े छह बजने का, जब सीआरआई का ताज़ा प्रसारण दिल के साथ-साथ हमारे घर पर दस्तक देता है। प्रसारण सुनते ही सारी थकान काफूर हो जाती है और अपनेपन का एक ऐसा एहसास होता है, जो कि न केवल सीआरआई और हमारे बल्कि, भारत-चीन संबंधों को भी निरन्तर मज़बूती प्रदान करता है। यही कारण है कि मैं वर्षों से लगातार सीआरआई हिन्दी का ताज़ातरीन प्रसारण रेड़ियो पर सुन कर अपनी प्रतिक्रिया से भी आपको अवगत कराता हूँ। कार्यक्रमों पर अपनी प्रतिक्रिया मैं पूरे खुलेमन और ईमानदारी से करता हूँ, सम्भव है कि उसमें बहुधा प्रशंसा के बजाय आलोचना का पुट अधिक प्रखर होता है। हमें अपने मुँह मियां मिट्ठू बनने के बजाय प्रसारण की कमियों को उजागर करना चाहिए, ताकि सीआरआई प्रसारण दुनिया का सिरमौर बन सके। मैं अपने मक़सद में कितना कामयाब होता हूँ, यह बात अलग है, पर मेरा उद्देश्य हमेशा प्रसारण को चार चाँद लगाना है। इस अहिन्दीभाषी ओड़िशा प्रान्त में मैंने अपनी कलम और वाणी के माध्यम से सीआरआई हिन्दी के प्रचार-प्रसार की पूरी कोशिश की है और करता रहूँगा। आपसे मिलने वाला प्यार मुझे निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहेगा। मैंने पहले भी कहा है और आज भी कह रहा हूँ कि मैं सीआरआई के माध्यम से चीन-भारत मैत्री का दूत बन कर आजीवन काम करना चाहता हूँ। आपको कहीं भी मेरी सेवाओं की ज़रुरत हो, तो मुझे निःसंकोच आदेश करें, मुझे मैत्री के लिए कोई भी काम करने पर गर्व होगा। धन्यवाद।

    ललिताः सुरेश जी ने आगे लिखा है कि नया साप्ताहिक कार्यक्रम "अतुल्य चीन" सुना, जो कि अपने नाम के अनुरूप अतुल्य लगा। कार्यक्रम में वेइतुंग जी की आवाज़ भी काफी अरसे बाद सुन कर मन प्रसन्न हो गया। चीन में पर्यटन के ज़ोरदार विकास के ज़रिये आर्थिक क्षेत्र को मज़बूत करने तथा वर्ष 2020 तक पर्यटन विकास पर कोई बीस अरब युआन निवेश कर रोज़गार के नये अवसर पैदा कर ग़रीबी उन्मूलन करने सम्बन्धी योजना के बारे में महती जानकारी हासिल हुई। पर्यटन ख़बरों में चीन-म्यांमार पर्यटन सहयोग पर भी अच्छी जानकारी दी गई। चीन में फुटबॉल के खेल को बढ़ावा देने हेतु फुटबॉल विशेषता वाले स्कूलों की अवधारणा, जिसके तहत अब तक कोई तेरह हज़ार स्कूलों को ऐसी मान्यता दी जा चुकी है, जानकारी भी सूचनाप्रद लगी। धन्यवाद् एक अच्छी शुरुआत के लिये।

    कार्यक्रम "चीन-भारत आवाज़" के अन्तर्गत पेइचिंग विश्वविद्यालय में उर्दू के प्राध्यापक, जिनका नाम नोट करना सम्भव नहीं हुआ, के साथ अखिल पाराशर द्वारा ली गई भेंटवार्ता सुनी, काफी अच्छी लगी। उनका यह कहना बिलकुल सही जान पड़ा कि इंडोलॉजी का मतलब केवल भारत-विद्या नहीं, अपितु उसमें पूरा दक्षिण-एशिया क्षेत्र समाहित है। बातचीत सुन कर यह भी ज्ञात हुआ कि चीनी के विश्वविद्यालय में तीन साल का संस्कृत कोर्स पढ़ाया जाता है। धन्यवाद अच्छी बातचीत सुनवाने के लिये।

    साप्ताहिक "आर्थिक जगत" के तहत उच्चारण सम्बन्धी कठिनाई के चलते बहुत सी बातें समझ में नहीं आयीं। फिर भी चीनी बैंकिंग व्यवस्था को मज़बूती प्रदान करने के प्रयास तथा उत्तरी चीन के थिनचिन शहर में एक नया वित्तीय केन्द्र स्थापित किये जाने सम्बन्धी जानकारी महत्वपूर्ण लगी। वहीं भारत में इलेक्ट्रॉनिक एवं विनिर्माण क्षेत्र में अधिक निवेश की योजना तथा दक्षिण-पश्चिमी चीन के एक ई-जाति बहुल गाँव में पर्यटन के ज़रिये ग़रीबी उन्मूलन किये जाने सम्बन्धी जानकारी भी अच्छी लगी। धन्यवाद्।

    अनिलः वहीं उन्होंने लिखा है कि 14 मार्च को "नमस्कार चाइना" के तहत चीन में धूम मचाने वाली मोबाइक पर दी गई व्यापक चर्चा रुचिकर लगी। मेरी राय में इस तरह की अत्याधुनिक स्मार्टफ़ोन और जीपीएस तकनीक से लैस मोबाइक के आ जाने से न केवल चीन में साइकल की वापसी हुई है, बल्कि पूरे विश्व में साइकल के प्रति नया रुझान आयेगा। क्यों कि इसका सम्बंध केवल सुविधा से नहीं, सेहत और पर्यावरण से भी जुड़ा है।

    वहीं कार्यक्रम में आगे 'महानायकों का चीन' स्तम्भ के अन्तर्गत सन् 1610 से लेकर 1680 काल में हुये चीन के महान नाटककार लीयू के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर दी गई जानकारी हमें चीन के और क़रीब लाई। चीन की पांच शीर्ष सुर्ख़ियों में -चीन के उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तरी भागों में तूफ़ान का पीला अलर्ट ज़ारी; चीन सरकार के अधीनस्थ उद्योगों का 29.1 प्रतिशत वृध्दि के साथ अच्छा प्रदर्शन; चीन वायु प्रदूषण से निपटने के सही मार्ग पर अग्रसर; चीन का उपभोक्ता सूचकांक 0.8 प्रतिशत और चीन में मिले डायनासोर के पदचिह्न आदि ख़बरें अहम् लगीं।

    वहीं कार्यक्रम "चीनी कहानी" के अन्तर्गत होस्ट लीला भट्ट द्वारा पेश 'चूहों का बोलबाला', 'राजा लू वांग का चिड़िया पालना' तथा 'होशियारी पर अंधा शिकारी' आदि तीनों नीति-कथाएं बहुत शिक्षाप्रद लगीं। धन्यवाद्।

    ललिताः साप्ताहिक कार्यक्रम "विश्व का आइना" के तहत इण्टर पार्लिमेंटर यूनियन द्वारा गत 6 मार्च को जिनेवा में ज़ारी 'वर्ष 2016 संसद में महिलाएं' शीर्षक वार्षिक जांच रिपोर्ट पर महती जानकारी प्रदान की गयी। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 की तुलना में 2016 में विभिन्न देशों की संसदों में महिला सांसदों की संख्या में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि आयी, जो कि 23.3 प्रतिशत तक पहुंची है। लेकिन यह इंटर पार्लिमेंटर यूनियम द्वारा तय किये गये 50 प्रतिशत के लक्ष्य से कम थी, इसलिए प्रयास करने की जरूरत है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि चीन में एनपीसी की महिला प्रतिनिधियों का अनुपात 23.7 प्रतिशत है, जो विश्व के औसत स्तर से ऊंचा है। 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर इंटर पार्लिमेंटर यूनियन ने इस नयी वार्षिक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट ने विश्व में 270 से ज्यादा संसदों में महिलाओं की राजनीति में भागीदारी का सर्वे किया।

    कार्यक्रम में आगे बतलाया गया कि कई अनुसंधानकर्ताओं ने अमेरिकी जियोलाजिकल सोसाइटी में एक रिपोर्ट जारी कर घोषणा की कि उन्होंने विश्व के आठवें महाद्वीप का पता लगाया है। इस खबर ने विश्व के लोगों का ध्यान खींचा है। वैज्ञानिकों के अनुसार उक्त "नया महाद्वीप" न्यूज़ीलैंड के नीचे स्थित है। हम आंखों से केवल कुछ छोटे द्वीप ही देख सकते हैं। अधिकांश लोग इसे सागर मानते हैं। अब यह समुद्री क्षेत्र प्रशांत सागर का एक भाग माना जाता है। लेकिन वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार यहां एक 50 लाख वर्गकिमी. बड़ा महाद्वीप है। इसका क्षेत्रफल चीन के क्षेत्रफल का आधा बताया जाता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि उनकी नज़र में इस "महाद्वीप" का 94 प्रतिशत भाग पानी के नीचे छिपा है।

    अगली जानकारी तो और भी रोचक लगी कि सिंगापुर के ल्येनह जाओपाओ की वेबसाइट की हालिया रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय स्पेस एजेंसी चंद्रमा पर पहले मानव अड्डे का निर्माण करेगी और एक 50 मीटर यानी करीब 16 मंजिले चंद्रमा मंदिर का निर्माण भी करेगी। वह चंद्रमा पर मनुष्य के पूजा करने की पहली जगह होगी।

    श्रोताओं के अपने मंच साप्ताहिक "आपका पत्र मिला" के तहत बतलाया गया कि अब से पत्रोत्तर में अनिलजी का साथ ललिताजी देंगी। हमारे लिये हैयाजी और ललिताजी में कोई अन्तर नहीं है, इसलिये हम कार्यक्रम में उनका भी स्वागत करते हैं। और हाँ, आज के अंक की शुरुआत में एनसीपी और सीपीपीसीसी अधिवेशन पर अनिलजी आपका लेख एक निचोड़ पेश करता नज़र आया। धन्यवाद्।

    सुरेश अग्रवाल जी, कार्यक्रम में मेरा स्वागत करने के लिए आपका बहुत शुक्रिया।

    अनिलः सुरेश जी ने आगे लिखा है कि 16 मार्च को पेश साप्ताहिक "बाल-महिला स्पेशल" के तहत पेइचिंग में आयोजित चीन की राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने वाली प्रतिनिधि महिला अंतरिक्ष यात्री ल्यू यांग से सीआरआई संवाददाता द्वारा लिये गये इन्टरव्यू की चर्चा सुन कर हमें पता चला कि ल्यू यांग ने कहा है कि इस साल का उनका मुख्य कार्य कैप्सूल से बाहर जाकर रख-रखाव का अभ्यास करना है, ताकि भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़े कार्य के लिये अच्छी तरह तैयारी की जा सके। वे ज्यादा से ज्यादा महिलाओं के अंतरिक्ष यात्री टीम में भाग लेने का इंतजार करती हैं।

    कार्यक्रम में आगे अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर बांग्लादेश में आयोजित तमाम कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणाओं पर दी गई जानकारी भी महत्वपूर्ण लगी। धन्यवाद् एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    जबकि साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" कार्यक्रम के तहत छिंगहाई प्रान्त में ह्वांगनान स्टेट की थूंगरेन काउन्टी स्थित रेगोंग क्षेत्र की सुरक्षित अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर अहम् जानकारी दी गयी। कार्यक्रम सुन कर ज्ञात हुआ कि रेगोंग शब्द का मतलब गोल्डन सपना सच होने का जगह है। छिंगहाई प्रांत में रेगोंग क्षेत्र में सबसे केंद्रित अमूर्त सांस्कृतिक विरासत, सांस्कृतिक संसाधन और विविधतापूर्ण सांस्कृतिक पर्यटन संसाधन मौजूद हैं।

    सुन कर जाना कि इस क्षेत्र को तिब्बती पठार और पीली नदी संगम माना जाता है। रेगोंग की संस्कृति में पशुपालन सभ्यता और कृषि सभ्यता का जुड़ाव भी नज़र आता है। वहीं की संस्कृति में थांगका चित्रकला, पत्थर की नक्काशी, मूर्तिकला, लोक-कला और तिब्बती बौद्ध-धर्म कला आदि शामिल हैं। इसके अलावा क्षेत्र में पहाड़ों, घाटियों, घास के मैदान और जंगल से बने सुन्दर प्राकृतिक वातावरण भी मौजूद है।

    कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत भारत के पाँच राज्यों में सम्पन्न विधानसभा चुनावों की तमाम पेचीदगियों पर विस्तृत चर्चा 10 मार्च के अंक में की जा चुकी थी, इसलिए आज उसी विषय को दोहराया जाना उचित जान नहीं पड़ा। मेरी राय में किसी नये मुद्दे पर चर्चा की जाती, तो समय का बेहतर उपयोग होता। धन्यवाद्।

    ललिताः साप्ताहिक "आपकी पसन्द" हर बार की तरह आज भी मनोरंजक और ज्ञानवर्ध्दक लगा। श्रोताओं के पसन्दीदा फ़िल्म –बसेरा, नास्तिक, कालिया, इंक़लाब, चोर और चाँद तथा कभी हाँ कभी ना के छह सदाबहार नग़मों के साथ दी गयी तमाम जानकारी रुचिकर एवं सूचनाप्रद लगी। भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हुये करार सम्बन्धी जानकारी अत्यन्त महत्वपूर्ण कही जायेगी, जिसके तहत भारत यूएई की खाद्यान्न एवं लॉजिस्टिक ज़रूरतें पूरी करेगा, जबकि बदले में वह भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं पर ध्यान देगा।

    साप्ताहिक "सन्डे की मस्ती" हर बार की तरह आज भी मस्त-मस्त लगी। वहीं 14 मार्च को कोलकाता में आयोजित "भारत में चीनी कहानी की यात्रा" शीर्षक संगीत सभा कार्यक्रम पर सपनाजी की रिपोर्ट अत्यन्त महत्वपूर्ण लगी, जिसमें कोलकाता स्थित चीनी कौंसुलर मा च्यानवू, पश्चिम बंगाल के सरकारी अधिकारियों, कोलकाता स्थित अमेरिकी, रूसी और जापानी राजनयिकों और स्थानीय कलात्मक सांस्कृतिक जगतों के जाने-माने व्यक्तियों ने चीनी संगीत विशेष प्रदर्शन में भाग लिया।

    सुरेश अग्रवाल जी, हमें निरंतर पत्र भेजने और हमारा समर्थन करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

    अनिलः वहीं अगला पत्र हमें भेजा है जमशेदपुर से एस बी शर्मा ने। उन्होंने लिखा है कि अभी हाल में ही भारत में पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव सम्पन्न हुए हैं। कुछ दल जीत हासिल करने में सफल रहे और कुछ हार गए हैं। एक दशक से ज्यादा समय पहले से भारत के चुनाव में कागजी बैलेटों की जगह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग होने लगा। हर बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन शक के दायरे में रही है। कभी इस मशीनों में छेड़छाड़ की शिकायत से चुनाव परिणाम प्रभावित होने की शिकायत की जाती है, तो कभी इन मशीनों के बाहर से हाइजेक करके इनके डाटा को चेंज कर चुनावी परिणाम को प्रभावित करने का आरोप लगा है। हर बार हारने वाली पार्टी ही ऐसा आरोप लगाती है। जो पार्टी सत्ता में रहकर जीत का स्वाद चखती है, उसके लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन बहुत अच्छी है और जो हार जाती है, उसे इसमें गड़बड़ी नजर आती है। यह आरोप प्रत्यारोप कहां तक सही है जनता को मालूम नहीं, पर जनता जानती है हारने वाली पार्टी को ही ईवीएम में गड़बड़ी नजर आती है। जबकि जीतने वाली पार्टी को तो सब ठीक ठाक ही लगता है। ऐसा यूंही चलता रहा तो इसे दूर करने की जरूरत होगी। इसके लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए। पक्ष और विपक्ष को मिलकर इस समस्या पर सोचने की जरूरत है। तभी इस परेशानी से छुटकारा मिल पाएगा।

    एस बी शर्मा जी हमें पत्र भेजने के लिए आपका बेहत शुक्रिया।

    ललिताः अब पेश प्रोग्राम का आखिर खत, जिसमें किसी व्यक्ति का नाम तो नहीं लिखा है, लेकिन उसमें स्टार न्यूज ऐजेंसी जरूर लिखा है। उम्मीद करते हैं कि अगली बार आप जरूर अपना नाम और पत भी भेजेंगे। लेकिन इस पत्र में फ़िराक़ गोरखपुरी के बारे में लिखा है।

    लिखा है कि फ़िराक़ गोरखपुरी बीसवीं सदी के वह शायर हैं, जो जंगे-आज़ादी से लेकर प्रगतिशील आंदोलन तक से जुडे रहे। उनकी ज़ाती ज़िंदगी बेहद कड़वाहटों से भरी हुई थी, इसके बावजूद उन्होंने अपने कलाम को इश्क़ के रंगों से सजाया। वह कहते हैं- तू एक था मेरे अशआर में हज़ार हुआ, इस एक चिराग़ से कितने चिराग़ जल उठे।

    फ़िराक़ गोरखपुरी का जन्म 28 अगस्त, 1896 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका असली नाम रघुपति सहाय था, लेकिन उन्होंने फ़िराक़ गोरखपुरी नाम से लेखन किया। उन्होंने एमए किया और आईसीएस में चुने गए। 1920 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी स्वराज आंदोलन में शामिल हो गए। वह डेढ़ साल तक जेल में भी रहे और यहां से छूटने के बाद जवाहरलाल नेहरू के कहने पर अखिल भारतीय कांग्रेस के दफ़्तर में अवर सचिव बना दिए गए। नेहरू के यूरोप चले जाने के बाद उन्होंने पद से इस्तीफ़ा दे दिया और 1930 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक बन गए। उन्होंने 1959 तक यहां अध्यापन कार्य किया।

    फ़िराक़ गोरखपुरी को 1968 में पद्म भूषण और सोवियत लैंड नेहरू अवॉर्ड से नवाज़ा गया। अगले साल 1969 में उन्हें साहित्य का ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया। फिर 1970 में उन्हें साहित्य अकादमी का मनोनीत सदस्य नियुक्त किया गया। 1981 में उन्हें ग़ालिब अकादमी अवॉर्ड दिया गया।

    फ़िराक़ गोरखपुरी के बारे में इतनी अहम जानकारी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

    अनिलः दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल पांडेय और ललिता को दीजिए इजाजत, नमस्कार।

    ललिताः बाय-बाय।

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