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    आपका पत्र मिला 2017-01-25
    2017-03-05 16:24:50 cri

    अनिल :आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया :सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल :दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, ओडिसा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है......

    केसिंगा दिनांक 16 जनवरी। भले ही मैं प्रतिदिन सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण शॉर्टवेव पर शाम साढ़े छह बजे सुनता हूँ, सीआरआई के चारों प्रसारणों में रात साढ़े नौ बजे वाला प्रसारण ही यहाँ सबसे स्पष्ट सुनाई पड़ता है। शाम साढ़े छह बजे ही प्रसारण सुनने का कारण इन्तज़ार का और बर्दाश्त न कर पाना है, क्यों कि चौबीस घण्टे लम्बे इन्तज़ार के बाद ही सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण नसीब होता है। बहरहाल, रोज़ाना की तरह मैंने आज भी अपने तमाम परिजनों के साथ मिलकर शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर कार्यक्रम सुना और अब मैं उस पर हम सभी की मिलीजुली प्रतिक्रिया के साथ आपके समक्ष उपस्थित होने कम्प्यूटर के समक्ष बैठा हूँ। उम्मीद है कि ज़ल्द ही हमारी बात आप तक पहुँच जायेगी। बहरहाल, ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "आर्थिक जगत" के तहत आज चेच्यांग प्रान्त के यीवू शहर में नब्बे के दशक से व्यापार करने वाले अफ़गानिस्तान के श्री आज़मी की सफलता की कहानी सुन वहां चीन सरकार द्वारा व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने विदेशियों को दी रही तमाम सुविधाओं के चलते बने एक बेहतरीन व्यापारिक माहौल को महसूस किया। कार्यक्रम सुन कर पता चला कि आज़मी के दफ़्तर में लगी छह घड़ियाँ उन छह अलग-अलग देशों का समय बताती हैं, जिनके साथ वह व्यापार करते हैं और उन देशों का सम्बन्ध चीन की 'एक पट्टी एक मार्ग' परियोजना के तहत आने वाले देशों से है। यह जान कर अच्छा लगा कि यीवू में रहते हुये आज़मी न केवल अच्छा कमाते हैं, बल्कि वहां के जनकल्याणकारी कार्यों में मुक्तहस्त से दान भी करते हैं। धन्यवाद् एक अच्छी सूचनाप्रद प्रस्तुति के लिये।

    कार्यक्रम "जीवन के रंग" के अन्तर्गत छुट्टियों के समय घर से दूर यात्रा पर निकलने से पूर्व आवश्यक तैयारियों पर वनिताजी द्वारा महती जानकारी प्रदान की गई। फिर चाहे आप यात्रा छोटे बच्चों के साथ करें या कि सफ़र हवाई ज़हाज़, सड़क अथवा रेलमार्ग से कर रहे हों, कार्यक्रम में दी गई तमाम जानकारी सार्थक लगी। धन्यवाद्।

    होस्ट लीला भट्ट की प्रस्तुति "चीनी कहानी" के तहत आज पेश की गयीं दोनों नीति-कथाएं भी काफी शिक्षाप्रद लगीं। जहाँ पहली कहानी "समुद्री कछुआ और चींटी" हमें यह सीख देती है कि -दूसरों की ख़ूबियों को सम्मान देना चाहिये, वहीं दूसरी नीति-कथा "सूखे कीचड़ में छटपटाती मछली" से हमें यह ज्ञान मिलता है कि -मुसीबत में फंसे व्यक्ति की सार्थक मदद करनी चाहिये। धन्यवाद् फिर एक प्रेरक प्रस्तुति के लिये।

    रोज़मर्रा की चीनी-भाषा पाठ्यक्रम के तहत मैडम श्याओ थांग एवं राकेश वत्सजी द्वारा आज एकबार फिर -इण्टरनेट कैफ़े में इस्तेमाल किये जाने वाले वाक्यों का दोहराया जाना अच्छा लगा। धन्यवाद्।

    हैया : सुरेश जी आगे लिखते हैं....यूँ तो मैं हर दिन शाम साढ़े छह बजे सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण सुन उस पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया से आपको अवगत कराता हूँ, फिर भी मन में ख्याल आया कि क्यों न तमाम साप्ताहिकों पर सालभर का लेखा-जोखा करती एक समीक्षात्मक रिपोर्ट पेश की जाये।

    यदि यह सिलसिला रविवार से शुरू किया जाये, तो वर्ष 2016 में "सन्डे की मस्ती" सूचनाप्रद रहा। सोमवार को "चीन का भ्रमण" बन्द कर "आर्थिक जगत", "जीवन के रंग" एवं "चीनी कहानी" शुरू किया गया, जिसमें "चीनी कहानी" के तहत नीति-कथाओं का समावेश रुचिकर कहा जा सकता है। मंगलवार को पेश "चीन-भारत आवाज़" लगता है कि पुरानी भेंटवार्ताओं का पर्याय बनता जा रहा है, जब कि "नमस्कार चाइना" की प्रस्तुति हमेशा ही आकर्षण का केन्द्र रही है। बुधवार का "विश्व का आइना" तो सूचनाप्रद है, पर श्रोताओं के अपने मंच "आपका पत्र मिला" से लगता है कि श्रोता नदारद हो गये हैं। गुरुवार को "बाल-महिला स्पेशल" विषय के अनुरूप ठीक है, परन्तु उसमें भी निखार की आवश्यकता है। शुक्रवार को पेश "चीन का तिब्बत" में भी लम्बे समय से पुरानी सामग्री से ही काम चलाया जा रहा है, जब कि "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के तहत ज्वलन्त मुद्दों पर परिचर्चा आयोजित करना तो ठीक है, परन्तु उन्हें बाद में दोहराया जाना ठीक नहीं लगता। शनिवार का "आपकी पसन्द" एकमात्र फ़रमाइशी प्रोग्राम होने के कारण अपना आकर्षण बनाये हुये है। साप्ताहिकों को लोकप्रियता के क्रम में रखा जाये, तो "सन्डे की मस्ती" और "नमस्कार चाइना" पहली पायदान पर हैं। तत्पश्चात नम्बर आता है "टी टाइम", "आपकी फ़रमाइश", "दक्षिण एशिया फ़ोकस", "आपका पत्र मिला", "चीनी कहानी" और "जीवन के रंग" आदि का। वैसे यह निहायत ही मेरी व्यक्तिगत राय है और कार्यक्रम के आधार पर किसी प्रस्तुतकर्ता का मूल्यांकन करना मेरा कतई मक़सद नहीं है। धन्यवाद्।

    अनिल :सुरेश जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। दोस्तो, पिछले महीने भारतीय युवाओं ने चीन की यात्रा की। इस दल के सदस्य दीपक कुमार ने हमें एक कविता भेजी है। उन्होंने लिखा है.... हमारी नज़र में चीन

    मैं आया हूँ उस धरती पर जहाँ चींजें

    बहुत अनजानी है, जो देखा था मैं सपनो में

    उससे बड़ा कहानी है!

    जिस देश ने अपनी संस्कृति को माना

    हजारो वर्षो से, जहाँ आज भी बच्चे, बूढ़े

    सब मिलकर बनी कहानी है!!

    वो देश नहीं अनजानी है, वो चीन की एक कहानी है!!

    आओ, आओ सब मिलकर देखो वो चीन

    की एक कहानी है, अरे सब मिलकर

    अब सुनो जरा, वो चीन की एक कहानी है, चीन की एक कहानी है!!

    नया जवाना आया है, चीन को नया बनाया है,

    आज विश्व का बच्चा, बुढा भी चीन को नए

    सिरे से पहचाना है, यह वही

    देश है, जहाँ विश्वा की नज़र पहले थी कहा!

    अपने आप को नया बनाया है, वही चीन कहलाया है, जी वही चीन कहलाया है!!

    आज चीन पूरे विश्व में एक खुद को मिशाल बनाया है,

    जहाँ साइंस एवं टेक्नोलॉजी का ही नारा है!

    जो देश पुरे विश्व में एक नया रिकॉर्ड बनाया है,

    कुछ सालो, कुछ वर्षो में खुद की तक़दीर सजाया है!!

    ओलिंपिक से लेकर इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में

    अपना पंचम (झंडा)लहराया है!

    आओ मिल कर फिर से देखें, चीन ने क्या विश्वास जमाया है!!

    आज विश्व के कई एक जिम्मेदारी, अपने कंधे पे लेकर

    सफल बनाया है, स्वच्छता से लेकर पर्यावरण तक

    सब पर नियंत्रण पाया है और कर के भी दिखाया है!

    महात्मा गाँधी की स्वच्छता से लेकर लार्ड बुद्धा की संस्कृति

    बहुत से मिशाल भी पाया है, अरे भाइयों

    क्या कहना उस देश का, जिसने अपने पैर पर !

    खरे हो कर विश्व को दिखाया है,

    अपने आप को नया बनाया है, चीन वही कहलाया है, वही चीन कहलाया है!!

    यह वह देश है, जो मेहमानों की आज भी निहाओ(NI Hao)

    से नमन व स्वागत करता है, संस्कृति और लोगो में

    एकता की भावना रहता है, लोगो में स्वच्छता, दृढ़ता और शालीनता स्पष्ट नज़र आती है !

    अरे वाह! सभी का क्या कहना, चीन की प्राचीन

    सभ्यता आज भी नज़र आती है !!

    हम न भूलेंगे कभी इस यात्रा को, जो

    दिल्ली विश्वविध्यालय और चीनी एम्बेसी

    ने जो करवाई है, जैसे की भारत और चीन

    आज भी किसी माँ के दो भाई –भाई हैं!

    फिर यही गुनगुनाऊंगा और विश्व को बताऊंगा कि-

    जो अपने आप को नया बनाया है, वही चीन कहलाया, वही चीन कहलाया है!!

    हैया :दीपक कुमार जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आगे पेश है उत्तर प्रदेश से सादिक आज़मी जी का पत्र। उन्होंने लिखा है....

    नये वर्ष 2017 का आगाज़ हो चुका है हमने भी क्लब मित्रों के संग क्लब रूम में बड़े हर्ष और नई उम्मीदों से के साथ एक पार्टी की और समय भी परिस्थिति के अनुकूल था। रेडियो पर सीआरआई महानिदेशक का संबोधन और राष्ट्रपति शी चिनफिंग जी का राष्ट्र और पूरी दुनिया के लोगों को शुभकामनाएं। सभी कुछ बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था। मन में नये वर्ष मे कुछ कर गुज़रने का समंदर मौजें मार रहा था।

    एक ओर जहां विश्व के कई हिन्दी अंतर राष्ट्रीय प्रसारण बंद होते जा रहे हैं। वहीं दूसरी cri के श्रोताओं की संख्या में वृद्धि होना इस बात का प्रमाण है कि 75वर्ष का योगदान अतुलनीय है। मैं हृदय भाव से cri की और सफलता की कामना करता हूं। नये वर्ष में हमारा साथ बना रहे इसी दुआ के साथ आञा चाहता हूँ। धन्यवाद।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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