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    आपका पत्र मिला 2017-01-18
    2017-03-05 16:21:21 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, ओडिसा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है......

    केसिंगा दिनांक 10 जनवरी। शाम साढ़े छह बजे प्रसारण अन्य सभाओं की बनिस्पत कम स्पष्ट होता है, फिर भी चौबीस घण्टे लम्बे इन्तज़ार के बाद इतना धैर्य नहीं बचता कि अधिक साफ़ सुनने के लिये और प्रतीक्षा की जाये। बहरहाल, अन्य तीन सभाओं को हम इसलिये सुनते हैं कि उनके रिसैप्शन की स्थिति से आपको अवगत कराया जा सके। वर्त्तमान में यहाँ रात साढ़े आठ और साढ़े नौ बजे वाले प्रसारण शॉर्टवेव 41 मीटरबैण्ड पर अन्य सभाओं के मुक़ाबले अधिक स्पष्ट सुनाई पड़ते हैं, जब कि प्रातः साढ़े आठ बजे 19 मीटरबैण्ड तथा शाम साढ़े छह बजे 31 मीटरबैण्ड पर रिसैप्शन अपेक्षतया कमज़ोर होता है। आपके सूचनार्थ। रोज़ाना की तरह हम ने आज का ताज़ा प्रसारण भी शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव पर सुनने की कोशिश की, परन्तु अफ़सोस कि 9450 किलोहर्ट्ज की आवृत्ति पर तो प्रसारण बिलकुल सुनाई ही नहीं पड़ा, जब कि 7265 किलोहर्ट्ज़ पर रिसैप्शन इतना व्यवधानपूर्ण था कि कुछ भी सुनना-समझना मुश्किल हो रहा था। SIO पैमाने पर आज का रिसैप्शन 2-2-2 कहा जायेगा। बहरहाल, जैसा सुना और समझा के आधार पर अब मैं उस पर अपनी त्वरित टिप्पणी के साथ आपसे मुख़ातिब हूँ। अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "चीन-भारत आवाज़" के तहत इतना ही समझ में आया कि अखिल पाराशर द्वारा दिल्ली स्थित आदित्य प्रकाशन के आदित्यजी से बातचीत की जा रही थी, जो प्रकाशन कि द्वारा भारतविद्या और बुध्दिजम पर प्रकाशित पुस्तकों का उल्लेख कर रहे थे।

    कार्यक्रम "नमस्कार चाइना" के विशेष सेगमेण्ट में चीन में पेइचिंग सहित कुछ बड़े नगरों में वायु-प्रदूषण की गम्भीर समस्या का ज़िक्र करते हुये वहां जारी किये गये नारंगी और पीले अलर्ट के बारे में बतलाया गया, परन्तु अत्यधिक शोर और इण्टरफ़ेयरेन्स के चलते उस पर सूक्ष्म जानकारी प्राप्त करना सम्भव नहीं हुआ। चीन की पांच शीर्ष सुर्ख़ियों में -पहली सुर्खी में शौचालयों का ज़िक्र था, इस बारे में आगे समझना मुश्किल था। फ़ाल्सवागेन द्वारा चीन से पचास हज़ार वाहन वापस लेने; जापान के नागोया में महोत्सव; चीन द्वारा चन्द्रमा का नया भूगर्भीय नक्शा तैयार करने की योजना तथा चीन में इस सोमवार से राष्ट्रीय त्यौहार के अवसर पर तीन दिवसीय छुट्टियों के दौरान सीआरसी द्वारा चलायी जायेंगी 188 नयी ट्रेनें, आदि समाचार जितना समझ में आये, महत्वपूर्ण लगे। जब कि 'खेल-दुनिया' में सानिया मिर्ज़ा की ब्रिसबेन ओपन में जीत के समाचार के बाद कुछ ऐसा सुनाई दिया कि जैसे वह अपने पार्टनर से हार गयीं। आशा है कि रिसैप्शन की स्थिति पर अविलम्ब ध्यान देने का कष्ट करेंगे। बहरहाल, अपनी जानकारी दुरुस्त करने मैं अगला प्रसारण अवश्य सुनूँगा। धन्यवाद्।

    केसिंगा दिनांक 13 जनवरी। प्रतिदिन की तरह आज भी सीआरआई हिन्दी के ताज़ा प्रसारण का रसास्वादन हम सभी परिजनों ने एकसाथ मिलकर शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर पूरे मनोयोग से किया और अब मैं रोज़ाना की तरह उस पर हम सभी की मिलीजुली राय लेकर आपके सामने हाज़िर हूँ। उम्मीद है कि हमारा यह प्रयास आपको पसन्द आता होगा। बहरहाल, ताज़ा अन्तराष्ट्रीय समाचारों में देश-दुनिया के हालात का ज़ायज़ा लेने के बाद हमने साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" भी पूरे मनोयोग से सुना, जिसके तहत आज गत सात जनवरी को चीन की राजधानी पेइचिंग में उद्घाटित पवित्र तिब्बती थांगका चित्रकला प्रदर्शनी पर प्रस्तुत रिपोर्ट काफी सूचनाप्रद लगी। एक पुराना और नियमित श्रोता होने के नाते यूँ तो हम थांगखा चित्रकला से भली-भांति परिचित हैं और यह भी जानते हैं कि तिब्बत में इसे किस प्रकार पूजा जाता है, परन्तु पेइचिंग में लोगों द्वारा इसमें अत्यधिक रूचि प्रदर्शित किये जाने का विशेष महत्व है। इस परिप्रेक्ष्य में तिब्बती चित्रकला अकादमी के उप-प्रधान लाबा त्सेरिंग ने मीडिया के साथ किये एक इंटरव्यू में जब यह कहा कि -प्रदर्शनी में तिब्बती कलाकारों की श्रेष्ठ रचनाओं व चित्रों को शामिल किया गया है और उनमें तिब्बत के विभिन्न समुदायों की रचनाएं भी शामिल हैं, तो प्रदर्शनी की अहमियत और बढ़ जाती है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि -पहली बार ऐसा हो रहा है कि देश के राष्ट्रीय कला संग्रहालय में थांगका चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है और जिसके तहत एक विशेष संगोष्ठी भी आयोजित की गयी, जिससे लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित हुआ। इसमें दोराय नहीं कि थांगका तिब्बत की विशेष चित्रकला होने के साथ-साथ इसे तिब्बती संस्कृति का विश्वकोश और पारंपरिक संस्कृति व कला की बहुमूल्य गैर-भौतिक विरासत माना जाता है। अच्छी बात है कि सरकार द्वारा थांगका, तिब्बती ओपेरा और गेसार महाकाव्य आदि पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण में भारी निवेश किया गया है। तिब्बत चित्रकला अकादमी के उप-प्रधान लाबा त्सेरिंग ने भी अपने थांगका चित्रों को इस प्रदर्शनी में शामिल किया। इसके साथ ही उन्होंने थांगका चित्रकला के विकास में नवाचार की जरूरत पर भी बल दिया है। उनका यह कहना कि तिब्बत में थांगका चित्र धर्म, विश्वास और ऐतिहासिक विरासत का जीवित जीवाश्म माना जाता है और आज हम जो थांगका चित्र देख रहे हैं, वे सब बौद्ध धर्म के दिव्य चरित्र या साधुओं एवं उपासक साधना करने की कहानियों से संबंधित हैं, बिलकुल सही प्रतीत होता है।

    कार्यक्रम में आगे थांगका के बारे में कुछ विस्तृत जानकारियां प्रदान किया जाना भी ज्ञानवर्द्धक लगा। यथा: थांगका चित्र कपड़े या सिल्क पर बनाया जाता है और इसमें इस्तेमाल होने वाले रंग आम तौर पर खनिज पदार्थों से बनाये जाते हैं और इसी कारण है कि थांगका चित्र का रंग हजारों वर्ष सुरक्षित रह सकता है। थांगका के रंग बनाने में सोना, चांदी, मोती, सुलेमानी, कोरल, मरकत और मैलाकाइट आदि खनिज पदार्थों के अलावा केसर, रूबर्ब और इंडिगो आदि पौधा पिगमेंट को शामिल किया जाता है। थांगका के रंग बनाते समय बौद्ध ग्रंथों में निर्धारित नियमों का कड़ा पालन किया जाता है और एक परंपरागत थांगका चित्र बनाने में कई साल लग सकते हैं। धन्यवाद् इस महत्वपूर्ण प्रस्तुति के लिये।

    कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत गांधीनगर में आयोजित वायब्रेन्ट गुजरात ग्लोबल ट्रेड शो पर पंकज श्रीवास्तव द्वारा वरिष्ठ पत्रकार बिजेन्दर सिंह के साथ परिचर्चा सुनवाया जाना अत्यन्त महत्वपूर्ण लगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात को एकतरफ़ा तवज्ज़ो दिये जाने पर पंकजजी द्वारा सवाल उठाया जाना स्वाभाविक था, परन्तु यह तो इन्सान की सहज प्रकृति में शुमार है कि वह अपनी जड़ों को अधिक महत्व देता है। वैसे भी भारत में अच्छे प्रयासों को समर्थन कहाँ मिलता है ? ममता बनर्जी ने टाटा मोटर्स को पश्चिम बंगाल में नैनो का कारखाना लगाने की इज़ाज़त कहाँ दी थी ? जब कि ओड़िशा में पोस्को परियोजना अब भी अधर में लटकी हुई है। वैसे इसमें दोराय नहीं कि देश के प्रधानमंत्री जैसे पद पर बैठे व्यक्ति की सोच का दायरा व्यापक और विस्तृत हो। धन्यवाद् एक महत्वपूर्ण और ज्वलन्त परिचर्चा के लिये।

    हैया:सुरेश जी आगे लिखते हैं.... केसिंगा दिनांक 14 जनवरी। दिनचर्या का अटूट हिस्सा बन चुके सीआरआई हिन्दी के ताज़ा प्रसारण को प्रतिदिन की तरह मैंने आज भी

    अपने तमाम परिजनों के साथ मिलकर अपने निवास पर शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 7265 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर स्पष्ट रिसैप्शन के साथ सुना और अब मैं उस पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया के साथ आपके समक्ष पेश होने कम्प्यूटर की शरण में हूँ। संचार और बिजली ने साथ दिया तो कुछ ही क्षणों में यह रिपोर्ट आपके हाथों में होगी। बहरहाल, ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद पेश लोकप्रिय साप्ताहिक "आपकी पसन्द" हर बार की तरह आज भी काफी लज़ीज़ लगा। श्रोताओं के पसन्दीदा फ़िल्म -एक राज़, हमशक़्ल, मोहब्बत, हम, ख़ूबसूरत तथा क़यामत से क़यामत तक के छह रसीले गानों के साथ दी गई तमाम जानकारी अत्यन्त रोचक, ज्ञानवर्द्धक एवं आश्चर्यजनक लगी। चीन के शिनच्यांग बेवूर प्रदेश में उइगर समुदाय में शादी के समय दूल्हे द्वारा दुल्हन पर तीन बार तीर चलाये जाने वाली परम्परा काफी अनूठी लगी। शुक्र है कि ऐसा करते समय तीर के सामने वाला नुकीला हिस्सा तोड़ दिया जाता है। वहीं इंग्लैण्ड में क्रिसवुल एवं उसके पार्टनर द्वारा अस्सी फुट ऊपर लटकते तार पर चलते हुये शादी के बंधन में बंधने का समाचार तो और भी हैरान करने वाला था। भगवान सद्बुध्दि दें ऐसे लोगों को, जो कि शौक़ अथवा रिकॉर्ड बनाने के लिये कुछ भी कर गुज़रने को तैयार रहते हैं। आज के कार्यक्रम में सबसे महत्वपूर्ण आप द्वारा दी गई वह सीख लगी, जिसके तहत आपने दूसरों की सफलता को देख दुःखी होने को नुकसानदेह बतलाया था। वास्तव में, औरों से जलन अथवा ईर्ष्या करने वाले कब कुण्ठाग्रस्त अथवा अपने लक्ष्य से भटकेंगे, उन्हें स्वयं भी पता नहीं होता। इसलिये अपने मन में ऐसे दूषित विचारों को आने ही नहीं देना चाहिये। कम लागत में अधिक कमाई वाले आइडियाज़ भी काफी उपादेय लगे। अब यह तो सुनने वालों पर निर्भर करता है कि वह क्या करना पसन्द करते हैं। धन्यवाद् एक शानदार प्रस्तुति के लिये।

    अनिल:सुरेश जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आगे पेश है छत्तीसगढ़ से चुन्नीलाल कैवर्त जी का पत्र। उन्होंने लिखा है....

    'छिंगहाई-तिब्बत पठार'को 'विश्व की छत' के रूप में जाना जाता है। जहां पहले बाहरी लोगों के लिए पहुंचना बहुत मुश्किल होता था। छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग विश्व में समुद्री सतह से सबसे ऊंचे पठार पर गुज़रने वाली सबसे लंबी रेल लाइन है, जिसके निर्माण से विश्व रेलवे निर्माण के इतिहास में करिश्मा हुआ है। चीन ने समुद्र तल से लगभग 5100 मीटर ऊंचाई पर छिंगहाई तिब्बत रेलवे का निर्माण करके पूरी दुनिया को आश्चर्य में डाल दिया है। छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात 1 जुलाई 2006 को शुरू हुआ था। इसे अब 10 वर्ष हो चुके हैं। रेल मार्ग से तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में पर्यटन और अर्थव्यवस्था के विकास में तेज गति आ गई है। इस रेलवे को छिंगहाई और तिब्बत के विभिन्न जातियों के लोग "सुख का स्वर्ग मार्ग" कहते हैं।

    छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग की कुल लम्बाई 1956 किलोमीटर है। आंकड़ों के अनुसार अब तक रेल मार्ग से 11.5 करोड़ यात्रियों और 44.8 करोड़ टन माल का परिवहन किया जा चुका है। छिंगहाई-तिब्बत मार्ग यानी विश्व के सबसे ऊंचे और सबसे लंबे पठार पर दस साल पहले रेल लाइन शुरू होने के बाद तिब्बती लोगों के जीवन में व्यापक बदलाव आया है। रेलमार्ग शुरू होने का सबसे अधिक लाभ स्थानीय तिब्बती लोगों को मिला है। रेल से यात्रा करना न केवल सुरक्षित है, बल्कि तेज़ और सस्ता भी। छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग के शुरू होने के बाद वस्तुओं का परिवहन बहुत सुविधाजनक हो गया है। इसकी वजह से लोगों के रोजमर्रा के खर्च में भी कमी आ चुकी है। मसलन, चावल, तेल, आटा और अन्य खाद्य सामग्री के दाम कम हो गए हैं। छिंगहाई-तिब्बत रेलवे ने देश के भीतरी इलाकों से तिब्बत की यात्रा का समय बहुत कम कर दिया है। इसके साथ ही यात्रा खर्च में भी कमी आयी है। रेल यातायात ने स्थानीय उद्योगों के विकास में बहुत मदद की है। रेलवे के खुलने से स्थानीय अर्थव्यवस्था के विकास में नयी जान आ गयी है और देश के दूसरे क्षेत्रों से अधिक पूंजी निवेशक आकर्षित हो रहे हैं। छिंगहाई-तिब्बत रेलवे लाइन और रसद केंद्र की स्थापना से नागछु क्षेत्र में आर्थिक विकास बेहतर हुआ है। अब यहां प्रसंस्करण उद्योग का बड़ी तेज़ी से विकास किया जा रहा है। इसके साथ ही रोजगार के अधिक मौके मिलने से स्थानीय लोगों के जीवन में भी सुधार हो रहा है। इधर के वर्षों में छिंगहाई-तिब्बत रेलवे कंपनी ने छिंगहाई व तिब्बत के पर्यटन विभागों के साथ मिलकर कई पर्यटक ट्रेनें चलायी हैं। रेलवे की बड़ी परिवहन क्षमता से पठार का पर्यटन लोकप्रिय हो रहा है। इसके साथ इन क्षेत्रों में जाने वाले पर्यटकों, व्यापारियों, तीर्थयात्रियों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है।

    चीन बहुजातीय और अनोखी संस्कृतियों वाला एक विशाल देश है। चीन सरकार अल्पसंखयक जातीय क्षेत्रों में आर्थिक,सांस्कृतिक व शैक्षिक प्रगति को बढ़ावा देने,सभी अल्पसंख्यकों के जीवन स्तर को उन्नत करने के साथ-साथ लोगों के धार्मिक विश्वास का सम्मान करने और उनके सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा करने पर विशेष ध्यान देती है। इसका सटीक और सुंदर उदाहरण है-चीन का तिब्बत,जहां तिब्बती जाति के अलावा तिब्बत में लोबा, मनबा, नाशी, ह्वी, त्वुलुंग समेत कई जातियां बसी हुई हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में तिब्बत की जनता चीनी जनता के साथ मिलकर जातीय स्वशासन क्षेत्र के आर्थिक व सांस्कृतिक विकास को गति दे रही है।

    इस वर्ष तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति की 65 वीं वर्षगांठ है। पिछले 65 वर्षों में चीन की केंद्र सरकार के नेतृत्व में और तिब्बती जनता के परिश्रम के बलबूते आज तिब्बत में भारी परिवर्तन आया है। जनवादी सुधार ने सामंती जागीरदारों और भूदासों के बीच के संबंध को तोड़ा, दस लाख भूदास जमीन और अन्य उत्पादन संसाधन के मालिक बने, उन्होंने शारीरिक मुक्ति व धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता हासिल की और मानव बनने का हक प्राप्त किया। दस लाख भूदास पीढ़ी दर पीढ़ी सामंती भूदास व्यवस्था में जीवित साधन बन गये थे। उनके साथ पशुओं जैसा व्यवहार किया जाता था। तिब्बत में जनवादी सुधार किए जाने के पूर्व ज़मीन, वन और जल संसाधन समेत सभी उत्पादन सामग्री तत्कालीन तिब्बत की जनसंख्या में पांच प्रतिशत भिक्षुओं व कुलीनों के पास थी। बाकी जनता के पास कुछ नहीं था। इन 65 सालों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का व्यापक विकास हुआ है।

    शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद तिब्बत में न केवल आर्थिक क्षेत्र में बल्कि शैक्षिक जगत में भी भारी परिवर्तन आया है। देश भर में 15 वर्षों की अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था लागू करने वाले पहले प्रांत के रूप में तिब्बती लोगों की शिक्षा पाने का औसत समय 8.8 साल हो चुका है। वर्तमान में तिब्बत में निरक्षरता दर 1 प्रतिशत से कम हो गई है। जाहिर है कि तिब्बत में शैक्षिक स्तर बड़े हद तक उन्नत हुई है। गौरतलब है कि वर्ष 1985 से तिब्बत में निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था शुरू हुई। इसके आधार पर किसानों और चरवाहों के बच्चों के लिए निःशुल्क भोजन, निःशुल्क निवास और निःशुल्क पढ़ाई खर्च समेत तीन निःशुल्क नीतियां अपनाई जाती है। अब तक कुल 5 लाख 25 हज़ार तिब्बती छात्रों को लाभ मिला है। अब तक तिब्बत में प्रारंभिक तौर पर पूर्व स्कूली शिक्षा, आधारभूत शिक्षा, व्यवसायिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा और विशेष शिक्षा समेत संपूर्ण आधुनिक शिक्षा व्यवस्था कायम हुई।

    गौरतलब है कि तिब्बती चिकित्सा और औषधि का इतिहास 2300 से अधिक वर्ष पुराना है। जिसकी संपूर्ण सैद्धांतिक प्रणाली और समृद्ध क्लीनिकल अनुभव है। वह अब तक चीन में सबसे संपूर्ण और सबसे प्रभावित जातीय चिकित्सा व्यवस्था है। तिब्बती चिकित्सा चीनी परंपरागत चिकित्सा, पुरातन भारतीय चिकित्सा और पुरातन अरबी चिकित्सा के साथ विश्व भर में चार महान परंपरागत चिकित्साओं में से एक माना जाता है। अब वह संयुक्त राष्ट्र संघ में मानव गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों में शामिल होने की प्रतीक्षा में है। तिब्बती औषधि और चिकित्सा, शिक्षा, विज्ञान और अध्ययन में सतत विकास के साथ साथ वर्ष 2020 तक तिब्बत के 95 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रों और 100 प्रतिशत गांवों और कस्बा स्तरीय अस्पतालों में तिब्बती चिकित्सा क्लीनिकों और मेडकिल स्टोर खुलेंगे। साथ ही 75 प्रतिशत से अधिक गांव स्तरीय क्लीनिक तिब्बती चिकित्सा सेवा देने में सक्षम होंगे।

    हैया :चुन्नीलाल कैवर्त आगे लिखते हैं.... दूरसंचार उद्योग के तेज़ विकास से लाभ उठाते हुए विश्व की छत के नाम से मशहूर तिब्बत पठार ,चीन के भीतरी इलाकों , यहां तक कि दुनिया के साथ ज्यादा घनिष्ठ संपर्क कायम रहा है। हाल के वर्षों में तिब्बत में दूरसंचार उद्योग का भी अच्छा विकास हुआ है। इंटरनेट की व्यापकता 60 प्रतिशत से अधिक रही, जिससे सामाजिक विकास और नागरिकों के जीवन में भारी सुविधा मिली। आज के समय में मोबाइल फोन बुनियादी जरूरत बन गई है। जिसे देखो, उसी के पास मोबाइल फोन है। तिब्बत संचार प्रबंधन ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले साल के अंत तक तिब्बत में टेलीफोन ग्राहकों की संख्या 32 लाख 77 हजार तक पहुंच गई है। देखा जाए तो हर 100 लोगों के पास 107 फोन हैं।

    तिब्बत में मोबाइल फोन का चलन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। 20 सालों के विकास से लेकर अब तक तिब्बत में केबल, उपग्रह और लंबी दूरी वाले टेलीफोन नेटवर्क पूरे प्रदेश में फैल चुके हैं। हर गांव में इंटरनेट ब्रॉडबैंड और फोन का इस्तेमाल होने लगा है। अधिक से अधिक तिब्बती किसानों और चरवाहों को फोन की सुविधा देने के लिए दूरसंचार विभागों और संबंधित कंपनियों ने तिब्बती भाषा वाला ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर बाजार में उतारा है। जिससे लोग अपने मोबाइल फोन पर तिब्बती भाषा में देसी-विदेशी ख़बरों का जायजा ले सकें और विभिन्न प्रकार की सूचनाएं प्राप्त कर सकें। तिब्बत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 21 लाख 70 हजार के करीब है। तिब्बत में 70 प्रतिशत से अधिक लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।

    सरकार ने तिब्बती धार्मिक संस्कृति के संरक्षण में बड़ी पूंजी लगायी है। गतवर्ष सरा मंदिर को लामाओं के आवास के जीर्णोद्धार के लिए 23 लाख 90 हजार युआन आवंटित किये गए हैं। हर मंदिर में पानी, बिजली, रास्ता और पुस्तकालय है। सरा मंदिर में वृद्धाश्रम भी स्थापित हुआ है। चीन सरकार तिब्बत में धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित नहीं करती है। बल्कि सरकार ने कुछ धार्मिक गतिविधियों को लेकर बड़ी आजादी है।

    तिब्बत के ल्हासा शहर को सोलर सिटी भी कहा जाता है। इस शहर में अन्य शहरों की तुलना में धूप तेज होती है। धूप के नीचे विशाल पठार हैं, पठार पर पहाड़, झील, पेड़ और घास बहुत साफ दिखती है। ल्हासा में प्रसिद्ध शानदार पोताला पैलेस और स्वच्छ ल्हासा नदी के अलावा केंद्रीय ल्हासा के बाखुओ सड़क में भी ल्हासा की विशेषता देखी जा सकती है। ल्हासा की सड़कों पर कुछ लोग मक्खन चाय पीने के साथ-साथ बातचीत करते हैं, कुछ नागरिक सूत्र चक्र घुमाते हैं। बड़े नगरों की चहल–पहल से दूर रहने के लिए ल्हासा एक सबसे अच्छी जगह है।

    अनिल:चुन्नीलाल कैवर्त जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आपकी शिकायत पर ध्यान देने की कोशिश की जाएगी। उम्मीद करते हैं कि आप आगे भी हमारे प्रोग्राम सुनेंगे और टिप्पणी हम तक भेजेंगे। आगे पेश है राजस्थान से राजीव शर्मा जी का पत्र। उन्होंने लिखा है....

    सी आर आई हिंदी सेवा के सभी बंधुओं को मेरा नमस्कार। एक बार फिर नव वर्ष की मंगल कामना करता हूँ। चीनी नव वर्ष भी आ रहा है। इस बार के चीनी नव वर्ष का प्रतीक मुर्गा है, यानि आने वाला वर्ष मुर्गे के तरह सुंदर चंचल तेज व्यवस्थित और आत्मविश्वास से भरपूर रहेगा। मुर्गे के रूप में आने वाले चीनी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें। अब चीन में छुटियों का समय आ गया है।

    भुला दो बीता हुआ कल,

    दिल में बसा लो आने वाला कल,

    हंसो और हंसाओ, चाहे जो भी हो पल,

    खुशियां ले कर आयेगा आने वाला कल!

    कार्यक्रम में बदलाव श्रोताओ को जोड़ेगा

    सी आर आई नयी जानकारियां श्रोताओं को परोसेगा

    नए पुराने श्रोता मित्रों साथ रहेगा

    आने वाला साल सी आर आई परिवार का होगा

    चीनी नव वर्ष चीन देश के वाशियों और साथियों के लिए मंगलमय सुखमय स्वाथ्यकर और उत्तम रहे

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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