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    आपका पत्र मिला 2017-01-11
    2017-03-05 16:17:30 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, पश्चिम बंगाल से हमारे मॉनिटर रविशंकर बसु जी का। उन्होंने लिखा है......

    सादर नमस्कार।दिनांक - 5 जनवरी ,2017 को पंकज श्रीवास्तव जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के ताज़ा समाचार सुनने के बाद चंद्रिमा जी द्वारा पेश "बाल महिला स्पेशल" और अनिल पाण्डेय जी और नीलम जी द्वारा पेश साप्ताहिक "टी टाइम" प्रोग्राम सुना।

    आज समाचारों के बाद चंद्रिमा जी ने साप्ताहिक मैगज़ीन प्रोग्राम बाल-महिला स्पेशल में भारत स्थित चीनी राजदूत ल्वो चाओह्वेई और उनकी पत्नी च्यांग ईली का दिल्ली यूनिवर्सिटी के दौरे को लेकर एक रिपोर्ट पेश की जो मुझे बहुत पसंद आयी। रिपोर्ट सुनकर पता चला कि दिल्ली यूनिवर्सिटी चीन के विश्वविद्यालयों के सहयोग पर बड़ा ध्यान देती है, और चीन के साथ और विस्तृत अध्ययन, शिक्षा के सहयोग व मानवीय आदान-प्रदान करना चाहती है।चीनी लोगों के विचार में दिल्ली यूनिवर्सिटी चीन के पेइचिंग विश्वविद्यालय की तरह है। दिल्ली यूनिवर्सिटी व चीन के शिक्षा विभाग के बीच लंबे समय से अच्छे संबंध रहे हैं। पचास के दशक से चीनी छात्र यहां आकर पढ़ते रहे हैं। दूतावास की काउंसलर च्यांग ईली उनमें से एक थी।रिपोर्ट में बताया गया है कि 23 दिसंबर 2016 को भारत स्थित चीनी राजदूत ल्वो चाओह्वेई और उनकी पत्नी च्यांग ईली ने दिल्ली यूनिवर्सिटी का दौरा किया।

    दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्वी एशिया अध्ययन विभाग के कार्यालय में विभागाध्यक्ष अनीता शर्मा ने राजदूत दंपति का स्वागत किया। 26 साल पहले राजदूत की पत्नी काउंसलर च्यांग ईली दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की थी और वह भारत में पीएचडी करने वाली पहले चीनी व्यक्ति हैं। वे चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी में दक्षिण एशिया मामलों के अध्ययन की विशेषज्ञ थीं। उन्होंने कई पुस्तकें लिखकर प्रकाशित कीं। उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तक "विश्व द्वितीय युद्ध के बाद दक्षिण एशियाई देशों के विदेशी संबंधों का अध्ययन" इस क्षेत्र में एक पाठ्यपुस्तक है। उनकी पुस्तकें "गंगा की आत्मा---हिन्दू धर्म की चर्चा" और "शेर वीर---सिख धर्म का इतिहास" चीन में बहुत प्रभावशाली हैं। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की आत्मकथा "पूर्व की बेटी" का अनुवाद भी किया। काउंसलर च्यांग ईली और राजदूत ल्वो चाओह्वेई द्वारा एक साथ लिखित पुस्तक "पूर्वी बौद्ध धर्म की संस्कृति" और अनुवादित पुस्तक "जुंग मनोविज्ञान व तिब्बती बौद्ध धर्म" को व्यापक स्वागत मिला। वर्ष 1990 के आरंभ से 1993 के अंत तक च्यांग ईली ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में धर्म व दर्शन का अध्ययन किया। उनकी पीएचडी थीसिस "हिन्दू धर्म व बौद्ध धर्म का तुलना अध्ययन" का अंग्रेज़ी संस्करण सिंगापुर में प्रकाशित हुआ। दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति योगेश जी ने राजदूत दंपति के दौरे पर बड़ा महत्व दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी चीन के विश्वविद्यालयों के सहयोग पर बड़ा ध्यान देती है, और चीन के साथ और विस्तृत अध्ययन, शिक्षा के सहयोग व मानवीय आदान-प्रदान करना चाहती हैं। कुलपति योगेश को आशा है कि भारत व चीन विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग से दोनों जीत और समान विकास प्राप्त कर सकेंगे। इस रिपोर्ट की प्रस्तुति के लिये चंद्रिमा जी का धन्यवाद।

    "बाल महिला स्पेशल" कार्यक्रम सुनने के बाद अनिल पाण्डेय जी और नीलम जी द्वारा पेश साप्ताहिक "टी टाइम" प्रोग्राम में आज बहुत रोचक जानकारी दी गई। आज के कार्यक्रम की शुरुआत में आपने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक की एफबी स्टार्ट प्रोग्राम के बारे में बताया जो मुझे बहुत सूचनाप्रद लगी। सुना है कि फेसबुक ने भारत के र्इ कामर्स प्लेटफार्म काउटलूट को 40 हजार डालर की सहायता दी है। वहीं स्टार्ट अप पार्टि को, फ्लिकसप कटेंट डिस्कवरी सोशल नेटवर्क, मोबाइल एप हीलओ फार्इ, वीडियोवाइब जैसे स्टार्टअप्स को भी फेसबुक मदद दे चुका है। साथ ही कर्इ स्टार्ट अप्स को फेसबुक ने फ्री टूल्स और सर्विसेज भी प्रदान की है।वहीं टोरंटो के हेंगरमन डाउनटॉउन में आयोजित आर्ट फेस्टिवल के बारे में दी गयी जानकारी मुझे काफी पसंद आया। सुना है कि हेंगरमन डाउनटॉउन के लोग किताबें पढ़ने का काफी ज्यादा शौक रखते हैं और वहां के लोगों की पढ़ने की तीव्र इच्छा को देखते हुए वहां पर एक आर्ट फेस्टिवल का आयोजन किया गया था। इस आर्ट फेस्टिवल के लोगों ने ही वहां के लोगों के लिए उनकी गलियों में साहित्य की किताबों को इकट्ठा किया तो वो बहती हुई नदी की तरह दिखने लगी थी। उधर दक्षिण कोरिया में लोगों में अपनी मौत से पहले ही अंतिम संस्कार का चलन के बारे में सुनकर मैं थोड़ा बहुत आश्चर्यचकित हुआ। ब्रिटेन की विलरबाई इनोवेशन नाम की एक कंपनी द्वारा एक दिन में बंगला बनाने की तकनीक काफी रोचक लगी। आज यह सुनकर अच्छा लगा कि ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में लिंग भेद खत्म करने के उद्देश्य से एक अनोखी पहल शुरू की गई है। इसके मुताबिक अब छात्र एक-दूसरे को "ही" और "शी" नहीं, बल्कि "झी" संबोधित करेंगे। इसका मकसद लड़का और लड़की के भेद को खत्म करना है। वाकई यह एक स्वागतयोग्य प्रयास है। उधर स्पेन में हर साल सेंट एंथनीज डे पर आग पर घोड़े दौड़ाने की अनोखी प्रथा के बारे में दी गई भी काफी रोचक लगी। खाना खाने के बाद मीठा खाने के बारे में दी गई जानकारी रोचक होने के साथ साथ ज्ञानप्रद भी रही।वहीं आज सुना है कि दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के ठीक पीछे की तरफ जंगल में पुलिस को एक गुफानुमा मजार मिली है। इस गुफा के बारे में पुलिस को इससे पहले कोई जानकारी नहीं थी। दिल्ली पुलिस ने इस मजार से दो संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार भी किया, लेकिन गहन पूछताछ के बाद सबकुछ सामान्य मिलने पर दोनों को छोड़ दिया गया। आज अनिल जी ने बताया कि नार्वे के शोधकर्ताओं ने यह चेतावनी दे दी है कि तनाव और सेहत के बारे में बहुत अधिक चिंता करना दिल की बीमारियों को बढ़ावा देते हैं। धन्यवाद एक बेहतरीन प्रस्तुति के लिये।

    हैया:बसु जी आगे लिखते हैं.... सादर नमस्कार।सोमवार नया प्रोग्राम " चीनी कहानी " शुरू करने के लिए साथ ही इस प्रोग्राम का ऑडियो फाइल हिंदी विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए आप लोगों को धन्यवाद। पिछले कार्यक्रम ( 26 दिसंबर ) में लीला भट्ट द्वारा पेश तीन चीनी कहानियां - "सुन्दरी की नकल","पुत्र और पड़ोसी" और "काओ यांग का मकान" मेरे साथ मेरी पत्नी सुदेष्णा और मेरा बेटा उदित शंकर ने भी सुना। इन तीनों कहानी का विवरण मैं नहीं लिख रहा हूं क्योंकि इन कहानियों का स्क्रीप्ट आपकी वेबसाइट पर मौजूद है। पहली नीति कहानी "सुन्दरी की नकल" बहुत ही शिक्षाप्रद लगी। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अपनी सत्ता विसर्जन देकर कभी भी दुसरो का कॉपी बुक नक़ल नहीं करनी चाहिए क्योंकि उसका उल्टा परिणाम होता है। दूसरी नीति कथा "पुत्र और पड़ोसी" से हमें यह शिक्षा मिलती है कि एक ही चीज़ को दो विपरीत नजरिए या विपरीत दृष्टिकोण से देखना ठीक नहीं होता। इस कहानी में हमने देखा कि एक ही सुझाव देने पर अमीर अपने पुत्र की तारीफ करता था, पर बुजुर्ग पड़ोसी को शंका के नजरिए से देखता था। तीसरी कहानी "काओ यांग का मकान" से हमें यह सीख मिलती है कि सब चीज का अपना अपना नियम होता है और प्रकृति से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। मैं लीला भट्ट की प्रस्तुति शैली की सराहना करता हूं।

    अनिल:बसु जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आगे पेश है उत्तर प्रदेश भारत से सादिक आजमी जी का पत्र। उन्होंने लिखा है....

    विगत दिनों के बदलाव पर श्रोताओं की विभिन्न प्रतिक्रया से यह स्पष्ट हो जाता है कि cri हिन्दी विभाग का रवैया पूर्व की ही भांति कठोर रहा है। एक ओर हमारे विचारों को सम्मान की दृष्टि से देखने के वायदे पर अमल होने का आश्वासन दिया जाता है, तो वहीं दूसरी ओर मनमानी कैंची से कतरने का क्रम भी जारी रहता है।

    कार्यक्रम के बाद सबसे सशक्त माध्यम खबरों की प्राप्ति का आपकी वेबसाइट है। पर जब वहां आलस का मंज़र आपके द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, तो हृदय उदासीनता के गहरे खड्डे में मुंह के बल गिर जाता है।

    हम तो सादगी भरा विचार रखते हैं और अपनी बात को सीधे स्वर में कहना पसंद करते हैं। निष्पक्षता का दामन न छूटे सदैव प्रयास भी यही रहता है। हो सकता है मेरी ये टिप्पणी आपके विभाग को तल्ख लगे, लेकिन हम इसे अपना कर्त्तव्य समझकर कहते हैं,

    हां, यह भी सत्य है कि पिछले कई महीनों से मेरी गैर उपस्थिति मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी रही है, जिसका मैं दोषी करार दिया जाता हूं और क्षमां का प्रार्थी हूं।

    हैया:सादिक आजमी जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आपकी शिकायत पर ध्यान देने की कोशिश की जाएगी। उम्मीद करते हैं कि आप आगे भी हमारे प्रोग्राम सुनेंगे और टिप्पणी हम तक भेजेंगे। आगे पेश है राजस्थान से राजीव शर्मा जी का पत्र। उन्होंने लिखा है....

    मैं आपकी वेबसाइट का पुराना पाठक हूं। काफी दिनों बाद आपको ईमेल कर रहा हूं, जिसके लिए क्षमा चाहूंगा। आज मैं चीन के ऐतिहासिक स्थलों के बारे में इंटरनेट पर सर्च कर रहा था। अचानक मेरी नजर गुन्लू मंदिर की विभिन्न तस्वीरों की ओर गई। यह एक बेहद खूबसूरत मंदिर है।

    मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प बात भी है। यह मंदिर सदियों से सिर्फ एक खंभे पर खड़ा है। इस दौरान कई मौसम व बदलाव आए और चले गए लेकिन यह आज भी अपनी जगह अचल खड़ा है। इस मंदिर से हमें सीखना चाहिए कि धैर्यशाली और अपनी ताकत से खड़े होने वाले ही इतिहास में अमिट निशान छोड़ जाते हैं।

    मैं इस मंदिर के निर्माता का आभार व्यक्त करना चाहूंगा कि वे दुनिया को इतनी बेहतरीन विरासत सौंप कर गए। उनका नाम श्री ये जुकिया था। वे अपनी मां से बहुत प्रेम करते थे और यह मंदिर उसी प्रेम को समर्पित है।

    भारत और चीन की संस्कृति में कई समानताएं हैं। हम दोनों देश अपनी विरासत को साझा करते हुए एक दूसरे के करीब आएं तो यह दोनों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। सीआरआई हिंदी के सभी मित्रों को नववर्ष 2017 की अनेक मंगल कामनाएं।

    अनिलः शर्मा जी हमें पत्र भेजने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। दोस्तो, अब पेश है, जमशेदपुर से एस. बी.शर्मा जी का पत्र। उन्होंने लिखा है, चाइना रेडियो इंटरनेशनल के सभी भाई बहनो और कर्मचारियों को एस बी शर्मा के तरफ से नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये आप सभी नए साल में स्वस्थ और खुश रहें। सी आर आई का और विकास हो श्रोताओं और पाठकों के संख्या में अपार वृद्धि हो यही हमारी कामना है आने वाले वर्षों में और अपने क्षेत्र में सर्वोत्तम बने और अपने चाहने वालों के दिलो में राज करें

    सी आर आई परिवार को मेरी मंगल कामना

    सदा दूर रहो ग़म की परछाइयों से;

    सामना न हो कभी तन्हाईओं से!

    हर अरमान हर ख्वाब पूरा हो आपका;

    यही दुआ है दिल की गहराइयों से!

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

    इससे पहले की 2016 अस्त हो, 2016 का कैलंडर नष्ट हो,

    आप ख़ुशी में मस्त हो, मोबाईल का नेटवर्क व्यस्त हो,

    दुआ है 2017 आपके लिये ज़बरदस्त हो!

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

    हैया:अब पेश है ओडिसा से हमारे मॉनीटर सुरेश अग्रवाल का पत्र। उन्होंने लिखा है....

    दिनांक 2 जनवरी। सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण रोज़ाना की तरह आज भी शाम ठीक साढ़े छह बजे मैंने अपने तमाम परिजनों के साथ मिलकर शॉर्टवेव 7265 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर पूरे मनोयोग से सुना और अब मैं उस पर अपनी त्वरित टिप्पणी आप तक पहुँचाने कम्प्यूटर के सामने बैठा हूँ। बिजली और संचार ने साथ दिया तो कुछ ही क्षणों में हमारी बात आप तक पहुँच जायेगी। बहरहाल, ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "आर्थिक जगत" के तहत वर्ष 2003 में तुर्क़ी से दक्षिण-पश्चिमी चीन के चेच्यांग प्रान्त स्थित ईवू आकर व्यापार करने वाले श्री हारुन की कहानी सुनी, काफी महत्वपूर्ण लगी। वास्तव में, विदेश जाकर बिना किसी की सहायता के व्यापार करना आसान नहीं। मेरी राय में हारुन की क़ामयाबी में उनके व्यक्तिगत उद्यम के अलावा उनकी पत्नी का चीनी होना अधिक ज़िम्मेदार है। व्यापार के अलावा हारून वहां जनकल्याणकारी कार्यों में भी हाथ बंटाते है, यह भी उनके लिये मददगार साबित हो सकता है। कार्यक्रम में हारुन के साथ काम करने वाले लड़के चिनचेन तुंग के विचार भी उनके प्रति काफी सकारात्मक लगे। चीन में रहते हुये अपनी जड़ों को न भूलना और वहां तुर्क़ी स्थित अपने गृहनगर से लाये गये ख़ुबानी के पौधे लगाने वाली हारुन की बात भी मन को भावविभोर कर गयी। धन्यवाद् एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    कार्यक्रम "जीवन के रंग" के अन्तर्गत रोज़ाना एक गिलास गर्म दूध पीने के ज़बरदस्त फ़ायदे, विशेषकर सर्दियों में उससे होने वाले विशेष लाभ की बात काफी सूचनाप्रद लगी। फिर चाहे वह हल्दी या ख़ज़ूर के साथ दूध लेने की बात हो या कि दूध और ईसबगोल की, दूध वास्तव में, सेहत के लिये हर दृष्टि से फ़ायदेमंद है, इसमें दोराय नहीं। अगली जानकारी में जीवन और प्रकृति के अटूट रिश्ते पर भी अहम् जानकारी दी गयी। जहाँ नंगे पैर हरे घास पर चलने से अवसाद का शमन होता है, वहीं हरियाली के आँचल में कुछ समय बिताना स्वास्थ्य के लिये कितना लाभदायक हो सकता है, इस पर भी महती जानकारी हासिल हुई। धन्यवाद्।

    होस्ट लीला-भट्ट की लाज़वाब प्रस्तुति "चीनी कहानी" हर बार की तरह आज भी काफी शिक्षाप्रद लगी। आज के अंक में पेश "बिल्ली का नामकरण" तथा " पुराना तन्तुसाज़ अनमोल है" शीर्षक दोनों प्राचीन नीति-कथाएं अत्यन्त प्रेरक लगीं। धन्यवाद्।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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