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    आपका पत्र मिला 2016-12-21
    2017-03-05 16:02:39 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, ओडिसा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल जी का। उन्होंने लिखा है......

    केसिंगा दिनांक 13 दिसम्बर। सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण नियमानुसार प्रतिदिन की तरह आज भी शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की बजाय 7265 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर अधिक स्पष्ट पाया । कार्यक्रम का पूरा लुत्फ़ उठाने के बाद अब मैं उस पर हम सभी की त्वरित टिप्पणी के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूं। अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों का ज़ायज़ा लेने के बाद हमने साप्ताहिक "चीन-भारत आवाज़" भी ध्यानपूर्वक सुना, जिसके तहत गत नवम्बर में दक्षिणी चीन के क्वांगतोंग प्रांत के शनचन शहर में आयोजित दूसरी विश्व इंडोलॉजी सभा में दुनिया भर से आए विद्वानों ने भारत अध्ययन पर क्रमिक भाषण दिए। हमें सभा में उपस्थित दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ मा च्याली के विचार काफी महत्वपूर्ण लगे। उनका यह कहना कि वर्तमान विश्व इंडोलॉजी सभा का उद्देश्य चीन और भारत के बीच संपर्क और समझदारी को मज़बूत करने के साथ-साथ मित्रतापूर्ण आवाजाही के इतिहास का सिंहावलोकन करना है, बिलकुल सही जान पड़ा।

    मा च्याली ने कहा कि चीन और भारत के बीच संबंध प्राचीन हैं और दोनों देशों के बीच संपर्क का 2000 वर्ष पुराना इतिहास है, जिसके चलते चीन और भारत के बीच आवाजाही बहुत घनिष्ठ बनी रही है और द्विपक्षीय संबंधों का निरंतर विकास होता रहा है। मा च्याली ने कहा -"हम बहुत ख़ुश हैं कि पिछले कुछ वर्षों में चीन और भारत के नेताओं के बीच उच्च स्तरीय आवाजाही बराबर बनी रही। हमें आशा है कि इस तरह के संबंध चीन और भारत के बीच राजनीतिक विश्वास और रणनीतिक संपर्क मज़बूत बनाने में लाभदायक होंगे। हालांकि हमारे दोनों देशों के बीच समस्याएं मौजूद हैं, लेकिन इनका खुले दिल से विचारों के आदान-प्रदान के ज़रिए समाधान किया जा सकता है।"

    हमें उनका यह कहना भी सही जान पड़ता है कि - चीन-भारत संबंधों पर आम लोगों की समझदारी ज़्यादा नहीं है। हमें इतिहास का सिंहावलोकन कर उनकी समझदारी को और गहन बनाना चाहिए। चीन-भारत के साथ राजनीतिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाने को प्राथमिकता देता है। विश्व इंडिलॉजी सभा के आयोजन से हमारे दोनों देशों के विद्वानों के बीच संपर्क और मज़बूत होगा। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस समय हम भारत विद्या के अनुसंधान में जुटे हैं। इससे हम और अच्छी तरह चीन-भारत परंपरागत मित्रता को समझ सकते हैं। हम आशा करते हैं कि इस तरह के संबंधों का लगातार विकास होगा, ताकि और ज़्यादा लोग चीन-भारत संबंधों को गहन रूप से समझ सकें। आशा है कि विद्वानों और विशेषज्ञों के प्रयास और आदान-प्रदान के ज़रिए दोनों देशों की सरकारें और जनता एक दूसरे की समझदारी मज़बूत करेंगी। यह हम दोनों देशों के लिए लाभदायक है।

    मा च्याली ने एक पते की बात यह भी कही -कि चीन-भारत संबंधों के विकास की प्रेरक शक्ति दोनों देशों की मांग से आती है। हम दोनों देशों को विकास की आवश्यकता है और सहयोग मज़बूत करने की भी। चीन और भारत पड़ोसी देश ही नहीं, बल्कि विकासशील देश और नवोदित आर्थिक शक्तियां भी हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर हम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत के साथ संबंधों का विकास करना चीन की विदेश नीति का एक अहम हिस्सा है। चीन सदिच्छा से भारत के साथ संबंधों का विकास करना चाहता है। आशा है कि हम तीसरे पक्ष के प्रभाव को छोड़कर साझा विकास करेंगे।

    कार्यक्रम में दक्षिण एशिया मामलों के लिए चीनी विशेषज्ञ ल्यू शुहोंग द्वारा भी दूसरी विश्व इंडोलॉजी सभा में भाषण दिया गया। उन्होंने "रेशम मार्ग आर्थिक कॉरिडोर" और "21वीं सदी समुद्री रेशम मार्ग" यानी "एक पट्टी एक मार्ग" की रणनीति को दक्षिण एशिया पर अध्ययन के लिए लाभदायक है बतलाया। "एक पट्टी एक मार्ग" रणनीति की प्राथमिकता है आर्थिक निर्माण, जिसका उद्देश्य संबंधित देशों की अर्थव्यवस्था और समृद्धि को बढ़ावा देना है। आपसी समझदारी और सहयोग मज़बूत करना इस रणनीति को लागू करने का आधार है। भाषा विभिन्न देशों के बीच संपर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

    उन्होंने ने सही फ़रमाया कि -"दक्षिण एशियाई देशों में प्रचलित हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, सिंहली, तमिल और नेपाली जैसी भाषाओं का 'एक पट्टी एक मार्ग' के निर्माण में इस्तेमाल ज़रूर होगा। हम अंग्रेज़ी में भी बात कर सकते हैं, लेकिन स्थानीय भाषा बोलने में और सुविधा होती है। इसलिए इन भाषाओं को सीखने का काम बहुत महत्वपूर्ण है। "एक पट्टी एक मार्ग" से संबंधित देशों की संस्कृतियां रंगबिरंगी हैं, भाषाएं भी विविध हैं। चीन में इन भाषाओं को जानने वालों की संख्या बहुत कम है। "एक पट्टी एक मार्ग" के निर्माण में भाषा प्रतिभाओं की आवश्यकता है।

    "बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक गलियारा और चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर दक्षिण एशियाई क्षेत्र में 'एक पट्टी एक मार्ग' रणनीति के साथ घनिष्ठ संबंध होने वाली दो परियोजनाएं हैं। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से संबंधित देशों को बड़ा लाभ मिलेगा। पूंजी लगाने के साथ-साथ प्रतिभाओं की भी ज़रूरत है। इस समय विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे छात्र शायद भविष्य में इन परियोजनाओं में भी अपना योगदान कर सकेंगे।

    यह जानकारी भी अहम् लगी कि चीनी शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2015 और 2016 में क्रमशः योजना बनाई कि "एक पट्टी एक मार्ग" के लिए बौद्धिक समर्थन दिया जाएगा। इससे चीन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में संबंधित मेजर का विकास हुआ। प्रोफ़ेसर ल्यू शुहोंग के अनुसार शिक्षा मंत्रालय की योजना के अनुसार वर्ष 2017 में चीन के विश्वविद्यालों में 97 भाषाओं की कक्षाएं खोली जाएंगी। चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले सभी देशों में प्रचलित मुख्य भाषाओं के मेजर चीनी विश्वविद्यालयों में उपलब्ध होंगे।

    ल्यू शुहोंग ने अवगत कराया कि गत 50 और 60 के दशक में विदेशों के साथ कूटनीतिक आवाजाही शुरू होने के चलते चीन में विदेशी भाषा शिक्षा का तेज़ विकास हुआ और नई शताब्दी में प्रवेश होने के साथ ही चीन सरकार ने पूरे देश में 9 विदेशी भाषा शिक्षा-केन्द्र स्थापित किए, जिससे विदेशी भाषा शिक्षा को प्रोत्साहन मिला। अब दक्षिण एशियाई भाषा प्रतिभाओं का प्रशिक्षण न सिर्फ़ भारतीय विद्या और दक्षिण एशिया पर अध्ययन के लिए लाभदायक है, बल्कि "एक पट्टी एक मार्ग" रणनीति के क्रियान्वयन में भी उसे बौद्धिक समर्थन दिया जाएगा। धन्यवाद् भारतविद्या पर चीन का नज़रिया स्पष्ट करती इस रिपोर्ट के लिये।

    कार्यक्रम "नमस्कार चाइना" की शुरुआत 'पेइचिंग पेइचिंग' शीर्षक मधुर चीनी गीत से किया जाना रुचिकर लगा। विशेष खण्ड के तहत आज निर्मला शर्माजी से ली गई भेंटवार्ता का दूसरा अन्तिम भाग पेश किया गया, जिसमें यह जान कर प्रसन्नता हुई कि भारत में बुध्दिज़म समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि उसका पुनरोदय हो रहा है। जब कि बामियान के रास्ते चीन गये बौध्द धर्म को वहां काफी माना जाता है। बौद्ध धर्म के अलावा चीन और जापान आदि देशों में हिन्दूइज़्म को भी पसन्द किया जाता है और भगवान गणेश एवं हनुमान की भी पूजा की जाती है, यह जान कर भी अच्छा लगा। कार्यक्रम में आगे चीन की पांच शीर्ष सुर्ख़ियों में -पेइचिंग में पांच और मेट्रो लाइनों का काम शुरू; चीन द्वारा नई पीढ़ी का मौसम उपग्रह प्रक्षेपित; चीन में आगामी वसन्तोत्सव के अवसर पर यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ने की प्रत्याशा; चीन इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये स्थापित करेगा अधिक चार्जिंग केन्द्र तथा चीन शिक्षा के क्षेत्र में आदान-प्रदान को देश-विदेश में देगा बढ़ावा, आदि समाचार काफी अहम् लगे। जब कि 'खेल-दुनिया' में क्रिकेट टेस्ट में इंग्लैण्ड को पारी की हार देकर झूमा पूरा भारत देश तथा बिलियर्ड में भारत के पंकज आडवाणी द्वारा सिंगापुर के पीटर गिलक्रिस्ट पर फ़तह का समाचार भी अत्यन्त उत्साहवर्द्धक रहा। धन्यवाद् फिर एक उम्दा प्रस्तुति के लिये।

    हैया:सुरेश जी आगे लिखते हैं.... केसिंगा दिनांक 17 दिसम्बर। भले ही मैं प्रतिदिन सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण शॉर्टवेव पर शाम साढ़े छह बजे सुनता हूँ, सीआरआई के चारों प्रसारणों में रात साढ़े नौ बजे वाला प्रसारण ही यहाँ सबसे स्पष्ट सुनाई पड़ता है। शाम साढ़े छह बजे ही प्रसारण सुनने का कारण इन्तज़ार का और बर्दाश्त न कर पाना है, क्यों कि चौबीस घण्टे लम्बे इन्तज़ार के बाद ही सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण नसीब होता है। बहरहाल, रोज़ाना की तरह मैंने आज भी अपने तमाम परिजनों के साथ मिलकर शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 7265 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर कार्यक्रम सुना और अब मैं उस पर हम सभी की मिलीजुली प्रतिक्रिया के साथ आपके समक्ष उपस्थित होने कम्प्यूटर के समक्ष बैठा हूँ। उम्मीद है कि ज़ल्द ही हमारी बात आप तक पहुँच जायेगी। बहरहाल, ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद पेश हरदिलअज़ीज़ साप्ताहिक "आपकी पसन्द" हर बार की तरह आज भी तमाम रोचकता से भरपूर था और हमने उसका पूरा श्रवण-आनन्द उठाया। श्रोताओं के पसन्दीदा फ़िल्म -1942 ए लवस्टोरी, विधाता, प्यासा सावन, मिस्टर इण्डिया तथा चालबाज़ के पाँच फड़कते हुये गानों के साथ सुनाई गई इन्फ़ोसिस के संस्थापक एस.आर.नारायणमूर्ति एवं सुधा मूर्ति के जीवन में संघर्ष एवं असाधारण सफलता की कहानी वास्तव में, किसी चलचित्र जैसी और अत्यन्त प्रेरक लगी। वैसे उनकी यह दिलचस्प कहानी इससे काफी पहले भी एकबार सीआरआई पर प्रसारित हो चुकी है। इतने अन्तराल के बाद यदि इस तरह की सामग्री का पुनर्प्रसारण किया जाये, तो किसी को आपत्ति नहीं हो सकती। धन्यवाद्।

    केसिंगा दिनांक 19 दिसम्बर। पूरे चौबीस घण्टे लम्बे इन्तज़ार के बाद प्रतिदिन की तरह जब आज भी शाम साढ़े छह बजे सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण सुनने का समय आया, तो बाछें खिल उठीं, परन्तु अफ़सोस कि कल की भांति आज भी निराशा ही हाथ लगी, क्यों कि शॉर्टवेव 9450 तथा 7265 किलोहर्ट्ज़ सहित किसी भी आवृत्ति पर प्रसारण सुनने लायक नही था। SIO पैमाने पर रिसैप्शन के स्तर का आंकलन किया जाये, तो 3-2-2 कहा जायेगा। फिर भी जैसा सुनाई पड़ा और समझ में आया के आधार पर अब मैं आज के प्रसारण पर हम सभी परिजनों की मिलीजुली प्रतिक्रिया के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ। आपके सूचनार्थ। बहरहाल, देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों का ज़ायज़ा लेने बाद हमने साप्ताहिक "आर्थिक जगत" भी ध्यान से सुना, जिसके तहत एक चीनी लड़के द्वारा इजरायल में हाईटेक कम्पनी की शुरुआत कर व्यापार किये जाने तथा चीनी निवेशकों की इजरायल पर नज़र होने सम्बन्धी जानकारी दी गई, जो कि काफी महत्वपूर्ण लगी। यह भी पता चला कि पूर्व इजरायली राष्ट्रपति सिमोन पेरेज़ द्वारा लिखित पुस्तक से प्रभावित होकर चीनी लोगों द्वारा इजरायल के साथ व्यापारिक सम्बन्ध कायम करने का विचार आया। कार्यक्रम में इजरायल में अध्यापक और विद्यार्थियों के बीच के सम्बन्धों पर भी चर्चा की गई, परन्तु रिसैप्शन की गड़बड़ी के कारण बात ठीक से समझ में नहीं आयी। धन्यवाद्।

    कार्यक्रम "जीवन के रंग" के अन्तर्गत भारत की मायानगरी मुम्बई पर दी गई जानकारी पाकर अतीव प्रसन्नता हुई, क्यों कि हमारे देश के किसी महानगर पर किसी विदेशी प्रसारण द्वारा इतनी विस्तृत एवं सटीक जानकारी दिया जाना सुखद अनुभूति कराता है।

    कार्यक्रम "चीनी कहानी" के तहत होस्ट लीली भट्ट द्वारा पेश दोनों नीति-कथाएं "अजगर का वध" तथा "मोटे गले", जिसका शाब्दिक अर्थ 'घेंघा रोग से पीड़ित गाँववासी' होता है, सुन कर मन को काफी आनन्द मिला। नीति-कथाएं चीन की हों या कि किसी अन्य देश की, उनका फ़लसफ़ा एक जैसा ही होता है। धन्यवाद्।

    अनिल:सुरेश जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आगे पेश है पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु जी का पत्र। उन्होंने लिखा है....

    दिनांक 16 दिसंबर को आपका रेडियो प्रोग्राम सुना। पंकज श्रीवास्तव जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के ताज़ा समाचार सुनने के बाद साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" प्रोग्राम और "दक्षिण एशिया फोकस" प्रोग्राम सुना।

    आज साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" प्रोग्राम में हुमिन जी ने तिब्बत में विशेष सांस्कृतिक पर्यटन के जोरदार विकास को लेकर एक रिपोर्ट पेश की जो मुझे बहुत अच्छा लगा।

    रिपोर्ट में सुना है कि दक्षिणी चीन के गान-त्ज़ी तिब्बती स्वायत्त प्रांत में शांगरी-ला पारिस्थितिकी पर्यटन का विकास करने का एक आदर्श क्षेत्र माना जाता है। विश्व पर्यटन संगठन ने भी इसे पारिस्थितिकी पर्यटन और तिब्बती संस्कृति पर्यटन के गंतव्य के रूप में पुष्ट किया है। यहां प्राकृतिक सौंदर्य के मूल पारिस्थितिकी तथा तिब्बती संस्कृति से देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित किया जा रहा है। पर्यटन के विकास से इस क्षेत्र में रहने वाले तिब्बती लोगों के जीवन को भी खुशहाल बनाया गया है।गान-त्ज़ी तिब्बती स्वायत्त प्रांत के कांतिंग शहर में स्थित शीन-तु-च्याओ कस्बा अपने अद्भुत प्राकृतिक दृश्यों से विश्व प्रसिद्ध है। इस में पहाड़ों के बीच सुन्दर सुन्दर घाटियों को "दस मील गलियारा" का उपनाम भी दिया गया है। प्रति वर्ष यहां बहुत से पर्यटक और फोटोग्राफर आते हैं। सुना है कि पर्यटकों ने तिब्बती वासियों के घर में रहना चाहते हैं। क्योंकि तिब्बतियों के घर में रहने से वहां की विशेष तिब्बती संस्कृति का अनुभव ले सकते हैं। शीन-तु-च्याओ कस्बे में रहने वाले तिब्बती वाले त्ज़ाई-शी फंग-छ्वो और उन की पत्नी निमा-छ्वो तिब्बती सांस्कृतिक विशेषताओं से सजाये गये होटल का संचालन करते हैं। उन्होंने अपने होटल को एक काव्यात्मक नाम " फोटोग्राफिक का स्वर्ग " भी दिया। उनके होटल में तिब्बती शिष्टाचार और सांस्कृतिक रीति से अतिथियों का स्वागत किया जाता है जो तिब्बती संस्कृति का दर्शन और संरक्षण करने का सबसे अच्छा तरीका भी है। त्ज़ाई-शी ने कहा, पर्यटन का विकास करने से पहले यहां लोगों का जीवन बहुत मुश्किल था , बाद में सांस्कृतिक पर्यटन का विकास करने से लोगों का जीवन बिल्कुल बदल गया है और बाहर से आने वाले पर्यटकों को विशेष तिब्बती संस्कृति का दर्शन करने का मौका मिला है। कांतिंग शहर की सरकार इन तिब्बती होटलों के प्रचालकों को देश के दूसरे विकसित क्षेत्रों में सिखाने के लिए भेजती रहती है, ताकि ये तिब्बती चालक विकसित क्षेत्रों से अनुभव सीखकर अपने पर्यटन कार्यों का सुधार कर सकें।

    तिब्बत के डान-बा काउटी में भी तिब्बती संस्कृति पर्यटन का विकास किया जा रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि डान-बा काउटी के प्राचीन टावर्स और तिब्बती किले आदि सब हजार साल पुराने हैं। तिब्बती महिला श्याच्या-गामा अपनी दो बहिनों के साथ डान-बा काउटी में अपना होटल "च्या-चू बहिन " चलाती हैं। "च्या-चू बहिन " होटल में रहने वाले पर्यटकों की संख्या प्रति साल कई हजार तक बढ़ी है। श्याच्या-गामा ने बताया कि उनके होटल में आधुनिक सुविधाओं के बजाये तिब्बती विशेषता वाली वास्तु-कला से सजाया जाता है , यही विशेषता से पर्यटकों को आकर्षित है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पूर्ण रूप से पर्यटन का विकास करने की जो कोशिश की है , इससे यहां रहने वाले सभी तिब्बती लोगों के जीवन स्तर को उन्नत किया गया है। डान-बा काउंटी में तिब्बती संस्कृति वाले पत्थर से निर्मित वास्तुओं की कला बहुत ही ध्यानाकर्षक है। डान-बा काउंटी की यात्रा करने वाले पर्यटक वहां के तिब्बती विशेषता वाले किलों की प्रशंसा करते हैं। रिपोर्ट से पता चला कि गान-त्ज़ी तिब्बती स्वायत्त प्रांत में पर्यटन का अर्थतंत्र क्षेत्रों के आर्थिक स्तंभ बने हैं। कुछ काउंटियों में बहुत से परिवारों की आय में साठ प्रतिशत भाग आवासीय होटल पर निर्भर है। पर्यटन के विकास से तिब्बती विशेषता वाली संस्कृति का संरक्षण किया गया है और साथ ही तिब्बती लोगों का जीवन स्तर भी बेहतर हुआ है।

    आगे लिखते हैं कि इस रिपोर्ट के अंत में गान-त्ज़ी प्रांत के बारे में एक संक्षिप्त जानकारी दी गयी।गान-त्ज़ी तिब्बती स्वायत्त प्रांत दक्षिण-पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत में स्थित है। जिसका क्षेत्रफल 1.53 लाख वर्गकिमी. है। कांतिंग शहर (Kangding) इसकी राजधानी है। गान-त्ज़ी प्रांत के तहत 18 काउंटियां, 325 कस्बे और 2679 गांव हैं। गान-त्ज़ी प्रांत में समृद्ध जल और जियोथर्मल संसाधन मौजूद हैं और यहां पांडा और स्वर्ण बंदर जैसे दुर्लभ जानवरों की जन्मभूमि भी है। गान-त्ज़ी प्रांत के जमीन में तरह-तरह के खनिज पदार्थ हैं। गान-त्ज़ी प्रांत में कुल 249 प्राकृतिक हॉट स्प्रिंग्स हैं जो देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित हैं। गान-त्ज़ी प्रांत के लम्बे इतिहास में शानदार तिब्बती विशेष संस्कृति का विकास किया गया है। चीनी क्रांति के दौर में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली लाल सेना अपने विश्व मश्हूर लांग मार्च के दौरान गान-त्ज़ी प्रांत से गुज़री और यहां लाल सेना के बहुत से ऐतिहासिक अवशेष भी सुरक्षित हैं।

    दिनांक 17 दिसम्बर के साप्ताहिक कार्यक्रम आपकी पसंद में पंकज श्रीवास्तव और अंजली जी द्वारा पेश सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के संस्थापक एन नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति की लव स्टोरी मुझे बेहद अच्छा लगा। इन दोनों की प्रेम कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है जो कुछ इस तरह का है। सुधा और नारायण की लव स्टोरी पुणे स्थित टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी(TELCO) से शुरू हुई। दोनों यहीं काम करते थे। सुधा को किताबों का शौक था और वह अपने दोस्त प्रसन्ना से बुक्स मांग कर पढ़ा करती थीं। प्रसन्ना सुधा की कंपनी में ट्रेनिंग करते थे और वे नारायण मूर्ति के अच्छे दोस्त थे। नारायण को भी किताबों का शौक था। प्रसन्ना नारायण से किताबें मांग कर सुधा को दिया करते थे। एक बार मूर्ति ने सुधा और प्रसन्ना को अपने घर डिनर के लिए बुलाया। सुधा ने पहले इसके लिए इंकार कर दिया। लेकिन काफी मनाने पर आखिर सुधा मान गई और वह डिनर के लिए गईं। इसी पार्टी में सुधा और नारायण मूर्ति की पहली मुलाकात हुई। यहां से बात आगे बढ़ी और दोनों के बीच दोस्ती हुई।बाद में दोनों परिवारों की उपस्थिति में10 फरवरी 1978 को बेंगलुरु में नारायण मूर्ति और सुधा की शादी हुई।

    हैया:बसु जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आगे पेश है आज़मगढ़ से सादिक आजमी जी का पत्र। उन्होंने लिखा है ....

    Cri हिन्दी विभाग के सभी सदस्यों को सूचित करते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि आगामी 24 दिसम्बर 2016 दिन शनिवार को मेरी बहन और cri की पुरानी श्रोता नसरीन जहां का शुभ विवाह होने जा रहा है। आप सभी महानुभाव सादर आमंत्रित है।

    इस अवसर पर cri को प्रमोट करने हेतु विशेष आयोजन किया जाएगा। हम आपके कार्यक्रम को सुनते और पत्र व्यवहार भी करते हैं पर कुछ निजी कारणों के चलते पत्राचार पर विराम लगा था जो अब 24 तारीख की व्यस्तता के बाद पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा। और मेरे साथ क्लब सदस्य एक बार फिर पत्र व्यवहार हेतु सक्रिय हो जाएंगे। आशा करता हूं cri प्रबंधन मेरी और क्लब सदस्यों की मजबूरी को समझ कर माफ करेगा।

    पिछले दिनों कार्यक्रम सण्डे की मस्ती में चीनी गायक द्वारा गाया गया चीनी गीत "दूर से आये मेहमान ठहरो ना हमारे यहां" बेहद अच्छा लगा।

    संडे स्पेशल में एक विश्व संवेदनशील कहानी और अजीबोगरीब सेगमेंट में बताया कि चीन में रहने वाली जिओ यूं डो एक फोटोग्राफर हैं लेकिन अपनी लाइफस्टाइल और अपनी खूबसूरती के कारण सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में हैं। इतना ही नहीं जिओ ने 6 साल की उम्र में डांस सीखा और 16 साल की उम्र में वो मॉडल बन गई थी। जिओ यूं को एडवेंचर्स लाइफ जीना पसंद हैं। इसलिए वो ज्यादातर वक्त खतरनाक जगहों पर ही बिताती है। इतना ही नहीं फोटो क्लिक करने के लिए ये हसीना खतरनाक जानवरों के पास पहुंच जाती है, कभी शार्क के साथ फोटो क्लिक करने के लिए पानी में उतर जाती है तो कभी पोलर बीयर के साथ रात गुजारती है। अच्छी लगी।

    वहीं चीन की राजधानी पेइचिंग की गलियों में बहुत से सुंदर और उत्तम चाय घर छ्यू लांग युआन है। चीनी भाषा में छ्यू का मतलब है वक्र, लांग का मतलब है गलियारा और युआन का मतलब है आंगन। छ्यू लांग युआन टी हाउस के मालिक श्युए पिंगह्वा का जन्म पूर्वी चीन के आनह्वी प्रांत के छाओहू शहर में हुआ था, जहां चाय के पौधे बड़े पैमाने पर रोपे जाते हैं। श्युए पिंगह्वा के लिए चाय पीना जीवन का तरीका है। चीन की परंपरागत संस्कृति और कला के बारे में जानकारी ज़्यादा होने के साथ साथ श्युए पिंगह्वा को पता लगा कि चाय, चीनी संस्कृति और कला के बीच घनिष्ठ संबंध मौजूद हैं। तो चायघर का काम शुरू करने से चाय, चीनी संस्कृति और चीनी कला पर अपनी समझदारी अच्छी तरह दिखाना श्युए पिंगह्वा का कई वर्षों का सपना रहा है। खास रिपोर्ट पेश की जो बेहद अच्छी लगी। अनिता जी से चीनी कहानी बेहद अच्छी लगी।

    इसके साथ ही दूसरी विश्व इंडोलॉजी सभा नवंबर में दक्षिणी चीन के क्वांगतोंग प्रांत के शनचन शहर में आयोजित हुई। दुनिया भर से आए विद्वानों ने भारत के अध्ययन पर क्रमशः भाषण दिए। सभा में उपस्थित दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ मा च्याली ने कहा कि वर्तमान विश्व इंडोलॉजी सभा का उद्देश्य चीन और भारत के बीच संपर्क और समझदारी को मज़बूत करने के साथ साथ मित्रतापूर्ण आवाजाही के इतिहास का सिंहावलोकन करना है। खास रिपोर्ट बेहद अच्छी लगी।

    जबकि आपका पत्र मिला कार्यक्रम में ओडिसा से मॉनिटर सुरेश अग्रवाल और रबिशंकर बसु का पत्र बेहद अच्छा लगा।

    इसके साथ ही कार्यक्रम टी-टाइम में अनिल जी से भारत में पासपोर्ट बनवाने में होने वाली परेशानी को देखते हुए विदेश मंत्रालय आम लोगों के लिए एक अच्छी पहल करने जा रहा है, जल्‍द ही पोस्‍ट ऑफिस से अपना पासपोर्ट बनवा सकेंगे। भारतीय डाक सेवा में पासपोर्ट आवेदनों और डिलीवरी सर्विसेज का विस्‍तार हो। साथ ही विदेश मंत्रालय टाटा कंसलटेंस सर्विसेज (टीसीएस) के साथ भी अपना कॉन्‍ट्रैक्‍ट बढ़ाना चाहती है। मंत्रालय चाहता है कि टीसीएस वर्ष 2020 तक पासपोर्ट सेवा केंद्र का जिम्‍मा संभालेगा और इस आवेदकों का डाटा भी सहेजा जा सकेगा।

    अगली जानकारी में अनिल जी ने बताया कि अब बीएसएनएल अपने मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए एक जबरदस्त प्लान लेकर आने की तैयारी में है। जिसमें कस्टमर्स 149 रुपए में पूरे महीने अनलिमिटेड लोकल और एसटीडी कॉल कर सकते हैं। खास रिपोर्ट पेश की जो बेहद अच्छी लगी।

    नीलम जी बताया कि पॉल एंडरसन को दुनिया का सबसे ताकवर शख्स माना जाता है. वे अपनी पीठ पर एक साथ आठ लोगों को उठा सकते थे.

    अगली जानकारी में बताया कि एक शादी समारोह में हर्ष फायरिंग और शराब पीने का शौक रखने वाले कृपया हमारे यहां शादी में शामिल न हों। कश्यप जी ने अपनी शादी को भी जागरूकता का अनोखा तरीका बना लिया। रोचक जानकारी अच्छा लगी। एक बेहतरीन प्रोग्राम पेश करने के लिए फिर से धन्यवाद।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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