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    आपका पत्र मिला 2016-12-14
    2017-03-05 16:01:11 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, पश्चिम बंगाल से मॉनिटर रविशंकर बसु का। उन्होंने लिखा है......

    दिनांक - बुधवार 7 दिसंबर ,2016 को रात साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक शार्ट वेव 7395 किलोहर्ट्ज (kHz) पर रेडियो प्रोग्राम सुना।अनिल पांडेय जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के ताज़ा समाचार सुनने के बाद मैडम श्याओ यांग जी द्वारा पेश "विश्व का आईना" प्रोग्राम और उसके बाद पेश साप्ताहिक "आपका पत्र मिला " प्रोग्राम सुना। हालांकि पिछले 5 दिसंबर से आपका प्रोग्राम शार्ट वेव 7395 किलोहर्ट्ज (kHz) पर साफ सुनाई नहीं दे रहा है।

    इस क्रम में ताज़ा समाचार सुनने के बाद साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" प्रोग्राम और "दक्षिण एशिया फोकस" प्रोग्राम सुना।

    आज साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" प्रोग्राम में हुमिन जी ने दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत के गार्ज़े स्टेट के लीथांग काउंटी में मरुस्थलीय भूमि के खिलाफ किये गए संघर्ष के बारे में हमें एक कहानी सुनाई जो मुझे बहुत सूचनाप्रद लगी। रिपोर्ट सुनकर पता चला कि लीथांग काउंटी पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत के गार्ज़े स्टेट में है, जहां की औसत ऊंचाई 4014 मीटर है। लीथांग काउंटी 14 हजार वर्ग किमी. विशाल है और आबादी 70 हजार 420 है। लीथांग में तिब्बती के अलावा मंगोलियाई, हान, ह्वेई और ई आदि कई जातियां शामिल हैं।

    लीथांग क्षेत्र का मौसम विषम होता है। वहां सूखे के अलावा अकसर तेज़ हवा भी चलती रहती है। लीथांग काउंटी में विशाल रेगिस्तान मौजूद है। रेगिस्तान का विस्तार खेती और घास के मैदान के लिए सबसे बड़ा दुश्मन होता है। वहां रहने वाले किसानों व चरवाहों को बेहतर जीवन दिलाने के लिए स्थानीय सरकारों ने सात सालों के लिए रेगिस्तान को नियंत्रित करने का पूरा प्रयास किया।रिपोर्ट के अनुसार, अपने घास के मैदानों को बचाने के लिए लीथांग वासियों ने संघर्ष शुरू किया। तेज हवा को रोकने के लिए लोगों ने विशाल क्षेत्रों में दीवारें खड़ी की हैं। फिर दीवारों के भीतर ज़मीन पर गोबर या प्राकृतिक उर्वरक का इस्तेमाल कर उपजाऊ भूमि बनायी। इसके बाद ज़मीन पर घास और झाड़ी लगाना शुरू किया। कई सालों के प्रयास से विशाल गोबी रेगिस्तान को घास का मैदान बनाया गया है। आज जब लोग लीथांग काउंटी पहुंचते हैं तो चारों ओर घास दिखाई देती है।कई सालों की कोशिशों से लीथांग की छवि बिल्कुल बदल चुकी है। अब काउंटी के घास मैदानों पर रक्षा वन पंक्तियां खड़ी हैं , खेतों को तूफान से बचाने के लिए चारों ओर पेड़ लगाये गये हैं। जमीन हरियाली से ढकी होने से लोग सुहावने मौसम का आनन्द उठाने लगे हैं।

    लीथांग काउंटी के वृक्षारोपण कार्यालय के प्रमुख जू शी छ्यांग ने कहा,"अब तक हम रेतीली भूमि के विस्तार को नियंत्रित करने में समर्थ हैं, और बाद में हमने इस ज़मीन पर जड़ी बूटियां लगाने की योजना भी बनायी है। इस तरह वनस्पतियों के पुनःनिर्माण से जन जीवन में सुधार भी हो पाएगा। लीथांग में विशाल आर्द्रभूमि है। आर्द्रभूमि के संरक्षण से पानी का स्रोत संरक्षित हो सकेगा। इससे रेतीली भूमि के विस्तार को रोकने में भी मदद मिलेगी।" उक्त भूमि पर घास और झाड़ियां अच्छी तरह उग रही हैं, इसे देखकर चरवाहे बहुत खुश हुए हैं।तिब्बती चरवाहे राओ-च्ये ने कहा कि सरकार ने वातावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी है। यह बहुत अच्छी बात है, क्योंकि इससे लीथांग काउटी का शानदार भविष्य सुनिश्चित होगा।

    मरुस्थलीय भूमि के विस्तार के मुकाबले के लिए लीथांग काउंटी के लोग वातावरण संरक्षण के विशेषज्ञ बने हैं। लोगों को पता है कि घास मैदान चरवाहों के अस्तित्व की जड़ हैं। घास स्थल के बिना चरवाहों का जीवन भी नहीं बचेगा। वातावरण की रक्षा करना अनवरत विकास का आधार है। पिछले सात सालों के प्रयास से अब लीथांग काउंटी में तीन हजार हैक्टेयर मरुस्थलीय भूमि का सुधार किया गया है। अब लीथांग के पहाड़ों में चारों ओर मनोहर प्राकृतिक दृश्य घिरे हुए हैं। काउंटी नगर में वृक्ष, झाड़ियां और घास आदि दिखाई देते हैं। मार्ग के दोनों तटों पर पेड़ों की कतारें दूर तक बढ़ जाती हैं और मौसम भी सुहावना बना हुआ है।लीथांग काउंटी के वातावरण संरक्षण विभाग के प्रधान वानदंग ने कहा,"हमारे यहां औद्योगिक धुन्ध नहीं है। पेयजल का अनुपात 96 प्रतिशत तक रहा है। 98 प्रतिशत दिन सुहावने रहते हैं। यहां कोई प्रदूषण मौजूद नहीं है।"

    रिपोर्ट में सुना है कि लीथांग काउंटी में वातावरण संरक्षण की सफलता से चीन के सारे यांग्त्ज़ी नदी क्षेत्र पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। क्योंकि लीथांग क्षेत्र यांग्त्ज़ी नदी के ऊपर क्षेत्र में स्थित है। यहां मरुस्थलीय भूमि के सुधार करने से मिट्टी के कटाव को रोका गया है और इस तरह यांग्त्ज़ी नदी के लिए पारिस्थितिक संरक्षित क्षेत्र बने हुए हैं। लीथांग काउंटी में मरुस्थलीय भूमि के मुकाबले में किये गये संघर्षों से फलदायी परिणाम निकल गया है। अब लीथांग काउटी के चारों ओर पेड़ों और फूलों की क्यारियां हैं। काउंटी नगर में रास्ते पेड़ों से सज़े हरे गलियारे बने हुए हैं और सुहावने मौसम से तमाम पर्यटकों को आकर्षित किया गया है। लीथांग काउटी को विश्व का सर्वोच्च नगर का नाम प्राप्त है।

    रिपोर्ट में बताया गया है कि लीथांग काउंटी में जल संसाधनों का पर्याप्त भंडार है। जल विद्युत की क्षमता 8 लाख किलोवाट तक जा पहुंची है। इधर के वर्षों में लीथांग काउंटी में औसत आर्थिक वृद्धि दर 8 प्रतिशत तक रही है। रेतीली भूमि के सुधार से आर्थिक विकास के लिए बेहतर वातावरण तैयार किया गया है।जातीय शिक्षा के सुधार में सरकार ने इधर के वर्षों में लीथांग को कई करोड़ युवान की पूंजी लगायी है। अब सभी छात्रों को अनिवार्य शिक्षा की सेवाएं उपलब्ध है। निवासियों को स्वास्थ्य सेवा तैयार करने के लिए लीथांग सरकार ने जन अस्पताल, तिब्बती अस्पताल, रोग निवारण स्टेशन, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य स्टेशन समेत स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क स्थापित किया है।लीथांग काउंटी में 24 सांस्कृतिक स्टेशनों के अलावा 209 किसान पुस्तकालय भी स्थापित हैं। इसके साथ ही किसानों व चरवाहों के लिए कई स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। लीथांग में सभी सांस्कृतिक अवशेषों का अच्छी तरह संरक्षण किया जा रहा है।

    आज "दक्षिण एशिया फोकस" प्रोग्राम में पंकज श्रीवास्तव जी ने कर्नाटक के पत्रकार तिरुमलाचारी राजबंश जी के साथ तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के जीवन के विभिन्न चरणों को लेकर एक सुंदर आलोचना की। सुश्री जे जयललिता एक साधारण महिला थीं जिनकी ज़िंदगी असाधारण बन गई। वो एक बेहतरीन फिल्म अदाकारा और दूरदृष्टि वाली नेता और प्रशासक थीं। जयललिता ने सिर्फ़ 12 साल की उम्र में भरतनाट्यम का स्टेज शो किया जिसके बाद सुपरस्टार शिवाजी गनेशन ने कहा था कि वे एक दिन ज़रूर स्टार बनेंगी। जयललिता की पहली फ़िल्म श्रीसैला संतम कन्नड़ में बनी थी जिसके बाद उन्हें 140 से अधिक फिल्मों में काम किया। जयललिता 1991 में तमिलनाडु की पहली महिला और सबसे युवा मुख्यमंत्री बनीं।वो अपने मेंटर एमजीआर की जगह लेने में कामयाब रहीं जिन्हें 'देवतुल्य' माना जाता था। वह एक करिश्माई नेता थीं और विभिन्न पदों पर रहते हुये उन्होंने गरीबों के उत्थान के लिये काम किया और अम्मा के नाम से लोकप्रिय हुयीं।भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।

    हैया:बसु जी आगे लिखते हैं....

    "विश्व का आईना" कार्यक्रम में मैडम श्याओ यांग जी ने कर्नाटक के पूर्व मंत्री जनार्दन रेड्डी की बेटी की शाही शादी में 5 अरब रुपये का खर्च को लेकर एक रिपोर्ट पेश की जो मुझे प्रासंगिक और समसामयिक लगी।

    रिपोर्ट के मुताबिक,दक्षिण भारत के कर्नाटक के पूर्व मंत्री और खनन कारोबारी जनार्दन रेड्डी की बेटी की शादी पर पांच दिनों तक चले समारोह में लगभग पांच अरब रुपए ख़र्च हुए हैं। सोने का पानी चढ़ा निमंत्रण पत्र और बॉलीवुड सितारों की परफ़ॉर्मेंस ने इस शादी को चर्चा का विषय बना दिया है।रिपोर्ट के मुताबिक शादी में 50 हजार से ज्यादा लोगों के आने का अनुमान लगाया गया था जिनकी सुरक्षा के लिए 3 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे। सुना है कि दुल्हन के सुहाग की साड़ी बनाने के लिए करीब 17 करोड़ रूपये का खर्चा हुआ, जबकि उसके आभूषणों की कीमत 90 करोड़ रूपये थी।एक तरफ जहां नोटबंदी के बाद देशभर में लोग नोट बदलने और पैसे निकालने के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं, एटीएम के बाहर लोगों की लंबी-लंबी कतार लगी है,तब जनार्दन रेड्डी की बेटी की शादी में तकरीबन 500 करोड़ रुपये का खर्च हैरान कर देने वाला है।

    दूसरी रिपोर्ट में सुना है कि चीन में कुंवारों की तादाद साल दर साल बढ़ रही है। चीनी राष्ट्रीय नागरिक मंत्रालय के मुताबिक चीन में कुंवारों की संख्या 1990 के 6 प्रतिशत से बढ़कर 2013 के 14.6 तक पहुंच चुकी है। आंकड़े बताते हैं कि 2015 तक चीन में कुंवारों की संख्या 20 करोड़ थी। चीन के भीतरी इलाके में कई बार कुंवारों की लहर दिखी थी। पहली बार गत् 50 के दशक में प्रथम विवाह कानून से देश में कुंवारों की लहर पैदा हुई। और फिर 70 के दशक के अंत में चीनी युवाओं ने शहरों में वापस लौटने के लिए तलाक लिए और कुंवारा लहर आयी। जबकि 90 के दशक के बाद चीन में सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने से परम्परागत परिवार की विचारधा में परिवर्तन आया। तीसरी बार कुंवारों की लहर नजर आयी। अब अर्थतंत्र के तेज विकास और महिलाओं की स्व-जागरूकता के उन्नत होने से चौथी बार कुंवारों की लहर पैदा हुई है। 2010 की जनगणना के मुताबिक 30 की उम्र से ज्यादा अविवाहित महिलाओं का अनुपात 2.47 प्रतिशत पहुंच चुका है, जो 10 साल पहले की तुलना में दोगुना हुआ है। ज्यादा से ज्यादा युवतियां कुंवारी रहना चाहती हैं।

    जानकार विशेषज्ञों के मुताबिक कुंवारा लहर से कुछ समस्याएं पैदा होंगी। उदाहरण के तौर पर, 2014 में चीन में जन्म दर 1.137 प्रतिशत थी, जो एकदम निचले स्तर पर रही। नीची जन्म दर से श्रमिकों का अभाव होगा, साथ ही बाजार का पैमाना भी छोटा होगा। इसके अलावा कुंवारा लहर वृद्ध जनसंख्या की वृद्धि के कारणों में से एक है। चीनी राष्ट्रीय सांख्यकी ब्यूरो द्वारा 2014 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में 60 या 60 की उम्र से ज्यादा वाली आबादी 21.2 करोड़ तक पहुंची, जो देश की कुल आबादी की करीब 15.5 प्रतिशत रही। यह संख्या जर्मनी, फ्रांस व ब्रिटेन की कुल आबादी है। यह संख्या बढ़ रही है।

    इस रिपोर्ट ध्यान से सुनने के बाद मुझे लगा कि इस रिपोर्ट में चीन का महिलाओं और पुरूषों का अनुपात उल्लेख करना जरुरी था क्योंकि हम जानते है कि चीन में महिलाओं की संख्या पुरूषों के अनुपात में घट रही है जो दांपत्य-जीवन के लिए तथा समाज में समानता के लिए काफी चिंताजनक है।इस तरह गंभीर सामाजिक समस्या पर रिपोर्ट पेश करने के समय प्रोग्राम पेश कर्तायों को विश्लेषक धर्मी होना चाहिए वरना यह सिर्फ एक फीका रिपोर्ट बन जायेगा।

    अनिल:बसु जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आगे पेश है ओडिसा से हमारे मॉनिटर सुरेश अग्रवाल का पत्र। उन्होंने लिखा है....

    केसिंगा दिनांक 10 दिसम्बर। चौबीस घण्टे लम्बी प्रतीक्षा के बाद आज एक बार फिर सीआरआई हिन्दी का ताज़ा प्रसारण शाम ठीक साढ़े छह बजे शॉर्टवेव 9450 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति पर स्पष्ट रिसैप्शन के साथ सुना, तो हम सभी परिजनों की बाछें खिल उठीं और प्रसारित कार्यक्रम का पूरा लुत्फ़ उठाने के बाद अब मैं उस पर हम सभी की त्वरित टिप्पणी के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ। आशा है कि आप हमारी इस नियमित क़वायद से संतुष्ट होंगे। बहरहाल, ताज़ा अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद पेश सब का चहेता साप्ताहिक "आपकी पसन्द" हर बार की तरह आज भी लाज़वाब रहा। श्रोताओं के पसन्दीदा फ़िल्म -ये नज़दीकियाँ, सुनैना, वॉन्टेड, कच्चे हीरे, चलते-चलते तथा छोटी सी बात के छह फड़कते हुये गानों के साथ दी गई तमाम जानकारी ज्ञानवर्द्धक एवं जीवनोपयोगी लगी। सर्दी के मौसम में शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने हेतु दौड़ने एवं जॉगिंग करने के महत्व के साथ-साथ इन्हें करते समय कुछ ध्यान रखने योग्य ख़ास बातों का ज़िक्र किया जाना अत्यन्त महत्वपूर्ण लगा। जानकारियों के क्रम में पिछली सदी के पचास वाले दशक में भारत में विकसित आईआर-8 प्रजाति के चमत्कारिक चावल पर दी गई जानकारी भी बहुत ही सूचनाप्रद लगी। जब कि भारत में आगामी तीन वर्षों में रेलवे के होने वाले कायापलट के तहत आने वाली नई 'मैग्लेव' रेल-प्रणाली की विशेषताओं सम्बन्धी जानकारी अत्यन्त उत्साहवर्द्धक प्रतीत हुई। धन्यवाद् फिर एक बेहतरीन प्रस्तुति हेतु।

    अन्तर्राष्ट्रीय समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक "सन्डे की मस्ती" पूरे मनोयोग से सुना। कार्यक्रम की शुरुआत -'दूर से आये मेहमान ठहरो ना हमारे यहाँ' शीर्षक चीनी गीत का उसके भावार्थ के साथ सुनवाया जाना रुचिकर लगा। सन्डे विशेष में -विश्व की एक संवेदनशील कहानी क्रम में सपनाजी द्वारा पेश इंग्लैण्ड की कहानी 'एक मक़ान पुराना सा' का दूसरा भाग सुन कर कहानी का निचोड़ सामने आ गया। दाद देनी होगी मिसेज़ क्राइन की, जिन्होंने अपनी बुध्दिमत्ता के बल पर अपने बेटे के क़ातिल से बदला ले लिया। जानकारियों के क्रम में आगे ख़तरनाक़ जगहों पर रहने की शौक़ीन चीनी फ़ोटोग्राफ़र च्याओ की कहानी वाक़ई जीवटता से परिपूर्ण लगी। जब कि गुमशुदा बच्चों को तलाशने अपनी मिनरल पानी की बोतलों पर उनकी तस्वीरें छाप कर पीड़ित परिवारों को मदद पहुँचाने वाली चीनी कम्पनी का कार्य अत्यन्त सराहनीय लगा, जिसके लिये वह साधुवाद की पात्र है। इसके साथ यह तथ्य भी चौंकाने वाला लगा कि चीन में हर साल कोई दो लाख बच्चे गुमशुदा हो जाते हैं। हम भारतीयों के लिये यह ख़ुशी का समाचार है कि मेरठ में भारतीय कलाकारों द्वारा 1391 मीटर लम्बी पेन्टिंग बना कर न केवल गिनीज़ बुक में अपना नाम दर्ज़ करा लिया गया, अपितु अपने बड़े भाई चीन को भी पीछे छोड़ दिया। मनोरंजन खण्ड में -इस शुक्रवार रिलीज़ हुई फ़िल्म "बेफ़िक्रे" की चर्चा के साथ उसका ट्रेलर सुनवाया जाना शानदार लगा। और हाँ, आज के जोक्स में मेरे ऑडियो जोक्स को स्थान दिये जाने और फिर एक बेहतरीन प्रस्तुति के लिये हार्दिक धन्यवाद्।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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