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    आपका पत्र मिला 2016-11-09
    2017-03-05 15:45:32 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, ओडिसा से मॉनिटर सुरेश अग्रवाल का। उन्होंने लिखा है......

    केसिंगा दिनांक 4 नवम्बर को ताज़ा समाचारों के बाद पेश साप्ताहिक साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" हर बार की तरह आज भी काफी सूचनाप्रद रहा। कार्यक्रम सुन कर चीन सरकार की उस योजना पर महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई, जिसके तहत वर्ष 2020 तक तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में लगभग सात लाख गरीब लोगों को गरीबी से मुक्ति दिलाना है, लेकिन यह कार्य पूरा करना काफी कठिन है, क्यों कि तिब्बत में गरीब लोग विशाल क्षेत्रों में फैले हुए हैं, पर सरकार द्वारा तिब्बत के गांवों में गरीबी उन्मूलन हेतु विशेष कार्यदल भेजने का जो निर्णय लिया गया, वह प्रशंसनीय है।

    जानकारी के अनुसार तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पूर्व में स्थित मैरी गांव में कुल 157 चरवाहे परिवार हैं, जिनकी जनसंख्या लगभग एक हजार है। सर्वेक्षण में गाँव के 29 परिवारों के कुल 112 लोग गरीब श्रेणी के पाये गये। गांव भेजे गये कार्यदल ने गांववासियों की मदद के लिए व्यापक अनुसंधान किया और गांववासियों की व्यापक जानकारियां एकत्र कीं। कार्यक्रम में कार्यदल के प्रधान ई-शी दान-जेंग ने गाँववासियों की मुश्किलों का ज़िक्र करते हुये बतलाया कि -उनके लिये अपने उत्पाद बेचाना काफी मुश्किल है, क्यों कि गांव के आसपास कोई बाजार या बिक्री केंद्र नहीं है, वहीं दूसरी ओर गांववासियों को कमोडिटी या ट्रेडमार्क आदि की जानकारी भी नहीं है। ई-शी दान-जेंग के अनुसार ल्हासा में उनका एक दोस्त अब गाँववासियों के लिये ट्रेडमार्क की डिजाइनिंग कर रहा है।

    मैरी गांव में ढ़ेर सारे मक्खन, दूध, दही और फल आदि का उत्पादन होता है, लेकिन गांववासयों के लिए अपने उत्पाद बेचाने का बाजार नहीं है, इस पर कार्यदल द्वारा एक बिक्री मंच तैयार करने की भरसक कोशिश की गयी है। वास्तव में, कार्यदल गांववासियों के उत्पादों के लिए एकीकृत ट्रेडमार्क और एकीकृत पैकेज कायम करना चाहता था, तत्पश्चात उसने मैरी गांव के लिए एक लिमिटेड कंपनी स्थापित करने का विचार बनाया, जो विशेष तौर पर गांव में मूल-उत्पादों की बिक्री कर रही है। लेकिन शुरू में गांववासियों ने इस योजना का स्वागत नहीं किया, क्यों कि उनके दिमाग में कंपनी की स्थापना को लेकर संदेह था। गांववासियों के संदेह को दूर करने हेतु कार्यदल द्वारा मैरी गांव के सभी कर्मचारियों और गांववासियों को बुलाकर विचार-विमर्श किया गया। बाद में कंपनी के संचालन और लाभ का परिचय दिये जाने के बाद गांववासियों ने कंपनी की स्थापना पर अपना समर्थन प्रकट किया।

    कंपनी की स्थापना के बाद कार्यदल के नेतृत्व में मैरी गांव के लोगों ने अपने उत्पादों की पैकेजिंग शुरू कर उन्हें बेचने बाहर भेजना शुरू किया। ई-शी दान-जेंग के अनुसार कंपनी के लिए सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है ट्रेडमार्क और हमने उपभोक्ताओं में मैरी गांव के उत्पादों की प्राकृतिक गुणवत्ता प्रदर्शित करने की कोशिश की है। अब तो इंटरनेट के जरिये भी उत्पादों का प्रचार किया जा रहा है। इसके अलावा काउण्टी में आयोजित पर्यटन समारोह में भी अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगायी गयी है। पर्यटन समारोह के दौरान कोई पचास हजार लोगों का समागम हुआ और उत्पाद देखने के बाद बहुत से लोगों द्वारा फ़ोन पर ऑर्डर बुकिंग की गयी, जिससे लगभग पूरे उत्पाद बिक गये। कम्पनी की स्थापना के दो महीनों के भीतर ही मैरी गाँव में उत्पादों की बिक्री चालीस हजार युवान तक पहुँच गयी। इसके साथ ही गांव में एक दुकान भी स्थापित हो चुकी है और जिसकी बिक्री अस्सी हजार युवान होने का अनुमान है। गांववासी सांगदीन निम्मा के घर में दो सौ याक का पालन हो रहा है, पहले उनका दूध नहीं बेच पाते थे, अब यह चिन्ता दूर हो गयी। इतना ही नहीं, दूध और मक्खन ख़रीदते समय ग्राहक हमेशा मोल-भाव किया करते थे, परन्तु कम्पनी की स्थापना के बाद स्थिति बदल गयी है और उत्पादों का अच्छा मूल्य मिलता है। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि तिब्बत का कायापलट करने सरकार भरसक प्रयास कर रही है। धन्यवाद् एक अच्छी प्रस्तुति के लिये।

    हैया:आगे सुरेश जी लिखते हैं…

    5 नवम्बर को "आपकी पसन्द" का भी पूरा लुत्फ़ उठाया, जो कि हर बार की तरह आज भी लाज़वाब रहा। श्रोताओं की फ़रमाइश पर सुनवाये गये फ़िल्म -छाया, रेशमा और शेरा, ब्लफ़ मास्टर, शोर तथा एजेण्ट विनोद के पांच फड़कते हुये गानों के साथ दी गई जानकारी भी अव्वल दर्ज़े की रही। फ़िल्म 'ब्लफ़ मास्टर' का -'हुस्न चला कुछ ऐसी चाल.......गाना तो कुछ ऐसा था कि जिसे सुनने पर मेरी भी चाल बदल गयी ! जी हाँ, मुझे सौन्दर्यरस के गाने बहुत अच्छे लगते हैं।आपने सही फ़रमाया कि ग़रीबी में जन्म लेना तो ग़लत नहीं, पर ग़रीबी या निर्धनता में मरना इन्सान के लिये एक ग़लती जैसा ही है, क्यों कि इन्सान चाहे तो अपने उद्यम से चाँद-सितारों तक को तोड़ कर लाने की कूवत रखता है। तभी तो आज के कार्यक्रम में ग़ुरबत की सीढ़ियों को पार कर सफलता की बुलन्दियों को छूने वाले दो लोगों की कहानी हमें किसी प्रेरणा जैसी लगी। जी हाँ, दो रुपये की दिहाड़ी पर काम करने वाली कल्पना सरोज द्वारा अपनी मेहनत और सूझबूझ के बल पर कैसे 750 करोड़ रुपये पूंजी वाली कमानी ट्यूब्स नामक कम्पनी खड़ी कर दी गई, इसकी एक मिसाल है। वैसे भी कहावत है कि 'हिम्मते मर्दां मर्दें ख़ुदा' और जिसे चरितार्थ कर दिखाया छत्तीसगढ़ के साइकल की दुकान पर पंक्चर लगाने वाले बहादुर अली ने। वैसे इन दोनों कहानियों में एक बात समान रूप से पायी गयी, वह यह कि इन्हें काम करते समय किसी न किसी का सहारा अवश्य मिला। कार्यक्रम में अंजलिजी द्वारा चीन में विश्व के सबसे ज़्यादा करोड़पति और उनमें भी महिलाओं की संख्या अच्छी ख़ासी होने सम्बन्धी, जो जानकारी दी गई वह सूचनाप्रद थी। उनका यह कहना भी सही है कि भारत में मारवाड़ी, गुजराती, पंजाबी आदि समुदाय के लोग अपने उद्यम के बल पर दूसरों को भी रोज़गार उपलब्ध कराते हैं। धन्यवाद् फिर एक सार्थक प्रस्तुति के लिये। वैसे इतना तो आप भी मानेंगे ही कि आप जितनी मेहनत से कार्यक्रम बनाते और पेश करते हैं, मैं भी उन्हें उतनी ही शिद्दत से सुनता और सुन कर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया आप तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। धन्यवाद्।

    अनिल:सुरेश जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आगे पेश है पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु जी का पत्र। उन्होंने लिखा है....

    दिनांक - बुधवार 2 नवम्बर को मैडम श्याओ यांग जी द्वारा पेश "विश्व का आईना" प्रोग्राम और उसके बाद अनिल पांडेय जी और हैया जी द्वारा पेश साप्ताहिक "आपका पत्र मिला " प्रोग्राम सुना।

    आज "विश्व का आईना" कार्यक्रम में पहली रिपोर्ट में मैडम श्याओ यांग जी ने भारतीय युवाओं के फ्रीलांसर बनने के बारे में एक रिपोर्ट पेश की।भारतीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अब भारतीय युवा और चुनौती वाले कार्य, और विस्तृत ज्ञान होने वाले कार्य और लचीले कार्य प्रणाली की खोज करने की कोशिश करते हैं। बड़ी संख्या में लोग फ्रीलांसर बन रहे हैं। वे जीवन और काम के बीच संतुलन ढूंढने के साथ जीवन के नये ढांचे की स्थापना भी करना चाहते हैं।विश्व बैंक की रिपोर्ट से जाहिर है कि अनुमान है कि 2016 में इंटरनेट पर फ्रीलांसरों का पैमाना 4.4 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचेगा। करीब दो तिहाई फ्रीलांसर अमेरिका, भारत व फिलीपींस के हैं।भारतीय फ्लेक्सिंग इट के आंकड़े बताते हैं कि फ्रीलांसर मुख्यतः बाजार, आईटी और परामर्श तीन क्षेत्रों में केंद्रित हैं।फ्रीलांसर पार्ट टाइम जॉब है, इसलिए आमदनी स्थिर नहीं होती है। फ्रीलांसरों को सोशल बीमा जैसे किसी भी लाभ नहीं मिलता है। इसलिए लोगों को ध्यान से सोचने के बाद ही इस क्षेत्र में प्रवेश करना चाहिए।

    दूसरी रिपोर्ट में सुना है कि 4 अक्तूबर को जापानी मंत्रिमंडल ने कल्याण और श्रम श्वेत पत्र जारी किया, जिसमें निर्णय लिया गया कि जापान सरकार आजीवन श्रम व्यवस्था की स्थापना करने की कोशिश करेगी।इस श्वेत पत्र द्वारा जारी एक परिणाम से जाहिर है कि 40 से 59 की उम्र वाले जापानी लोगों में 70 प्रतिशत लोगों ने बुढ़ापे की सीमा को 65 से बढ़ाकर 70 बढ़ाने पर सहमति जताई है। वे रिटायर होने के बाद भी काम करना चाहते हैं। जारी श्रम श्वेत पत्र के अनुमान के अनुसार 2060 में हर 2.5 व्यक्तियों में एक बुजुर्ग होगा। श्वेत पत्र में जोर दिया गया कि जापान में बूढ़ेपन की गति विश्व में सबसे तेज़ है और यह भी एक विकास प्रवृत्ति रहेगी जो नहीं रोकी जा सकती है।जापानी मीडिया द्वारा जारी अन्य एक रिपोर्ट से जाहिर है कि जापान के ग्रामीण क्षेत्रों में बूढ़ेपन की स्थिति और गंभीर है। हाल में जापान में 20.9 लाख लोग खेती से जुड़े काम करते हैं, जो पाँच साल पहले की तुलना में 20 फीसदी कम है। किसानों की औसत उम्र 66.3 है। कई लोग बुढ़ापे की वजह से खेती आदि काम नहीं कर पाते हैं। कृषि आबादी के अभाव से जापानी कृषि की निर्यात नीति पर गंभीर असर पड़ा है।कृषि आबादी को संकट से बचाने के लिए जापान सरकार ने विदेशियों को खेती भूमि में काम करने का निर्णय लिया।

    तीसरी रिपोर्ट में सुना है कि कजाकस्तान में हाल ही में एक प्रागैतिहासिक युग के पिरामिड का पता चला है। चीनी मीडिया के अनुसार, यह धरोहर प्रागैतिहासिक युग का एक मकबरा है, जो मध्य कजाकस्तान के कारागानदा स्टेट में स्थित है। कारागानदा नेशनल विश्वविद्यालय के पुरातात्विक अनुसंधानकर्ता कुकुशकिन ने बताया कि मकबरे का आकार एक पिरामिड की तरह है, जिसका निर्माण ईसापूर्व 14 से ईसापूर्व 12 शताब्दी के बीच हुआ था।ब्रिटिश दैनिक पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार कजाकस्तान में सामने आए पिरामिड की धरोहर संभवतः विश्व में प्रथम पिरामिड हो, जो मिस्र के पिरामिड की तुलना में भी करीब 1000 साल पुराना हो।

    आज प्रोग्राम के अंत में सुना है कि ,एशिया में डाक टिकट जारी करने का पहला देश है भारत।रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत विश्व में डाक टिकट जारी करनेवाला दसवां देश है।1849 में ब्रिटेन ने भारत का कब्जा करने के बाद 1854 में भारत में डाक टिकट जारी किया था। एशिया में पहला डाक टिकट तत्कालीन ब्रिटेन अधिकृत भारत, जो अब पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र में जारी हुआ था। ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसर हेंरी बार्टलफ्रेरे ने भारत में एक विशेष राऊंड टिकट जारी किया था। चूंकि यह दक्षिण एशिया और एशिया में जारी पहला डाक टिकट है, इसलिए अब वह विश्व का मूल्यवान डाक टिकट बन चुका है।1949 के 15 अगस्त को इंडिया पोस्ट ने भारत की सभ्यता के विभिन्न कालों के मशहूर ऐतिहासिक धरोहरों और भारतीय संस्कृति की विविधता का प्रतिबिंबित करने वाली कुल 16 डाक टिकटें जारी कीं, जिन में हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, इस्लाम धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म आदि धार्मिक तत्व शामिल हैं। इन टिकटों में भारत की संस्कृति, कला और धार्मिक इतिहास का प्रतीक है, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय पोस्ट बाजार में इसका बड़ा स्वागत हुआ। वाकई भारतीय डाक टिकटों से संबंधित यह जानकारी ज्ञानवर्द्धक लगी।धन्यवाद।

    हैया:बसु जी, पत्र भेजने के लिये धन्यवाद। दोस्तो, अगला पत्र मेरे हाथ आया है छत्तीसगढ़ से चुन्नीलाल कैवर्त जी का। उन्होने लिखा है....

    विश्व का आईना मेरा पसंदीदा कार्यक्रम है। 2 नवंबर के कार्यक्रम में आपने भारतीय डाक टिकटों के बारे में कागी महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक जानकारी दी। एशिया में डाक टिकट जारी करने वाला सबसे पहला देश है भारत है। 1948 में महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन की स्मृति में भारत सरकार ने "महात्मा गांधी" की चार किस्मों की टिकटें जारी कीं। भारत और चीन के बीच घनिष्ट ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध है, इसलिए भारत ने चीन के साथ संयुक्त रूप से बोधगया और सफेद घोड़ा मठ आदि सेट टिकटें जारी की थीं। यह जानकारी मुझे काफी सूचनाप्रद लगी। धन्यवाद।

    डाक टिकटों के मामले में चीन दुनिया में सबसे ज्यादा सम्पन्न है। चीन की प्राकृतिक, सांस्कृतिक, जातीय, कलात्मक सुंदरता की झलक चीन के डाक टिकटों में देखी जा सकती है। 20-30 साल पहले चाइना रेडियो इंटरनेशनल से डाक द्वारा मुझे बहुत-से पत्र मिलते थे। जिनमें रंग बिरंगे डाक टिकट चिपके हुए होते थे। मैं उन टिकटों को सावधानीपूर्वक निकालकर अपने एल्बम में रख लेता था। इस प्रकार मेरे पास चीनी डाक टिकटों का सुंदर संग्रह है। खेद की बात है कि अब चाइना रेडियो इंटरनेशनल से बहुत कम पत्र मिलते हैं। साल में एकाक बार मिल भी जाये, तो उसमें पहले की तरह डाक टिकट नहीं चिपके होते। सब कुछ अतीत की बात हो गई। गुजरे जमाने को वापस नहीं लाया जा सकता !

    अनिल:दोस्तो, हाल ही में भारत में 'चीन पर्यटन वर्ष'के उपलक्ष्य में सीआरआई ने 'मैं और चाइना'शीर्षक लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया। जिसका परिणाम भी जारी किया जा चुका है। कई लोगों ने हमें ईमेल और पत्र भेजे। पिछले सप्ताह की तरह आज भी हम एक लेख शामिल कर रहे हैं। जिसे भेजा है, जमशेदपुर से प्रिया ने। उन्होंने लिखा है..

    हैयाः मैं एक सी आर आई हिंदी की छोटी श्रोता हूं। अभी मैं 10वीं की छात्रा हूं और अगले साल बोर्ड की परीक्षाएं देनी हैं। मम्मी पापा और बहन के साथ साथ आपकी रेडियो सुनती हूं। अक्सर पापा जी के दोस्तों के चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिंदी सेवा सुनती हूं बहुत मजा आता है। चीन से हिंदी में प्रसारण सुन काफी अच्छा लगता है। वैसे तो मुझे ठीक से याद नहीं कि मैं कब से आपकी रेडियो सुनती हूँ। पर एक बात तो मुझे बहुत अच्छी तरह याद है कि जब से मुझे होश आया तब से सी आर आई सुनती हूँ। पढ़ाई के बोझ के कारण और समय न मिलने की वजह से मैं पत्र नहीं लिख पाती हूँ। पर पक्की बात यह है कि मैं आपकी एक निष्ठावान श्रोता हूँ। जो भविष्य में भी आपके साथ जुड़ी रहेगी और आपके कामों की सराहना करती रहूंगी। आपके मिशन तक भारतीय जनता तक पहुंचाती रहूंगी। आपके रेडियो के प्रोग्राम से मुझे चीन के बारे में बहुत जानकारी हो चुकी है। सी आर आई चीन देश के लिए बहुत बढ़िया काम करता है। सारी सूचना जल्द मिल जाती है। वैसे तो मैं इस प्रतियोगिता के विषय में बहुत कुछ नहीं लिख रही हूँ। पर सी आर आई के प्यार से अपने मन की बात लिख रही हूँ। सी आर आई से बहुत अच्छी अच्छी चीनी विषय वस्तु की कहानियां सुनने को मिलती हैं। महिला और बाल विकास बहुत पसंद है जीवन के रंग टी टाइम के संग बढ़े अनोखे पर उपयोगी जानकारिया देता है जो हमारे दिन प्रतिदिन के कामों में उपयोग में आ सकता है। ये सूचनाएं बड़ी जीवनोपयोगी है। ये जानकारियां बहुत पक्की और सच्ची होती है। मैंने इसके जीके ट्राई किए हैं सबसे बेहतर और सटीक है। चीन के साथ विश्व की सारी जानकारियां आप बहुत सुंदर तरीके से पेश करते हैं। बीच-बीच में चीनी गाना मन मोहक लगता है। अरे शनिबार की हिंदी गानों को सुनकर बहुत एन्जॉय करती हूँ। इससे हमारी पढ़ाई के लिए उपयोगी जानकारी भी मिलती है। एक बात तो मैं पक्के तौर पर कह सकती हूँ की सी आर आई चीन के लिए भारत में अच्छे मित्र तैयार करता है। चीन को प्रेम करने वाला ढूंढता है। जिसके दिल में चीन के लिए असीम प्यार है, वही सी आर आई सुनता है।

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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