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    आपका पत्र मिला 2016-10-26
    2017-03-05 15:41:38 cri

    अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को अनिल का नमस्कार।

    हैया:सभी श्रोताओं को हैया का भी प्यार भरा नमस्कार।

    अनिल:दोस्तो, पहले की तरह आज के कार्यक्रम में हम श्रोताओं के ई-मेल और पत्र पढ़ेंगे।

    चलिए श्रोताओं के पत्र पढ़ने का सिलसिला शुरू करते हैं। पहला पत्र हमें आया है, ओडिसा से मॉनिटर सुरेश अग्रवाल का। उन्होंने लिखा है......

    केसिंगा दिनांक 19 अक्तूबर को साप्ताहिक "विश्व का आइना" भी ध्यानपूर्वक सुना, जिसके तहत चीन के पारम्परिक स्छ्वान ऑपेरा, जो कि दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के सछ्वान प्रांत में प्रचलित है, पर दी गई जानकारी अत्यन्त महत्वपूर्ण लगी। पता चला कि इसकी चर्चा करते समय लोग अकसर मुखौटा बदलना、आग निकालना、ऑपेरा में रंगीन मुख वाले पेंटेड पात्र और गायन आदि को याद करते हैं। वर्ष 2006 में स्छ्वान ऑपेरा चीनी राष्ट्रीय गैरभौतिक सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया गया। पिछले 10 सालों में स्छ्वान ऑपेरा की स्थिति में व्यापक परिवर्तन आ चुका है और ऑपेरा कलाकारों का जीवन भी रंग-बिरंगा हो चुका है। इस परिप्रेक्ष्य में छोंगछिंग स्छ्वान ऑपेरा कला केंद्र के वरिष्ठ अभिनेता शोंग फिंगआन ने कहा, छोटे थिएटर में ऑपेरा देखने वाले दर्शक ज्यादा नहीं हैं, बल्कि हमारे बड़े थिएटर में करीब 800 दर्शक बैठ सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर दर्शक और ज्यादा होते हैं। अब हम युवा दर्शकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। पहले स्छ्वान ऑपेरा देखने वाले दर्शक आम तौर पर बूढ़े लोग थे, अब 20 या 30 की उम्र वाले युवक भी शामिल हो रहे हैं। यह जान कर अच्छा लगा कि सरकार के समर्थन व प्रसार-प्रचार के अलावा स्छ्वान ऑपेरा खुद ही सृजन व विकास की खोज रहा है। हाल में अन्य कला-विधाओं की तुलना में स्छ्वान ऑपेरा का प्रभाव शायद कमजोर रहा है, फिर भी एक हजार साल से ज्यादा लम्बे इतिहास वाले गैरभौतिक सांस्कृतिक धरोहर के नाते स्छ्वान ऑपेरा अवश्य ही सृजन व विकास में नयी मनोहरता दिखा सकेगा।

    कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा गत 27 सितम्बर को ज़ारी उस रिपोर्ट को सुन कर चिन्ता हुई, जिसमें कहा गया है कि विश्व में 10 लोगों में 9 लोग खराब हवा में सांस लेते हैं और हर साल 60 लाख से ज्यादा मौतों के मामले वायु प्रदूषण से संबंधित हैं। रिपोर्ट में यह भी बतलाया गया है कि कि पृथ्वी पर 92 प्रतिशत से ज्यादा लोगों के आवासीय स्थलों में वायु प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय न्यूनतम स्तर से अधिक है। उल्लेखनीय बात यह है कि शहरों में वायु प्रदूषण अति गंभीर है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी वायु गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं है। यह भी एक दुःखद पहलू है कि वायु प्रदूषण से होने वाले 90 प्रतिशत मृत्यु के मामले अपेक्षतया ग़रीब देशों में होते हैं, जो कि मुख्यतः मलेशिया व वियतनाम जैसे दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत सागर क्षेत्रीय देश हैं। जहाँ आंकड़े बताते हैं कि विश्व में हर साल 60 लाख से ज्यादा लोगों की मौत की वजह वायु प्रदूषण है, वहीं खुले स्थानों में वायु प्रदूषण घरेलू वायु प्रदूषण से कहीं गंभीर रहा है। हर साल करीब 30 लाख से ज्यादा लोग बाहरी वायु प्रदूषण से मरते हैं।

    विश्व स्वास्थ्य संगठन के सार्वजनिक स्वास्थ्य व पर्यावरण ब्यूरो के प्रधान नाइरा की मानें तो गरीब देशों में वायु गुणवत्ता विकसित देशों से और खराब है, लेकिन वायु प्रदूषण विश्व के सभी देशों के हर एक सामाजिक वर्ग पर समान रूप से असर डालता है। नाइरा ने विश्व के तमाम देशों से सड़कों पर गाड़ियों की संख्या कम करने, कचरा प्रबंधन में सुधार तथा स्वच्छ गैस का इस्तेमाल करने आदि कदम उठाकर वायु प्रदूषण समस्या का हल करने का आह्वान किया है।

    विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस रिपोर्ट के आंकड़े विश्व की 3000 से ज्यादा मानव बस्तियों से इकट्ठे किए गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय वायु गुणवत्ता के मापदंड के अनुसार पीएम 2.5 को हर घन मीटर 10 माइक्रोग्राम से कम होना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस साल के मई माह में जारी अन्य एक रिपोर्ट से जाहिर है कि विश्व की शहरी आबादी में 80 प्रतिशत लोग रोज गंदी हवा में सांस लेते हैं, जबकि गरीब देशों में यह अनुपात 98 प्रतिशत है। धन्यवाद् इस सूचनाप्रद प्रस्तुति हेतु।

    श्रोताओं के अपने मंच साप्ताहिक "आपका पत्र मिला" के तहत हर बार यह अपेक्षा होती है कि कुछ नया सुनने को मिलेगा, परन्तु कार्यक्रम में एक ठहराव सा आया प्रतीत होता है। बहरहाल, पत्रोत्तर के पश्चात् 'मैं और चाइना' प्रतियोगिता के लेख क्रम में आज हीरापुर के श्रोता बीना पंड्या का लेख पढ़ा गया। आपसे गुज़ारिश है कि बस, अब तो फ़टाफ़ट उक्त प्रतियोगिता का परिणाम घोषित कर दीजिये। धन्यवाद्।

    हैया:आगे सुरेश जी लिखते हैं…

    केसिंगा दिनांक 21 अक्तूबर को चीन का तिब्बत भी गौर से सुना और पाया कि आप द्वारा दिल्ली से तिब्बत की सैर पर गये पत्रकार टेकचन्दजी से ली गई वहीं भेंटवार्ता सुनवाई गयी, जो कि आप पहले भी एकाधिक बार प्रसारित कर चुके थे। सच कहूँ, तो मैं वर्षों से दिनभर सीआरआई हिन्दी प्रसारणों का इसलिये इन्तज़ार करता हूँ कि ताज़ा प्रसारण सुन कर उस पर अपनी विस्तृत टिप्पणी से आपको अवगत कराऊंगा, और मैं ऐसा करता भी आया हूँ। अब आप ही बतलाइये कि मैं ऐसी पुनरावृत्ति पर क्या प्रतिक्रिया दूँ ? और मेरी उस प्रत्याशा का क्या, जिसके लिये मैंने दिनभर इन्तज़ार किया ? वास्तव में, इस तरह की निराशा हम जैसे नियमित और सीआरआई के प्रति समर्पित श्रोता को होना स्वाभाविक है। आप अपने प्रसारणों पर श्रोताओं से अक़सर सुझाव मांगते हैं, और आपको मुझ जैसे श्रोता सुझाव भेजते भी हैं, परन्तु अफ़सोस कि उन पर अमल कम ही होता है। खैर, सीआरआई का हितैषी होने के नाते और आप द्वारा श्रोताओं को बेवाक ढ़ंग से अपनी बात रखने की छूट दी होने के कारण मैंने अपनी बात आप तक पहुँचाना अपना कर्त्तव्य समझा। आशा है कि इसे अन्यथा नहीं लेंगे।

    कार्यक्रम "दक्षिण एशिया फ़ोकस" के अन्तर्गत भी आज एक पूर्वप्रसारित भेंटवार्ता सुनवाई गयी, जिसमें पंकज श्रीवास्तव द्वारा खगोलविद प्रोफ़ेसर रमेशचन्द्र कपूर से भारत द्वारा पिछले दिनों फ्रेंच गुयाना के कोरु लॉन्च-पैड से प्रक्षेपित जीसैट-18 उपग्रह के सन्दर्भ में बातचीत की गई थी। अब आप ही बतलाइये कि मैं इस पर क्या टिप्पणी करूँ। धन्यवाद्।

    केसिंगा दिनांक 22 अक्टूबर को साप्ताहिक "आपकी पसन्द" का भी पूरा मज़ा लिया और उसमें सुनवाये गये फ़रमाइशी गानों के साथ दी गई तमाम जानकारी को बहुत ही उपयोगी पाया। फ़िल्म -मनोरंजन, आकाशदीप, ऊँचे लोग, एक राज़, अदालत तथा ये रात फिर न आयेगी के छह फड़कते हुये नग़मों के साथ दी गई रोचक ज्ञानवर्द्धक और आश्चर्यजनक जानकारी के लिये शुक्रिया। यह जान कर हैरत हुई कि नेपाल का हनी हण्टर कहलाने वाला गुरुंग समुदाय महज़ परम्परा को ज़ारी रखने के लिये दुनिया की सबसे गुस्सैल और ख़तरनाक मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालता है। वहीं प्राचीन यूनान के उत्तरी भाग में स्थित पवित्र पर्वतों में महिलाओं और बच्चों के प्रवेश पर पाबन्दी होने की बात भी एक रूढ़ी ही कही जायेगी। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, बहामास, जापान तथा मैक्सिको के सात अज़ीबोगरीब समुद्रीतटों के बारे में जान कर महसूस हुआ कि दुनिया में इतनी विचित्र चीज़ें हैं, जिन्हें जानने और देखने में शायद एकजन्म छोटा पड़ जाये। नोबेल पुरस्कार विजेता क्यों हैं बूढ़े और क्यों होते हैं इसके ज़्यादातर विजेता पुरुष, के अलावा समय के साथ नोबेल प्रदाताओं की सोच में बदलाव आदि बातों की ओर ध्यानाकृष्ट करने का भी हार्दिक धन्यवाद्।

    अनिल:सुरेश जी, पत्र भेजने के लिये बहुत धन्यवाद। आगे पेश है पश्चिम बंगाल से रविशंकर बसु का पत्र। उन्होंने लिखा है..

    दिनांक बुधवार 19 अक्टूबर को "विश्व का आईना" प्रोग्राम और उसके बाद अनिल पांडेय जी और हैया जी द्वारा पेश साप्ताहिक "आपका पत्र मिला" प्रोग्राम सुना।

    आज "विश्व का आईना" कार्यक्रम में मैडम श्याओ यांग जी द्वारा पेश रिपोर्ट में चीन का परम्परागत ऑपेरा-स्छ्वान ऑपेरा के बारे में जानकारी दी गई, जो मुझे काफी पसंद आया। रिपोर्ट से पता चला कि

    स्छ्वान ऑपेरा चीन के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र के सछ्वान प्रांत में प्रचलित है। सछ्वान ओपेरा चीन के सांस्कृतिक खजानों में से एक माना जाता है जो मुखौटा बदलना, आग निकालना, रंगीन मुख वाले पेंटेड पात्र और गायन आदि कलाबाजी का शानदार मिश्रण होता है। 2006 में स्छ्वान ऑपेरा चीनी राष्ट्रीय गैरभौतिक सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया गया। पिछले 10 सालों में स्छ्वान ऑपेरा की स्थिति में व्यापक परिवर्तन आ चुका है और ऑपेरा कलाकारों का जीवन भी रंग-बिरंगा हो चुका है। छोंगछिंग छवान ऑपेरा कला केंद्र के कर्मचारी ने पत्रकार से कहा कि अब हर हफ्ते के अंत में स्छ्वान ऑपेरा होता है। साथ ही ऑपेरा मंडल अकसर देश में भी प्रदर्शन करता है, कभी कभार वे लोग जर्मनी, इटली और अमेरिका आदि देशों में भी अभिनय करते हैं। अब स्छ्वान ऑपेरा का प्रदर्शन पहले से ज्यादा होता है और दर्शकों की संख्या भी बढ़ती रहती है। छोंगछिंग स्छ्वान ऑपेरा कला केंद्र के वरिष्ठ अभिनेता शोंग फिंगआन ने कहा कि अब हम युवा दर्शकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। पहले स्छ्वान ऑपेरा देखने वाले दर्शक आम तौर पर बूढ़े लोग थे, अब 20 या 30 की उम्र वाले युवक भी शामिल हो रहे हैं।

    रिपोर्ट में बताया गया है कि स्छ्वान ऑपेरा के लोकप्रिय होने की वजह से कलाकारों के जीवन में भी परिवर्तन आया है।अब परम्परागत संस्कृति के प्रति केंद्र सरकार महत्व देने लगी है। स्छ्वान ऑपेरा थियेटर के वृद्ध कलाकार 70 वर्षीय श्योंग फिंगआन के अनुसार, पहले की तुलना में अब स्छ्वान ऑपेरा ज्यादा प्रदर्शन होते हैं और कलाकारों की आय भी पहले से अधिक हो चुकी है। केंद्र सरकार विभिन्न क्षेत्रों में कलाकारों को भत्ता देती है। सब लोग खुश हैं।चीन के छोंगछिंग स्छ्वान ऑपेरा थ्येटर की प्रधान शन थ्येमेई ने कहा कि इधर के सालों में चीन की केंद्र सरकार परम्परागत संस्कृति को बड़ा महत्व देती रही है। केंद्र सरकार के समर्थन व प्रसार-प्रचार के अलावा स्छ्वान ऑपेरा खुद ही सृजन व विकास की खोज कर रहा है। सुना है कि इस साल के राष्ट्रीय दिवस के दौरान शन थ्येमेई ने स्छ्वान ऑपेरा लीयाश्येन के साथ 2016 क्वांगचो कला उत्सव में भाग लिया, जिसे स्थानीय लोगों ने बहुत पसंद किया। स्छ्वान ऑपेरा के बारे में दी गई जानकारी रोचक होने के साथ साथ ज्ञानप्रद भी रही।

    वायु प्रदूषण से संबंधित दूसरी रिपोर्ट वाकई अत्यन्त सूचनाप्रद व महत्वपूर्ण लगी। वायु प्रदूषण विश्व के सभी देशों के हरेक सामाजिक वर्ग पर असर डाल सकता है।रिपोर्ट ध्यान से सुनकर पता चला कि

    विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस साल के 27 सितंबर को जारी एक रिपोर्ट में बताया कि पृथ्वी पर 92 प्रतिशत से ज्यादा लोगों के निवास स्थान में वायु प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किये गये न्यूनतम स्तर से अधिक है। उल्लेखनीय बात यह है कि शहरों में वायु प्रदूषण अति गंभीर है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी वायु गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं है। इस रिपोर्ट के अनुसार,विश्व में हर साल 60 लाख से ज्यादा लोगों की मौत की वजह वायु प्रदूषण से संबंधित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सार्वजनिक स्वास्थ्य व पर्यावरण ब्यूरो के प्रधान नाइरा ने विभिन्न देशों से सड़कों पर गाड़ियों की संख्या को कम करने, कचरे के प्रबंधन में सुधार करने, स्वच्छ गैस का इस्तेमाल करने आदि कदम उठाकर वायु प्रदूषण सवाल का हल करने का आह्वान किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन की वायु गुणवत्ता के मापदंड के अनुसार पीएम 2.5 को हर घन मीटर 10 माइक्रोग्राम से कम होना चाहिए। नहीं तो वायु प्रदूषण होगा।

    शानदार रिपोर्ट के लिए मैडम श्याओ यांग जी को धन्यवाद।

    हैया:आगे बसु जी लिखते हैं…दिनांक 14 अक्टूबर को पंकज श्रीवास्तव जी द्वारा पेश किये गए दुनिया भर के ताज़ा समाचार सुनने के बाद साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" प्रोग्राम और "दक्षिण एशिया फोकस" प्रोग्राम सुना।

    आज साप्ताहिक "चीन का तिब्बत" प्रोग्राम में हुमिन जी ने पिछले जुलाई महीने में ल्हासा दौरे पर गये भारत के एक पत्रकार के साथ जो बातचीत की वह मुझे काफी महत्वपूर्ण लगी। उन्होंने तिब्बत के लोकतांत्रिक सुधार, सामाजिक क्षेत्र में आर्थिक विकास के बारे में अपना अनुभव हमें बताया। इस बातचीत सुनकर मैं सिर्फ यही बोलना चाहूंगा कि तिब्बत के दरवाजे पिछले कुछ वर्षों में खुले गए है और धीरे धीरे विकास होगा और आनेवाले कुछ वर्षों में तिब्बत की स्थिति लगभग मुख्य भूमि की तरह हो जाएगी।

    आज "दक्षिण एशिया फोकस" प्रोग्राम में पंकज श्रीवास्तव जी ने पत्रकार विजेंद्र सिंह जी के साथ गोवा में होने वाले 8वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की तैयारी को लेकर एक चर्चा की जो काफी प्रशंसनीय लगी। चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग 8वें ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेंगे।गत सिंतबर में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने हांगचो में आयोजित जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लिया। भारत की मुख्य चुनौती चीन के साथ संबंधों में संतुलन और आर्थिक मामलों में सदस्य देशों की एकजुटता बनाना है। पूरी दुनिया में मौजूद अत्यधिक गरीबी के उन्मूलन और असमानता में सुधार के लिये विकासशील देशों को एक साथ मिलकर ठोस प्रयास करना चाहिए। भारत और चीन के नेताओं के बीच आदान-प्रदान ने द्विपक्षीय संबंधों को लाभ पहुंचाया है और भारत-चीन मैत्रीपूर्ण सहयोग के लिये अच्छा राजनीतिक माहौल भी तैयार किया है। साथ ही शक्तिशाली चीन-भारत संबंध ब्रिक्स और दुनिया को बड़ा आर्थिक लाभ दिला सकते हैं। हमने देखा है कि मेजबान देश के रूप में इस वर्ष भारत ब्रिक्स ढांचे के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया और चीन सक्रिय रूप से उनमें भाग लिया है।मोदी ने सक्रिय रूप से भारत और चीन के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा दे रहा है। कई चीनी कंपनियों और स्थानीय सरकारों ने सक्रिय रूप से "मेक इन इंडिया", "स्मार्ट सिटी", "स्किल इंडिया" और "स्वच्छ भारत " जैसे कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। 500 से अधिक चीनी कंपनियों ने भारत में बिजली, दूरसंचार, पुल व मार्ग, रेल परिवहन, हवाई अड्डे और बंदरगाह जैसे बुनियादी संस्थापनों के निर्माण में पूंजी निवेश किया है। हम आम जनता आशा करते है कि भारत और चीन के बीच सहयोग दोनों देशों की जनता के मूल हितों के लिए लाभकारी होगा।

    दोस्तो, 19 नंवबर को थिएनकूंग नम्बर 2 ने शेनचाओ नम्बर 11 अंतरिक्ष यान से सफल डॉकिंग डी। हमारे श्रोता दोस्त चुन्नीलाल कैवर्त ने छत्तीसगढ़ से सधाई पत्र भेजा। उन्होंने लिखा है…शेनचाओ नम्बर 11 अंतरिक्ष यान ने 19 अक्तूबर को 3 बजकर 31 मिनट पर थिएनकूंग नम्बर 2 अंतरिक्ष प्रयोगशाला के साथ डॉकिंग की। इस महत्वपूर्ण सफलता पर चीनी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और चीनी जनता को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनायें! साथ ही आप सभी को दीपावली पर्व की शुभकामनायें !

    अनिल:दोस्तो, हाल ही में भारत में 'चीन पर्यटन वर्ष'के उपलक्ष्य में सीआरआई ने 'मैं और चाइना'शीर्षक लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया। कई लोगों ने हमें ईमेल और पत्र भेजे। पिछले सप्ताह की तरह इस बार के आपका पत्र मिला कार्यक्रम के अंत में हम लेख शामिल करेंगे। अगला लेख है भारतीय युवा डेलीगेशन 2016 के सदस्य नोवी कपूर जी का पत्र। उन्होंने लिखा है..

    मेरी चीन यात्रा

    मुझे आज भी याद है वह दिन जब मुझे भारतीय मिनिस्ट्री से मेरे यूथ डेलीगेशन में चयनित होने की ईमेल आयी थी। प्रसन्नता के जो अंकुर मेरे मन में फूट पड़े थे , और जो ख़ुशी मेरे चेहरे पे दिख रही थी ,वह देख आस पास सभी लोग अचंभित थे।

    समय बीतता गया , हमारी पासपोर्ट, वीसा और अन्य आवश्यके formalities के पूरा होने के बाद वह दिन आ ही गया जब हम बीजिंग पहुँचे। बीजिंग में हवाई जहाज़ से उतरते ही लगा की ना जाने कहाँ आ गए , हम अचरज से वहाँ की चीज़े और लोग देख रहे थे और वहाँ के लोग हमें।

    एक बार को मेरे मन में डर लगा की ना जाने कहाँ आ गए। देख के लगा यहाँ की मैं भाषा कैसे समझूँगी , मैं शाकाहारी हूँ, यहाँ खाना कैसे खाऊँगी , क्या मैं यहाँ पर 8 दिन भी गुज़ार पाउंगी ?

    एयरपोर्ट से ही तुरंत हम भारतीय एम्बेसी के लिए रवाना हुए। एम्बेसी में पहुँच कर हमें कई डिम्प्लोमेट्स से मिलने का अवसर मिला और उन्होंने हमें पिछली युथ डेलीगेशन्स के अनुभव बताये। उनसे बात करके मेरा मन आश्वस्त हुआ कि ये यात्रा यादगार होने वाली है। जो डर खाने को लेकर मन में था वह तो एम्बेसी में स्वादिष्ठ व्यंजन खाके ही निकल गया। वहां से निकलते ही यादगार के रूप में चीन के ख़ास प्रकार की जो कपडे और चीज़े मिली जिन्हें मैंने आज तक संजो कर रखा है।

    हैयाः उसके बाद शुरू हुई असल में मेरी चीन यात्रा। अगले दिन सुबह खूब होटल से नाश्ता खा कर निकल पड़े हम चीन की विशाल दिवार देखने। सच में , वहां जा के पता चला कि वह विश्व के सात अजूबो में से एक क्यों है। इतनी लंबी दीवार , आस पास बस हरियाली ही हरियाली और दीवार पर प्राचीन खुदाई।

    यहाँ वहां फोटो खिचवाने के बहाने हमारी मित्रता अपने चीनी साथियो से भी हो गयी। बात कर के जान पड़ा की वे सब भी हमारी ही तरह छात्र छात्राये हैं।

    फिर तो क्या था, अब हम उनसे इतने घुल मिल गये कि छोटी से छोटी शंका भी उनसे आसानी से पूछने लगे। हमने उन्हे नमस्ते ,"जोल्दी चोलो(जल्दी चलो) " और हिंदी फिल्मों के गाने सिखाये और उन्होंने हमें "नी हाओ और शे शे"।सच कहूं तो चीनी गाने और अन्य वाक्य सीखने की कोशिश तो की थी पर ज्यादा सफलता नहीं मिली।

    उसके बाद हम वहां पहुचे जो हमारे लिए सबसे आकर्षक स्थल था। " छंगदु का पांडा बेस"। अब तक पांडा बस चलचित्रों और कार्टून में ही देखा था , आज हम अपनी आँखों से देखने वाले थे। पांडा को देख कर मानो ऐसा लगा कि अपना बचपन दुबारा जी रही हूँ।

    उसके बाद हमने छंगदु में कई तरह के म्यूजियम देखे और साउथवेस्ट यूनिवर्सिटी में भारत चीन की सांस्कृतिक समानताओ पर दिए गए अभिभाषण में भी सम्मिलित हुए। ये सुनकर बहुत ही अच्छा लगा की भारत और चीन के रिश्ते काफी अर्से से चलते आ रहे हैं। इतनी समानताओं की हमें अपेक्षा भी नहीं थी , जितनी हमे जानने को मिली। खैर ये केवल कक्षा की बात ही नहीं थी , जिन समानताओं को देख कर शायद चाचा नेहरू ने "हिंदी चीनी भाई भाई " का नारा दिया था वो हम साक्षात् रूप में महसूस भी कर रहे थे।

    इसके बाद हमने कई जगह भ्रमण किया , क्विलिंन में युनिवेर्सिटी, चीन मोबाइल का कार्यालय और स्टार्ट अप के लिए बनाये गये कार्यालयों पर जा कर हमने चीन की तकनीकी विशेषताओं की जानकारी ली।

    यदि मैं किन्ही दो कार्यक्रमो को जीवन भर याद रखूंगी तो वह होंगे दोनों क्रूज़ का सफर। ठंडी ठंडी हवा , हलके काले बादल, पानी पर हिचकोले खाती नाव और हँसते गाते हिंदुस्तानी और चीनी साथी , ऐसा प्रतीत होता था मानो हम सब ख़ुशी खुशी किसी पर्व को मना रहे हों और प्रकृति रुपी परियो की टोली हमें किसी नाव रुपी हिंडोले पर झूला झूला रही हो।

    खैर अंत सबका आता है और मेरी इस यात्रा का भी आया , जब हमारी फेयरवेल बैंक्वेट हुई गवंझाऊ में क्रूज़ में , हमारे हिंदुस्तानी भाइयो और बहनों ने जो नाच गाने और अपनी संस्कृति की झलकियां दिखलाने का कार्यक्रम प्रस्तुत किया, वह देख तो हमारे सबसे कठोर और strict समझे जाने वाले coordinator ,ने भी चेहरे पर मुस्कान ला कर कह दिया कि आज चीन में इस नदी पर "छोटा भारत " बसता दिखाई दे रहा है।

    म्यूजियम और अन्य ऐतिहासिक स्थानों पर विचरण करके हमने चीन के इतिहास और संस्कृति के बारे में काफी कुछ जाना और केवल ऐतिहासिक ही नहीं , मैंने कई ऐसी भी बाते देखी जो की यदि हम भारत में अपनाये तो हम अपने देश को ज्यादा सफल और तरक्की के मार्ग पर अग्रसित कर सकते हैं।

    अनिलः वह आगे लिखती हैं, मैं उम्मीद करती हूं कि जो मैत्री हमने अपने चीनी मित्रो के साथ बनायीं , दोस्ती की जो राह हमने बढाई वह और प्रगाड़ हो ताकि जब विश्व की दो सबसे शक्तिशाली हस्तियां संग मिलकर काम करेंगी , तब ही तो पूरा विश्व विकासशील ना हो कर विकसित बनेगा।

    अंत में एक छोटी सी स्वरचित कविता के माध्यम से बस इतना ही कहना चाहूंगी कि .....

    चीन जाकर काफी कुछ देखा है मैंने ,

    चीन जाकर बहुत कुछ सीखा है मैंने।

    चीन जाकर बनाये मित्र ऐसे ,

    बरसो से मित्रता रही हमारी हो जैसे।

    इस मित्रता को आगे बढ़ाऊंगी ,

    अपने तक ही नहीं , देशवासियो तक पहुचाऊंगी।

    सबको बताउंगी चीन साथी है हमारा,

    पडोसी मुल्क हमारा है ये बहुत न्यारा।

    हिंदी चीनी भाई भाई ,

    ना है, ना हो हमारे बीच कोई लड़ाई।

    एक साथ हो हम अगर ,

    विश्व बढ़े प्रगति पथ पर।

    ---- SONG ----

    अनिल:दोस्तो, इसी के साथ आपका पत्र मिला प्रोग्राम यही संपन्न होता है। अगर आपके पास कोई सुझाव या टिप्पणी हो तो हमें जरूर भेजें, हमें आपके खतों का इंतजार रहेगा। इसी उम्मीद के साथ कि अगले हफ्ते इसी दिन इसी वक्त आपसे फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए अनिल और हैया को आज्ञा दीजिए, नमस्कार।

    हैया:गुडबाय।

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